भाभी और उसकी बहिन को चोदा
अपनी दोनों बेहेन की चूत मारी
ये कहानी मेरी और गौरी की है। हम दोनो के नाम इसमें बदले हुए हैं। दरसल, गौरी मेरी मौसी की लड़की है। मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। गौरी मुझसे दो साल बड़ी है। गौरी के परिवार से हमारे बहुत अच्छे रिश्तें है। गौरी को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।
गौरी की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी। क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी। और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था। गौरी की नानी अकेली रहती थी। इसीलिए गौरी की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।
हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से गौरी की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी मिली। रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी। कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ। मैंने कहा ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।
मैंने कहा – मारेगा ? तो वो बोली हाँ तभी तो बच्चे पैदा होते है। मैंने कहा इसे कैसे मारते हैं? वो बोली किसी से तू कुछ कहेगा तो नही मैंने कहा नही। तो बोली वादा कर मैंने कहा वादा रहा। फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला ये क्या कर रही हो वो बोली चूत मारना सीखना है या नही मैं चुप रहा।
फिर वो बोली तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं गौरी की चूत भी दिलवा दूँगी मैंने कहा गौरी की? वो बोली हाँ। गौरी को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना। मैंने कहा अभी क्यों नही तो बोली अभी गौरी छोटी है। मैंने कहा कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।
फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है। फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया। और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।
वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो। मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।
फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी। फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले। फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।
मैं बोला अब गौरी की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर। मैंने पूछा ये बड़ा कैसे होगा। वो बोली- इसे चुसवाना मैंने कहा तो तुम्ही बड़ा कर दो वो बोली ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना। मैंने कहा ठीक है। फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।
अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन गौरी के घर गया वहाँ पर मुझे गौरी का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था। गौरी की गली की एक लड़की आई हुयी थी जो गौरी की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद गौरी के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।
गौरी, मैं, गौरी का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और गौरी बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये। वहाँ पर मैंने देखा के गौरी का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर गौरी के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही। मैंने कहा एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।
फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई। मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहाता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।
अब गौरी के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था। मैंने कहा अच्छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है। वो बोली अच्छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है। मैं बोला खुद ही निकाल ले।
उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया। फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया। तो वो बोली रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया। तो मैंने कहा तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।
फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी। अंजू बोली गॅप घर आ जाना मैंने कहा ठीक है। रात को मैं और गौरी का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है। वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।
अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।
मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला – बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।
वो बोली – बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।
फिर भाई बोला बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।
इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली – तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडरवियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।
फिर भाई से बोली – ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है। फिर वो बोला ठीक है।
भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी। अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भाई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी। फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा। कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।
मैं बोला ये क्या है तो भाई बोला – इसी से बच्चे बनतें है। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है। फिर मैंने कहा मुझे देखना है तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।
फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया। वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।
अब मुझे गौरी के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे गौरी की बड़ी बहन ने वादा किया था। फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन गौरी को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है।जब मैने गौरी की बड़ी बहन रानी और बड़े भाई से सब गुप्त ज्ञान ले लिया तो मुझे भी चूत और गांड मारने की इच्छा होने लगी। अब बस मैं गौरी के बारे में ही सोच रहा था की किसी दिन वो मेरे पास सो जाए। क्योंकि गौरी की बड़ी बहन की बात मेरे मन में घर कर गई थी। अब तो गौरी मुझे और भी अच्छी लगने लगी थी। बस अब तो मैं गौरी की चूत को और गांड को मारना चाहता था। पर ऐसा हुआ नही। क्योंकि उसके मम्मी और पापा बहुत सख्त है।
दो साल बाद, एक दिन मैं गौरी के घर गया। गौरी घर पर अकेले ही थी। वो घर का सारा काम कर रही थी। उसने अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी सफेद स्कर्ट और सफेद कमीज़। कमीज़ कुछ हल्के कपड़े में थी इसी लिए ज़हाँ भी उस पर पानी गिरता वहीं से सब कुछ दिखाई देने लगता। अचानक उसके हाथ से मग्गा छूट गया। और उसके उपर पानी गिर गया तो मैंने देखा गौरी ने तो सफेद ब्रा पहननी शुरू कर दी है। उसने अपने उपर के दो बटन भी खोल दिए और मुझे उसने देखा भी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी। मैं तो बस इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह गौरी मेरे पास सोए तो मैं उसके साथ कुछ करूं।
अब जैसे ही गौरी मग्गा उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी कमीज़ भी गले से अलग हो गई और उसकी अंदर से सफेद ब्रा साफ दीख रही थी। मैं तो उसकी ब्रा देखता ही रहा क्योंकि ब्रा का साइज़ बहुत बड़ा था। क्योंकि उसकी चूची उस से भी बाहर आ रही थी। उसकी बड़ी और गोरी चूची और भी अच्छी लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसकी दोनो चूची को बहुत तेज़ दबाकर उन में भरा सारा दूध निकालकर पी जाऊं। लेकिन क्या करता मजबूर था कि कही वो शोर ना मचा दे।
उस रात मैं गौरी के घर पर ही रुका था। और उसके बड़े भाई के साथ ही सो रहा था और वो मुझे अभी भी गुप्त ज्ञान की बात बता रहा था। सुबह को जब मैं उठा और नहाने के लिए गया। तो गौरी की ब्रा कपड़ो पर पडी हुई थी। मैंने उसे उठाया सफेद ब्रा क्या लग रही थी। वो सूती कपडे की थी। और फिर उसे चूमा और फिर उसे अपने लंड पर भी घुमाया उसका साइज़ देखकर मैं तो दंग रह गया। उसका साइज़ 36”था। मैं नहा कर बाहर आया और अपने घर आ गया।
उसके बाद कई बार और कई जगह पर गौरी मिली पर मैं उससे इस बारे में बात नहीं कर सका। बस मैं ही जानता हूँ कि मैंने वो दो साल िकस तरह से बिताए। फिर मैं एक दिन गौरी के घर गया तो मैं, गौरी और मौसी रात को सोने के लिए ऊपर चले गये। वो दिन आज तक मुझको याद है। गौरी और मेरे बीच में मौसी सो रही थी। मैं तो बस अब इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह हमारे बीच से मौसी हट जाएँ पर मौसी वही पर मुझसे बात करती रही और गौरी सो गयी। फिर मैंने भी मौसी से कहा के मुझे भी नीद आ रही है। और मैं सोने का बहाना करने लगा पर मुझे नीद नही आ रही थी।
फिर रात को एक बजे मौसी उठ कर नीचे चली गयी। मैं भी उठ कर नीचे देखने लगा और मैंने देखा की मौसी, मौसा के पास चली गयी। और उनकी खाट पर ही लेट गयी। मौसा मौसी के कपड़े उतार कर उन को चूम रहे थे। अब उन दोनो को देख कर मेरा लंड भी बहुत तेज़ झटकें मारने लगा। मैं गौरी के पास आया और उसे देखने लगा। गौरी आज भी स्कर्ट और कमीज़ में ही थी। मैं उसके पास ही लेट गया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा। गौरी ने दो बार मेरा हाथ हटाया पर आज का मौका मैं किसी किम्मत पर खोना नही चाहता था।
मैंने हिम्मत और डर के साथ उसकी कमीज़ के तीन बटन खोल दिए। अब उसकी ब्रा साफ दिख रही थी। सूती कपडे में ब्रा अच्छी लग रही थी और गौरी भी उस ब्रा मे अच्छी लग रही थी। र्मैं उसके बराबर मैं ही लेट गया और अपनी लूँगी उतार दी और धीरे से उसके हाथ में अपना लंड निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया। और उसकी कमीज़ के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया। गौरी ने मेरा हाथ हटा दिया।
मैं कुछ देर सोचता रहा कि क्या करूं। फिर दोबारा से मैंने गौरी के ब्रा पर हाथ रखा अब की बार उसने कुछ भी नही कहा। मैं धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाता रहा। फिर एक दम मुझको झटका सा लगा कि उसने मेरे लंड को पकड़ लिया मैं तो घबरा ही गया था। मैंने उसकी आँखो को देखा तो बंद थी। फिर मैं उसकी चूची को दबाने लगा उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा कर हिलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी स्कर्ट को उपर कर के उसकी कच्छी में हाथ डाल दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर काटें से थे। मैंने उसकी चूत के उपर से हाथ फेरना शुरु कर दिया।
अबकी बार गौरी ने मेरे लॅंड को हिलाते हुए पकड़ लिया। मैने फिर उसकी आँखो में देखा, उसने आँख खोली और बंद कर ली। जैसे उसने कुछ देखा ही नही। मैं समझ गया था कि वो जाग चुकी है। पर सोने का बहाना कर रही है। अब तो मेरी हिम्मत ज़्यादा बढ गयी। मैंने उसकी कच्छी से हाथ निकाला और उसके और अपने उपर चादर डाली और उसकी कमीज़ को स्कर्ट से बाहर निकाला और कमीज़ के बाकी बचे हुए बटन भी खोल दिए और उसे अपनी तरफ कर के उसकी ब्रा को चूसने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी एक टाँग जाँघ तक मेरी टाँग के उपर इस तरह रख दी की मेरा लंड उसकी कच्छी के बीचो बीच चूत पर रहे। और फिर मुझे भी जोश चढा और मैं भी धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
अब उसकी प्यासी चूत और मेरे प्यासे लंड के बीच बस उसकी कच्छी की नाम मात्र के लिए दीवार थी। मैं अपने लंड पर उसकी चूत और वो अपनी चूत पर मेरे लंड को महसूस कर सकती थी। फिर मैने उसके पीछे कमीज़ के अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी ब्रा अब ढीली हो चुकी थी। मैंने अपने मुंह से ही उसकी ब्रा को उपर किया। और उसकी चूची देखने लगा। मैने किसी लड़की की चूची पहली बार देखी थी। उसकी गोरी और बड़ी चूची मेरी आँखो के सामने बिल्कुल नंगी थी। मैं अब उसकी चूची को चूसने लगा उसके भी मुंह से एक दम सिश की आवाज़ निकल गई।
अब वो अपनी चूत से मेरे लंड पर ज़ोर देने लगी। अब मेरा लंड और भी मोटा और लंबा हो गया था। मैने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी कच्छी पर बिलकुल उसकी चूत के छेद के उपर रखकर धक्का मारा। और कच्छी समेत मेरे लंड के अगले भाग का बहुत थोड़ा सा हिस्सा ही अंदर गया और वो आहा करने लगी। क्योंकि वो अभी तक किसी से चूदी नही थी इसी लिए उसकी चूत बड़ी ही टाइट थी। फिर एक दम से उसने मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत से बाहर कर दिया। और अपनी चूत पर हाथ रख लिया।
फिर मैंने उसकी चुची पीना शुरु कर दिया। मैं तो बस अब उसकी चूत मारना चाहता था। वो फिर गरम हो गई और सीधी हो कर लेट गई। मैंने उठकर देखा कि वो आँख खोले पड़ी है, वो बोली सोने दे ना। मैं फिर से लेट गया थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसकी आँखो को देखा तो उसकी आँख थोड़ी थोड़ी खुल रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा पर धीरे से हाथ रखा। तो वो मेरी साइड करवट लेकर सोने लगी। मैं समझ गया कि वो दुबारा करना चाहती है। अबकी बार मैंने उसकी स्कर्ट उपर की और उसकी कच्छी उतारने लगा। पर उसने मेरा हाथ कच्छी से हटा दिया। मैंने फिर अपना एक हाथ उसके गोरे और मुलायम पेट पर फिराने लगा। मैं उसकी टूंडी के चारो तरफ अपने लंड को हल्के से रगड रहा था। फिर मैंने उसकी टूंडी में भी अपना लंड घुसाया और उसकी टूंडी को भी चोदा।
फिर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था। अब की बार गौरी ने अपने आप ही मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद उसे दर्द हुआ था। तो वो मेरे लंड की मोटाई देख रही थी। फिर उसने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कच्छी पर ले जा कर उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर मैं धीरे से उसकी कच्छी को उतारने लगा। अबकी बार मैंने उसकी कच्छी हाथ से पकड़ रखी थी। उसने फिर से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर अबकी बार मैं पूरा तैयार था और मैंने अपनी पकड़ बिल्कुल भी ढीली नही की। उसने मेरी दो उंगली मोड़ भी दी। पर मैंने भी उसका हाथ अपने दूसरे हाथ से मोड़ दिया। और उसने ऐसे आहा की जैसे उसको बहुत दर्द हुआ हो।
फिर मैने उसकी आँखो में देखा की उसके आंसू आ गये हैं। पर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और उसकी कच्छी उतारने की कोशीश करता रहा। उसकी कच्छी फट भी गई पर मुझे उसकी कच्छी नहीं आज उसकी चूत फाडनी थी। फिर मैंने उसके कान में भी कहा कि मुझे आज कोई तेरी चूत फाड़ने से नही रोक सकता पर वो आँख बंद करके पड़ी रही। और मेरा आज का इरादा भी समझ गई। फिर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। और अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। और उसे अपनी टूंडी पर धीरे-धीरे मलने लगी। जिससे कि मुझे बस यहीं से मज़ा आ जाऐं।
पर मेरा इरादा बदला नही और मैंने उसकी कच्छी को जाँघ तक नीचे कर दिया। फिर मैं उठा और उसकी चूत के और पेट के बीच में चूमने लगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ भी फिराया था। तो मैंने अब देखा जो काँटे से थे वो उसके बाल थे। जो अभी-अभी निकल रहे थे। फिर मैं उसकी कच्छी को और नीचे करने लगा। तो उसने हल्की सी मुझे रोकने की कोशिश की पर मैने उसका हाथ हटा दिया। और उसकी कच्छी उतार दी। अब वो मेरे सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। और कुछ देर में उसकी चूत से चिकना सा पानी निकल गया। मैंने सोचा कि वो झड़ गयी है। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और ज़ोर का धक्का मारा। मेरे लंड का अगला टोपा अंदर चला गया मुझे भी दर्द हुआ और उसकी चूत की दोनो तरफ की खाल मेरे लंड से चिपक गई। वो दर्द के कारण अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसने अपनी चूत को छुडाने के लिए कई बार ऊपर उठाया तो कभी पीछे किया। मैं भी ऐसे ही करता रहा। वो अपनी चूत को ऊपर उठती तो मैं भी अपने लंड को ऊपर उठा देता और पीछे करती तो मैं लंड को आगे कर देता।
इसी चक्कर में उसे ऐसा झटका लगा कि मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो चुपचाप से लेट गयी। क्योंकि अब उसकी सील टूट चुकी थी। और उसे दर्द हो रहा था। दर्द से मन ही मन कराहती रही। और मैं उसकी चूत में अपने लंड को डालने की कोशिश करता रहा। क्योंकि वो भी पहली बार चुद रही थी और मैं भी पहली बार चोद रहा था। ना ही तो मुझे पता था कि कैसे उसका दर्द बंद हो और ना ही उसे। फिर मैं थोड़ा सा थक सा गया था तो मैं रूक गया।
मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला उस पर खून लगा था। मेरे भी खून निकल रहा था और उसके भी। उसने आँख बंद करके हाथ से ही खून पौंछने की कोशिश की पर उससे सही से पूंछा नहीं मैंने एक अख़बार उठाया और उसकी चूत पूंछने लगा। थोड़ा खून चादर पर भी गिर गया था पर डार्क कलर होने की वज़ह से दिख नहीं रहा था। फिर मैने जग से पानी लेकर चादर से भी खून साफ कर दिया।
अब मैंने घड़ी देखी तो चार बज गये थे। फिर मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर हाथ रख लिए है। मैं अपने हाथ से उसके हाथ हटाने लगा तो उसने हाथ रखे हुए दूसरी तरफ करवट ले ली। पर मुझे चैन नही था मैने उसको ज़बरदस्ती अपनी तरफ खींचा और वो बड़ी मुश्किल से सीधी हो गयी। मैं दोबारा से उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगा। अब उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख लिया। मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली कर दी। वो फिर तड़प उठी और जैसे ही उसकी हाथ की पकड़ ढीली हुई मैंने उसके हाथ हटा दिए। और उसके ऊपर चढ गया।
अब मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर था। मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ा अबकी बार मैने ज़्यादा देर तक उसकी चूत पर रगड़ा और उसके चिकने पानी से अपने लंड को तर कर लिया था। फिर मैने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका मारा अबकी बार एक ही बार में मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। अब मैं देख रहा था कि क्या गौरी अभी भी सोने का बहाना कर रही है। जी हाँ, गौरी ने अभी भी अपनी आँखे बंद कर रखी थी। और थोड़ी-थोड़ी टिमटिमा रही थी।
फिर मैने धक्के लगाने शुरु किए। और गौरी को दर्द भी नहीं हुआ था। अब बीच-बीच में वो भी मेरा साथ दे रही थी। धीरे- धीरे मैं अपनी स्पीड बढा रहा था। फिर मैं अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा अब तो गौरी को भी मज़ा आ रहा था फिर गौरी के मुंह से सी सिश आ आहा निकलने लगा मगर धीरे-धीरे लंड गौरी की चूत से निकले पानी के कारण इतना चिकना हो गया था कि बिना रूकावट के गौरी की बच्चेदानी के मुंह पर ही चोट करता था। गौरी झड़ चुकी थी। क्योंकि अब उसने मुझे कसकर पकड लिया था। जब वो पूरी झड चुकी थी तो उसने मुझे छोड दिया। और अब मुझे भी पता चल गया था की वो झड चुकी थी। क्योंकि अब वो मुझको हटाना चाहती थी वो अपने हाथ से मुझे पीछे कर रही थी।
तभी मैने पूरा ज़ोर लगया और लंड को एक ही झटके में उसकी चूत में कर दिया था। गौरी मुझे चाहकर भी नही हटा पाई। फिर वो बेबस सी हो गई। अब मै इस तरह ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था कि लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर करके उसकी चूत को मार रहा था। मुझे गौरी की बच्चेदानी का मुंह अपने लॅंड के आगे बार बार महसूस हो रहा था। फिर एक दम मेरे लंड से गौरी की चूत में पानी की धार छूट गई। उसी समय गौरी भी दुबारा झड़ रही थी।
फिर मैं गौरी से अलग हो कर उसके बराबर में लेट गया। गौरी की ब्रा, कमीज़ और स्कर्ट का नाडा अभी भी खुला हुआ था और गौरी की कच्छी भी उतरी हुई थी। गौरी सोच रही थी कि मैं ही उसे सही से कपड़े पहना दूँ पर अब मैं आँख बंद करके ऐसे पड़ा रहा जैसे कुछ देर पहले गौरी पड़ी हुई थी। मैं देखना चाहता था कि गौरी मुझे जगा कर कुछ पूछेगी या नहीं।
सुबह के करीब पाँच बज चुके थे। फिर गौरी अपने आप उठी और सबसे पहले उसने इधर उधर देखा। फिर उसने मेरे उपर चादर डाली और लेट गई लेटे-लेटे ही उसने अपनी ब्रा का हुक लगाया। मैं उसे आँख बंद करके देख रहा था। फिर उसने अपनी कमीज़ सही करी और उसके बटन भी बंद करे फिर उसने स्कर्ट ठीक करी और कच्छी पहनी। फिर वो चादर में अपनी गांड को मेरे लंड पर लगाकर लेट गई। जैसे ही उसकी गांड मेरे लंड पर लगी तो मेरा लंड खड़ा हो गया और उसके गांड के छेद में फस गया। अब मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा होने लगी थी फिर उस दिन तो मैंने ऐसे ही उपर उपर झटके मारता रहा पर एक दिन मैंने उसकी गांड भी मार ही ली।
किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
गौरी की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी। क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी। और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था। गौरी की नानी अकेली रहती थी। इसीलिए गौरी की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।
हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से गौरी की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी मिली। रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी। कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ। मैंने कहा ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।
मैंने कहा – मारेगा ? तो वो बोली हाँ तभी तो बच्चे पैदा होते है। मैंने कहा इसे कैसे मारते हैं? वो बोली किसी से तू कुछ कहेगा तो नही मैंने कहा नही। तो बोली वादा कर मैंने कहा वादा रहा। फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला ये क्या कर रही हो वो बोली चूत मारना सीखना है या नही मैं चुप रहा।
फिर वो बोली तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं गौरी की चूत भी दिलवा दूँगी मैंने कहा गौरी की? वो बोली हाँ। गौरी को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना। मैंने कहा अभी क्यों नही तो बोली अभी गौरी छोटी है। मैंने कहा कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।
फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है। फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया। और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।
वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो। मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।
फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी। फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले। फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।
मैं बोला अब गौरी की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर। मैंने पूछा ये बड़ा कैसे होगा। वो बोली- इसे चुसवाना मैंने कहा तो तुम्ही बड़ा कर दो वो बोली ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना। मैंने कहा ठीक है। फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।
अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन गौरी के घर गया वहाँ पर मुझे गौरी का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था। गौरी की गली की एक लड़की आई हुयी थी जो गौरी की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद गौरी के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।
गौरी, मैं, गौरी का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और गौरी बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये। वहाँ पर मैंने देखा के गौरी का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर गौरी के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही। मैंने कहा एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।
फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई। मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहाता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।
अब गौरी के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था। मैंने कहा अच्छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है। वो बोली अच्छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है। मैं बोला खुद ही निकाल ले।
उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया। फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया। तो वो बोली रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया। तो मैंने कहा तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।
फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी। अंजू बोली गॅप घर आ जाना मैंने कहा ठीक है। रात को मैं और गौरी का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है। वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।
अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।
मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला – बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।
वो बोली – बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।
फिर भाई बोला बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।
इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली – तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडरवियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।
फिर भाई से बोली – ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है। फिर वो बोला ठीक है।
भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी। अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भाई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी। फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा। कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।
मैं बोला ये क्या है तो भाई बोला – इसी से बच्चे बनतें है। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है। फिर मैंने कहा मुझे देखना है तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।
फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया। वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।
अब मुझे गौरी के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे गौरी की बड़ी बहन ने वादा किया था। फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन गौरी को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है।जब मैने गौरी की बड़ी बहन रानी और बड़े भाई से सब गुप्त ज्ञान ले लिया तो मुझे भी चूत और गांड मारने की इच्छा होने लगी। अब बस मैं गौरी के बारे में ही सोच रहा था की किसी दिन वो मेरे पास सो जाए। क्योंकि गौरी की बड़ी बहन की बात मेरे मन में घर कर गई थी। अब तो गौरी मुझे और भी अच्छी लगने लगी थी। बस अब तो मैं गौरी की चूत को और गांड को मारना चाहता था। पर ऐसा हुआ नही। क्योंकि उसके मम्मी और पापा बहुत सख्त है।
दो साल बाद, एक दिन मैं गौरी के घर गया। गौरी घर पर अकेले ही थी। वो घर का सारा काम कर रही थी। उसने अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी सफेद स्कर्ट और सफेद कमीज़। कमीज़ कुछ हल्के कपड़े में थी इसी लिए ज़हाँ भी उस पर पानी गिरता वहीं से सब कुछ दिखाई देने लगता। अचानक उसके हाथ से मग्गा छूट गया। और उसके उपर पानी गिर गया तो मैंने देखा गौरी ने तो सफेद ब्रा पहननी शुरू कर दी है। उसने अपने उपर के दो बटन भी खोल दिए और मुझे उसने देखा भी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी। मैं तो बस इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह गौरी मेरे पास सोए तो मैं उसके साथ कुछ करूं।
अब जैसे ही गौरी मग्गा उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी कमीज़ भी गले से अलग हो गई और उसकी अंदर से सफेद ब्रा साफ दीख रही थी। मैं तो उसकी ब्रा देखता ही रहा क्योंकि ब्रा का साइज़ बहुत बड़ा था। क्योंकि उसकी चूची उस से भी बाहर आ रही थी। उसकी बड़ी और गोरी चूची और भी अच्छी लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसकी दोनो चूची को बहुत तेज़ दबाकर उन में भरा सारा दूध निकालकर पी जाऊं। लेकिन क्या करता मजबूर था कि कही वो शोर ना मचा दे।
उस रात मैं गौरी के घर पर ही रुका था। और उसके बड़े भाई के साथ ही सो रहा था और वो मुझे अभी भी गुप्त ज्ञान की बात बता रहा था। सुबह को जब मैं उठा और नहाने के लिए गया। तो गौरी की ब्रा कपड़ो पर पडी हुई थी। मैंने उसे उठाया सफेद ब्रा क्या लग रही थी। वो सूती कपडे की थी। और फिर उसे चूमा और फिर उसे अपने लंड पर भी घुमाया उसका साइज़ देखकर मैं तो दंग रह गया। उसका साइज़ 36”था। मैं नहा कर बाहर आया और अपने घर आ गया।
उसके बाद कई बार और कई जगह पर गौरी मिली पर मैं उससे इस बारे में बात नहीं कर सका। बस मैं ही जानता हूँ कि मैंने वो दो साल िकस तरह से बिताए। फिर मैं एक दिन गौरी के घर गया तो मैं, गौरी और मौसी रात को सोने के लिए ऊपर चले गये। वो दिन आज तक मुझको याद है। गौरी और मेरे बीच में मौसी सो रही थी। मैं तो बस अब इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह हमारे बीच से मौसी हट जाएँ पर मौसी वही पर मुझसे बात करती रही और गौरी सो गयी। फिर मैंने भी मौसी से कहा के मुझे भी नीद आ रही है। और मैं सोने का बहाना करने लगा पर मुझे नीद नही आ रही थी।
फिर रात को एक बजे मौसी उठ कर नीचे चली गयी। मैं भी उठ कर नीचे देखने लगा और मैंने देखा की मौसी, मौसा के पास चली गयी। और उनकी खाट पर ही लेट गयी। मौसा मौसी के कपड़े उतार कर उन को चूम रहे थे। अब उन दोनो को देख कर मेरा लंड भी बहुत तेज़ झटकें मारने लगा। मैं गौरी के पास आया और उसे देखने लगा। गौरी आज भी स्कर्ट और कमीज़ में ही थी। मैं उसके पास ही लेट गया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा। गौरी ने दो बार मेरा हाथ हटाया पर आज का मौका मैं किसी किम्मत पर खोना नही चाहता था।
मैंने हिम्मत और डर के साथ उसकी कमीज़ के तीन बटन खोल दिए। अब उसकी ब्रा साफ दिख रही थी। सूती कपडे में ब्रा अच्छी लग रही थी और गौरी भी उस ब्रा मे अच्छी लग रही थी। र्मैं उसके बराबर मैं ही लेट गया और अपनी लूँगी उतार दी और धीरे से उसके हाथ में अपना लंड निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया। और उसकी कमीज़ के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया। गौरी ने मेरा हाथ हटा दिया।
मैं कुछ देर सोचता रहा कि क्या करूं। फिर दोबारा से मैंने गौरी के ब्रा पर हाथ रखा अब की बार उसने कुछ भी नही कहा। मैं धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाता रहा। फिर एक दम मुझको झटका सा लगा कि उसने मेरे लंड को पकड़ लिया मैं तो घबरा ही गया था। मैंने उसकी आँखो को देखा तो बंद थी। फिर मैं उसकी चूची को दबाने लगा उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा कर हिलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी स्कर्ट को उपर कर के उसकी कच्छी में हाथ डाल दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर काटें से थे। मैंने उसकी चूत के उपर से हाथ फेरना शुरु कर दिया।
अबकी बार गौरी ने मेरे लॅंड को हिलाते हुए पकड़ लिया। मैने फिर उसकी आँखो में देखा, उसने आँख खोली और बंद कर ली। जैसे उसने कुछ देखा ही नही। मैं समझ गया था कि वो जाग चुकी है। पर सोने का बहाना कर रही है। अब तो मेरी हिम्मत ज़्यादा बढ गयी। मैंने उसकी कच्छी से हाथ निकाला और उसके और अपने उपर चादर डाली और उसकी कमीज़ को स्कर्ट से बाहर निकाला और कमीज़ के बाकी बचे हुए बटन भी खोल दिए और उसे अपनी तरफ कर के उसकी ब्रा को चूसने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी एक टाँग जाँघ तक मेरी टाँग के उपर इस तरह रख दी की मेरा लंड उसकी कच्छी के बीचो बीच चूत पर रहे। और फिर मुझे भी जोश चढा और मैं भी धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
अब उसकी प्यासी चूत और मेरे प्यासे लंड के बीच बस उसकी कच्छी की नाम मात्र के लिए दीवार थी। मैं अपने लंड पर उसकी चूत और वो अपनी चूत पर मेरे लंड को महसूस कर सकती थी। फिर मैने उसके पीछे कमीज़ के अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी ब्रा अब ढीली हो चुकी थी। मैंने अपने मुंह से ही उसकी ब्रा को उपर किया। और उसकी चूची देखने लगा। मैने किसी लड़की की चूची पहली बार देखी थी। उसकी गोरी और बड़ी चूची मेरी आँखो के सामने बिल्कुल नंगी थी। मैं अब उसकी चूची को चूसने लगा उसके भी मुंह से एक दम सिश की आवाज़ निकल गई।
अब वो अपनी चूत से मेरे लंड पर ज़ोर देने लगी। अब मेरा लंड और भी मोटा और लंबा हो गया था। मैने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी कच्छी पर बिलकुल उसकी चूत के छेद के उपर रखकर धक्का मारा। और कच्छी समेत मेरे लंड के अगले भाग का बहुत थोड़ा सा हिस्सा ही अंदर गया और वो आहा करने लगी। क्योंकि वो अभी तक किसी से चूदी नही थी इसी लिए उसकी चूत बड़ी ही टाइट थी। फिर एक दम से उसने मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत से बाहर कर दिया। और अपनी चूत पर हाथ रख लिया।
फिर मैंने उसकी चुची पीना शुरु कर दिया। मैं तो बस अब उसकी चूत मारना चाहता था। वो फिर गरम हो गई और सीधी हो कर लेट गई। मैंने उठकर देखा कि वो आँख खोले पड़ी है, वो बोली सोने दे ना। मैं फिर से लेट गया थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसकी आँखो को देखा तो उसकी आँख थोड़ी थोड़ी खुल रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा पर धीरे से हाथ रखा। तो वो मेरी साइड करवट लेकर सोने लगी। मैं समझ गया कि वो दुबारा करना चाहती है। अबकी बार मैंने उसकी स्कर्ट उपर की और उसकी कच्छी उतारने लगा। पर उसने मेरा हाथ कच्छी से हटा दिया। मैंने फिर अपना एक हाथ उसके गोरे और मुलायम पेट पर फिराने लगा। मैं उसकी टूंडी के चारो तरफ अपने लंड को हल्के से रगड रहा था। फिर मैंने उसकी टूंडी में भी अपना लंड घुसाया और उसकी टूंडी को भी चोदा।
फिर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था। अब की बार गौरी ने अपने आप ही मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद उसे दर्द हुआ था। तो वो मेरे लंड की मोटाई देख रही थी। फिर उसने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कच्छी पर ले जा कर उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर मैं धीरे से उसकी कच्छी को उतारने लगा। अबकी बार मैंने उसकी कच्छी हाथ से पकड़ रखी थी। उसने फिर से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर अबकी बार मैं पूरा तैयार था और मैंने अपनी पकड़ बिल्कुल भी ढीली नही की। उसने मेरी दो उंगली मोड़ भी दी। पर मैंने भी उसका हाथ अपने दूसरे हाथ से मोड़ दिया। और उसने ऐसे आहा की जैसे उसको बहुत दर्द हुआ हो।
फिर मैने उसकी आँखो में देखा की उसके आंसू आ गये हैं। पर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और उसकी कच्छी उतारने की कोशीश करता रहा। उसकी कच्छी फट भी गई पर मुझे उसकी कच्छी नहीं आज उसकी चूत फाडनी थी। फिर मैंने उसके कान में भी कहा कि मुझे आज कोई तेरी चूत फाड़ने से नही रोक सकता पर वो आँख बंद करके पड़ी रही। और मेरा आज का इरादा भी समझ गई। फिर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। और अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। और उसे अपनी टूंडी पर धीरे-धीरे मलने लगी। जिससे कि मुझे बस यहीं से मज़ा आ जाऐं।
पर मेरा इरादा बदला नही और मैंने उसकी कच्छी को जाँघ तक नीचे कर दिया। फिर मैं उठा और उसकी चूत के और पेट के बीच में चूमने लगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ भी फिराया था। तो मैंने अब देखा जो काँटे से थे वो उसके बाल थे। जो अभी-अभी निकल रहे थे। फिर मैं उसकी कच्छी को और नीचे करने लगा। तो उसने हल्की सी मुझे रोकने की कोशिश की पर मैने उसका हाथ हटा दिया। और उसकी कच्छी उतार दी। अब वो मेरे सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। और कुछ देर में उसकी चूत से चिकना सा पानी निकल गया। मैंने सोचा कि वो झड़ गयी है। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और ज़ोर का धक्का मारा। मेरे लंड का अगला टोपा अंदर चला गया मुझे भी दर्द हुआ और उसकी चूत की दोनो तरफ की खाल मेरे लंड से चिपक गई। वो दर्द के कारण अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसने अपनी चूत को छुडाने के लिए कई बार ऊपर उठाया तो कभी पीछे किया। मैं भी ऐसे ही करता रहा। वो अपनी चूत को ऊपर उठती तो मैं भी अपने लंड को ऊपर उठा देता और पीछे करती तो मैं लंड को आगे कर देता।
इसी चक्कर में उसे ऐसा झटका लगा कि मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो चुपचाप से लेट गयी। क्योंकि अब उसकी सील टूट चुकी थी। और उसे दर्द हो रहा था। दर्द से मन ही मन कराहती रही। और मैं उसकी चूत में अपने लंड को डालने की कोशिश करता रहा। क्योंकि वो भी पहली बार चुद रही थी और मैं भी पहली बार चोद रहा था। ना ही तो मुझे पता था कि कैसे उसका दर्द बंद हो और ना ही उसे। फिर मैं थोड़ा सा थक सा गया था तो मैं रूक गया।
मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला उस पर खून लगा था। मेरे भी खून निकल रहा था और उसके भी। उसने आँख बंद करके हाथ से ही खून पौंछने की कोशिश की पर उससे सही से पूंछा नहीं मैंने एक अख़बार उठाया और उसकी चूत पूंछने लगा। थोड़ा खून चादर पर भी गिर गया था पर डार्क कलर होने की वज़ह से दिख नहीं रहा था। फिर मैने जग से पानी लेकर चादर से भी खून साफ कर दिया।
अब मैंने घड़ी देखी तो चार बज गये थे। फिर मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर हाथ रख लिए है। मैं अपने हाथ से उसके हाथ हटाने लगा तो उसने हाथ रखे हुए दूसरी तरफ करवट ले ली। पर मुझे चैन नही था मैने उसको ज़बरदस्ती अपनी तरफ खींचा और वो बड़ी मुश्किल से सीधी हो गयी। मैं दोबारा से उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगा। अब उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख लिया। मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली कर दी। वो फिर तड़प उठी और जैसे ही उसकी हाथ की पकड़ ढीली हुई मैंने उसके हाथ हटा दिए। और उसके ऊपर चढ गया।
अब मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर था। मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ा अबकी बार मैने ज़्यादा देर तक उसकी चूत पर रगड़ा और उसके चिकने पानी से अपने लंड को तर कर लिया था। फिर मैने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका मारा अबकी बार एक ही बार में मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। अब मैं देख रहा था कि क्या गौरी अभी भी सोने का बहाना कर रही है। जी हाँ, गौरी ने अभी भी अपनी आँखे बंद कर रखी थी। और थोड़ी-थोड़ी टिमटिमा रही थी।
फिर मैने धक्के लगाने शुरु किए। और गौरी को दर्द भी नहीं हुआ था। अब बीच-बीच में वो भी मेरा साथ दे रही थी। धीरे- धीरे मैं अपनी स्पीड बढा रहा था। फिर मैं अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा अब तो गौरी को भी मज़ा आ रहा था फिर गौरी के मुंह से सी सिश आ आहा निकलने लगा मगर धीरे-धीरे लंड गौरी की चूत से निकले पानी के कारण इतना चिकना हो गया था कि बिना रूकावट के गौरी की बच्चेदानी के मुंह पर ही चोट करता था। गौरी झड़ चुकी थी। क्योंकि अब उसने मुझे कसकर पकड लिया था। जब वो पूरी झड चुकी थी तो उसने मुझे छोड दिया। और अब मुझे भी पता चल गया था की वो झड चुकी थी। क्योंकि अब वो मुझको हटाना चाहती थी वो अपने हाथ से मुझे पीछे कर रही थी।
तभी मैने पूरा ज़ोर लगया और लंड को एक ही झटके में उसकी चूत में कर दिया था। गौरी मुझे चाहकर भी नही हटा पाई। फिर वो बेबस सी हो गई। अब मै इस तरह ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था कि लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर करके उसकी चूत को मार रहा था। मुझे गौरी की बच्चेदानी का मुंह अपने लॅंड के आगे बार बार महसूस हो रहा था। फिर एक दम मेरे लंड से गौरी की चूत में पानी की धार छूट गई। उसी समय गौरी भी दुबारा झड़ रही थी।
फिर मैं गौरी से अलग हो कर उसके बराबर में लेट गया। गौरी की ब्रा, कमीज़ और स्कर्ट का नाडा अभी भी खुला हुआ था और गौरी की कच्छी भी उतरी हुई थी। गौरी सोच रही थी कि मैं ही उसे सही से कपड़े पहना दूँ पर अब मैं आँख बंद करके ऐसे पड़ा रहा जैसे कुछ देर पहले गौरी पड़ी हुई थी। मैं देखना चाहता था कि गौरी मुझे जगा कर कुछ पूछेगी या नहीं।
सुबह के करीब पाँच बज चुके थे। फिर गौरी अपने आप उठी और सबसे पहले उसने इधर उधर देखा। फिर उसने मेरे उपर चादर डाली और लेट गई लेटे-लेटे ही उसने अपनी ब्रा का हुक लगाया। मैं उसे आँख बंद करके देख रहा था। फिर उसने अपनी कमीज़ सही करी और उसके बटन भी बंद करे फिर उसने स्कर्ट ठीक करी और कच्छी पहनी। फिर वो चादर में अपनी गांड को मेरे लंड पर लगाकर लेट गई। जैसे ही उसकी गांड मेरे लंड पर लगी तो मेरा लंड खड़ा हो गया और उसके गांड के छेद में फस गया। अब मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा होने लगी थी फिर उस दिन तो मैंने ऐसे ही उपर उपर झटके मारता रहा पर एक दिन मैंने उसकी गांड भी मार ही ली।
किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
अपने बड़े भाई से चुद गई
मेरा नाम मनीषा है और मैं दिल्ली में रहती हूं अपने पति संजय के साथ।
बात तीन साल पहले की है, तब मैं अट्ठारह साल की थी। मैंने बंगलौर में स्नातिकी की शिक्षा लेना बस शुरू ही किया था। मेरे ताऊ का एक लड़का था जिसका नाम संजय है। वैसे मेरे खानदान में पापा तीन भाई हैं और अगली पीढ़ी में मैं सबसे छोटी हूं।
हम कुल आठ भाई बहिन हैं और संजय भइया दूसरे नम्बर पर और मैं आखरी। मेरा कद ५’२” है और काफी खूबसूरत भी और शायद मैं वाकई में हूँ भी। वैसे मेरी दो कजन बहनें भी काफी खूबसूरत हैं। पर मैं अपनी ही धुन में रहती थी। मेरा फिगर ३४ -२४ -३४ है। हम भाई बहिन आपस में काफी घुले मिले हैं इसलिए अक्सर चुहल बजी चलती थी। कभी कभी तो ये भी आपस में बातें होती थी कि यार तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो या हो गए हो। संजय भइया करीब २५ साल के थे उस वक्त। उनकी हाईट काफी थी ५’१०” और उनका व्यक्तित्व भी काफी अच्छा था। कभी कभी लगता कि वो मुझे या मेरी एक और कजन के बदन को निहारते हैं, पर मैंने कभी उतना ध्यान नहीं दिया। वैसे मुझे वो अच्छे तो लगते थे पर मैंने उस तरह कभी सोचा नहीं।
भैया दिल्ली में नौकरी करते थे और उनका टूर लगता रहता था। एक बार उनका टूर बंगलौर का लगा और वो मुझसे मिलने मेरे कालेज़ आ गए। मैं भी खुश हो गई कि चलो कोई घर से मुझसे मिलने आया तो. वो मेरे हॉस्टल आ गए और हम दोनों गले मिले प्यार से और उन्होंने मुझे गाल पर एक हलकी सी पप्पी दी तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई. मुझे अच्छा लगा पर दूसरे सेंस में नहीं. वो मेरे दोस्तों से मिले और ये कह कर चले गए कि शाम को आऊंगा मिलने. मैं भी खुश थी कि भइया आए तो सही.
भइया शाम को ५ बजे आ गए और कहा कि चलो ३-४ दिन मेरे साथ रहो कंपनी के होटल में और घूमना मजे करना। मैं भी चहक उठी और वैसे भी उन दिनों छुट्टियाँ थी ५ -६ दिनों की तो मैं तैयार हो गई और १ -२ ड्रेस ले कर जैसे ही चलने लगी तो उन्होंने कहा कि मैं खरीद दूँगा तो मैं और खुशी से झूम उठी. हम दोनों उनके ऑफिस की कार से उनके होटल में गए. हम लोगों ने कुछ खाया पिया और घूमने चले गए और रात में ९ बजे के करीब होटल लौटे. मैं काफी थक गई थी इसलिए बिस्तर पर आ कर धम से पसर गई. मैंने उस वक्त टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था और इस वजह से मेरे टाइट हाफ सर्कल बूब्स तने हुए थे. वैसे भी मेरे बूब्स काफी टाइट थे.
भइया आए और सीधे बाथरूम में घुस गए और फिर निकल कर आते ही मेरे बगल में वो भी धम से लेट गए। ५ मिनट बाद भइया ने मेरी तरफ़ करवट ली और बोले “क्या बात है बहुत सेक्सी और सुंदर लग रही हो,” और ये कहते हुए उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और उनका एक हाथ ठीक मेरी नाभि के ऊपर था. मैं भी मुस्कुरा दी. मैंने अभी तक भइया को कभी उस तरह से नहीं देखा था.
मैंने कहा,“यह तो सब बोलते रहते हैं।”
उन्होंने कहा “अरे सच्ची ! वाकई में तुम बहुत कमाल की लग रही हो।”
मैं शरमाते हुए भइया से लिपट गई. भइया ने मुझे तब अपनी बाँहों में भर लिया और अपने सीने से चिपका लिया. उस वक्त मेरे बूब्स भिंचे हुए थे.
मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई जब भइया ने प्यार से भींच कर मेरी गर्दन पर किस किया. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चली गई नहाने. पर नहाने के बीच में याद आया कि मैंने नाईटी नहीं ली है तो मैंने भइया को आवाज़ दी कि भइया कोई दूसरा तौलिया दे दीजिये.
बाथरूम में शटर लगा हुआ था शावर केबिन में और कोई लाक नहीं था। बस अलग अलग केबिन थे, इसलिए भैया अन्दर आ गए। मैंने शटर ज़रा सा सरका कर तौलिया ले लिया। मैंने ध्यान नहीं दिया पर शायद वो भी तौलिया लपेटे थे क्योंकि उन्होंने भी नहाना था। वो शीशे के सामने अपना चेहरा धोने लगे। मैं शटर से जैसे ही बाहर निकली और वो जैसे ही मुड़े तो हम दोनों टकरा गए और मेरा तौलिया खुल गया। मैं घबरा गई और तुरन्त अपने दोनों हाथ अपने स्तनों पर रख लिए क्योंकि अब मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरा योनि-क्षेत्र पूरी तरह से बाल- रहित किया हुआ था। भैया ने मुझ पर ऊपर से नीचे तक नज़र डाली, उनके तौलिये के अन्दर भी कुछ उभार सा आ रहा था, पर उस वक्त मैं समझ नहीं पाई. मेरी आंखों में आँसू थे। भैया ने तुरन्त तौलिया उठाया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझने क मौका ही नहीं मिला। मैं भी सन्न चुपचाप सर झुकाए खड़ी थी। भैया ने तौलिया मेरे कन्धे पर डाला और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं भी उनसे चिपक गई और रोने लगी। मैंने यह भी ध्यान नहीं दिया कि मैं अभी भी नंगी हूँ। मेरे बूब्स उनके सीने से चिपके हुए थे। उनका भी शायद तौलिया खुल चुका था और उनका औज़ार यानि लिंग करीब ८-९” लम्बा और २” मोटा मेरी कुँवारी योनि पर टिका हुआ था। पर उस वक्त मेरा इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं गया। भैया मुझे चुप कराते हुए बोले।” अरे पगली मनु !(प्यार से वो मुझे मनु कहते हैं) सिर्फ़ मैं ही तो हूँ ! क्या हुआ?” ये कहते कहते उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और कमरे में ले गये और बिजली बंद करके मद्धम रोशनी कर दी ताकि मेरी शर्म दूर हो जाए।
ये सब ३-४ मिनट में हो गया था। उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे माथे को किस किया और कहा- चिन्ता मत करो। मैंने उन्हें चिपका लिया और उन्होंने मुझे। उनका लम्बा मोटा लिंग मेरी कुँवारी योनि पर रगड़ खा रहा था पर इस बात पर काफ़ी देर बाद मेरा ध्यान गया।
भैया ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में के कर होठों को किस किया तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा- भैया! यह सब ठीक नहीं है। मैं यह कहना चाहती थी कि भैया मुझे होठों पर किस करने लगे । फ़िर रुक कर मेरे बालों को हटा कर मेरी गरदन पर किस किया तो मैं उनसे कस कर लिपट गई। वो फ़िर मुझे बिस्तर पर ले गए और लिटा कर मेरे ऊपर लेट गए। हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से कस कर चिपके हुए थे और हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। वो मेरे होठों को और मेरी जीभ को चूस रहे थे, मैं अपने होश खोती जा रही थी।उनका लण्ड मेरी अनचुदी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मैं पागल हुई जा रही थी।
फ़िर भैया मेरी एक चूची को जोर से दबाने लगे और दूसरी के निप्पल को चूसने लगे जिससे मैं और पगला गई। अचानक मैं ज़रा होश में आई तो कहा- भैया ये सब ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चला तो मैं तो मर ही जाऊंगी। वो बोले- मनु जान ! क्या तुम मुझे ज़रा भी नहीं चाहती ! मैं तुम्हारे लिए इतने दिनों से तड़प रहा था और आज तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाना चाहता हूँ।
मैंने कहा- भैया…ऽऽऽ… ! और मेरे आगे कुछ कहने से पहले उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा, फ़िर कहा- आज से मैं भैया नहीं, तुम्हारा पति और जान हूँ, अगर ज़रा भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई जगह है तो बोलो।
मैंने कहा- मैं आपको चाह्ती तो हूँ पर … !
मेरे आगे बोलने से पहले उन्होंने मेरे होठों पर उंगली रख दी और कहा- बस हम आज से पति-पत्नी हैं और आज हमारी सुहागरात है।
मैंने कहा- लोग क्या कहेंगे?
उन्होंने कहा- मैं किसी की परवाह नहीं करता और अब हम तुम पति-पत्नी बन कर एक दूसरे को सुखी रखेंगे ………. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ मनु जान !
मैंने कहा- मैं भी तुम्हें प्यार करती हूँ ……. भैया !
भैया कहते ही उन्होंने मुझे कहा- आज से मैं तुम्हारा भाई नहीं पति हूँ और अब तुम मुझे कुछ और कहा करो!
मैंने कहा- क्या !
वो बोले- कुछ भी … जैसे जान या कुछ भी !
मैंने कहा- ठीक है भैया .. ओह सोरी … जान ……. आई लव यू !
हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से कस के चिपके हुए थे। भैया ने फ़िर मुझे किस किया और मेरी जांघों के बीच में आ गए। मैंने अपनी टांगें उनके पैरों पर रख ली थी। उन्होंने अपने एक हाथ को मेरे सर के नीचे रख कर किस किया और दूसरे से मेरी अनचुदी कुँवारी चूत में उँगली की तो मेरे मुंह से सिसकारी सी निकली-आऽऽऽऽऽऽह !
भैया ने कहा- जान अपने पति के लण्ड को अपनी कुँवारी चूत पर रखना जरा !
मैंने कहा- क्या होगा जान …! कहते हुए उनके लण्ड को अपनी चूत पर रखा। हम दोनों अब एक दूसरे का साथ देने लगे थे। भैया पहले धीरे धीरे मेरे अन्दर अपना डालने लगे। मैं सिसकारी लेने लगी थी। एक इन्च जाते ही मुझे दर्द का अनुभव हुआ तो मैंने कहा- आऽऽऽऽह्ह्ह …… अब बस … जान, अब बस भी करो, दर्द हो रहा है …!
वो बोले- चिन्ता मत करो, आज सब कुछ होगा … दर्द, मज़ा और हमारी सुहागरात …… आऽऽह ! कहते हुए उन्होंने एक झटका दिया कस के आऽ…॥अऽऽऽऽअऽह्ह्हहहाऽआऽऽऽ। ऊईऽऽऽ माँ मर गई मैं ! प्लीज़ भैया अब निकाल लो अब और दर्द नहीं सहा जा रहा है ! मैं रोते हुए बोली।
उन्होंने कहा- भैया बोलोगी ? यह कहते हुए एक और झटका मारा, लण्ड शायद ५” अन्दर जा चुका था। मैंने कहा- सोरी जान ……. लेकिन बहुत दर्द हो रहा है !
वो बोले- जान चिन्ता मत कर, थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा। वो फ़िर मेरे बूब्स चूसने लगे। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम मिला तो उन्होंने फ़िर ३-४ जोरदार झटके मारे तो मेरी हालत ही बिगड़ गई और चीख निकल गई- आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ……………… मर गई … … माँअऽऽऽऽऽ ……!
मेरी आंखों में आँसू थे। मैं उनसे चिपक गई और अपनी टांगों को उनकी कमर पर जकड़ लिया। वो मुझे किस करने लगे और हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर चूमने लगे। थोड़ी देर में मैं सामान्य होने लगी। तब भैया ने मेरे बूब्स को पकड़ा और अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर थोड़ा मज़ा भी था कुछ अलग तरह का- आऽऽऽऽह्ह्ह. ……. जान …….. आऽऽऽऽऽह्ह्ह्हाअ …… आज पूरी तरह से अपनी बना लो जानऽऽऽ … आऽऽऽअऽऽऽह्ह मैंने कहा तो भैया ने भी कहा- ओहऽऽ … जान …!. कमरे में हमारी आवाज़ें गूंज़ रही थी। मेरी सिसकारियाँ ज्यादा ही थी क्योंकि उनका ८ -९ इन्च लम्बा लण्ड मुझसे झेला नहीं जा रहा था। ५ मिनट तक वो मुझे लगातार रौंदते रहे, फ़िर मैं चीखी-जान आऽऽऽऽअऽऽआऽऽह्ह मुझे कुछ हो रहा है, पता नही क्या हो रहा है, मज़ाऽऽ आ रहा है आऽअ॥अऽ॥आऽऽऽह !
“ओऽऽह जान तू चरम पर है और मै भी ऽऽऽ जान ! मैं गया ऽऽ मेरा झड़ रहा है अआ ……..” उन्होंने लगातार ६-७ झटके मारे और हम दोनो एक साथ आनन्द के शिखर तक पहुँच गए।
भैया मेरे ऊपर ही पसर गए और हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और स्नानघर में जाने लगे तो देखा बिस्तर खून से भरा हुआ था। मैं घबरा गई और बोली,“ ये क्या …… अब क्या होगा?”
भैया बोले,“ इसमें डर कुछ नहीं, पहले पहले यही होता है”
मेरी कमर में दर्द होने लगा था। हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाने गए तो एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी। भैया ने रगड़ कर मेरी चूत को धोया और मैंने उनके लण्ड को, जिससे हम दोनों गर्म हो गए। मैं थोड़ा शरमाई पर काफ़ी झिझक निकल चुकी थी। हम दोनों फ़व्वारे के नीचे खड़े थे। भैया नीचे बैठे तो मैंने कहा,“ये क्या करने जा रहे हो जान !”
“मैं तो अपने होठों की मुहर लगाने जा रहा हूँ …… और अब तुम भी लगाना”
वो मेरी चूत में उँगली करने लगे थे और जीभ भी फ़िराने लगे। मैं पागल हो उठी। मैं अपने एक स्तन को मसलने लगी और भैया हाथ बढ़ा कर दूसरे को। भैया मेरी हालत समझ गए और फ़र्श पर ही लिटा लिया। मेरी चूत में उनकी जीभ तैर रही थी और मेरे हाथ उनके सर को पकड़ कर मेरी चूत को दबा रहे थे। मैं अपने होठों को काट रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी टांगें उनकी गरदन में लिपट गई थी।
फ़िर वो मेरे ऊपर आ गए और मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पे लपेट ली। मेरे दोनों हाथ उनकी गरदन में लिपट गए। उन्होंने फ़िर जोर का झटका मारा तो आऽऽऽह्हऽऽआ …॥अ…अह्…… जैसे मेरी जान ही निकल गई। फ़िर भैया मेरे बूब्स को दबाते और झटके मारते जाते। वो वहशी होते चले गए, मेरे बूब्स को निर्दयता से मसल रहे थे और दांतों से काट रहे थे, मेरी गरदन पर भी प्यार से काटा। वो जहाँ जहाँ अपने दाँत गड़ाते वहाँ खून सा जम जाता। मैं भी पागल हो जाती तो बदले में अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा देती और उनकी गरदन पर काट लेती। जंगलीपने से बाथरूम में मेरी प्यार भरी चीखें गूंज रही थी, जिससे भैया का जोश बढ़ता ही जा रहा था। यह सिलसिला आधे घण्टे तक चला और उतनी देर में मैं दो बार झड़ चुकी थी और भैया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फ़िर जब हम शांत हुए तो मैं तीसरी बार झड़ी थी। हम फ़्रेश हो कर कमरे में चले गए और थोड़ा आराम करके खाना खाया। फ़िर हम नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर बातें करने लगे।
मैंने कहा,“भैया … ओह सोरी … जान, अब मेरा क्या होगा, मैं क्या करूँ और अब आगे का क्या प्लान है, मेरा मतलब भविष्य का, क्योंकि अब मुझे घबराहट हो रही है, मैं आपके बिना नहीं रह सकती।” वो बोले “चिंता मत करो जान मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, हम दोनों दिल्ली जा कर शादी कर लेंगे पर अभी किसी को नहीं बताएँगे.” मैंने कहा “ठीक है जान, चलिए अब सो जाते हैं क्योंकि कल आपको ऑफिस भी जाना है” वो बोले “चिंता क्यों करती हो जान, मैं तुम्हें तड़पता नहीं छोड़ सकता। आज ही हम एक हुए और क्या तुम मुझे तड़पता छोड़ दोगी जान?” मैंने कहा “नहीं जान …….. प्लीज़ ऐसा मत बोलो। आज हम नहीं सोयेंगे। आज हम एक दूसरे को पूरा सुख देंगे। आप मेरे साथ जी भर कर और जम कर करो और अपनी बीवी को रौंद डालो जान.” फिर भइया ने मुझे रात में तीन बार और जम कर चोदा और वो भी आधे आधे घंटे तक। और तब तक मैं बेहोशी की हालत में आ चुकी थी। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए। सुबह जब मैं उठी तो भइया ऑफिस चले गए थे और फिर १० .३० बजे फ़ोन भी कर दिया कि मैं २-३ बजे तक आ जाऊँगा। मैं बहुत थकी हुई थी और मेरा बदन भी काफी दर्द कर रहा था खास कर से मेरी कमर। मैंने फ्रेश हो कर नाश्ता किया औरफिर सो गई। मैं सीधे ३ बजे के करीब उठी तो काफी ठीक महसूस भी कर रही थी और देखा कि भइया मेरे सर को अपनी गोद में लिए हुए थे।किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
बात तीन साल पहले की है, तब मैं अट्ठारह साल की थी। मैंने बंगलौर में स्नातिकी की शिक्षा लेना बस शुरू ही किया था। मेरे ताऊ का एक लड़का था जिसका नाम संजय है। वैसे मेरे खानदान में पापा तीन भाई हैं और अगली पीढ़ी में मैं सबसे छोटी हूं।
हम कुल आठ भाई बहिन हैं और संजय भइया दूसरे नम्बर पर और मैं आखरी। मेरा कद ५’२” है और काफी खूबसूरत भी और शायद मैं वाकई में हूँ भी। वैसे मेरी दो कजन बहनें भी काफी खूबसूरत हैं। पर मैं अपनी ही धुन में रहती थी। मेरा फिगर ३४ -२४ -३४ है। हम भाई बहिन आपस में काफी घुले मिले हैं इसलिए अक्सर चुहल बजी चलती थी। कभी कभी तो ये भी आपस में बातें होती थी कि यार तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो या हो गए हो। संजय भइया करीब २५ साल के थे उस वक्त। उनकी हाईट काफी थी ५’१०” और उनका व्यक्तित्व भी काफी अच्छा था। कभी कभी लगता कि वो मुझे या मेरी एक और कजन के बदन को निहारते हैं, पर मैंने कभी उतना ध्यान नहीं दिया। वैसे मुझे वो अच्छे तो लगते थे पर मैंने उस तरह कभी सोचा नहीं।
भैया दिल्ली में नौकरी करते थे और उनका टूर लगता रहता था। एक बार उनका टूर बंगलौर का लगा और वो मुझसे मिलने मेरे कालेज़ आ गए। मैं भी खुश हो गई कि चलो कोई घर से मुझसे मिलने आया तो. वो मेरे हॉस्टल आ गए और हम दोनों गले मिले प्यार से और उन्होंने मुझे गाल पर एक हलकी सी पप्पी दी तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई. मुझे अच्छा लगा पर दूसरे सेंस में नहीं. वो मेरे दोस्तों से मिले और ये कह कर चले गए कि शाम को आऊंगा मिलने. मैं भी खुश थी कि भइया आए तो सही.
भइया शाम को ५ बजे आ गए और कहा कि चलो ३-४ दिन मेरे साथ रहो कंपनी के होटल में और घूमना मजे करना। मैं भी चहक उठी और वैसे भी उन दिनों छुट्टियाँ थी ५ -६ दिनों की तो मैं तैयार हो गई और १ -२ ड्रेस ले कर जैसे ही चलने लगी तो उन्होंने कहा कि मैं खरीद दूँगा तो मैं और खुशी से झूम उठी. हम दोनों उनके ऑफिस की कार से उनके होटल में गए. हम लोगों ने कुछ खाया पिया और घूमने चले गए और रात में ९ बजे के करीब होटल लौटे. मैं काफी थक गई थी इसलिए बिस्तर पर आ कर धम से पसर गई. मैंने उस वक्त टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था और इस वजह से मेरे टाइट हाफ सर्कल बूब्स तने हुए थे. वैसे भी मेरे बूब्स काफी टाइट थे.
भइया आए और सीधे बाथरूम में घुस गए और फिर निकल कर आते ही मेरे बगल में वो भी धम से लेट गए। ५ मिनट बाद भइया ने मेरी तरफ़ करवट ली और बोले “क्या बात है बहुत सेक्सी और सुंदर लग रही हो,” और ये कहते हुए उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और उनका एक हाथ ठीक मेरी नाभि के ऊपर था. मैं भी मुस्कुरा दी. मैंने अभी तक भइया को कभी उस तरह से नहीं देखा था.
मैंने कहा,“यह तो सब बोलते रहते हैं।”
उन्होंने कहा “अरे सच्ची ! वाकई में तुम बहुत कमाल की लग रही हो।”
मैं शरमाते हुए भइया से लिपट गई. भइया ने मुझे तब अपनी बाँहों में भर लिया और अपने सीने से चिपका लिया. उस वक्त मेरे बूब्स भिंचे हुए थे.
मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई जब भइया ने प्यार से भींच कर मेरी गर्दन पर किस किया. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चली गई नहाने. पर नहाने के बीच में याद आया कि मैंने नाईटी नहीं ली है तो मैंने भइया को आवाज़ दी कि भइया कोई दूसरा तौलिया दे दीजिये.
बाथरूम में शटर लगा हुआ था शावर केबिन में और कोई लाक नहीं था। बस अलग अलग केबिन थे, इसलिए भैया अन्दर आ गए। मैंने शटर ज़रा सा सरका कर तौलिया ले लिया। मैंने ध्यान नहीं दिया पर शायद वो भी तौलिया लपेटे थे क्योंकि उन्होंने भी नहाना था। वो शीशे के सामने अपना चेहरा धोने लगे। मैं शटर से जैसे ही बाहर निकली और वो जैसे ही मुड़े तो हम दोनों टकरा गए और मेरा तौलिया खुल गया। मैं घबरा गई और तुरन्त अपने दोनों हाथ अपने स्तनों पर रख लिए क्योंकि अब मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरा योनि-क्षेत्र पूरी तरह से बाल- रहित किया हुआ था। भैया ने मुझ पर ऊपर से नीचे तक नज़र डाली, उनके तौलिये के अन्दर भी कुछ उभार सा आ रहा था, पर उस वक्त मैं समझ नहीं पाई. मेरी आंखों में आँसू थे। भैया ने तुरन्त तौलिया उठाया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझने क मौका ही नहीं मिला। मैं भी सन्न चुपचाप सर झुकाए खड़ी थी। भैया ने तौलिया मेरे कन्धे पर डाला और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं भी उनसे चिपक गई और रोने लगी। मैंने यह भी ध्यान नहीं दिया कि मैं अभी भी नंगी हूँ। मेरे बूब्स उनके सीने से चिपके हुए थे। उनका भी शायद तौलिया खुल चुका था और उनका औज़ार यानि लिंग करीब ८-९” लम्बा और २” मोटा मेरी कुँवारी योनि पर टिका हुआ था। पर उस वक्त मेरा इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं गया। भैया मुझे चुप कराते हुए बोले।” अरे पगली मनु !(प्यार से वो मुझे मनु कहते हैं) सिर्फ़ मैं ही तो हूँ ! क्या हुआ?” ये कहते कहते उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और कमरे में ले गये और बिजली बंद करके मद्धम रोशनी कर दी ताकि मेरी शर्म दूर हो जाए।
ये सब ३-४ मिनट में हो गया था। उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे माथे को किस किया और कहा- चिन्ता मत करो। मैंने उन्हें चिपका लिया और उन्होंने मुझे। उनका लम्बा मोटा लिंग मेरी कुँवारी योनि पर रगड़ खा रहा था पर इस बात पर काफ़ी देर बाद मेरा ध्यान गया।
भैया ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में के कर होठों को किस किया तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा- भैया! यह सब ठीक नहीं है। मैं यह कहना चाहती थी कि भैया मुझे होठों पर किस करने लगे । फ़िर रुक कर मेरे बालों को हटा कर मेरी गरदन पर किस किया तो मैं उनसे कस कर लिपट गई। वो फ़िर मुझे बिस्तर पर ले गए और लिटा कर मेरे ऊपर लेट गए। हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से कस कर चिपके हुए थे और हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। वो मेरे होठों को और मेरी जीभ को चूस रहे थे, मैं अपने होश खोती जा रही थी।उनका लण्ड मेरी अनचुदी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मैं पागल हुई जा रही थी।
फ़िर भैया मेरी एक चूची को जोर से दबाने लगे और दूसरी के निप्पल को चूसने लगे जिससे मैं और पगला गई। अचानक मैं ज़रा होश में आई तो कहा- भैया ये सब ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चला तो मैं तो मर ही जाऊंगी। वो बोले- मनु जान ! क्या तुम मुझे ज़रा भी नहीं चाहती ! मैं तुम्हारे लिए इतने दिनों से तड़प रहा था और आज तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाना चाहता हूँ।
मैंने कहा- भैया…ऽऽऽ… ! और मेरे आगे कुछ कहने से पहले उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा, फ़िर कहा- आज से मैं भैया नहीं, तुम्हारा पति और जान हूँ, अगर ज़रा भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई जगह है तो बोलो।
मैंने कहा- मैं आपको चाह्ती तो हूँ पर … !
मेरे आगे बोलने से पहले उन्होंने मेरे होठों पर उंगली रख दी और कहा- बस हम आज से पति-पत्नी हैं और आज हमारी सुहागरात है।
मैंने कहा- लोग क्या कहेंगे?
उन्होंने कहा- मैं किसी की परवाह नहीं करता और अब हम तुम पति-पत्नी बन कर एक दूसरे को सुखी रखेंगे ………. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ मनु जान !
मैंने कहा- मैं भी तुम्हें प्यार करती हूँ ……. भैया !
भैया कहते ही उन्होंने मुझे कहा- आज से मैं तुम्हारा भाई नहीं पति हूँ और अब तुम मुझे कुछ और कहा करो!
मैंने कहा- क्या !
वो बोले- कुछ भी … जैसे जान या कुछ भी !
मैंने कहा- ठीक है भैया .. ओह सोरी … जान ……. आई लव यू !
हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से कस के चिपके हुए थे। भैया ने फ़िर मुझे किस किया और मेरी जांघों के बीच में आ गए। मैंने अपनी टांगें उनके पैरों पर रख ली थी। उन्होंने अपने एक हाथ को मेरे सर के नीचे रख कर किस किया और दूसरे से मेरी अनचुदी कुँवारी चूत में उँगली की तो मेरे मुंह से सिसकारी सी निकली-आऽऽऽऽऽऽह !
भैया ने कहा- जान अपने पति के लण्ड को अपनी कुँवारी चूत पर रखना जरा !
मैंने कहा- क्या होगा जान …! कहते हुए उनके लण्ड को अपनी चूत पर रखा। हम दोनों अब एक दूसरे का साथ देने लगे थे। भैया पहले धीरे धीरे मेरे अन्दर अपना डालने लगे। मैं सिसकारी लेने लगी थी। एक इन्च जाते ही मुझे दर्द का अनुभव हुआ तो मैंने कहा- आऽऽऽऽह्ह्ह …… अब बस … जान, अब बस भी करो, दर्द हो रहा है …!
वो बोले- चिन्ता मत करो, आज सब कुछ होगा … दर्द, मज़ा और हमारी सुहागरात …… आऽऽह ! कहते हुए उन्होंने एक झटका दिया कस के आऽ…॥अऽऽऽऽअऽह्ह्हहहाऽआऽऽऽ। ऊईऽऽऽ माँ मर गई मैं ! प्लीज़ भैया अब निकाल लो अब और दर्द नहीं सहा जा रहा है ! मैं रोते हुए बोली।
उन्होंने कहा- भैया बोलोगी ? यह कहते हुए एक और झटका मारा, लण्ड शायद ५” अन्दर जा चुका था। मैंने कहा- सोरी जान ……. लेकिन बहुत दर्द हो रहा है !
वो बोले- जान चिन्ता मत कर, थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा। वो फ़िर मेरे बूब्स चूसने लगे। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम मिला तो उन्होंने फ़िर ३-४ जोरदार झटके मारे तो मेरी हालत ही बिगड़ गई और चीख निकल गई- आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ……………… मर गई … … माँअऽऽऽऽऽ ……!
मेरी आंखों में आँसू थे। मैं उनसे चिपक गई और अपनी टांगों को उनकी कमर पर जकड़ लिया। वो मुझे किस करने लगे और हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर चूमने लगे। थोड़ी देर में मैं सामान्य होने लगी। तब भैया ने मेरे बूब्स को पकड़ा और अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर थोड़ा मज़ा भी था कुछ अलग तरह का- आऽऽऽऽह्ह्ह. ……. जान …….. आऽऽऽऽऽह्ह्ह्हाअ …… आज पूरी तरह से अपनी बना लो जानऽऽऽ … आऽऽऽअऽऽऽह्ह मैंने कहा तो भैया ने भी कहा- ओहऽऽ … जान …!. कमरे में हमारी आवाज़ें गूंज़ रही थी। मेरी सिसकारियाँ ज्यादा ही थी क्योंकि उनका ८ -९ इन्च लम्बा लण्ड मुझसे झेला नहीं जा रहा था। ५ मिनट तक वो मुझे लगातार रौंदते रहे, फ़िर मैं चीखी-जान आऽऽऽऽअऽऽआऽऽह्ह मुझे कुछ हो रहा है, पता नही क्या हो रहा है, मज़ाऽऽ आ रहा है आऽअ॥अऽ॥आऽऽऽह !
“ओऽऽह जान तू चरम पर है और मै भी ऽऽऽ जान ! मैं गया ऽऽ मेरा झड़ रहा है अआ ……..” उन्होंने लगातार ६-७ झटके मारे और हम दोनो एक साथ आनन्द के शिखर तक पहुँच गए।
भैया मेरे ऊपर ही पसर गए और हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और स्नानघर में जाने लगे तो देखा बिस्तर खून से भरा हुआ था। मैं घबरा गई और बोली,“ ये क्या …… अब क्या होगा?”
भैया बोले,“ इसमें डर कुछ नहीं, पहले पहले यही होता है”
मेरी कमर में दर्द होने लगा था। हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाने गए तो एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी। भैया ने रगड़ कर मेरी चूत को धोया और मैंने उनके लण्ड को, जिससे हम दोनों गर्म हो गए। मैं थोड़ा शरमाई पर काफ़ी झिझक निकल चुकी थी। हम दोनों फ़व्वारे के नीचे खड़े थे। भैया नीचे बैठे तो मैंने कहा,“ये क्या करने जा रहे हो जान !”
“मैं तो अपने होठों की मुहर लगाने जा रहा हूँ …… और अब तुम भी लगाना”
वो मेरी चूत में उँगली करने लगे थे और जीभ भी फ़िराने लगे। मैं पागल हो उठी। मैं अपने एक स्तन को मसलने लगी और भैया हाथ बढ़ा कर दूसरे को। भैया मेरी हालत समझ गए और फ़र्श पर ही लिटा लिया। मेरी चूत में उनकी जीभ तैर रही थी और मेरे हाथ उनके सर को पकड़ कर मेरी चूत को दबा रहे थे। मैं अपने होठों को काट रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी टांगें उनकी गरदन में लिपट गई थी।
फ़िर वो मेरे ऊपर आ गए और मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पे लपेट ली। मेरे दोनों हाथ उनकी गरदन में लिपट गए। उन्होंने फ़िर जोर का झटका मारा तो आऽऽऽह्हऽऽआ …॥अ…अह्…… जैसे मेरी जान ही निकल गई। फ़िर भैया मेरे बूब्स को दबाते और झटके मारते जाते। वो वहशी होते चले गए, मेरे बूब्स को निर्दयता से मसल रहे थे और दांतों से काट रहे थे, मेरी गरदन पर भी प्यार से काटा। वो जहाँ जहाँ अपने दाँत गड़ाते वहाँ खून सा जम जाता। मैं भी पागल हो जाती तो बदले में अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा देती और उनकी गरदन पर काट लेती। जंगलीपने से बाथरूम में मेरी प्यार भरी चीखें गूंज रही थी, जिससे भैया का जोश बढ़ता ही जा रहा था। यह सिलसिला आधे घण्टे तक चला और उतनी देर में मैं दो बार झड़ चुकी थी और भैया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फ़िर जब हम शांत हुए तो मैं तीसरी बार झड़ी थी। हम फ़्रेश हो कर कमरे में चले गए और थोड़ा आराम करके खाना खाया। फ़िर हम नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर बातें करने लगे।
मैंने कहा,“भैया … ओह सोरी … जान, अब मेरा क्या होगा, मैं क्या करूँ और अब आगे का क्या प्लान है, मेरा मतलब भविष्य का, क्योंकि अब मुझे घबराहट हो रही है, मैं आपके बिना नहीं रह सकती।” वो बोले “चिंता मत करो जान मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, हम दोनों दिल्ली जा कर शादी कर लेंगे पर अभी किसी को नहीं बताएँगे.” मैंने कहा “ठीक है जान, चलिए अब सो जाते हैं क्योंकि कल आपको ऑफिस भी जाना है” वो बोले “चिंता क्यों करती हो जान, मैं तुम्हें तड़पता नहीं छोड़ सकता। आज ही हम एक हुए और क्या तुम मुझे तड़पता छोड़ दोगी जान?” मैंने कहा “नहीं जान …….. प्लीज़ ऐसा मत बोलो। आज हम नहीं सोयेंगे। आज हम एक दूसरे को पूरा सुख देंगे। आप मेरे साथ जी भर कर और जम कर करो और अपनी बीवी को रौंद डालो जान.” फिर भइया ने मुझे रात में तीन बार और जम कर चोदा और वो भी आधे आधे घंटे तक। और तब तक मैं बेहोशी की हालत में आ चुकी थी। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए। सुबह जब मैं उठी तो भइया ऑफिस चले गए थे और फिर १० .३० बजे फ़ोन भी कर दिया कि मैं २-३ बजे तक आ जाऊँगा। मैं बहुत थकी हुई थी और मेरा बदन भी काफी दर्द कर रहा था खास कर से मेरी कमर। मैंने फ्रेश हो कर नाश्ता किया औरफिर सो गई। मैं सीधे ३ बजे के करीब उठी तो काफी ठीक महसूस भी कर रही थी और देखा कि भइया मेरे सर को अपनी गोद में लिए हुए थे।किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
दीदी के साथ सोते हुए चोदा
एक रात हमारे यहाँ मेरी दीदी आई। मुझे अगले दिन उसको लेकर एक गाँव की शादी में जाना था। वो मुझसे बहुत बड़ी थी पर लगती एक दम सोलह साल की जवान थी। जिसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। मेरी दीदी के लंबे बाल थे और रंग एक दम गोरा था। चूची भी बहुत बड़ी थी। वो अक्सर मेरे सामने ही कपड़े बदल लेती थी। उस दिन उसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। वो टाइम गर्मी का था। घरवाले सभी शादी में जा चुके थे। मैं घर पर अकेला ही था।
वो जैसे ही घर पर आई तो बोली- आज गॅप गर्मी बहुत है जा तू घर का गेट बंद करदे और अपने कमरे का एसी चला दे। मैं गया और गेट बंद करके आया। मैंने अपने कमरे का एसी चला दिया। मेरी दीदी कमरे में आई और उसने एक दम अपना साडी का पल्लू हटा दिया। और कुर्सी पर बैठ गयी फिर उसने पूछा के मम्मी पापा कब गये? पर मैं तो उसके ब्लाउज से उसकी चूची को देख रहा था। ब्लाउज इतना टाइट और हल्का था की उसकी सफेद ब्रा ब्लाउज के अंदर साफ दिख रही थी और चूची एक दम कसी हुई थी। मानो चूची ब्रा और ब्लाउज को फाड़ना चाहती हो। दीदी रात को भी ब्रा ही पहनकर सोती थी। दीदी मुझसे बोली तेरा ध्यान किधर है एक दम मैंने उनकी आँखो की तरफ देखा वो बोली मैं पूछ रही थी कि मम्मी पापा कब गये है? मैंने कहा- सुबह ही गये है।
दीदी बोली- अच्छा चल मैं तेरे लिए कुछ बना देती हूँ। और दीदी उठी और उसने अपनी साडी उतार दी। उस का ब्लू पेटीकोट भी एक दम टाइट ही था। अब दीदी मुझे बिना साडी के बहुत अच्छी लग रही थी वो केवल अब ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही थी। वो ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही रसोई में चली गई। और मेरे लिए खाना बनाने लगी मैं भी रसोई में आ गया और खड़ा हो कर उसे देखने लगा। वो इधर उधर काम करते हुए चलती तो कभी वो मुझसे टकरा जाती कभी उसकी गांड तो कभी उसकी चूत मेरे लंड से टकरा जाती। अब तो बस मेरे मन में यही था कि मैं अपनी दीदी को चोद डालूँ पर डर रहा था कि कही वो मुझे डांटे नही।
अब खाना तैयार था। वो खाना लेकर मेरे कमरे में आ गई और बोली- चल खाले। फिर मैं खाना खाने बैठ गया। दीदी मेरे सामने ही बैठ गयी और वो अपने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करने लगी। उसने अपना पेटीकोट घुटनो तक ऊपर किया और फिर नाड़ा खोल कर पेटीकोट टूंडी से नीचे करने लगी। पर उसने तो मेरी उम्मीद से ज़्यादा ही अपना पेटीकोट नीचे कर दिया था। अब मैं उसकी टूंडी और टूंडी से नीचे भी साफ देख सकता था। क्योंकि उसने पेटीकोट चूत से ऊपर ही कर रखा था। मुझे उसके चूत के ऊपर कुछ काला-काला सा नज़र आया। मैं समझ गया कि दीदी के भी बाल है पर उसने काट रखे है। और उसकी गौरी टांग भी सुन्दर दिख रही थी। जिन पर हल्के-हल्के बाल थे। फिर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।
मैंने खाना खाया तो वो बरतन लेने के लिए आगे झुकी तो मुझे उसकी बड़ी-बड़ी चूची के बीच की गहरी लाइन दिख रही थी। बस मैंने अपने मन पर काबू कर रखा था। फिर वो बर्तन लेकर रसोई मे गयी और मैं टी वी देखने लगा। दीदी वापस आई तो चाय बना कर लाई थी। एक कप चाय उसने मुझ को दी और दूसरे कप को लेकर मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई। और बोली आज तो गर्मी बहुत है तू इस एसी को ज़्यादा कूलिंग पर कर। मैंने एसी की कूलिंग और कर दी। फिर दीदी अपने ब्लू ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं तो बस देख ही रहा था। मेरा लंड खड़ा होता गया। दीदी अपने ब्लाउज के बटन खोलकर हाथ ऊपर करके बैठ गई। अब मुझे उसकी ब्रा बिल्कुल साफ दिख रही थी। मेरी नज़र उसकी बगल पर पड़ी तो वहाँ पर बहुत छोटे-छोटे बाल थे। दीदी बोली चल सो जाएँ। और हम चाय खत्म करके बेड पर चले गये।
मैं बेड पर लेट गया और दीदी अपने ब्लाउज के बटन खुले ही छोड़ कर मेरे बराबर में लेट गयी। दीदी ने मुझसे पूछा कुछ परेशानी तो नही हो रही। मैंने कहा नही। मैंने दीदी से पूछा के घर भी आप ऐसे ही सोती हो। वो बोली कैसे? मैंने दीदी के ब्लाउज और ब्रा की तरफ इशारा किया। दीदी बोली हाँ जब घर पर कोई नही होता तो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर सोती हूँ। फिर वो बोली यहाँ भी तो कोई नहीं है। मैं बोला मैं तो हूँ। वो बोली तू तो मेरा बेटा है। तुझसे कैसी शर्म। जब मैं तेरे सामने कपड़े बदल लेती हूँ तो अब क्या शर्म करो। फिर दीदी ने करवट बदली और दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
अब दीदी की गाँड मेरी तरफ थी। दीदी की गाँड ब्लू पेटिकोट में बहुत सुन्दर लग रही थी। दीदी बोली- चल सो जा सुबहा जल्दी उठना है। मैं बस चुप होकर दीदी की गाँड देखता रहा। फिर करीब दस मिनिट बाद,मैंने धीरे से अपनी पैंट उतार दी और दीदी की तरफ मुँह करा और उसकी गाँड पर अपना लंड टेक दिया। दीदी ने भी अपनी गाँड और पीछे कर ली। और उसकी गाँड के छेद मे मेरे लंड के कारण उसका पेटीकोट हल्का सा चला गया। फिर मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। फिर मैंने एक हाथ दीदी के पेट पर रखा और धीरे-धीरे उसके चूत के ऊपर के भाग पर और टूंडी के अंदर अपनी उंगलियाँ घूमने लगा। जिससे दीदी जाग गई। और लेटे-लेटे ही बोली क्या कर रहा है,पीछे होकर सो ना। मैं ऐसे हो गया जैसे मैंने सुना ही नही। फिर दीदी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और सोने लगी।
मैंने फिर अपने हाथ से हरकत शुरु कर दी और दीदी के पीछे से धक्के लगाने शुरु कर दिए।दीदी बोली नही मानेगा। मैं फिर चुपचाप लेट गया।दीदी ने एक हाथ पीछे किया और अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपनी गांड पर हाथ रख लिया। फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकर मे से निकाला और दीदी के हाथ पर रख दिया। दीदी ने उस पर हाथ रखा। फिर दीदी ने अपनी गांड से हाथ हटा लिया। शायद दीदी को मेरे लंड की लंबाई और मोटाई पसंद आ गयी थी। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट जाँघ तक ऊपर कर दिया ओर पीछे से पूरा कमर तक। फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड पर जैसे ही रखा तो दीदी ने भी पीछे को झटका दिया। मैं समझ गया कि दीदी अब गरम हो चुकी है। पर सोने का नाटक कर रही है। फिर मैंने अपने आपको पीछे किया और दीदी की दोनो जाँघो के बीच में थूक लगाया और दोनो जाँघो में अपना लंड फसा दिया। दीदी ने भी अपनी दोनो जाँघो को कसकर भींच लिया। अब मेरा लंड उनकी दोनो जाँघो को एक गांड की तरह ही चोद रहा था।
फिर मैंने एक हाथ दीदी के आगे से उसके पेटीकोट में डाल दिया। और उसकी चूत पर ले जाने लगा तोदीदी ने अपनी ऊपर की जाँघ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया। फिर मैंने अपनी दीदी की चूत को छुआ तो उसमें से चिकना पानी निकल रहा था। फिर मैं ने दीदी की जाँघो में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। और एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाता रहा और उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलता रहा था। अब दीदी को भी मज़ा आ रहा था। पर वो बोली नही और उसने अपनी टांग उठाकर मेरे पीछे रख दी। और मेरे लंड को हाथ से पकड़कर एक इशारा सा किया। और मेरा लंड उसकी चूत से चिपक गया पर अंदर नहीं गया। मुझे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। इसी लिए मैंने कोशिश भी नहीं की उसकी चूत में लंड डालने की।
मैने चूत से लंड हटाकर उसकी गांड के बीच मे रख दिया और धक्के लगाने लगा। दीदी फिर पहले की तरह हो गई। मैंने फिर एक हाथ उसके आगे से उसके पेटीकोट में डाला और चूत की खाल पकड़ कर खींचने लगा। इससे दीदी को दर्द हुआ और वो बोली बहुत देर हो गई तुझे। तू अब सो जा, सुबह जाना नहीं है क्या? मैंने फिर अनसुना कर दिया। मैं अब की बार धक्के लगता रहा। फिर मैंने दीदी की चूत को टटोलना शुरू किया और उसकी चूत को चौड़ा करके सहलाना शुरू कर दिया। अब दीदी को बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि वो भी मेरे लंड पर अपनी गांड का ज़ोर लगा रही थी मानो वो मेरा लंड अंदर करना चाहती हो। अब मैं झड़ने वाला था। तो मैंने कई झटके ज़ोर-ज़ोर से मारे और दीदी की चूत को ज़ोर से रगड़ने लगा। दीदी की चूत से एक दम गरम पानी सा निकाला और दीदी ने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया। जिससे मैं रुक जाऊं पर मैं रूका नहीं मैं उसकी चूत को कोशिश करके जब तक रगड़ता रहा जब तक के मेरा पानी उसकी गांड के बीच में ना निकल गया। और मैं धक्के मारता रहा, दीदी भी अब धक्के मार रही थी। जिससे मैं जल्दी झड़ जाऊं और उसे छोड़ दूँ। मैंने एक ज़ोर का झटका दिया। तो दीदी ने भी ज़ोर से झटका दिया। और मेरा सारा पानी उसकी गांड के
बीच में ही निकल गया। मैं थोड़ी देर रुका तो दीदी ने मेरा लंड हाथ से ऐसे निकाल दिया जिससे कि मुझे लगे कि उसे कुछ पता ही नही है। पर मैं समझ गया था कि दीदी को सब पता है।
मैं भी दूसरी तरफ मुँह करके लेट गया। फिर मैंने दीदी की साइड मुँह किया। तो मैंने देखा के दीदी का पेटीकोट पीछे से गांड से ऊपर है और आगे से जाँघ तक है। फिर मैं आँख खोलकर देखता रहा की दीदी क्या करेगी? क्योंकि वो शायद मेरे सोने का इंतज़ार कर रही थी। क्योंकि वो मेरे जगाने पर सही करती तो मुझको पता चल जाता की उसे सब पता है। इसीलिए,मैं चुपचाप उसकी तरफ मुंह करके पड़ा रहा जैसे मैं सच में सो गया हूँ। फिर कुछ देर बाद दीदी उठी और उसने मेरे सर पर अपना हाथ फेरा और बेड से खड़ी हो गई। फिर उसने अपना पेटीकोट नीचे किया और और पेटीकोट को देखने लगी। पेटीकोट उसके और मेरे पानी से बहुत गीला हो चुका था। और वो बाथरूम में चली गई जो मेरे कमरे में ही था। उसने जैसे ही बाथरूम का गेट बंद किया। तो मैं भी बाथरूम के पास गया और गेट के एक छेद में से देखने लगा। मैंने गेट में एक छेद कर रखा था। जिससे की कोई लड़की या औरत मेरे बाथरूम का इस्तेमाल करे तो मैं उसे देख सकूं। मैंने देखा दीदी अपने आप को देख रही थी। और अपनी चूची को ब्रा के ऊपर से मेरा नाम लेकर दबा रही थी। फिर उसने अपना पेटीकोट उठाया और गांड के पीछे हाथ लगाकर देखा। उसके हाथ पर मेरा पानी आ गया था। तो उसने हाथ को देखा और फिर उसे चाटा भी फिर उसने अपनी चूत से भी हाथ से अपना पानी लिया और उसे भी चाटा। फिर वो पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बैठ गयी। फिर उसने मग्गे में पानी लिया और अपनी चूत और गांड को धोया। फिर खड़ी होकर उसने अपने पेटीकोट मुंह से पकड़ा और और अपनी टांगों से मेरा और अपना पानी धोया। फिर उसने बाथरूम वाला एक टोवल लिया और अपनी चूत, गांड और टांग पूँछी। फिर उसने पेटीकोट नीचे किया और शीशे में देखने लगी। फिर वो बाहर आने के लिए चल दी।
मैंने घड़ी देखी रात का एक बज चुका था। और मैं बेड पर आकर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। दीदी आई और मेरे बराबर में आकर लेट गई। मैंने देखा दीदी के ब्लाउज के बटन अभी भी खुले और पेटीकोट टूंडी से नीचे था। मैं दीदी की तरफ ही मुंह करके सो रहा था। दीदी ने भी मेरी तरफ मुंह कर लिया। तो उसके पेट से मेरा लंड अंडरवियर के अंदर से टकरया तो मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने फिर अपना लंड निकाला और उसके मुलायम और गोरे पेट पर रगड़ने लगा। दीदी बोली तेरे पास लेट कर तो मैं दुखी हो गयी। तू नहीं सोने देगा।
मैं चुप लेट गया। दीदी थोड़ी ऊपर को हो गई जिससे मेरा लंड उसकी गहरी टूंडी में चला गया। मैं दीदी का मतलब समझ गया था कि उसको मेरा लंड पसन्द आया और अब वो मुझसे फिर मज़ा लेना चाहती। यानी अपनी टूंडी और पेट को चुदवाना चाहती है। मैं उसकी टूंडी में लंड और अंदर कर के धक्के मारने लगा। अबकी बार मैनें उसकी एक साइड की ब्रा भी ऊपर करदी। और उसकी चूची को मुंह से चूसने और चाटने लगा बीच में उसे काट भी लेता तो वो दर्द से आह सी भरती। फिर मैने पीछे हाथ करके उसके पेटीकोट में हाथ डाल दिया। और उसकी गांड को दबाने लगा। मैं अबकी बार जल्दी झड़ गया और सारा पानी मैंने दीदी की टूंडी में ही छोड़ दिया। जिससे दीदी का पेट गीला हो गया। फिर मैं सीधा हो कर लेट गया। और दीदी के पेट पर हाथ फेरने लगा। जिससेदीदी के पेट पर मेरा पानी सारे में फ़ैल गया।
फिर मैं चुपचाप लेट गया। दीदी ने सोचा मैं सो गया हूँ। तो उसने अपनी ब्रा ठीक की और सो गयी सुबह को जब मैं उठा तो दीदी घर की सफाई कर रही थी। उसने अपना ब्लाउज उतारा हुआ था। वो केवल ब्रा और पेटीकोट में ही थी। पर हम एक दूसरे से नज़र नही मिला पा रहे थे। फिर नहा कर हम शादी में चले गये। इसके बाद दीदी ने मुझे कई बार चोदा और मुझसे चुदवाया।किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
वो जैसे ही घर पर आई तो बोली- आज गॅप गर्मी बहुत है जा तू घर का गेट बंद करदे और अपने कमरे का एसी चला दे। मैं गया और गेट बंद करके आया। मैंने अपने कमरे का एसी चला दिया। मेरी दीदी कमरे में आई और उसने एक दम अपना साडी का पल्लू हटा दिया। और कुर्सी पर बैठ गयी फिर उसने पूछा के मम्मी पापा कब गये? पर मैं तो उसके ब्लाउज से उसकी चूची को देख रहा था। ब्लाउज इतना टाइट और हल्का था की उसकी सफेद ब्रा ब्लाउज के अंदर साफ दिख रही थी और चूची एक दम कसी हुई थी। मानो चूची ब्रा और ब्लाउज को फाड़ना चाहती हो। दीदी रात को भी ब्रा ही पहनकर सोती थी। दीदी मुझसे बोली तेरा ध्यान किधर है एक दम मैंने उनकी आँखो की तरफ देखा वो बोली मैं पूछ रही थी कि मम्मी पापा कब गये है? मैंने कहा- सुबह ही गये है।
दीदी बोली- अच्छा चल मैं तेरे लिए कुछ बना देती हूँ। और दीदी उठी और उसने अपनी साडी उतार दी। उस का ब्लू पेटीकोट भी एक दम टाइट ही था। अब दीदी मुझे बिना साडी के बहुत अच्छी लग रही थी वो केवल अब ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही थी। वो ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही रसोई में चली गई। और मेरे लिए खाना बनाने लगी मैं भी रसोई में आ गया और खड़ा हो कर उसे देखने लगा। वो इधर उधर काम करते हुए चलती तो कभी वो मुझसे टकरा जाती कभी उसकी गांड तो कभी उसकी चूत मेरे लंड से टकरा जाती। अब तो बस मेरे मन में यही था कि मैं अपनी दीदी को चोद डालूँ पर डर रहा था कि कही वो मुझे डांटे नही।
अब खाना तैयार था। वो खाना लेकर मेरे कमरे में आ गई और बोली- चल खाले। फिर मैं खाना खाने बैठ गया। दीदी मेरे सामने ही बैठ गयी और वो अपने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करने लगी। उसने अपना पेटीकोट घुटनो तक ऊपर किया और फिर नाड़ा खोल कर पेटीकोट टूंडी से नीचे करने लगी। पर उसने तो मेरी उम्मीद से ज़्यादा ही अपना पेटीकोट नीचे कर दिया था। अब मैं उसकी टूंडी और टूंडी से नीचे भी साफ देख सकता था। क्योंकि उसने पेटीकोट चूत से ऊपर ही कर रखा था। मुझे उसके चूत के ऊपर कुछ काला-काला सा नज़र आया। मैं समझ गया कि दीदी के भी बाल है पर उसने काट रखे है। और उसकी गौरी टांग भी सुन्दर दिख रही थी। जिन पर हल्के-हल्के बाल थे। फिर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।
मैंने खाना खाया तो वो बरतन लेने के लिए आगे झुकी तो मुझे उसकी बड़ी-बड़ी चूची के बीच की गहरी लाइन दिख रही थी। बस मैंने अपने मन पर काबू कर रखा था। फिर वो बर्तन लेकर रसोई मे गयी और मैं टी वी देखने लगा। दीदी वापस आई तो चाय बना कर लाई थी। एक कप चाय उसने मुझ को दी और दूसरे कप को लेकर मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई। और बोली आज तो गर्मी बहुत है तू इस एसी को ज़्यादा कूलिंग पर कर। मैंने एसी की कूलिंग और कर दी। फिर दीदी अपने ब्लू ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं तो बस देख ही रहा था। मेरा लंड खड़ा होता गया। दीदी अपने ब्लाउज के बटन खोलकर हाथ ऊपर करके बैठ गई। अब मुझे उसकी ब्रा बिल्कुल साफ दिख रही थी। मेरी नज़र उसकी बगल पर पड़ी तो वहाँ पर बहुत छोटे-छोटे बाल थे। दीदी बोली चल सो जाएँ। और हम चाय खत्म करके बेड पर चले गये।
मैं बेड पर लेट गया और दीदी अपने ब्लाउज के बटन खुले ही छोड़ कर मेरे बराबर में लेट गयी। दीदी ने मुझसे पूछा कुछ परेशानी तो नही हो रही। मैंने कहा नही। मैंने दीदी से पूछा के घर भी आप ऐसे ही सोती हो। वो बोली कैसे? मैंने दीदी के ब्लाउज और ब्रा की तरफ इशारा किया। दीदी बोली हाँ जब घर पर कोई नही होता तो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर सोती हूँ। फिर वो बोली यहाँ भी तो कोई नहीं है। मैं बोला मैं तो हूँ। वो बोली तू तो मेरा बेटा है। तुझसे कैसी शर्म। जब मैं तेरे सामने कपड़े बदल लेती हूँ तो अब क्या शर्म करो। फिर दीदी ने करवट बदली और दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
अब दीदी की गाँड मेरी तरफ थी। दीदी की गाँड ब्लू पेटिकोट में बहुत सुन्दर लग रही थी। दीदी बोली- चल सो जा सुबहा जल्दी उठना है। मैं बस चुप होकर दीदी की गाँड देखता रहा। फिर करीब दस मिनिट बाद,मैंने धीरे से अपनी पैंट उतार दी और दीदी की तरफ मुँह करा और उसकी गाँड पर अपना लंड टेक दिया। दीदी ने भी अपनी गाँड और पीछे कर ली। और उसकी गाँड के छेद मे मेरे लंड के कारण उसका पेटीकोट हल्का सा चला गया। फिर मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। फिर मैंने एक हाथ दीदी के पेट पर रखा और धीरे-धीरे उसके चूत के ऊपर के भाग पर और टूंडी के अंदर अपनी उंगलियाँ घूमने लगा। जिससे दीदी जाग गई। और लेटे-लेटे ही बोली क्या कर रहा है,पीछे होकर सो ना। मैं ऐसे हो गया जैसे मैंने सुना ही नही। फिर दीदी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और सोने लगी।
मैंने फिर अपने हाथ से हरकत शुरु कर दी और दीदी के पीछे से धक्के लगाने शुरु कर दिए।दीदी बोली नही मानेगा। मैं फिर चुपचाप लेट गया।दीदी ने एक हाथ पीछे किया और अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपनी गांड पर हाथ रख लिया। फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकर मे से निकाला और दीदी के हाथ पर रख दिया। दीदी ने उस पर हाथ रखा। फिर दीदी ने अपनी गांड से हाथ हटा लिया। शायद दीदी को मेरे लंड की लंबाई और मोटाई पसंद आ गयी थी। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट जाँघ तक ऊपर कर दिया ओर पीछे से पूरा कमर तक। फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड पर जैसे ही रखा तो दीदी ने भी पीछे को झटका दिया। मैं समझ गया कि दीदी अब गरम हो चुकी है। पर सोने का नाटक कर रही है। फिर मैंने अपने आपको पीछे किया और दीदी की दोनो जाँघो के बीच में थूक लगाया और दोनो जाँघो में अपना लंड फसा दिया। दीदी ने भी अपनी दोनो जाँघो को कसकर भींच लिया। अब मेरा लंड उनकी दोनो जाँघो को एक गांड की तरह ही चोद रहा था।
फिर मैंने एक हाथ दीदी के आगे से उसके पेटीकोट में डाल दिया। और उसकी चूत पर ले जाने लगा तोदीदी ने अपनी ऊपर की जाँघ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया। फिर मैंने अपनी दीदी की चूत को छुआ तो उसमें से चिकना पानी निकल रहा था। फिर मैं ने दीदी की जाँघो में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। और एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाता रहा और उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलता रहा था। अब दीदी को भी मज़ा आ रहा था। पर वो बोली नही और उसने अपनी टांग उठाकर मेरे पीछे रख दी। और मेरे लंड को हाथ से पकड़कर एक इशारा सा किया। और मेरा लंड उसकी चूत से चिपक गया पर अंदर नहीं गया। मुझे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। इसी लिए मैंने कोशिश भी नहीं की उसकी चूत में लंड डालने की।
मैने चूत से लंड हटाकर उसकी गांड के बीच मे रख दिया और धक्के लगाने लगा। दीदी फिर पहले की तरह हो गई। मैंने फिर एक हाथ उसके आगे से उसके पेटीकोट में डाला और चूत की खाल पकड़ कर खींचने लगा। इससे दीदी को दर्द हुआ और वो बोली बहुत देर हो गई तुझे। तू अब सो जा, सुबह जाना नहीं है क्या? मैंने फिर अनसुना कर दिया। मैं अब की बार धक्के लगता रहा। फिर मैंने दीदी की चूत को टटोलना शुरू किया और उसकी चूत को चौड़ा करके सहलाना शुरू कर दिया। अब दीदी को बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि वो भी मेरे लंड पर अपनी गांड का ज़ोर लगा रही थी मानो वो मेरा लंड अंदर करना चाहती हो। अब मैं झड़ने वाला था। तो मैंने कई झटके ज़ोर-ज़ोर से मारे और दीदी की चूत को ज़ोर से रगड़ने लगा। दीदी की चूत से एक दम गरम पानी सा निकाला और दीदी ने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया। जिससे मैं रुक जाऊं पर मैं रूका नहीं मैं उसकी चूत को कोशिश करके जब तक रगड़ता रहा जब तक के मेरा पानी उसकी गांड के बीच में ना निकल गया। और मैं धक्के मारता रहा, दीदी भी अब धक्के मार रही थी। जिससे मैं जल्दी झड़ जाऊं और उसे छोड़ दूँ। मैंने एक ज़ोर का झटका दिया। तो दीदी ने भी ज़ोर से झटका दिया। और मेरा सारा पानी उसकी गांड के
बीच में ही निकल गया। मैं थोड़ी देर रुका तो दीदी ने मेरा लंड हाथ से ऐसे निकाल दिया जिससे कि मुझे लगे कि उसे कुछ पता ही नही है। पर मैं समझ गया था कि दीदी को सब पता है।
मैं भी दूसरी तरफ मुँह करके लेट गया। फिर मैंने दीदी की साइड मुँह किया। तो मैंने देखा के दीदी का पेटीकोट पीछे से गांड से ऊपर है और आगे से जाँघ तक है। फिर मैं आँख खोलकर देखता रहा की दीदी क्या करेगी? क्योंकि वो शायद मेरे सोने का इंतज़ार कर रही थी। क्योंकि वो मेरे जगाने पर सही करती तो मुझको पता चल जाता की उसे सब पता है। इसीलिए,मैं चुपचाप उसकी तरफ मुंह करके पड़ा रहा जैसे मैं सच में सो गया हूँ। फिर कुछ देर बाद दीदी उठी और उसने मेरे सर पर अपना हाथ फेरा और बेड से खड़ी हो गई। फिर उसने अपना पेटीकोट नीचे किया और और पेटीकोट को देखने लगी। पेटीकोट उसके और मेरे पानी से बहुत गीला हो चुका था। और वो बाथरूम में चली गई जो मेरे कमरे में ही था। उसने जैसे ही बाथरूम का गेट बंद किया। तो मैं भी बाथरूम के पास गया और गेट के एक छेद में से देखने लगा। मैंने गेट में एक छेद कर रखा था। जिससे की कोई लड़की या औरत मेरे बाथरूम का इस्तेमाल करे तो मैं उसे देख सकूं। मैंने देखा दीदी अपने आप को देख रही थी। और अपनी चूची को ब्रा के ऊपर से मेरा नाम लेकर दबा रही थी। फिर उसने अपना पेटीकोट उठाया और गांड के पीछे हाथ लगाकर देखा। उसके हाथ पर मेरा पानी आ गया था। तो उसने हाथ को देखा और फिर उसे चाटा भी फिर उसने अपनी चूत से भी हाथ से अपना पानी लिया और उसे भी चाटा। फिर वो पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बैठ गयी। फिर उसने मग्गे में पानी लिया और अपनी चूत और गांड को धोया। फिर खड़ी होकर उसने अपने पेटीकोट मुंह से पकड़ा और और अपनी टांगों से मेरा और अपना पानी धोया। फिर उसने बाथरूम वाला एक टोवल लिया और अपनी चूत, गांड और टांग पूँछी। फिर उसने पेटीकोट नीचे किया और शीशे में देखने लगी। फिर वो बाहर आने के लिए चल दी।
मैंने घड़ी देखी रात का एक बज चुका था। और मैं बेड पर आकर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। दीदी आई और मेरे बराबर में आकर लेट गई। मैंने देखा दीदी के ब्लाउज के बटन अभी भी खुले और पेटीकोट टूंडी से नीचे था। मैं दीदी की तरफ ही मुंह करके सो रहा था। दीदी ने भी मेरी तरफ मुंह कर लिया। तो उसके पेट से मेरा लंड अंडरवियर के अंदर से टकरया तो मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने फिर अपना लंड निकाला और उसके मुलायम और गोरे पेट पर रगड़ने लगा। दीदी बोली तेरे पास लेट कर तो मैं दुखी हो गयी। तू नहीं सोने देगा।
मैं चुप लेट गया। दीदी थोड़ी ऊपर को हो गई जिससे मेरा लंड उसकी गहरी टूंडी में चला गया। मैं दीदी का मतलब समझ गया था कि उसको मेरा लंड पसन्द आया और अब वो मुझसे फिर मज़ा लेना चाहती। यानी अपनी टूंडी और पेट को चुदवाना चाहती है। मैं उसकी टूंडी में लंड और अंदर कर के धक्के मारने लगा। अबकी बार मैनें उसकी एक साइड की ब्रा भी ऊपर करदी। और उसकी चूची को मुंह से चूसने और चाटने लगा बीच में उसे काट भी लेता तो वो दर्द से आह सी भरती। फिर मैने पीछे हाथ करके उसके पेटीकोट में हाथ डाल दिया। और उसकी गांड को दबाने लगा। मैं अबकी बार जल्दी झड़ गया और सारा पानी मैंने दीदी की टूंडी में ही छोड़ दिया। जिससे दीदी का पेट गीला हो गया। फिर मैं सीधा हो कर लेट गया। और दीदी के पेट पर हाथ फेरने लगा। जिससेदीदी के पेट पर मेरा पानी सारे में फ़ैल गया।
फिर मैं चुपचाप लेट गया। दीदी ने सोचा मैं सो गया हूँ। तो उसने अपनी ब्रा ठीक की और सो गयी सुबह को जब मैं उठा तो दीदी घर की सफाई कर रही थी। उसने अपना ब्लाउज उतारा हुआ था। वो केवल ब्रा और पेटीकोट में ही थी। पर हम एक दूसरे से नज़र नही मिला पा रहे थे। फिर नहा कर हम शादी में चले गये। इसके बाद दीदी ने मुझे कई बार चोदा और मुझसे चुदवाया।किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
विधवा भाभी को पटा कर चोदा
मेरा नाम समीर है और ये कहानी मेरी और मेरे विधवा भाभी की है।जब हमारे घर पर सिर्फ़ हम दोनों ही थे क्योँकि हमारे माता पिता का दो साल पहले ही निधन हो गया था और उस के एक साल के बाद मेरे भाई ने शादी कर ली और हम घर में दो से तीन हो गये। मेरा भाई अक्सर काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाता था और लौटने में काफी वक्त लगता था। मेरी भाभी एक अच्छी और सुशील लड़की थी और उन का फिगर था ३८ २८ ३८ । जब वो चलती थी तो उन की गांड देख कर हर कोई यही चाहता था कि उन की गांड मारे।
शादी के ६ महीने बाद मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया और वो उस एक्सीडेंट में मर गया और उस कारण भाभी थोडी से पागल सी हो गई थी और अब घर की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करना शुरू किया और देखते ही देखते मैंने भाभी का इलाज कर लिया और वो अब ठीक हो गई थी और फिर भाभी के घर वालों ने भाभी की दूसरी शादी की बात की तो भाभी ने मना कर दिया क्योँकि वो जानती थी कि अगर उन्होंने दूसरी शादी की तो मैं अकेला रह जाउंगा और इस वजह से उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और हम लोग हसी खुशी रहने लगे।
पर एक दिन जब मैं जब काम से लौटा तो मैंने दरवाज़ा खुला पाया और जैसे मैंने अन्दर जाकर देखा तो भाभी कपड़े धो रही थी और उन की साड़ी काफ़ी ऊपर तक उठी हुई है और उन की सारे कपड़े भीग गए थे जिस से उनकी अंदर की ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी और जैसे ही मैंने उन की ब्रा देखी, मैंने देखा कि भाभी एक दम लो कट ब्लाउज़ पहने है और उनके बूब्स भी दिख रहे है, तो उसी वक्त मेरे लंड खड़ा हो गया
मैंने अपने रूम में जाकर उसे ठीक किया और फिर भाभी को आवाज़ लगा कर कहा कि चलो कहीं घूम कर आते है। वो राजी हो गई। हम लोग ट्रेन से गए। लौटते समय ट्रेन में काफी भीड़ थी, जिस के कारण मैंने भाभी को सामने किया और मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और कुछ देर बाद मुझे किसी ने धक्का मारा, जिस के कारण मैं उन के करीब हो गया इतना करीब कि मेरा लण्ड उनकी गांड को हौले से टच करने लगा। उन्होंने ये महसूस किया और जैसे ही मेंने पीछे हटने की कोशिश की तो वो भी पीछे हट रही थी। मेंने सोचा कि शायद भीड़ के कारण वो पीछे हटी होंगी पर जब हम लोग घर पहुंचे तो मैंने महसूस किया कि भाभी का आज रंग कुछ बदला है और उन की चाल भी कुछ बदली हुई है।
और फिर हम लोग खाना खा कर अपने अपने रूम में चले गए पर रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी जिस से मैंने टीवी रूम में बैठ कर टीवी चालू किया और टीवी देखने लगा। टीवी की आवाज़ सुनकर भाभी भी वहां आ गई और पूछा कि क्या तुम्हे नींद नहीं आ रही है जैसे ही मैंने उन को देखा तो मेरा लण्ड एक खंभे की तरह खड़ा हो गया क्योँकि उन्होंने एक दम मलमल जैसी पतली नाईटी पहन रखी थी जिसमें से उनकी ब्रा और उन की पैन्टी भी एक दम साफ़ दिखाई दे रही थी।
ये देख कर मेरा लण्ड अब फ़ड़फ़ड़ाने लगा था। जैसे ही वो मेरे पास आई और सोफे पर बैठे हुए उन्होंने कहा कि इतनी सर्दी में तुम्हें पसीने छूट रहे हैं तो मैंने डर गया और अपनी नज़र हटा ली।। हाथ मेरे लण्ड पर रख लिए और फिर कुछ नहीं कहा पर मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही थी।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे कहा कि उन के सारे बदन में दर्द हो रहा है और उनको मालिश करनी है तो मुझ से पूछा कि क्या कोई है जिसे तुम जानते हो तो मैंने कहा कि नहीं पर मुझे मालिश करनी आती है तो वो पहले मुस्कुराई और कहा कि अच्छा और मेरे करीब आ गई और मुझे कहा कि क्या तुम मेरी मालिश करोगे?
तो मैंने हाँ में सर हिलाया और फिर वो मुझे अपने रूम में ले गई और लेट गई और कहा कि चलो अब मेरी मालिश करो मैंने पहले उन के पैर से शुरू किया ५ मिनट और फिर मैंने उन से कहा कि क्यों न आप अपनी गाऊन उतार दें, तो उन्होंने झट से उसे उतार दिया। अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी और मैंने उन को ऐसे पहली बार देखा था और फिर मैंने तेल की बोटेल ली और उन की पीठ पर लगाना शुरू किया कुछ देर मालिश करने के बाद मेंने भाभी से कहा कि आप की ये ब्रा मुझे चुभ रही है तो उन्होंने कहा कि इसे भी खोल दो, तो मैने उसे भी खोल दिया और फ़िर मैंने भाभी को पीठ के बल लेटने को कहा जैसे ही उन्होंने करवट ली तो उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी तो उन्होंने कहा कि समीर ये क्या है तो मैने कहा कि ये मेरा हथियार है जैसा भाई के पास था बिल्कुल वैसे ही।
तो भाभी ने कहा कि चलो मैं अब अपनी पैंटी उतारती हूं और तुम अपना ये शोर्ट उतारो, तो मैंने पहले मना कर दिया पर भाभी ने कहा कि मैंने तो अपनी ब्रा और पैंटी उतारने में तो कुछ नही कहा और तुम सिर्फ़ अपना शोर्ट उतरने के लिए इतना सोच रहे हो। तो मैंने कहा की आप मेरी भाभी है तो उन्होंने कहा कि चलो आज से तुम मुझे मेरे नाम से बुलाना और उन का नाम पिंकी था और फिर उन के इतना कहने के बाद मैंने अपना शोर्ट उतार दिया।
जैसे ही मैंने अपना शोर्ट उतारा तो वो मेरे लण्ड को देख कर दंग रह गई और कहा कि तुम्हारा लण्ड तो वाकई बहुत बड़ा है उन्होंने पूछा कि ये कितना लंबा है तो मैंने कहा कि ये ९ इंच का है तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे भाई का तो सिर्फ़ ५ इंच का था उन्होंने ख़ुद कहा था।
अब भाभी और मैं एक दम नंगे थे और फिर भाभी मेरे लण्ड को घूर रही थी और मैं उन की चूत को घूर रहा था। फिर भाभी ने कहा कि अब मेरे बूब्स की मालिश करो मैं उनके बूब्स को दबाने लगा था और भाभी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में ले लिया और उस को सहलाने लगी और मुझे भी मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना सारा माल उन के हाथ और उन के बूब्स पर गिरा दिया। मैंने उन को सॉरी कहा पर उन्होंने कुछ नही कहा और जो मेरा माल गिरा था वो उसे चाटने लगी और बड़े मज़े से चाटने लगी। मेरे सामने ही अपनी चूत में ऊँगली डाल कर रगड़ने करने लगी और मुझे देखने लगी और वो कुछ अजीब सी आवाजें निकल ने लगी आआआआ ऊऊऊओ ईईईईईईईए फिर कुछ देर बाद उन की चूत में से भी पानी निकल गया और वो शांत हो गई।
फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी! मैं सोने जा रहा हूं तो उन्होंने कहा कि मैंने तुम को कहा कि तुम मुझे नाम से बुलाना तो मेंने उनको नाम से बुलाना शुरू किया। फिर मैं अपने रूम में चला गया और जब सुबह को उठा तो मैंने देखा कि रात की उस सेक्स मसाज़ की वजह से मेरा लण्ड काफी बड़ा हो गया था मैंने सोंचा कि चलो अब पिंकी किचन में होगी तो मैंने कुछ नही पहना और किचन की ओर चला गया। देखा तो पिंकी वहीं थी।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो कहा कि तेरा लण्ड तो रात से भी ज्यादा बड़ा हो गया है। तो मैंने कहा कि ये सब आप ही मेहरबानी है तो वो हंसने लगी और कहा कि क्या तुम भी वही चाहते हो जो मैं चाहती हूं?
तो मैंने कहा कि इस के बारे में बाद में बात करते हैं और मैं बाथरूम में गया और कुछ देर बाद भाभी को आवाज़ लगाई। मैंने कहा कि पिंकी ज़रा साबुन देना। तो वो समझ गई और अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में आ गई और कहा कि आज हम दोनों मिल कर नहाएंगे। तो मैंने कहा कि ठीक है और उन्होंने साबुन अपने बदन पर साबुन लगाना शुरू किया और मैं उनको देखने लगा। उन्होंने पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो? तो मैंने कहा कि मैं आप के…… आप के बूब्स और गाण्ड को देख रहा हूं, मुझे ये बड़े मस्त लगते है। तो उन्होंने कहा कि क्या तुम इन्हे छूना चाहते हो क्या तो मैंने हामी में सर हिलाया और वो मेरे करीब आइ और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और मुझे उनके बूब्स को दबाने को कहा।
और मैंने उन के बूब्स को दबाना शुरू किया और उनकी गांड को सहलाना शुरू किया। वाह दोस्तो, क्या गाण्ड एक दम सॉफ्ट। और मैंने देखा उनकी फ़ुद्दी पर एक भी बाल नही था। मेंने उन के बूब्स को मुँह में ले लिया और उन की फ़ुद्दी को अपनी हाथ से रगड़ने लगा और वो जोश में आकर आआआआऊऊश ह्श्श्श्श्श्श्श्श कर ने लगी। तो मैं उन को बेडरूम में ले गया और उनको लिटा दिया और उन के बूब्स को चूसने लगा और उन की फ़ुद्दी को अपनी ऊँगली से चोदने लगा। फिर उन्होंने कहा कि समीर मेरी चूत को चाटो तो मैंने उनकी फुद्दी को चाटना शुरू किया, वो अभी जोश में आ गई और जोर से कराहने लगी आआऊऊऊऊऊऊऊऊश्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्स् ईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ और चाटो और चाटो कह रही थी।
१० मिनट चाटने के बाद उन्होंने कहा कि मैं झड़ने वाली हूं तो मैंने कहा कि मैं आप का रस पीना चाहता हूं। इतना कहा ही था कि वो झड़ गई और मैंने उनका सारा रस पी लिया और फिर मैंने उनको उठाया और मेरा लण्ड उनके मुँह में दे दिया और उनको चूसने को कहा। उन्होंने खूब चूसा और अच्छा चूसा। १० मिनट के बाद जब मैंने उनसे कहा कि मैं झड़ने वाला हूं तो उन्होंने कहा कि मैं भी तुम्हारा वीर्य पीना चाहती हूं और मैंने अपना सारा वीर्य उनके मुँह में झाड दिया और उन्होंने मेरा सारा वीर्य पी लिया और फिर हम एक दूसरे से लिपट कर सोये रहे।
फिर ५ मिनट के बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैंने उन से कहा कि चलो अब मैं तुम्हारी चूत मारता हूं और उन को लिटा दिया और उनकी फ़ुद्दी के द्वार पर मेरा लण्ड रखा और एक धक्का मारा और मेरा आधा लण्ड उनकी फुद्दी में चला गया और वो दर्द के कारण चिल्लाई और मैंने उन से पूछा कि क्या आप को दर्द हो रहा है? तो उनहोने कहा की मेरी फ़ुद्दी ने ७ महीने से लण्ड नही खाया न इसीलिए दर्द हो रहा है। मैंने अपना काम जारी रखा और फिर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उन की चूत में घुस गया और मैंने देखा कि उन की फुद्दी में से खून निकल रहा है तो मैंने कहा कि तु्म्हारी फुद्दी में से खून निकल रहा है तो उन्होंने कहा कि तु्म्हारा लण्ड इतना बड़ा है न।
और फिर मैंने धक्के लगाना चालू किया और कुछ धक्के मरने के बाद उनको भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चूत मरवा रही थी और फी ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ श्श्श्श्श्श्श्श्ह्स म्म्म्म्म्म्म्म्म्म और कह रही थी कि और डालो और डालो और डालो समीर, मेरी फुद्दी को फाड़ दो मेरी फुद्दी को फाड़ दो और हमारी ये चुदाई ४० मिनट तक चलती रही और बाद उन्होंने कहा कि अब बस करो पर मैं कहाँ मानने वाला था फिर उस के १० मिनट के बाद मेंने उन से कहा कि में झड़ने वाला हूं तो उन्होंने कहा कि मेरी फुद्दी में झाड दो और मैंने उन की फ़ुद्दी में झड़ गया और उन के ऊपर लेट गया. फिर हम दोनों वैसे ही लेटे रहे और फिर हमने पूरा दिन कम से कम ८ बार चुदाई की और फिर रात को भी हमने चुदाई की। अब भाभी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
शादी के ६ महीने बाद मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया और वो उस एक्सीडेंट में मर गया और उस कारण भाभी थोडी से पागल सी हो गई थी और अब घर की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करना शुरू किया और देखते ही देखते मैंने भाभी का इलाज कर लिया और वो अब ठीक हो गई थी और फिर भाभी के घर वालों ने भाभी की दूसरी शादी की बात की तो भाभी ने मना कर दिया क्योँकि वो जानती थी कि अगर उन्होंने दूसरी शादी की तो मैं अकेला रह जाउंगा और इस वजह से उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और हम लोग हसी खुशी रहने लगे।
पर एक दिन जब मैं जब काम से लौटा तो मैंने दरवाज़ा खुला पाया और जैसे मैंने अन्दर जाकर देखा तो भाभी कपड़े धो रही थी और उन की साड़ी काफ़ी ऊपर तक उठी हुई है और उन की सारे कपड़े भीग गए थे जिस से उनकी अंदर की ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी और जैसे ही मैंने उन की ब्रा देखी, मैंने देखा कि भाभी एक दम लो कट ब्लाउज़ पहने है और उनके बूब्स भी दिख रहे है, तो उसी वक्त मेरे लंड खड़ा हो गया
मैंने अपने रूम में जाकर उसे ठीक किया और फिर भाभी को आवाज़ लगा कर कहा कि चलो कहीं घूम कर आते है। वो राजी हो गई। हम लोग ट्रेन से गए। लौटते समय ट्रेन में काफी भीड़ थी, जिस के कारण मैंने भाभी को सामने किया और मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और कुछ देर बाद मुझे किसी ने धक्का मारा, जिस के कारण मैं उन के करीब हो गया इतना करीब कि मेरा लण्ड उनकी गांड को हौले से टच करने लगा। उन्होंने ये महसूस किया और जैसे ही मेंने पीछे हटने की कोशिश की तो वो भी पीछे हट रही थी। मेंने सोचा कि शायद भीड़ के कारण वो पीछे हटी होंगी पर जब हम लोग घर पहुंचे तो मैंने महसूस किया कि भाभी का आज रंग कुछ बदला है और उन की चाल भी कुछ बदली हुई है।
और फिर हम लोग खाना खा कर अपने अपने रूम में चले गए पर रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी जिस से मैंने टीवी रूम में बैठ कर टीवी चालू किया और टीवी देखने लगा। टीवी की आवाज़ सुनकर भाभी भी वहां आ गई और पूछा कि क्या तुम्हे नींद नहीं आ रही है जैसे ही मैंने उन को देखा तो मेरा लण्ड एक खंभे की तरह खड़ा हो गया क्योँकि उन्होंने एक दम मलमल जैसी पतली नाईटी पहन रखी थी जिसमें से उनकी ब्रा और उन की पैन्टी भी एक दम साफ़ दिखाई दे रही थी।
ये देख कर मेरा लण्ड अब फ़ड़फ़ड़ाने लगा था। जैसे ही वो मेरे पास आई और सोफे पर बैठे हुए उन्होंने कहा कि इतनी सर्दी में तुम्हें पसीने छूट रहे हैं तो मैंने डर गया और अपनी नज़र हटा ली।। हाथ मेरे लण्ड पर रख लिए और फिर कुछ नहीं कहा पर मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही थी।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे कहा कि उन के सारे बदन में दर्द हो रहा है और उनको मालिश करनी है तो मुझ से पूछा कि क्या कोई है जिसे तुम जानते हो तो मैंने कहा कि नहीं पर मुझे मालिश करनी आती है तो वो पहले मुस्कुराई और कहा कि अच्छा और मेरे करीब आ गई और मुझे कहा कि क्या तुम मेरी मालिश करोगे?
तो मैंने हाँ में सर हिलाया और फिर वो मुझे अपने रूम में ले गई और लेट गई और कहा कि चलो अब मेरी मालिश करो मैंने पहले उन के पैर से शुरू किया ५ मिनट और फिर मैंने उन से कहा कि क्यों न आप अपनी गाऊन उतार दें, तो उन्होंने झट से उसे उतार दिया। अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी और मैंने उन को ऐसे पहली बार देखा था और फिर मैंने तेल की बोटेल ली और उन की पीठ पर लगाना शुरू किया कुछ देर मालिश करने के बाद मेंने भाभी से कहा कि आप की ये ब्रा मुझे चुभ रही है तो उन्होंने कहा कि इसे भी खोल दो, तो मैने उसे भी खोल दिया और फ़िर मैंने भाभी को पीठ के बल लेटने को कहा जैसे ही उन्होंने करवट ली तो उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी तो उन्होंने कहा कि समीर ये क्या है तो मैने कहा कि ये मेरा हथियार है जैसा भाई के पास था बिल्कुल वैसे ही।
तो भाभी ने कहा कि चलो मैं अब अपनी पैंटी उतारती हूं और तुम अपना ये शोर्ट उतारो, तो मैंने पहले मना कर दिया पर भाभी ने कहा कि मैंने तो अपनी ब्रा और पैंटी उतारने में तो कुछ नही कहा और तुम सिर्फ़ अपना शोर्ट उतरने के लिए इतना सोच रहे हो। तो मैंने कहा की आप मेरी भाभी है तो उन्होंने कहा कि चलो आज से तुम मुझे मेरे नाम से बुलाना और उन का नाम पिंकी था और फिर उन के इतना कहने के बाद मैंने अपना शोर्ट उतार दिया।
जैसे ही मैंने अपना शोर्ट उतारा तो वो मेरे लण्ड को देख कर दंग रह गई और कहा कि तुम्हारा लण्ड तो वाकई बहुत बड़ा है उन्होंने पूछा कि ये कितना लंबा है तो मैंने कहा कि ये ९ इंच का है तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे भाई का तो सिर्फ़ ५ इंच का था उन्होंने ख़ुद कहा था।
अब भाभी और मैं एक दम नंगे थे और फिर भाभी मेरे लण्ड को घूर रही थी और मैं उन की चूत को घूर रहा था। फिर भाभी ने कहा कि अब मेरे बूब्स की मालिश करो मैं उनके बूब्स को दबाने लगा था और भाभी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में ले लिया और उस को सहलाने लगी और मुझे भी मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना सारा माल उन के हाथ और उन के बूब्स पर गिरा दिया। मैंने उन को सॉरी कहा पर उन्होंने कुछ नही कहा और जो मेरा माल गिरा था वो उसे चाटने लगी और बड़े मज़े से चाटने लगी। मेरे सामने ही अपनी चूत में ऊँगली डाल कर रगड़ने करने लगी और मुझे देखने लगी और वो कुछ अजीब सी आवाजें निकल ने लगी आआआआ ऊऊऊओ ईईईईईईईए फिर कुछ देर बाद उन की चूत में से भी पानी निकल गया और वो शांत हो गई।
फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी! मैं सोने जा रहा हूं तो उन्होंने कहा कि मैंने तुम को कहा कि तुम मुझे नाम से बुलाना तो मेंने उनको नाम से बुलाना शुरू किया। फिर मैं अपने रूम में चला गया और जब सुबह को उठा तो मैंने देखा कि रात की उस सेक्स मसाज़ की वजह से मेरा लण्ड काफी बड़ा हो गया था मैंने सोंचा कि चलो अब पिंकी किचन में होगी तो मैंने कुछ नही पहना और किचन की ओर चला गया। देखा तो पिंकी वहीं थी।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो कहा कि तेरा लण्ड तो रात से भी ज्यादा बड़ा हो गया है। तो मैंने कहा कि ये सब आप ही मेहरबानी है तो वो हंसने लगी और कहा कि क्या तुम भी वही चाहते हो जो मैं चाहती हूं?
तो मैंने कहा कि इस के बारे में बाद में बात करते हैं और मैं बाथरूम में गया और कुछ देर बाद भाभी को आवाज़ लगाई। मैंने कहा कि पिंकी ज़रा साबुन देना। तो वो समझ गई और अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में आ गई और कहा कि आज हम दोनों मिल कर नहाएंगे। तो मैंने कहा कि ठीक है और उन्होंने साबुन अपने बदन पर साबुन लगाना शुरू किया और मैं उनको देखने लगा। उन्होंने पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो? तो मैंने कहा कि मैं आप के…… आप के बूब्स और गाण्ड को देख रहा हूं, मुझे ये बड़े मस्त लगते है। तो उन्होंने कहा कि क्या तुम इन्हे छूना चाहते हो क्या तो मैंने हामी में सर हिलाया और वो मेरे करीब आइ और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और मुझे उनके बूब्स को दबाने को कहा।
और मैंने उन के बूब्स को दबाना शुरू किया और उनकी गांड को सहलाना शुरू किया। वाह दोस्तो, क्या गाण्ड एक दम सॉफ्ट। और मैंने देखा उनकी फ़ुद्दी पर एक भी बाल नही था। मेंने उन के बूब्स को मुँह में ले लिया और उन की फ़ुद्दी को अपनी हाथ से रगड़ने लगा और वो जोश में आकर आआआआऊऊश ह्श्श्श्श्श्श्श्श कर ने लगी। तो मैं उन को बेडरूम में ले गया और उनको लिटा दिया और उन के बूब्स को चूसने लगा और उन की फ़ुद्दी को अपनी ऊँगली से चोदने लगा। फिर उन्होंने कहा कि समीर मेरी चूत को चाटो तो मैंने उनकी फुद्दी को चाटना शुरू किया, वो अभी जोश में आ गई और जोर से कराहने लगी आआऊऊऊऊऊऊऊऊश्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्स् ईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ और चाटो और चाटो कह रही थी।
१० मिनट चाटने के बाद उन्होंने कहा कि मैं झड़ने वाली हूं तो मैंने कहा कि मैं आप का रस पीना चाहता हूं। इतना कहा ही था कि वो झड़ गई और मैंने उनका सारा रस पी लिया और फिर मैंने उनको उठाया और मेरा लण्ड उनके मुँह में दे दिया और उनको चूसने को कहा। उन्होंने खूब चूसा और अच्छा चूसा। १० मिनट के बाद जब मैंने उनसे कहा कि मैं झड़ने वाला हूं तो उन्होंने कहा कि मैं भी तुम्हारा वीर्य पीना चाहती हूं और मैंने अपना सारा वीर्य उनके मुँह में झाड दिया और उन्होंने मेरा सारा वीर्य पी लिया और फिर हम एक दूसरे से लिपट कर सोये रहे।
फिर ५ मिनट के बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैंने उन से कहा कि चलो अब मैं तुम्हारी चूत मारता हूं और उन को लिटा दिया और उनकी फ़ुद्दी के द्वार पर मेरा लण्ड रखा और एक धक्का मारा और मेरा आधा लण्ड उनकी फुद्दी में चला गया और वो दर्द के कारण चिल्लाई और मैंने उन से पूछा कि क्या आप को दर्द हो रहा है? तो उनहोने कहा की मेरी फ़ुद्दी ने ७ महीने से लण्ड नही खाया न इसीलिए दर्द हो रहा है। मैंने अपना काम जारी रखा और फिर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उन की चूत में घुस गया और मैंने देखा कि उन की फुद्दी में से खून निकल रहा है तो मैंने कहा कि तु्म्हारी फुद्दी में से खून निकल रहा है तो उन्होंने कहा कि तु्म्हारा लण्ड इतना बड़ा है न।
और फिर मैंने धक्के लगाना चालू किया और कुछ धक्के मरने के बाद उनको भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चूत मरवा रही थी और फी ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ श्श्श्श्श्श्श्श्ह्स म्म्म्म्म्म्म्म्म्म और कह रही थी कि और डालो और डालो और डालो समीर, मेरी फुद्दी को फाड़ दो मेरी फुद्दी को फाड़ दो और हमारी ये चुदाई ४० मिनट तक चलती रही और बाद उन्होंने कहा कि अब बस करो पर मैं कहाँ मानने वाला था फिर उस के १० मिनट के बाद मेंने उन से कहा कि में झड़ने वाला हूं तो उन्होंने कहा कि मेरी फुद्दी में झाड दो और मैंने उन की फ़ुद्दी में झड़ गया और उन के ऊपर लेट गया. फिर हम दोनों वैसे ही लेटे रहे और फिर हमने पूरा दिन कम से कम ८ बार चुदाई की और फिर रात को भी हमने चुदाई की। अब भाभी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
नोकरानी बन क्रर चुदी
मैं अभी २८ की हूँ। मेरे पति का स्वर्गवास हुए १ साल हो गया था। वो एक दुर्घटना में चल बसे थे। मैं एम ए पास हूँ। एक प्राईवेट स्कूल में टीचर थी लेकिन वेतन बहुत ही कम था।
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ विनय के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ विनय के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”
मेरी तो जैसे किस्मत ही जाग गई। किराये के मकान का खर्चा बच गया और खाना मुफ़्त ! फिर ३००० रुपये तनख्वाह। मैं तुरन्त चाबी ले कर पीछे गई, ताला खोला तो शानदार दो कमरे का मकान, सभी सुविधायें मौजूद थी। मैंने जल्दी से सफ़ाई की और घर आकर जो थोड़ा सा सामान था, दिन को शिफ़्ट कर लिया। मेरा ५ साल का एक लड़का और मैं … और इतना बड़ा घर !
सेठ जी काम पर जा चुके थे। पर घर में ताला था। शाम को जब सेठ जी आये तो मैं उनके पास गई। उन्होंने सारा काम बता दिया। विनय सेठ कोई ३५ साल के थे। और मधुर स्वभाव के थे।
मैंने झटपट शाम का खाना बनाया … मेरा खाना क्वार्टर में ही अलग बनता था। उसने हिदायत दी कि मुझे हमेशा नहा धो कर साफ़ रहना है … साफ़ कपड़े … बाल बंधे हुए … एक दम साफ़ सुथरे …… वगैरह। उन्होंने पहले से तैयार नये कपड़े मुझे दे दिये।
विनय बहुत मोटे इन्सान थे। कहते हैं कि उनकी बीवी उनके मोटापे के कारण छोड़ कर भाग गई थी। विनय का एक दोस्त जो उससे अमीर था और दिखता भी हीरो की तरह था … उसकी रखैल बन कर अलग मकान में रहती थी। विनय सेट एकदम अकेले थे।
विनय सेठ को अब मैं विनय कह पर ही सम्बोधित करूंगी। विनय को जिम जाते हुए २ महीने हो चुके थे। उनका मोटापा अब काफ़ी कम हो चुका था। शरीर गठ गया था। मैं भी अब अब उनकी ओर आकर्षित होने लगी थी। औरत मर्द की जरूरत है, ये मैं जानती थी। मेरा ज्यादातर समय खाली रहने में ही गुजरता था। खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
मैं भी भरपूर जवान थी। मेरे स्तन भी पुष्ट थे और पूरा उभार लिये हुए थे। मेरा जिस्म भी अब कसमसाता था। रह रह कर मेरे उरोज़ कसक जाते थे। रह रह कर अंगड़ाइयां आने लगती थी, कपड़े तंग से लगते थे। मेरे आगे और पीछे के निचले भाग भी अब शान्त होने के लिये कुछ मांगने लगे थे।
एक बार रात को लगभग १० बजे मुझे ख्याल आया कि मुख्य गेट खुला ही रह गया है। सोने से पहले मैं जब बाहर निकली तो मैंने देखा कि विनय की खिड़की थोड़ी सी खुली रह गई थी। मैंने यूं ही अन्दर झांका तो मेरे बदन में जैसे चींटियां रेंगने लगी।
विनय बिलकुल नंगा खड़ा था और कुछ देख कर मुठ मार रहा था। मैं वहीं खड़ी रह गई। मेरा दिल धक धक करने लगा था। शायद वो कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा था और मुठ मार रहा था। मेरा हाथ बरबस ही चूत पर चला गया और दबाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी … जहाँ मैं चूत दबा रही थी वहाँ पेटीकोट गीला हो गया था।
उसके मुँह से वासना भरी गालियाँ निकल रही थी। चोद साली को और चोद … मां चोद दे इसकी … हाय। … भोसड़ी के क्या लण्ड है … ऐसा ही मुँह से अस्पष्ट शब्द बोले जा रहा था। फिर उसके मुँह से आह निकल गई और उसके लण्ड से लम्बी पिचकारी निकल पड़ी। वीर्य लण्ड से झटके खा खा कर निकल रहा था।
मेरा दिल डोलने लगा। मेरी छाती धड़कने लगी। पसीने की बून्दें छलक आई। मैं वहां से हट कर मुख्य द्वार को बन्द कर आई।
उस रात मुझे नीन्द नहीं आई। बस करवट बदलती रही। चुदने के विचार आते रहे। विनय का लण्ड चूत में घुसता नजर आने लगा था। जाने कब आंख लग गई। सुबह उठी तो मन में कसक बाकी थी।
खड़ी हो कर मैंने अंगड़ाई ली और अपने बोबे को देखा और धीरे से उसे मसलने लगी, मुझे मेरी चोली तंग लगने लगी थी और फिर ब्लाऊज के बटन बन्द करने लगी। सामने जाली वाली खिड़की से विनय मुझे ये सब करते हुए देख रहा था। मेरा दिल धक से रह गया। मैंने यूँ दर्शाया कि जैसे मैंने विनय को देखा ही नहीं। पर मुझे पता चल गया कि विनय मेरे अंगों का रस लेता है।
मैं भी अब छिप छिप के खिड़की से उसकी सेक्सी हरकतें देखने लगी। और फिर घर में आ कर खूब तड़पने लगती थी। कपड़े उतार फ़ेंकती थी, जिस्म को दबा डालती थी। विनय अब भी खिड़की पर छुप छुप कर मुझे देखता था। सिर्फ़ उसे बहकाने के लिये अब मैं भी दरवाजे पर कभी अपने बोबे दबाती और कभी चूत दबाती थी ताकि वो भी मेरी तरह तड़पे और वासना में आकर मुझे चोद दे।
पर वो मेरे सामने नोर्मल रहता था। मेरी चोली अब छोटी पड़ने लग गई थी। उरोज मसलते मसलते फ़ूलने और बड़े होने लग गये थे। एक बार तो जब वो खिड़की से देख रहा था मैंने एक मोमबत्ती ले कर उसके सामने अपनी चूत पर रगड़ ली थी।
इसी तरह छ: माह बीत गये। इसी बीच विनय ने मेरी तनख्वाह ५००० रुपये कर दी थी। ये सब मेरी सेक्सी अदाओं का इनाम था।
मुझे भी अब चुदने की इच्छा तेज़ होने लगी थी। इन दिनों विनय के जाने के बाद मैं अक्सर उनके बेडरूम में जाकर टीवी देखती थी। आज मैंने कुछ सीडी टीवी के पास देखी। मैंने यूं ही उसे उठा ली और देखने लगी। एक सीडी मुझे लगा कि ये शायद ब्ल्यू फ़िल्म है। मैंने उनमें से एक सीडी प्लेयर में लगाई और देखने लगी।
उसे देखते ही मैं तो एकदम उछल पड़ी। मेरा अनुमान सही निकला, वो ब्ल्यू फ़िल्म ही थी। मैं जिंदगी में पहली बार ब्ल्यू फ़िल्म देख रही थी। मेरे दिल की एक बड़ी हसरत पूरी हो गई … बहुत इच्छा थी देखने की।
सीन आते गये मैं पसीने में तर हो गई। मेरे कपड़े फिर से तंग लगने लगे, लगता था सारे कपड़े उतार फ़ेंको। मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और अपना दाना मसलने लगी। कभी कभी अंगुली अन्दर डाल कर चूत घिस लेती थी … । मेरी सांसें और धडकन तेज हो चली थी।
अचानक मैंने समय देखा तो विनय का लंच पर आने का समय हो गया था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। अपने आप को संयत किया और अपने कपड़े ठीक कर लिये और डायनिंग टेबल ठीक करने लगी।
मेरी नजरें अब बदल गई थी। मर्द के नाम पर बस विनय ही था जिसे मैं रोज देखती थी। मैंने उसे नंगा भी देखा … मुठ मारते भी देखा … पेंसिल को खुद की गांड में घुसाते हुए भी देखा … । मेरे दिल पर ये सब देख कर मेरे दिल पर छुरियाँ चल जाती थी।
मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े बदल आई और हल्की सी ड्रेस पहन ली, जिससे मेरे उरोज और जिस्म सेक्सी लगे। मैं वापस आ कर विनय का इन्तज़ार करने लगी। विनय ठीक समय पर आ गया।
आते ही उसने मुझे देखा और देखते ही रह गया। वो डायनिंग टेबल पर बैठ गया। मैं झुक झुक कर अपने बोबे हिला कर खाना परोसने लगी। वो मेरे ब्लाऊज में बराबर झांक रहा था। मेरे बदन में कंपकंपी छूटने लगी थी। अब मैं उसे जवान और सेक्सी नजर आने लगी थी।
मैंने उसके पीछे जा कर अपने बोबे भी उससे टकरा भी दिये, फिर मैं भी सिहर उठी थी। उसने अपना खाना समाप्त किया और अपने कमरे में चला गया। मैं उसे झांक कर देखती रही। अचानक उसकी नजर सीडी पर पड़ी और वो पलक झपकते ही समझ गया।
विनय अपने बिस्तर पर लेट गया और आंखें बन्द कर ली। विनय के मन में खलबली मची हुई थी। मुझे लगा कि विनय काफ़ी कुछ तो समझ ही गया है।
मैं उसके बेडरूम में आ गई। कही से तो शुरु तो करना ही था,”सर मोजे उतार दूँ?”
“ह … हां … उतार दो … और सुनो क्या तुम मेरी कमर दबा सकती हो … ?” उसने मुझे पटाने की एक कोशिश की। मेरा दिल उछल पड़ा। मुझे इसी का तो इन्तज़ार था।
मैंने शरमा कर कहा,”जी … दबा दूंगी … !”
मुझे कोशिश करके आज ही उसे जाल में फांस लेना था और अपनी चूत की प्यास बुझा लेनी थी। आखिर मैं कब तक तड़पती, जब कि विनय भी उसी आग में तड़प रहा था। विनय ने अपनी कमीज उतार दी।
इतने में बाहर होर्न की आवाज आई। मुझे गुस्सा आने लगा। मेरा बेटा सचिन स्कूल से आ गया था। कही गड़बड़ ना हो जाये, या मूड बदल ना जाये।
“सर … मैं अभी आई … !” कह कर मैं जल्दी से बाहर आई और सचिन को कहा कि वो खाना खा ले और फिर आराम कर ले। मैं सेठ जी को लन्च करा कर आती हूँ। उसे सब समझा कर वापस आ गई।
विनय ने अपना ढीला सा पजामा पहन लिया था और उल्टा लेटा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठाई और बिस्तर पर बैठ गई। मैंने तेल उसकी कमर में लगाया और उसे दबाने लगी। उसे मजा आने लगा। मैं उसे उत्तेजित करने के लिये उसकी चूतड़ों की जो थोड़ी सी दरार नजर आ रही थी उस पर भी तेल लगा कर बार बार छू रही थी।
“रानी … तेरे हाथों में जादू है … जरा नीचे भी लगा दे … ” मैं समझ गई कि वो रंग में आने लगा है। गर्म लोहे पर चोट करनी जरूरी थी, वरना मौका हाथ से निकल जाता।
मैंने कमर से थोड़ा नीचे दरार के पास ज्यादा मलना शुरू कर दिया, और अपना हाथ उसके चूतड़ के उभारों को भी लगा देती थी। मुझे लगा कि उसका लण्ड अब बिस्तर से दब कर जोर मार रहा है। उसके जिस्म की सिहरन मुझे महसूस हो रही थी। मौका पा कर इस स्थिति का मैंने फ़ायदा उठाया।
मैंने कहा,”सर अब सीधे हो जाओ … आगे भी लगा देती हूं … !” जैसे ही वो पलटा, उसका तन्नाया हुआ लण्ड सामने खड़ा हुआ आ गया।
मैं सिहर उठी,”हाय राम … ! ये क्या … !” मैंने अपना चेहरा छिपा लिया।
विनय ने कहा,”सॉरी रानी … ! मेरे जिस्म पर सात-आठ महीने बाद किसी औरत का हाथ लगा था … इसलिये भावनायें जाग उठी !” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“सर जीऽऽऽ … शरम आती है … मैंने भी किसी मर्द को बहुत समय से छुआ ही नहीं है … !” मैंने आंखों पर से हाथ हटा लिया … और जैसे हामी भरते हुये विनय का साथ दिया।
“फ़िल्म कैसी लगी थी … मजा आया … ?”
“ज् … जी … क्या कह रहे है आप … ?” मैं सब समझ चुकी थी … मैं जानबूझ कर शरमा गई। बस विनय की पहल का इन्तज़ार था, सो उसने पहल कर दी। मेरी चूत फ़ड़क उठी थी। मैंने अपना हाथ नहीं छुड़ाया … वह मेरा हाथ खींच कर अपने और समीप ले आया।
मेरा बदन थरथरा उठा। चेहरे पर पसीना आ गया। मेरी आंखें उसकी आंखों से मिल गई … मैं होश खोने लगी … अचानक मेरी चूंचियो पर उसके हाथ का दबाव महसूस हुआ … वो दब चुकी थी … मैं सिमट गई,”सर प्लीज …! नहीं … मैं मर जाऊंगी …! “
विनय ने तकिये के नीचे से एक पांच सौ का एक पत्ता मेरी चोली में घुसा दिया। पांच सौ रुपये मेरे लिये बड़ी रकम थी … मैं पिघल उठी। मेरा कांपता जिस्म उसने भींच लिया। मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
“पसीना पोंछ लो !” उसने चादर के एक कोने से मेरा चेहरा पोंछ दिया और मेरे नरम कांपते होंठ को उसने अपने होंठों से दबा लिये। मेरी इच्छा पूरी हो रही थी। पैसे भी मिल रहे रहे थे और अब मैं चुदने वाली थी। मेरा शरीर वासना की आग में सुलग उठा। चूत पानी छोड़ने लगी, शरीर कसमसाने लगा। उसके बलिष्ठ बाहें मुझे घेरने लगी। मेरा हाथ नीचे फ़िसलता हुआ उसके लण्ड तक पहुंच गया।
मैंने इज़ाज़त मांगी … “सर … छोटे साहब को … ?”
“रानी … मेरी रानी … जरा जोर से थामना … कहीं छूट ना जाये …!” उसने अपने लण्ड को और ऊपर उभार लिया। मेरा हाथ उसके लण्ड कर कस गया। उसने मुझे एक ही झटके में बिस्तर पर खींच कर पटक दिया। और सीधे मेरी चूत पर वार किया। मेरी चूत को हाथ अन्दर डाल कर दबा दी। मैं तड़प उठी। वो चूत मसलता ही गया। मैं छटपटाती ही रही। पर उसका हाथ अलग नहीं हटाया।
“हाऽऽऽय … रे … सर जी … मर गई … क्या कर रहे हो … आऽऽह … माई रे … ” मेरी खुशी भरी तड़पन उसे अच्छी लगने लगने लगी।
“कहां थी तू अब तक रे … क्या मस्त हो रही है … ” विनय नशे में बोला। मेरी चूत दबा कर कर मसलता रहा … पर ये ५०० रुपये का नशा भी साथ था … उसकी इच्छा मुझे पूरी जो करनी थी। मेरे सारे कपड़े एक एक कर उतरते जा रहे थे। हर बार मैं जानकर नाकाम विरोध करती …!
अन्तत: मैं वस्त्रहीन हो गई। मेरी चूंचियाँ बाहर छलक पड़ी … मेरा नंगा जिस्म चमक उठा। मैंने नशे में अपनी आंखे खोली तो विनय का बलिष्ठ शरीर नजर आया … जिसे मैं छुप छुप कर कितनी बार देख चुकी थी। उसका चेहरा मुझे अपनी चूत की तरफ़ झुकता नजर आया। मेरी क्लीन शेव चूत की पंखुड़ियों के बीच रिसता पानी उसे मदहोश करने लगा।
उसकी जीभ का स्पर्श मुझे कंपकपाने लगा।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा,”सर … नहीं प्लीज … मत करिये … ” पर उसने मेरी टांगों को चीर कर चूत और खोल दी और उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये … मैंने अपनी चूत मस्ती में और उभार दी।
“रानी … ना ना करते पूरी चुद जाओगी … ” कह कर उसने चूत पर जीभ गहरी घुसा कर निकाल ली … मैं उत्तेजना से कसमसा उठी। अब मेरा दाना और चूत दोनों ही जीभ से चाट रहा था। बहुत साल बाद मुझे फिर से एक बार ये सुख मिल रहा था।
उसने मुझे घुमा कर उल्टी कर दिया और चूतड़ों को थपथपाने लगा। यानि अब मेरी गांड की बारी थी … ! मेरा दिल खुशी के मारे उछल पड़ा। गाण्ड चुदवाना मेरा पहला शौक रहा है उसके बाद फिर चूत की चुदाई का आनन्द … !”
“सर नहीं ये नहीं … प्लीज … मेरी फ़ट जायेगी !” मैंने अपने नखरे दिखाए … पर ये क्या … विनय ने एक ५०० का नोट और लहरा दिया …
“ये इस प्यारी गाण्ड चुदाई के मेरी रानी … !” मैं और पिघल उठी … मेरे मन चाहे काम के अब मुझे १००० रुपये मिल चुके थे, इससे ज्यादा और खुशी क्या हो सकती थी। विनय ने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे चूतड़ो को चीर के छेद पर टपका दिया। और उछल कर मेरी पीठ पर चढ़ गया … कुछ ही देर में उसका लण्ड मेरी गांड के छेद में घुस चुका था। दर्द झेलना तो मेरी आदत बन चुकी थी।
“आह रे … घुस गया सर … !”
” रानी तू कितनी अच्छी है … पहले कहां थी रे … !”
“आप ही ने मुझ गरीबन पर ध्यान नहीं दिया … हाय गाण्ड चुद गई रे … !”
” रानी … मैं तुझे रानी ही बना कर रखूंगा … तूने तो मुझे खुश कर दिया है आज … !”
धचक धचक लण्ड घुसता रहा … मेरी गाण्ड चुदती रही … आज मेरी गाण्ड को लण्ड का प्यारा प्यारा मजा मिल गया था। मैं विनय की अहसानमन्द हो चुकी थी। मैंने भी अब थोडी सी मन की करने की सोची … और कहा,”सर … आप कहे तो मैं अब आपको चोद दूँ …?”
“कैसे … आदमी कैसे चुद सकता है … ?”
“आप बिस्तर पर सीधे लेट जाईए … मैं आपके खड़े लण्ड पर बैठ कर आपको चोदूँगी … ” विनय हंस पड़ा।
“छुरी तरबूज पर पड़े या तरबूज छुरी पर … चुदेगी तो चूत ही ना … ” मैं शरमा गई।
“हटो जी … आ जाओ ना … !”विनय नीचे लेट गया … उसका खड़ा लण्ड मेरी चूत को चुनौती दे रहा था। मैं धीरे से उसके लण्ड पर निशाना लगा कर बैठ गई। पर विनय को कहाँ चैन था। उसने नीचे से ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरी चूत को लपेटे में ले लिया और चूत को चीरता हुआ लण्ड अन्दर घुस पड़ा।
मेरा बेलेन्स गड़बड़ा गया और धच्च में लण्ड पर पूरी बैठ गई। मेरे मुख से चीख निकल पड़ी। लण्ड चूत की पूरी गहराई पर जाकर गड़ चुका था। मेरी चूत से थोडा सा खून निकल पड़ा। मैंने अंगुली से देखा तो लाल रंग … पर ये तो लड़कियों के साथ चुदाई में साधारण सी बात होती है। पर विनय घबरा उठा,”अरे … ये क्या … खून … सॉरी … !”
मैंने उसके होंठो पर अंगुलि रख दी … “चुप रहो न … करते रहो … !”
पर इसका मुझे तुरन्त मुआवजा मिल गया … एक ५०० रुपये का नोट और लहरा उठा। ये विनय क्या कर रहा है? १५०० रुपये मेरे लिये बहुत बड़ी रकम थी।
“नहीं चाहिये मुझे …” पर उसने मुझे दिये हुए नोटो के पास उसे रख दिया। हमारा कार्यक्रम आगे बढ़ चला … अब मुझे पूरी जी जान से उसे सन्तुष्ट करना ही था। मैंने अपनी चूत अन्दर ही अन्दर सिकोड़ ली और टाईट कर ली … फिर उसके लण्ड को रगड़ना शुरू कर दिया। टाईट चूत करने से मेरी चूत को चोट भी लग रही थी … पर विनय को तंग चूत का मजा आने लगा था।
पर नतीजा … मैं चरमसीमा पर पहुंच गई … साथ ही विनय भी अपना शरीर लहराने लगा।
“मेरी जानु …मेरी जान … मैं तो गया … निकला जा रहा है अब … रानीऽऽऽ हाय … ऊईईईऽऽऽऽ ” विनय के साथ साथ मेरा भी रस निकलने लगा … उसका लण्ड भी मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा। हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मैं तो पूरी झड़ चुकी थी … उसका वीर्य को मेरी चूत में लिपट कर निकालने का मौका दे रही थी … कुछ ही देर में हम दोनो निढाल पड़े थे।
विनय उठा और पास में पड़ा तौलिया लपेट कर बाथरूम में चला गया। मुझे भी कुछ नहीं सूझा तो मैं भी उसी के साथ बाथरूम में घुस गई और पानी से अपनी चूत और लगा हुआ वीर्य साफ़ करने लगी।
“आज तो रानी … तुमने मेरी आत्मा को प्रसन्न कर दिया … अब एक काम करो … सामने ब्यूटी पार्लर में जाओ और उससे कहना कि मैंने भेजा है … “
मैं सर झुकाये बाहर आकर कपड़े पहनने लगी। और नोट गिन कर अपने ब्लाऊज में सम्हाल कर रखने लगी। पर ये क्या … विनय ने झटके मेरे हाथों से सारे नोट ले लिये …
“क्या करोगी इनका … ये तो कागज के टुकड़े हैं … ” मेर दिल धक से रह गया … मेरे होश उड़ गये, रुपये छिनने से मुझे ग्लानि होने लगी।
पर दूसरे ही क्षण मेरे चेहरे पर दुगनी खुशी झलक उठी। विनय ने अलमारी खोल कर गहने मेरी ओर उछाल दिये,”सजो मेरी रानी … आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं … घरवाली की तरह रहोगी … और रहे रुपये ! तो ये सब तुम्हारे है …!”किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ विनय के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ विनय के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”
मेरी तो जैसे किस्मत ही जाग गई। किराये के मकान का खर्चा बच गया और खाना मुफ़्त ! फिर ३००० रुपये तनख्वाह। मैं तुरन्त चाबी ले कर पीछे गई, ताला खोला तो शानदार दो कमरे का मकान, सभी सुविधायें मौजूद थी। मैंने जल्दी से सफ़ाई की और घर आकर जो थोड़ा सा सामान था, दिन को शिफ़्ट कर लिया। मेरा ५ साल का एक लड़का और मैं … और इतना बड़ा घर !
सेठ जी काम पर जा चुके थे। पर घर में ताला था। शाम को जब सेठ जी आये तो मैं उनके पास गई। उन्होंने सारा काम बता दिया। विनय सेठ कोई ३५ साल के थे। और मधुर स्वभाव के थे।
मैंने झटपट शाम का खाना बनाया … मेरा खाना क्वार्टर में ही अलग बनता था। उसने हिदायत दी कि मुझे हमेशा नहा धो कर साफ़ रहना है … साफ़ कपड़े … बाल बंधे हुए … एक दम साफ़ सुथरे …… वगैरह। उन्होंने पहले से तैयार नये कपड़े मुझे दे दिये।
विनय बहुत मोटे इन्सान थे। कहते हैं कि उनकी बीवी उनके मोटापे के कारण छोड़ कर भाग गई थी। विनय का एक दोस्त जो उससे अमीर था और दिखता भी हीरो की तरह था … उसकी रखैल बन कर अलग मकान में रहती थी। विनय सेट एकदम अकेले थे।
विनय सेठ को अब मैं विनय कह पर ही सम्बोधित करूंगी। विनय को जिम जाते हुए २ महीने हो चुके थे। उनका मोटापा अब काफ़ी कम हो चुका था। शरीर गठ गया था। मैं भी अब अब उनकी ओर आकर्षित होने लगी थी। औरत मर्द की जरूरत है, ये मैं जानती थी। मेरा ज्यादातर समय खाली रहने में ही गुजरता था। खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
मैं भी भरपूर जवान थी। मेरे स्तन भी पुष्ट थे और पूरा उभार लिये हुए थे। मेरा जिस्म भी अब कसमसाता था। रह रह कर मेरे उरोज़ कसक जाते थे। रह रह कर अंगड़ाइयां आने लगती थी, कपड़े तंग से लगते थे। मेरे आगे और पीछे के निचले भाग भी अब शान्त होने के लिये कुछ मांगने लगे थे।
एक बार रात को लगभग १० बजे मुझे ख्याल आया कि मुख्य गेट खुला ही रह गया है। सोने से पहले मैं जब बाहर निकली तो मैंने देखा कि विनय की खिड़की थोड़ी सी खुली रह गई थी। मैंने यूं ही अन्दर झांका तो मेरे बदन में जैसे चींटियां रेंगने लगी।
विनय बिलकुल नंगा खड़ा था और कुछ देख कर मुठ मार रहा था। मैं वहीं खड़ी रह गई। मेरा दिल धक धक करने लगा था। शायद वो कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा था और मुठ मार रहा था। मेरा हाथ बरबस ही चूत पर चला गया और दबाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी … जहाँ मैं चूत दबा रही थी वहाँ पेटीकोट गीला हो गया था।
उसके मुँह से वासना भरी गालियाँ निकल रही थी। चोद साली को और चोद … मां चोद दे इसकी … हाय। … भोसड़ी के क्या लण्ड है … ऐसा ही मुँह से अस्पष्ट शब्द बोले जा रहा था। फिर उसके मुँह से आह निकल गई और उसके लण्ड से लम्बी पिचकारी निकल पड़ी। वीर्य लण्ड से झटके खा खा कर निकल रहा था।
मेरा दिल डोलने लगा। मेरी छाती धड़कने लगी। पसीने की बून्दें छलक आई। मैं वहां से हट कर मुख्य द्वार को बन्द कर आई।
उस रात मुझे नीन्द नहीं आई। बस करवट बदलती रही। चुदने के विचार आते रहे। विनय का लण्ड चूत में घुसता नजर आने लगा था। जाने कब आंख लग गई। सुबह उठी तो मन में कसक बाकी थी।
खड़ी हो कर मैंने अंगड़ाई ली और अपने बोबे को देखा और धीरे से उसे मसलने लगी, मुझे मेरी चोली तंग लगने लगी थी और फिर ब्लाऊज के बटन बन्द करने लगी। सामने जाली वाली खिड़की से विनय मुझे ये सब करते हुए देख रहा था। मेरा दिल धक से रह गया। मैंने यूँ दर्शाया कि जैसे मैंने विनय को देखा ही नहीं। पर मुझे पता चल गया कि विनय मेरे अंगों का रस लेता है।
मैं भी अब छिप छिप के खिड़की से उसकी सेक्सी हरकतें देखने लगी। और फिर घर में आ कर खूब तड़पने लगती थी। कपड़े उतार फ़ेंकती थी, जिस्म को दबा डालती थी। विनय अब भी खिड़की पर छुप छुप कर मुझे देखता था। सिर्फ़ उसे बहकाने के लिये अब मैं भी दरवाजे पर कभी अपने बोबे दबाती और कभी चूत दबाती थी ताकि वो भी मेरी तरह तड़पे और वासना में आकर मुझे चोद दे।
पर वो मेरे सामने नोर्मल रहता था। मेरी चोली अब छोटी पड़ने लग गई थी। उरोज मसलते मसलते फ़ूलने और बड़े होने लग गये थे। एक बार तो जब वो खिड़की से देख रहा था मैंने एक मोमबत्ती ले कर उसके सामने अपनी चूत पर रगड़ ली थी।
इसी तरह छ: माह बीत गये। इसी बीच विनय ने मेरी तनख्वाह ५००० रुपये कर दी थी। ये सब मेरी सेक्सी अदाओं का इनाम था।
मुझे भी अब चुदने की इच्छा तेज़ होने लगी थी। इन दिनों विनय के जाने के बाद मैं अक्सर उनके बेडरूम में जाकर टीवी देखती थी। आज मैंने कुछ सीडी टीवी के पास देखी। मैंने यूं ही उसे उठा ली और देखने लगी। एक सीडी मुझे लगा कि ये शायद ब्ल्यू फ़िल्म है। मैंने उनमें से एक सीडी प्लेयर में लगाई और देखने लगी।
उसे देखते ही मैं तो एकदम उछल पड़ी। मेरा अनुमान सही निकला, वो ब्ल्यू फ़िल्म ही थी। मैं जिंदगी में पहली बार ब्ल्यू फ़िल्म देख रही थी। मेरे दिल की एक बड़ी हसरत पूरी हो गई … बहुत इच्छा थी देखने की।
सीन आते गये मैं पसीने में तर हो गई। मेरे कपड़े फिर से तंग लगने लगे, लगता था सारे कपड़े उतार फ़ेंको। मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और अपना दाना मसलने लगी। कभी कभी अंगुली अन्दर डाल कर चूत घिस लेती थी … । मेरी सांसें और धडकन तेज हो चली थी।
अचानक मैंने समय देखा तो विनय का लंच पर आने का समय हो गया था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। अपने आप को संयत किया और अपने कपड़े ठीक कर लिये और डायनिंग टेबल ठीक करने लगी।
मेरी नजरें अब बदल गई थी। मर्द के नाम पर बस विनय ही था जिसे मैं रोज देखती थी। मैंने उसे नंगा भी देखा … मुठ मारते भी देखा … पेंसिल को खुद की गांड में घुसाते हुए भी देखा … । मेरे दिल पर ये सब देख कर मेरे दिल पर छुरियाँ चल जाती थी।
मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े बदल आई और हल्की सी ड्रेस पहन ली, जिससे मेरे उरोज और जिस्म सेक्सी लगे। मैं वापस आ कर विनय का इन्तज़ार करने लगी। विनय ठीक समय पर आ गया।
आते ही उसने मुझे देखा और देखते ही रह गया। वो डायनिंग टेबल पर बैठ गया। मैं झुक झुक कर अपने बोबे हिला कर खाना परोसने लगी। वो मेरे ब्लाऊज में बराबर झांक रहा था। मेरे बदन में कंपकंपी छूटने लगी थी। अब मैं उसे जवान और सेक्सी नजर आने लगी थी।
मैंने उसके पीछे जा कर अपने बोबे भी उससे टकरा भी दिये, फिर मैं भी सिहर उठी थी। उसने अपना खाना समाप्त किया और अपने कमरे में चला गया। मैं उसे झांक कर देखती रही। अचानक उसकी नजर सीडी पर पड़ी और वो पलक झपकते ही समझ गया।
विनय अपने बिस्तर पर लेट गया और आंखें बन्द कर ली। विनय के मन में खलबली मची हुई थी। मुझे लगा कि विनय काफ़ी कुछ तो समझ ही गया है।
मैं उसके बेडरूम में आ गई। कही से तो शुरु तो करना ही था,”सर मोजे उतार दूँ?”
“ह … हां … उतार दो … और सुनो क्या तुम मेरी कमर दबा सकती हो … ?” उसने मुझे पटाने की एक कोशिश की। मेरा दिल उछल पड़ा। मुझे इसी का तो इन्तज़ार था।
मैंने शरमा कर कहा,”जी … दबा दूंगी … !”
मुझे कोशिश करके आज ही उसे जाल में फांस लेना था और अपनी चूत की प्यास बुझा लेनी थी। आखिर मैं कब तक तड़पती, जब कि विनय भी उसी आग में तड़प रहा था। विनय ने अपनी कमीज उतार दी।
इतने में बाहर होर्न की आवाज आई। मुझे गुस्सा आने लगा। मेरा बेटा सचिन स्कूल से आ गया था। कही गड़बड़ ना हो जाये, या मूड बदल ना जाये।
“सर … मैं अभी आई … !” कह कर मैं जल्दी से बाहर आई और सचिन को कहा कि वो खाना खा ले और फिर आराम कर ले। मैं सेठ जी को लन्च करा कर आती हूँ। उसे सब समझा कर वापस आ गई।
विनय ने अपना ढीला सा पजामा पहन लिया था और उल्टा लेटा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठाई और बिस्तर पर बैठ गई। मैंने तेल उसकी कमर में लगाया और उसे दबाने लगी। उसे मजा आने लगा। मैं उसे उत्तेजित करने के लिये उसकी चूतड़ों की जो थोड़ी सी दरार नजर आ रही थी उस पर भी तेल लगा कर बार बार छू रही थी।
“रानी … तेरे हाथों में जादू है … जरा नीचे भी लगा दे … ” मैं समझ गई कि वो रंग में आने लगा है। गर्म लोहे पर चोट करनी जरूरी थी, वरना मौका हाथ से निकल जाता।
मैंने कमर से थोड़ा नीचे दरार के पास ज्यादा मलना शुरू कर दिया, और अपना हाथ उसके चूतड़ के उभारों को भी लगा देती थी। मुझे लगा कि उसका लण्ड अब बिस्तर से दब कर जोर मार रहा है। उसके जिस्म की सिहरन मुझे महसूस हो रही थी। मौका पा कर इस स्थिति का मैंने फ़ायदा उठाया।
मैंने कहा,”सर अब सीधे हो जाओ … आगे भी लगा देती हूं … !” जैसे ही वो पलटा, उसका तन्नाया हुआ लण्ड सामने खड़ा हुआ आ गया।
मैं सिहर उठी,”हाय राम … ! ये क्या … !” मैंने अपना चेहरा छिपा लिया।
विनय ने कहा,”सॉरी रानी … ! मेरे जिस्म पर सात-आठ महीने बाद किसी औरत का हाथ लगा था … इसलिये भावनायें जाग उठी !” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“सर जीऽऽऽ … शरम आती है … मैंने भी किसी मर्द को बहुत समय से छुआ ही नहीं है … !” मैंने आंखों पर से हाथ हटा लिया … और जैसे हामी भरते हुये विनय का साथ दिया।
“फ़िल्म कैसी लगी थी … मजा आया … ?”
“ज् … जी … क्या कह रहे है आप … ?” मैं सब समझ चुकी थी … मैं जानबूझ कर शरमा गई। बस विनय की पहल का इन्तज़ार था, सो उसने पहल कर दी। मेरी चूत फ़ड़क उठी थी। मैंने अपना हाथ नहीं छुड़ाया … वह मेरा हाथ खींच कर अपने और समीप ले आया।
मेरा बदन थरथरा उठा। चेहरे पर पसीना आ गया। मेरी आंखें उसकी आंखों से मिल गई … मैं होश खोने लगी … अचानक मेरी चूंचियो पर उसके हाथ का दबाव महसूस हुआ … वो दब चुकी थी … मैं सिमट गई,”सर प्लीज …! नहीं … मैं मर जाऊंगी …! “
विनय ने तकिये के नीचे से एक पांच सौ का एक पत्ता मेरी चोली में घुसा दिया। पांच सौ रुपये मेरे लिये बड़ी रकम थी … मैं पिघल उठी। मेरा कांपता जिस्म उसने भींच लिया। मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
“पसीना पोंछ लो !” उसने चादर के एक कोने से मेरा चेहरा पोंछ दिया और मेरे नरम कांपते होंठ को उसने अपने होंठों से दबा लिये। मेरी इच्छा पूरी हो रही थी। पैसे भी मिल रहे रहे थे और अब मैं चुदने वाली थी। मेरा शरीर वासना की आग में सुलग उठा। चूत पानी छोड़ने लगी, शरीर कसमसाने लगा। उसके बलिष्ठ बाहें मुझे घेरने लगी। मेरा हाथ नीचे फ़िसलता हुआ उसके लण्ड तक पहुंच गया।
मैंने इज़ाज़त मांगी … “सर … छोटे साहब को … ?”
“रानी … मेरी रानी … जरा जोर से थामना … कहीं छूट ना जाये …!” उसने अपने लण्ड को और ऊपर उभार लिया। मेरा हाथ उसके लण्ड कर कस गया। उसने मुझे एक ही झटके में बिस्तर पर खींच कर पटक दिया। और सीधे मेरी चूत पर वार किया। मेरी चूत को हाथ अन्दर डाल कर दबा दी। मैं तड़प उठी। वो चूत मसलता ही गया। मैं छटपटाती ही रही। पर उसका हाथ अलग नहीं हटाया।
“हाऽऽऽय … रे … सर जी … मर गई … क्या कर रहे हो … आऽऽह … माई रे … ” मेरी खुशी भरी तड़पन उसे अच्छी लगने लगने लगी।
“कहां थी तू अब तक रे … क्या मस्त हो रही है … ” विनय नशे में बोला। मेरी चूत दबा कर कर मसलता रहा … पर ये ५०० रुपये का नशा भी साथ था … उसकी इच्छा मुझे पूरी जो करनी थी। मेरे सारे कपड़े एक एक कर उतरते जा रहे थे। हर बार मैं जानकर नाकाम विरोध करती …!
अन्तत: मैं वस्त्रहीन हो गई। मेरी चूंचियाँ बाहर छलक पड़ी … मेरा नंगा जिस्म चमक उठा। मैंने नशे में अपनी आंखे खोली तो विनय का बलिष्ठ शरीर नजर आया … जिसे मैं छुप छुप कर कितनी बार देख चुकी थी। उसका चेहरा मुझे अपनी चूत की तरफ़ झुकता नजर आया। मेरी क्लीन शेव चूत की पंखुड़ियों के बीच रिसता पानी उसे मदहोश करने लगा।
उसकी जीभ का स्पर्श मुझे कंपकपाने लगा।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा,”सर … नहीं प्लीज … मत करिये … ” पर उसने मेरी टांगों को चीर कर चूत और खोल दी और उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये … मैंने अपनी चूत मस्ती में और उभार दी।
“रानी … ना ना करते पूरी चुद जाओगी … ” कह कर उसने चूत पर जीभ गहरी घुसा कर निकाल ली … मैं उत्तेजना से कसमसा उठी। अब मेरा दाना और चूत दोनों ही जीभ से चाट रहा था। बहुत साल बाद मुझे फिर से एक बार ये सुख मिल रहा था।
उसने मुझे घुमा कर उल्टी कर दिया और चूतड़ों को थपथपाने लगा। यानि अब मेरी गांड की बारी थी … ! मेरा दिल खुशी के मारे उछल पड़ा। गाण्ड चुदवाना मेरा पहला शौक रहा है उसके बाद फिर चूत की चुदाई का आनन्द … !”
“सर नहीं ये नहीं … प्लीज … मेरी फ़ट जायेगी !” मैंने अपने नखरे दिखाए … पर ये क्या … विनय ने एक ५०० का नोट और लहरा दिया …
“ये इस प्यारी गाण्ड चुदाई के मेरी रानी … !” मैं और पिघल उठी … मेरे मन चाहे काम के अब मुझे १००० रुपये मिल चुके थे, इससे ज्यादा और खुशी क्या हो सकती थी। विनय ने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे चूतड़ो को चीर के छेद पर टपका दिया। और उछल कर मेरी पीठ पर चढ़ गया … कुछ ही देर में उसका लण्ड मेरी गांड के छेद में घुस चुका था। दर्द झेलना तो मेरी आदत बन चुकी थी।
“आह रे … घुस गया सर … !”
” रानी तू कितनी अच्छी है … पहले कहां थी रे … !”
“आप ही ने मुझ गरीबन पर ध्यान नहीं दिया … हाय गाण्ड चुद गई रे … !”
” रानी … मैं तुझे रानी ही बना कर रखूंगा … तूने तो मुझे खुश कर दिया है आज … !”
धचक धचक लण्ड घुसता रहा … मेरी गाण्ड चुदती रही … आज मेरी गाण्ड को लण्ड का प्यारा प्यारा मजा मिल गया था। मैं विनय की अहसानमन्द हो चुकी थी। मैंने भी अब थोडी सी मन की करने की सोची … और कहा,”सर … आप कहे तो मैं अब आपको चोद दूँ …?”
“कैसे … आदमी कैसे चुद सकता है … ?”
“आप बिस्तर पर सीधे लेट जाईए … मैं आपके खड़े लण्ड पर बैठ कर आपको चोदूँगी … ” विनय हंस पड़ा।
“छुरी तरबूज पर पड़े या तरबूज छुरी पर … चुदेगी तो चूत ही ना … ” मैं शरमा गई।
“हटो जी … आ जाओ ना … !”विनय नीचे लेट गया … उसका खड़ा लण्ड मेरी चूत को चुनौती दे रहा था। मैं धीरे से उसके लण्ड पर निशाना लगा कर बैठ गई। पर विनय को कहाँ चैन था। उसने नीचे से ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरी चूत को लपेटे में ले लिया और चूत को चीरता हुआ लण्ड अन्दर घुस पड़ा।
मेरा बेलेन्स गड़बड़ा गया और धच्च में लण्ड पर पूरी बैठ गई। मेरे मुख से चीख निकल पड़ी। लण्ड चूत की पूरी गहराई पर जाकर गड़ चुका था। मेरी चूत से थोडा सा खून निकल पड़ा। मैंने अंगुली से देखा तो लाल रंग … पर ये तो लड़कियों के साथ चुदाई में साधारण सी बात होती है। पर विनय घबरा उठा,”अरे … ये क्या … खून … सॉरी … !”
मैंने उसके होंठो पर अंगुलि रख दी … “चुप रहो न … करते रहो … !”
पर इसका मुझे तुरन्त मुआवजा मिल गया … एक ५०० रुपये का नोट और लहरा उठा। ये विनय क्या कर रहा है? १५०० रुपये मेरे लिये बहुत बड़ी रकम थी।
“नहीं चाहिये मुझे …” पर उसने मुझे दिये हुए नोटो के पास उसे रख दिया। हमारा कार्यक्रम आगे बढ़ चला … अब मुझे पूरी जी जान से उसे सन्तुष्ट करना ही था। मैंने अपनी चूत अन्दर ही अन्दर सिकोड़ ली और टाईट कर ली … फिर उसके लण्ड को रगड़ना शुरू कर दिया। टाईट चूत करने से मेरी चूत को चोट भी लग रही थी … पर विनय को तंग चूत का मजा आने लगा था।
पर नतीजा … मैं चरमसीमा पर पहुंच गई … साथ ही विनय भी अपना शरीर लहराने लगा।
“मेरी जानु …मेरी जान … मैं तो गया … निकला जा रहा है अब … रानीऽऽऽ हाय … ऊईईईऽऽऽऽ ” विनय के साथ साथ मेरा भी रस निकलने लगा … उसका लण्ड भी मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा। हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मैं तो पूरी झड़ चुकी थी … उसका वीर्य को मेरी चूत में लिपट कर निकालने का मौका दे रही थी … कुछ ही देर में हम दोनो निढाल पड़े थे।
विनय उठा और पास में पड़ा तौलिया लपेट कर बाथरूम में चला गया। मुझे भी कुछ नहीं सूझा तो मैं भी उसी के साथ बाथरूम में घुस गई और पानी से अपनी चूत और लगा हुआ वीर्य साफ़ करने लगी।
“आज तो रानी … तुमने मेरी आत्मा को प्रसन्न कर दिया … अब एक काम करो … सामने ब्यूटी पार्लर में जाओ और उससे कहना कि मैंने भेजा है … “
मैं सर झुकाये बाहर आकर कपड़े पहनने लगी। और नोट गिन कर अपने ब्लाऊज में सम्हाल कर रखने लगी। पर ये क्या … विनय ने झटके मेरे हाथों से सारे नोट ले लिये …
“क्या करोगी इनका … ये तो कागज के टुकड़े हैं … ” मेर दिल धक से रह गया … मेरे होश उड़ गये, रुपये छिनने से मुझे ग्लानि होने लगी।
पर दूसरे ही क्षण मेरे चेहरे पर दुगनी खुशी झलक उठी। विनय ने अलमारी खोल कर गहने मेरी ओर उछाल दिये,”सजो मेरी रानी … आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं … घरवाली की तरह रहोगी … और रहे रुपये ! तो ये सब तुम्हारे है …!”किरपया अपने सुझाब जरुर भेजे,,email–manojpyasa007@gmail.com
नौकर से चुदवाया
मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरे पति एक व्यापारी हैं जो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं। वो मुझे सुख नहीं दे पा रहे थे, मैंने सोचा कि अब मुझे भी कहीं ना कहीं जुगाड़ करना पड़ेगा। उन दिनों में एक बार मेरे पति ने उनके एक करीबी दोस्त को घर बुलाया, मैंने बात बात में देखा कि उनके दोस्त की नजर मेरे बदन पर ही थी। और क्यों ना हो ! मैं जब इतनी सेक्सी थी।
मेरे पति बाथरूम गये और यहाँ हम दोनों की बात पक्की हो गई।
एक दिन मेरे पति रात को घर पर नहीं थे, मैंने तुरन्त उसे बुला लिया। वो करीब रात नौ बजे मेरे घर पर आ गया। मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि आज मुझे पूरा सुख मिलने वाला था। मैं उसे अपने कमरे में ले गई। थोड़ी ही देर में वो शुरु हो गया, मैं भी इसी बात का इन्तजार कर रही थी। उसने मुझे बाहों में लेकर चूमना शुरु किया। वो मेरे कूल्हे पर हाथ फ़िराने लगा, मैं गर्म होने लगी। मैंने भी उसका लन्ड अपने हाथ में ले लिया, मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी पर क्या करती, मुझे मजा जो लेना था। उसने मुझे ऊपर किया, नीचे किया, आगे किया , गोद में लेकर चोदा, सब तरीकों से चोदा।
पूरी रात में सुबह के चार बजे तक यही चलता रहा, वो इसी दरमियान चार बार झड़ गया, मैं पाँच बार झड़ गई। उसका हर बार का सारा माल मेरी चूत में ही था, वो पाँच बजे के करीब मेरे घर से चला गया।
अब मेरी दुःख भरी कहानी शुरु हुई उसके जाने के बाद !
मैं भी फ्रेश होकर सो गई, मेरा पूरा बदन टूट रहा था, मुझमें खड़े होने की भी ताकत नहीं थी। मैं आधे कपड़ों में सो गई।
करीब छः बजे मुझे एक आवाज आई- मेमसाब…. मेमसाब…. मेमसाब….
मैंने आधी आँखें खोल कर देखा तो वो हमारा नौकर भोला था….
मैंने उसे कहा- क्या है इतनी सुबह…. ?
उसने कहा- मेमसाब, रात को मैंने आपकी पूरी फ़िल्म देखी है !
मैं फटाक से बिस्तर से खड़ी हो गई। देखा तो भोला आधा नंगा मेरे सामने खडा था। वो बोला- मेमसाब, अब हमें भी मजा दीजिये ! नहीं तो साहब को पूरी कहानी बतायेंगे।
मैं डर गई, मैंने उसे कहा- भोला, अभी मैं बहुत थकी हुई हूँ। प्लीज, तुम सो जाओ…
इतना सुनते ही उसने मेरे बाल पकड़ लिये, मैं चिल्लाई- आ… आ…आ…
मेरा मुँह खुलते ही उसने उसका दस इन्च का लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया….. मेरा चिल्लाना बन्द…..
उसने मेरे मुँह में ही चोदना शुरु कर दिया और वो झड़ गया, मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया। इतना सारा दूध ! मुझे लगा कई सालों से जमा कर रखा था…
उसके तेवर तो देखो- अब मुझे बोला- अब साली नंगी हो जा !
ऐसा बोलकर वो खुद नंगा हो गया… मुझे बोला- चल साली, अब तुझे मजा देता हूँ…
मेरे कपड़े उसने ही निकाल दिये, मुझे नंगा कर दिया।
उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने बोला- नहीं, अभी मत करो…
वो मेरी बात मानने वाला नहीं था, उसने मेरे दोनों गोलवे दबाना शुरु किया, फ़िर उसने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, जोर जोर से चूसने लगा। अब मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा था।
फ़िर वो मेरे बदन को चाटता हुआ मेरी चूत तक पहुँचा और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। अब मुझे पूरी तरह उसका होना पड़ा क्योंकि रात को भी मुझे यह नहीं मिला था जो अब मिल रहा था।
मेरे मुँह से निकल गया- वाह भोला ! तूने मेरा दिल जीत लिया…
उसका लन्ड सोया हुआ था, मुझे लगा कि मुझे भी उसे कुछ करना चाहिये, मैंने उसे नीचे लिटा कर उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए और उसका लन्ड हाथ में लेकर जगाने लगी। थोड़ी देर में उसका लन्ड खड़ा हो गया, पूरे दस इन्च का ! मैंने उसे चूम लिया और मुँह में ले लिया…
वो बोला- मेमसाब, मैं फिर से झड़ जाउंगा…
मैंने कहा- नहीं अब मत झड़ना… नहीं तो मैं मर जाउंगी….
मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, मैंने उसे कहा- भोला, मेरी चूत को फाड दो…
उसने मुझे नीचे पटक दिया, मेरी टांगें फैला कर बीच में आकर अपना लन्ड मेरी चूत पर लगाया….
मैंने उसे कहा- भोला….
उसने जोर से धक्का लगाया… मेरे मुँह से चीख निकल गई …. उ…उ…आ..उ…आ… उसने पूरा लन्ड मेरी चूत डाल दिया…. वो मेरे गोलवे दबाते रहा और चोदता रहा… मुझे बहुत मजा आया…
फ़िर मैंने उसे खड़ा किया और मैं उस पर चढ़ गई और धक्के लगाने शुरु कर दिए… वो मेरे कूल्हे दबाने लगा। मैंने उसकी उन्गली अपने मुँह में ले ली और पूरी भिगो दी और उसे कहा- भोला, यह उन्गली मेरी गान्ड में डालो !
उसने पूरी उन्गली मेरी गान्ड में डाल दी। मेरे मुँह से आवाज निकली- आ…आ…आ…
वो बोला- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैंने कहा- मैं भी…..
इतने में हम दोनों ही झड़ गये… वो मुझे चिपक कर सो गया…
मैंने कहा- अब तुम्हारा काम करो…
वो बोला- नहीं हम और चुदाई करेंगे…
मैंने उसे समझाया- देखो भोला, तुम बहुत अच्छा चोदते हो ! अब मैं तुम से रोज चुदवाउंगी… तुझसे गान्ड भी मरवाउंगी…
वो बोला- हमारे दो दोस्त हैं, उनको भी आप मजा दोगी….?
मैंने उसे शान्त करने के लिये उसे हाँ बोल दी.. मुझे क्या पता कि सही में ऐसा होगा……. फ़िर वो मेरे होंठों पर अपना लन्ड घुमा कर चला गया…
वो मेरी किस्मत वाली रात थी, मैंने पाँच बार चुदवाया…….. दो लन्ड मुझे मिले……
सुबह के नौ बजे मैं बेड से मुश्किल से खड़ी होकर नहाने के लिए बाथरूम गई, पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरा हाथ मेरी चूत पर गया, देखा कि अभी भी चूत खुली हुई थी, मुझे रात की पूरी कहानी याद आई। फ़िर मैं नहाने लग गई, जैसे ही मैंने साबुन लगाया, मेरी आँखें बन्द हो गई। इतने में मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई आया है। इतने में तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिये, मैंने महसूस किया कि उसका लन्ड मेरे कूल्हों के बीच टकरा रहा था, उसका लन्ड हाथ में आया तो मुझे पता चल गया कि यह भोला ही है। उसका लन्ड मेरी चूत को छुआ तो मेरी चूत भी अब पानी बहाने लगी। इतने में ही उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर घोड़ी बना दिया, मेरे कूल्हे फैला कर मेरी चूत पर लण्ड रख दिया और मेरे गोलवे कस कर पकड़ लिये। फ़िर उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी तरफ जोर से धक्का लगाया। एक ही जटके में …. आ. ओ…ओ….. आआ आ….. सीसी….उउउ….अ…. पूरा लन्ड मेरी चूत में ……
अब मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं लन्ड अपनी चूत से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मेरे मुँह से बस आ..अ… आआ…उ..उ… आवाज ही आती रही।
पन्द्रह मिनट चोदने के बाद उसने लन्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया, मुझे घुटनों के बल बैठा कए लन्ड मेरे मुँह में दे दिया। उसका इतना बडा लन्ड मुँह में जाने से मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। उसने मेरे मुँह में चोदना शुरु किया, मैं चूत से झड़ गई थी, फ़िर भी वो मुझे मुँह में चोदता रहा।
इतने में ही उसने मेरे बाल कस कर पकड़ लिये और बोला- जोर से चूसो… जोर से…. और जोर से……
उसके मुँह से आवाज निकल गई आ…आअ…..आअ..आआआ…..
मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया… मुँह में माल लेने का मेरा यह पहला अनुभव था, बहुत गर्म था उसका माल ! उस्का स्वाद भी बहुत अच्छा था। उसने मुझे पूरा नहलाया और उठा कर बिस्तर में लिटा दिया….
और मैं सो गई……