बात उन दिनो की है जब बारहवी की परीक्षा की तैयारी कर रहा था। मेरे घर में मेरे माता-पिता के अलावा मेरी बीस साल की बहन थी। मेरी बहन का नाम पिंकी है। नाम के अनुसार है कलर बिल्कुल पिंक है और होट तो कमल की पंखुडी के जैसे गहरे गुलाबी रंग के थे।
पिंकी बी. ए. में पढ रही थी। मेरी लम्बाई 5 फुट 8 इंच है और पिंकी की लम्बाई 5 फुट 5 इंच है। पिंकी की पतली कमर, लम्बे पैर, काली ऑखे, काले बाल कुल मिलाकर एक कमाल की लडकी है। उस समय मै बहुत शरीफ बच्चा हुआ करता था। मध्यमवर्गिय परिवार का एक पढने में होशियार लडका। एक दिन स्कूल में मेंरा एक दोस्त एक अश्लील किताब लेकर आया जिसमे नंगे लडके व लडकियों के फोटो थे। फोटो को देखते ही लन्ड ने सलामी दी पहली बार कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था बडा अच्छा सा लग रहा था। मैने अपने दोस्त से वो किताब ले ली और घर ले आया। हमारे घर मे तीन कमरे है। एक में मेरे मम्मी पापा सोते है, दूसरा उसके बराबर में मेरी बहन पिंकी का और पिंकी के कमरे के सामने मेरा कमरा है। मेरा और पिंकी का कमरा ज्यादा बडा नही है बस मेरा बेड और बराबर मे टेबल पर मेरी किताबे रखी हुई थी। मम्मी पापा के कमरे के सामने एक कॉमन टायलेट और उसके बराबर में बाथरूम था। मेरे पहनने के कपडे मेरी बहन के कमरे मे रहते थे। तो मै अपने दोस्त से किताब घर लेकर आ गया और किताब बैग से निकालकर अपनी किताबो मे छुपा दी क्योकि पिंकी मेरे बैग की तलाशी लेती रहती है। खाना खाकर मै टयुशन चला गया। टयुशन से वापस आकर दिन काटना भारी हो गया। खैर रात हुई सबने खाना खाया थोडी बहुत बाते की और मम्मी पापा सोने के लिए चले गये। मै सोने से पहले दो घंटे पढता था। पर आज मन पढने में कहा था मन तो कही और ही था। मै अपने कमरे को लॉक नही करता था क्योकि रोजाना पिंकी या मम्मी रोज सुबह मुझे उठाने आती थी। पर आज तो बात और थी मैने धीरे से दरवाजा लॉक किया और किताबो के बीच में से अप्सराओ की किताब निकाली,किताब के पन्ने पलटते जाते और मेरी धडकन बढती जाती। लिंग इतना कठोर हो गया शायद ही पहले कभी हुआ हो। मै एक हाथ लन्ड पर फिराने लगा बडा मजा आया। किताब मे माधुरी, एश्वर्या और कई हिरोइनो की नंगी तस्वीरे थे। उस समय मुझे फोटो एडिटिंग का नही पता था इसलिए ज्यादा मजा आ रहा था ऐसा लग रहा था की हिरोइनो को नंगा देखने वाला में पहला शाख्स हूं। मै कई घटो तक किताब को देखता रहा, हर एंगल से मैने किताब को कई बार देखा। यह मेरी जिंदगी की पहली घटना थी जब में सेक्स से रू ब रू हुआ।
फिर मेरे ऐसे कई ऐसे दोस्त बने जिन्होने मेरे सेक्स ज्ञान को बढाया और कई चुदाई की कहानी वाली किताब मुझे दी। कुल मिलाकर उस समय इतने मे ही मजा आ जाता था और ज्यादा का लोभ नही था। पर एक दिन मेरा एक दोस्त जिसका नाम दीपक था उसने मुझे बुलाया और अपने साथ एक पार्क मे ले गया। वहा एक लडकी उसका इन्तजार कर रही थी। दीपक उस लडकी को लेकर एक झाड के पिछे चला गया और मुझे इधर उधर नजर रखने के लिए वही छोड दिया। ऐसा लग रहा था कि वे दोनो कुछ मजेदार कर रहे है पर क्या कर रहे है ये पता नही था।
दीपक मुझे अक्सर पढने के लिए किताबे देता रहता था। मै भी उसके कहने पर कई बार उसके साथ पार्क मे गया जहां मै उस जोडे की दुनिया की जालिम नजरो से रक्षा करता था। एक दिन मैने सोचा चलो देखा जाये आखिर ये क्या करते है, उनके झाडी के पीछे जाने के बाद मै दूसरी तरफ से चुपके से देखने लगा तो देखा तो आखे खुली की खुली रह गयी, दीपक भी शायद मेरी तरह चुतिया था वो उसे लडकी की चुची चुस रहा था और एक हाथ से अपनी मुठ मार रहा था। खैर मेरे लिये ये भी दुनिया का आठवा अजूबा था क्योकि मैने पहली बार किसी लडकी के स्तन देखे थे गोल-गोल छोटे आम जैसे। देखते ही मुह मे पानी आ गया। उधर दीपक का हाथ अपने लिंग पर तेजी से चल रहा था। मेरी ऑखे फटी हुई थी सॉसे उखड रही थी, मै तुरंत वहा से वापस आ गया, थोडी देर में वे दोनो भी आ गये और हम वापस आ गये। मैने उसी रात अपने लिंग को मसलकर देखा तो मुझे भी मजा आया पर मैरी ज्यादा आगे बढने की हिम्मत नही हुई।
एक दिन रात को अचानक मेरी आखॅ खुली, बहुत जोर से पेशाब लगी थी मै भागकर टायलेट गया और एक लम्बी धार मारी और वापस बाहर आ गया और अपने कमरे की ओर चलने ही वाला था की मम्मी पापा के कमरे से कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दी, मै ना चाहते हुए भी वही रुक गया चारो ओर देखा कोई नही था। मम्मी पापा के कमरे के दरवाजे से कान लगाकर सुना तो आवाज अधिक साफ सुनाई देने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई भाग रहा हो और मम्मी को चोट लग गयी हो। मम्मी कपकपी सी आवाज में चिल्ला रही थी- उह हाय हाय आह। मैने सोचा शायद मम्मी की तबीयत खराब है। मै दरवाजा खटखटाने ही वाला था कि मम्मी की आवाज आयी- हाय मेरे राजा और तेज करो ना। मेरा दिमाग घूम गया आखिर माजरा क्या है। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था फिर मैने कि-होल से ऑख लगाकर देखा तो आखो के आगे अंधेरा छा गया, रोज सूबह पूजा करने वाली मेंरी मम्मी नंगी पैर उठाकर लेटी हुई है और मेरे पापा नंगे होकर उनके पैरो के बीच तेजी से हील रहे है। मै तो जैसे अलग ही दुनिया देख रहा था। मै तो पलक झपकाना ही भूल गया, मेरा हाथ मेरे पजामे मे चला गया, लगभग पाच मिनट बाद पापा ने रफतार बढा दी और फिर मम्मी के ऊपर लुढक गये, मै समझ गया कि शो खत्म हो गया। और फिर जैसे ही उठकर पिछे मुडा तो पिंकी अपने कमरे के दरवाजे पर खडी मुझे घुर रही थी।
मेरी पूरी फट गयी थी थोडी देर के लिए तो मे सॉस लेना ही भूल गया, मै ये भी भूल गया कि मेरा हाथ अब भी मेरे पजामे मे है।ऐसा लग रहा था की आज तो मेरी मौत पक्की है
चुपी को टोडते हुए पिंकी बोली- क्या कर रहा था यहा खडे होकर ?
अब थोडा होश आया तो मैने अपने हाथ को अपने पजामे से बाहर निकाला।
मेरी हालत ऐसी थी की काटो तो खून नही, मै चुप चाप जमीन में नजर गाडे खडा था।
सांप सुघ गया – पिंकी ने दॉत भिचते हुए कहा।
मुझे तो जैसे सचमुच मे ही साप सूघ गया था।
पिंकी – चल जाकर सो जा तेरी खबर तो सुबह को लूगी।
और दरवाजा बन्द करके अन्दर चली गयी। थोडी देर पहले जो मजा आ रहा था सारा काफूर हो गया। मै धीरे से अपने कमरे मे जाकर लेट गया, सुबह की घबराहट मे पता नही रला कि कब मेरी ऑख लग गयी। सुबह 7 बजे मम्मी ने उठाया- आज स्कूल नही जाना क्या ? हमेशा लेट उठता है।
मै ऑखे मसलता हुआ खडा हो गया, तभी दिमाग मे रात वाली बात याद आयी लेकिन मम्मी का मूड ठिक था इसका मतलब था कि पिंकी ने मम्मी को कुछ नही बताया था। फिर मेरे मन मे डर था कि पता नही अब क्या होगा कही पिंकी अब तो नही बता देगी। मै कमरे से बाहर आया तो देखा की पिंकी किचन मे काम कर रही थी, मै उसकी नजरो से बचता हुआ जल्दी जल्दी उसके कमरे मे जाकर अपनी स्कूल की ड्रेस लेकर बाथरुम मे चला गया और तैयार होकर वापस आया। जब मै नाश्ता करने के लिए नाश्ते की टेबल पर पहुचा तो पिंकी वहा पहले से ही बैठी थी सब शान्त था ऐसा लग रहा था कि यह तूफान से पहले की शान्ति है। मै नाश्ते के लिए बैठकर नाश्ता करने लगा पिंकी तिरछी नजर से मुझे ही घूर रही थी। मै जल्दी से नाश्ता करके उठा बिना पिंकी को देखे स्कूल के लिए चला गया। नाश्ता करने लगा पिंकी तिरछी नजर से मुझे ही घूर रही थी। मै जल्दी से नाश्ता करके उठा बिना पिंकी को देखे स्कूल के लिए चला गया।
पूरे दिन स्कूल में चिन्ता होती रही कि घर जाकर क्या होगा। मै स्कूल से घर वापस आया तो पिंकी भी अपने कॉलेज से वापस आ चुकी थी। मै अपने कपडे लेने के लिए उसके कमरे में गया तो वो अपने बेड पर बैठी पढ रही थी। मै नजरे नीची करके अपने कपडे लेने लगा।
पिंकी- सुन, यहा आ!
मै चुप चाप जाकर उसके पास आकर खडा हो गया। मेरी हालत खराब हो रही थी
पिंकी- रात क्या कर रहा था वहा ? कब से कर रहा ये सब ?
मै – दीदी गलती हो गयी मुझे नही पता था कि क्या हो रहा है प्लीज दीदी मम्मी से मत बताना।
पिंकी- क्या हो रहा था
मै दबी आवाज में बोला- पता नही, प्लीज मम्मी से मत बताना।
पिकीं – क्यो ना बताऊ मम्मी को, तू रोज ऐसा करेगा
मै फिल्मो की तरह उसके आगे हाथ जोडकर खडा हो गया दीदी प्लीज आगे से ऐसा बिल्कूल नही होगा।
मेरी ऑखो से ऑसू निकलने लगे। शायद उसे मेरी हालत पर दया आ गयी।
मेरी हालत को देखकर पिंकी बोली- लास्ट वार्निंग है अगर आगे से ऐसा कभी देखा ना तो समझ लेना, चल जा यहा से।
मै- थैंक यू दीदी।
मै तुरंत वहॉ से निकल दिया और पिछे मुडकर भी नही देखा। मै मन ही मन मे पिंकी को धन्यवाद भी दे रहा था और गाली भी दे रहा था। अच्छा है जो जान बची। साली ऐसे बन रही थी जैसे मैने उसे चोद दिया हो। मन मे ये ख्याल आते ही मेरे दिमाग मे शैतान जागने लगा। मैने कभी गौर से ये भी नही देखा था कि मेरी बहन कैसे कपडे पहन रही है। लेकिन तभी उसका घुरता हुआ चेहरा याद आया और दिमाग का शैतान भी छू मन्तर हो गया।
दो-तीन महिने लग गये सब पहले की तरह होने में। इस बीच मै अक्सर चुदाई की किताबे पढता रहता था। एक दिन एक किताब हाथ उसको पढकर बहुत मजा आया। टयूशन जाने से पहले अपनी किताबो के बीच मे दबाकर जल्दी से टयूशन भाग गया, सोचा आगे की आकर पढूंगा। जब वापस आया तो ध्यान ही नही रहा।