Thursday , June 1 2023

पापा प्लीज…….. 2

मुंह में निप्पल भर अंदर की तरफ चूसते ही पुष्पा होंठो को दांत तले दबा ईस्स्स्स्स्स कर गई…कालिया के कान में अब पुष्पा की आवाज ज्यों ज्यों पड़ती, वो और तेज तेज चुसाई करने लगता…साथ ही दूसरी चुची को मसल भी रहा था…

पुष्पा ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई और उसने कालिया के बालों को पकड़ हटाने की पुरजोर कोशिश करने लगी… पर कालिया तो किसी चुंबक की भांति चिपका था… तब पुष्पा कालिया के हाथ को हटाने लगी तो कालिया हाथ हटा लिया….

और हाथ हटाना पुष्पा के लिए महंगी साबित हो गई… कालिया चुची से हाथ हटा नीचे ले जा पुष्पा की पेंटी में घुसा बूर को जकड़ लिया… पुष्पा अपनी बूर पर स्पर्श पाते ही “नहींईईईईऊ….” कर चिल्ला पड़ी…

कालिया के हाथ बूर के पानी से भींग गई थी… उसने अपनी अंगुली को बूर के ऊपर से चलाने लगा… अब तो पुष्पा को मानो प्राण निकली जा रही थी… वो छटपट करती खुद को छुड़ाने का भरकस प्रयास कर रही थी… पर कालिया इतनी मजबूती से जकड़ रखा था कि वो विवश हो गई….

कालिया पुष्पा को अभी और तड़पाना चाहता था पर उसकी अंगुली पता नहीं कैसे अचानक से बूर में गप्प से घुस गई… अंगुली घुसते हि पुष्पा चिहुंक पड़ी… वो अपनी साँस ऐसी रोक ली मानो लंड घुस गया हो…

कालिया जल्द ही अंगुली को हरकत में लाया जिससे पुष्पा कुछ ही अंगुली पेलाई से मस्ती में आ गई और अपनी कमर ऊचकाने लगी…कालिया भी दोनों चुची को बारी बारी से काटते, चूसते हुए बूर में सटासट अंगुली पेले जा रहा था…

कुछेक देर में पुष्पा कामोत्तेजना से भर कालिया की पीठ पर पकड़ बना उसे नोंचने लगी थी… अब कालिया को लगा कि मौका सही है… अब असली चुदाई का पाठ पढ़ा दिया जाए… उसने चुची को छोड़ ऊपर खिसक उसके होंठों को जकड़ा जिसे पुष्पा किसी भूखी शेरनी की भांति लपक के पकड़ ली और चूसने लगी….

इसी क्षण कालिया अपने लंड को बूर के पाप अंगुली से सटा लिया और अंगुली एक तरफ कर लंड टिका दिया… पुष्पा तो इतनी गर्म हो चली थी कि उसे मालूम ही नहीं चली कि कालिया क्या करने वाला है…

कालिया धीरे से अंगुली खींच कर ऊपर तक ले आया और लंट के सुपाड़े को हल्के से दबा दिया… सुपाड़ा फंसा तो नहीं था पर सही पोजीशन जरूर ले लिया था… बूर से अंगुली निकलते ही पुष्पा तड़प कर अपनी कमर ऊचकाने लगी कि क्यों निकाले.?

कालिया पुष्पा को कमर ऊचकाते देख उसे कस के पकड़ा और एक करारा शॉट देता हुआ पूरा का पूरा लंड जड़ तक उतार दिया… पुष्पा जोरदार चीख लगाई पर किस के कारण वो घुट के रह गई… पुष्पा की आँखें खुली की खुली रह गई…

वो अचानक से एकदम शांत पड़ गई… वो इससे पहले आधे लंड से ही चुदी थी… आज पूरा लंड उसे अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रही थी… कालिया मौके की नजाकत को देख अकेले ही किस करते हुए उसकी चुती को मसलने लगा और लंड को उसी अवस्था में रखे रहा….

नीचे बूर की झिल्ली टूट चुकी थी जिससे खून रिस कर बाहर निकल रही थी… दर्द से पुष्पा की आँखें भी आंसू बहाने शुरू कर दी थी…कालिया पुष्पा के दर्द को मिटाने का भरपूर प्रयास करने लगा… आखिरकार कालिया की मेहनत रंग लाई…

पुष्पा थोड़ी सहनीय दर्द महसूस की तो किस तोड़ कालीया की पीठ पर तीन चार मुक्के ठोकती हुई बोली,”शाले आराम से नहीं कर सकता था…मेरी तो जान ही निकल गई दर्द से… ऊफ्फ्फफ्फ्फ….” कालिया पुष्पा की बात सुन हंस पड़ा…

कालिया,”शाली आराम से करता तो आज भी आधे लंड से ही चोदना पड़ता…” कालिया की बात सुन पुष्पा बिदकती हुई बोली,”छि: कितना गंदा बोलते हो…शर्म नहीं आती क्या..ईस्स्स्स…” पुष्पा को अभी भी दर्द थी…

कालिया,”लो इसमें गंदा क्या है… चुदाई कर रहा हूँ तो थोड़े ही कहूँगा गाना गा रहा हूँ…” पुष्पा और कालिया गुफ्तगू कर रहे थे इससे पुष्पा का दर्द काफी हद तक चला गया और वो कमर ऊचकाने लगी…

कमर ऊचकाते देख कालिया मुस्काते हुए बोला,”साली अभी तो हमें मार रही थी अब क्यों बूर उठा रही है..” कालिया की बात सुनते ही पुष्पा आंख दिखाती बोली,”कुत्ते मुँह बंद करेगा…”

“ओये होए, गाली बरती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो… माशल्लाहऽ” कालिया के बोलते ही पुष्पा शर्मा के मुंह घुमा मुस्कुराने लगी… तभी कालिया अपना लंड बाहर खींच वापस सट से घुसा दिया…पुष्पा चिहुंक के ऊपर हो आहहहहह कर गई…

कालिया देखा कि अब ये बरदाश्त कर रही है तो लग गया काम पर और धकाधक करते हुए अपनी गाड़ी बढ़ा दी… पुष्पा हर धक्के पर कराह उठती… दर्द होने के बावजूद पुष्पा हवा में उड़ने लग गई… कालिया उसे बीच बीच में चूमते हुए चोदे जा रहा था…

कालिया चरम सीमा की ओर बढ़ने लगा था… कसी बूर और कमसिन कली को उसका लंड ज्यादा संभाल नहीं सका… ठीक उसी क्षण पुष्पा किलकारी लगाती हुई कालिया को जकड़ सुबकती हुई झड़ने लगी… बूर की रस कालिया का लंड बर्दाश्त नहीं कर सका और वो भी फव्वारे छोड़ने लगा गया….

दोनों पसीने से लथपथ थक के चूर हो गए थे… झड़ने के पश्चात दोनों काफी देर तक उसी अवस्था में पड़े रहे… फिर जब कालिया के शरीर में जान आई तो वो उठा तो पुष्पा की बूर, खुद का लंड और बेडशीट खून से भरी पड़ी थी… तत्क्षण पुष्पा भी उठी और बेडशीट चेंज कर दुबारा बांहों में बांहें डाल कर सो गए….
अगले दिन चारों कोर्ट जा पहुँचे… वहाँ सबने कोर्ट मैरिज की सारी फॉर्मिलटी पूरी कर शादी कर लिए… शादी के बाद बाहर निकलते ही पुलिस आ धमकी … अपहरण केस में नाम होने से पुलिस थाने ले गई…

पुलिस तत्क्षण एस.पी. से सम्पर्क कर सारी बात बताई… एस.पी भी वहाँ से उसी पल रवाना हो गया… साथ ही ये हियादत दे दी कि पुष्पा का खास ख्याल रखे और जब तक मैं ना आऊँ किसी मीडिया के सामने बात नहीं लीक होनी चाहिए…

जब एस.पी आए तो पहले तो कालिया के गाल पर तड़ातड़ दो चार थप्पड़ जड़ दिए… पर बीच में ही पुष्पा अपने पापा के पैर पकड़ कर रोने लग गई… पुष्पा को रोते देख एस.पी. रूक गया, पर गुस्सा शांत नहीं हुआ…

पुष्पा लगातार पापा से रिक्वेस्ट करती रही… प्लीज पापा… मैं इनके साथ रहना चाहती हूँ… आप केस को बंद कर दीजिए… वगैरह वगैरह… एस.पी. पर तो रहम नहीं आती पर एक बाप क्या कर सकता था… वो हार गया…

फिर पुष्पा के अनुमान के मुताबिक एस.पी. फरमान जारी कर दिया कि आज से कोई भी गलत काम ना करने कि सोचेगा… कालिया तो ये बात कब का सोच लिया था तो वो तुरंत कसम खा लिया कि नहीं करूँगा….

फिर एस.पी. के आने की खबर सुनते ही सब मीडिया वाले इकट्ठे हो गए थे… सब के लिए चर्चा का विषय था कि अब एस.पी. साहब क्या करेंगे… अपहरणकर्ता को क्या बिना कोई सजा दिए छोड़ देंगे… अगर छोड़ दिए तो क्या कानून के साथ ये मजाक नहीं होगा?

अंदर एस.पी. अपना दिमाग लगा रहा था कि दुनिया को क्या बताऊँ कि कानून भी सही जगह रहे और मेरे दामाद भी सही सलामत बच जाए… अंततः उसने कुछ सोचा और इन दोनों को कुछ ना बोलने की सलाह दे मीडिया के सामने रूबरू हुआ…

एस.पी. मीडिया को जब ये बात बताई तो सब दांत तले उंगली दबा ली… एस.पी. पूरी कहानी को बयां कर दिया…

एस.पी.,” मैं आज काफी खुश हूँ कि मैं अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया… ये काली चरण कोई अपहरणकर्ता नहीं हैं… बल्कि ये मेरे मिशन के ही मुखबिर हैं… हाँ इसने जब मेरी बेटी का सुटकेस चोरी किया था पर ये उसी दिन पकड़ा गया था और अपने गुनाह पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था…”

“मुझे इसमें मजबूरी उस दिन साफ झलक रही थी… तो मैंने इससे और साथी के बारे में पूछा तो इसने सब का नाम बोला जिसमें रत्ना का नाम भी था जिसे ये जानता है… आप सब तो जानते ही हैं कि रत्ना पिछले कई सालों से परेशान किए हुए है… तो मैंने ही इसे प्लान में साथ देने कहा…”

“रही बात मेरी बेटी ही क्यों? तो रत्ना इतना चालाक था कि अगर इस मिशन को सक्सेस करना था तो इस घटना को कड़ी से कड़ी मिलाकर चलना पड़ता ताकि रत्ना जैसे आदमी को शक ना हो… भले ही ये उसका दोस्त क्यों ना हो… तो मैंने पुष्पा और कालिया को ये बात बताई जिस पर दोनों राजी भी हो गए…”

“लाखों लोगों के लिए मेरी बेटी क्या, आप लोगों में से किसी की भी बेटी साथ देने तैयार हो जाएगी… अपहरण के बाद मेरा संपर्क बेटी से नहीं हो पाया था क्योंकि वहाँ ये फोन नहीं यूज कर पाती थी और जब रत्ना के अड्डे से बाहर निकली तो तब तक इन दोनों को अच्छी तरह मालूम पड़ गया था कि रत्ना के आदमी कहाँ तक फैले हुए है…”

“तो मजबूरन इन्हें इतनी दूर आना पड़ा…यहाँ आने के बाद इसने मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की…इसकी वजह थी ये इतने दिनों में प्यार करने लगे थे और अलग होना नहीं चाहते थे… मुझे मालूम पड़ने पर इन्हें अलग होने का डर हो गया तो ये पहले शादी ही कर लिए…”

“अरे मैं ऐसा इंसान नहीं हूँ कि अपनी बेटी की खुशी का गला घोंट दूँ… हाँ मेरी बेटी कोयले को जरूर चुनी है पर कोयले में ही हीरे मिलते हैं… जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत पर गौर कीजिएगा तो मैं भी यही सोच लिया कि काली चरण की नई जिंदगी में पूरी तरह मदद करूँगा…”

“इसने अब कोई भी गैर कानूनी काम करने की कसम खाई है… मैं अपनी बेटी को समाजिक रीति रिवाज से शादी कर विदा करूँगा… ये मेरा वादा है….” एस.पी. की बात खत्म होते ही वहाँ ताली की गड़गड़ाहट गूँज उठी…

पुष्पा, कालिया दोनों वापस अपने शहर आए और बड़ी धूमधाम से शादी हुई दोनों की… उसके बाद एस.पी. कालिया को नई जिंदगी के लिए पुख्ता इंतजाम भी कर दिया जिसे कालिया ने स्वीकार कर दिन रात पूरी इमानदारी से काम करने लगा…

नतीजन कालिया आज इस शहर का सबसे अमीर और प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गया है… अब उसे कालिया कोई नहीं कहता, सब कालीचरण के नाम से जानते हैं… एस.पी. भी फक्र से अपने दामाद को देख सीना चौड़ा कर लेता…

आज एस.पी रिटायर्ड हो चुका है… उसके जिंदगी में ना जाने कितने अवार्ड मिले पर रत्ना डाकू के मारे जाने में जो अवार्ड मिले थे उसे वो उन सब अवार्डों से सबसे ऊपर रख सजा कर रखा था… वो इस अवार्ड को याद कर हँसे बिना नहीं रह पाता था….

कहते हैं भगवान भी हिम्मती लोग का ही साथ देते हैं… तो ये अवार्ड भी उसी का नतीजा था जो एस.पी. के हिम्मत और पूरी जीवन ईमानदारी से काम करने के साथ साथ अच्छे पापा होने की मिशाल था…

(फ्लैशबैक समाप्त…)
रूपा की नींद दुबारा तब खुली जब उसरी मॉम की तेज आवाज उसके कानों में सीधी घुस गई… रूपा हड़बड़ा कर मॉम कहती हुई उठी और आँख मलती हुई गेट खोली…गेट खुलते ही मॉम अंदर आई और टेबल पर चाय रखती हुई बोलने लगी…

“देख तो कितना समय हो गया है… कहाँ के लोग ना जाने कहाँ चले गए…और एक तुम हो कि अब तक सो रही हो…”मॉम बेड को ठीक करती हुई बोली ताकि उसके पीछे रूपा फिर ना सो जाए…

रूपा ठुनकती हुई मॉम बोली और कुर्सी पर धम्म से बैठती चाय पीने लगी…चाय की चुस्की लेती हुई बोली,”पापा से पूछी…” रूपा कीबात सुनते ही मॉम बोली,”क्या…?”

मॉम की बात सुनते ही रूपा गुस्से जैसी शक्ल करती हुई बोली,”क्या मतलब… कल कितनी बार बोली थी कि मैं कनक के साथ पिक्स खिंचवाने जा रही हूँ… और कॉलेज की ब्यूटी कांटेस्ट में हिस्सा लेना चाहती हूँ… मॉम तुम भी ना… अब तुम अभी पूछो फोन से…भुलक्कड़ कहीं की…”

रूपा की बात सुनते ही मॉम मुस्कुराते हुए बोली,”गुस्सा करना ठीक नहीं बेबी… पापा को पता है कि तुम्हारे कॉलेज में ब्यूटी कांटेस्ट होने वाली है तो वो खुद ही हमें याद दिला दिए थे और कुछ पैसे भी रख दिए हैं.. ”

मॉम की बात सुनते ही रूपा खुशी से चहकती हुई चाय वापस टेबल पर रखती हुई “सचऽ” कहती हुई खड़ी हुई और मॉम को गले से लगाती हुई जोर से भींचती हुई गोल गोल घुमती हुई “थैंक्यू मॉम…लव यू मॉम…” बोलने लगी…

मॉम रूपा को छोड़ने के लिए कहती रह गई पर रूपा के छोड़ने से पहले ही दोनों बेड से टकरा कर बेड पर धम्म से गिर पड़े… मॉम की आहहहऽ निकल पड़ी पर रूपा जोर हंसी जा रही थी…

“पागल कहीं की छोड़ मुझे… पता नहीं कब ये बचकानी हरकत से तू बाज आएगी…”मॉम रूपा को अपने ऊपर से हटाती हुई बोली… रूपा हटने की बजाए मॉम को और कसती हुई बोली,”मॉम, तुम मेरी मॉम से ज्यादा फ्रेंड हो ये तो जानती हो ना…”

रूपा की बात सुन मॉम मुस्कुराती हुई हाँ में सर हिला दी… रूपा आगे बोली,”..तो आज मैं बहुत खुश हूँ और इस खुशी में मार्निंग किस मेरी तरफ से…” रूपा की बात खत्म होते ही मॉम ओके कहती हुई हामी भर दी…

हामी भरते ही रूपा बिना कोई मौका गंवाए अपने होंठ मॉम के होंठो से सटाती हुई एक छोटी सी किस देती हुई गुड मॉर्निंग मॉम बोल हट गई… मॉम तो आश्चर्य से सिसक पड़ी…

आज तक मॉम गुड मॉर्निंग किस देती थी पर वो सब रूपा के गालों तक ही होती थी… और ये रोज की रूटिंग थी कि रूपा देर से उठती, फिर मॉम चाय देकर बेड सही करती और मॉर्निंग किस दे कर चली जाती…

पर आज रूपा पहली बार मॉर्निंग किस दी और वो भी होंठो पर… मॉम कुछ बोली नहीं क्योंकि रूपा नॉर्मल हो वापस चाय पीने लग गई… मॉम भी उठी और फ्रेश होने बोल बाहर चल दी…

रूपा भी गाना गुनगुनाती बाथरूम में घुस गई… रूपा की बेस्ट फ्रेंड कोई थी तो उसकी मॉम थी, ये सच थी… कनक तो दूसरी नम्बर पर आती थी और उसके बाद तो कोई दोस्त ही नहीं थी… घर में हर वक्त एक दूसरे को डाँट कर ही बात करती थी…

फ्रेश होने के बाद टॉवेल में बाहर आई और उस वक्त को बालों को सूखा रही थी.. तभी उसे कनक की याद आई और वो तुरंत कनक को फोन लगाई… कनक फोन नहीं रिसीव कर पाई क्योंकि वो भी बाथरूम में थी…

हाल चाल पूछ रूपा ने कनक की मम्मी को जल्दी भेजने की रिक्वेस्ट की… और फिर वो ड्रेस पहनने लगी… सफेद रंग की डिजाइनदार समीज सलवार पहनने के बाद तो रूपा किसी परी से कम नहीं लगती थी…

ये ड्रेस वो किसी खास मौके पर ही पहनती थी… औरों की बात तो दूर वो खुद ही आईने में देख शरमा जाती थी… रूपा जब तैयार हो बाहर नाश्ते के लिए किचन में गई तो उसकी मॉम की आँखें फटी की फटी रह गई… वो रूपा की ऐसी रूप आज पहली बार देख रही थी….

रूपा अपनी जवानी में पूरी तरह प्रवेश कर ली थी जिस वजह से उसकी बनावट कयामत ढ़ा रही थी… इससे पहले तोकहीं ना कहीं कमी जरूर आती कि कमर थोड़ी कम है या बूब्स छोटे हैं या फिर हिप्स मालूम बी नहीं पड़ रही…पर आज तो कहीं से भी चूक नहीं नजर आ रही थी….

खैर, मॉम को ऐसे अपनी तरफ देखती पा रूपा ने अपनी एक आँख दबा कर मुस्कुरा पड़ी… मॉम भी रूपा की इस अदा से घायल की आवाज में बोली,”हाय रूपा, प्लीज बाहर किसी को मत ऐसे मार डालना वरना वो बेचारा फिर होश में भी नहीं आएगा.. ”

और मॉम ने हंसते हुए रूपा की नजर उतारती काला टीका रूपा के चेहरे पर लगा दी… रूपा शर्माए बिना ना रह सकी और रोनी आवाज में बोली,”मॉम, कनक आ जाएगी… जल्दी नाश्ता दे दो… मुझे कोई भी काम में लेट पसंद नहीं सो मैं सबसे पहले भाग भी नॉमिनेशन भी करना चाहती हूँ…”

“ओके बाबा., दे रही हूँ..” कहती हुई मॉम ने नाश्ता रूपा की तरफ बढ़ा दी… रूपा डाइनिंग टेबल पर आ नाश्ता करने लगी…नाश्ता करने के बाद उठी ही थी कि कनक आ पहुँची… कनक जींस और टीशर्ट पहनी थी…

कनक ऐसे भड़काउ कपड़े ही पहनती थी अक्सर… जिसमें उसकी हर अंग बाहर निकलने को बेताब रहती थी… और ऐसे अपने जिस्म की नुमाइश कर लड़कों को लट्टू करना उसकी तो फितरत बन गई थी अब…

ऱूपा उसे देख हल्की सी मुस्कान पास कर गुड मॉर्निंग बोली…कनक रूपा को जवाब दे आंटी गुड मार्निंग कहती हुई किचन की तरफ आवाज लगा दी… ऱूपा की मॉम भी कनक को गुड मॉर्निंग बोल बाहर निकली…मॉम कनक को देखते ही चिहुंकी पर वो भी कनक को ऐसे कपड़े देख तंग आ चुकी थी तो कुछ ना बोली…

फिर दोनों घर से निकली और रूपा अपनी स्कूटी निकाली… स्कूटी निकाल दोनों सड़कों पर तेज गति से निकल पड़ी मार्केट की तरफ… कुछ ही देर में दोनों मार्केट में पहुँच गई और एक फोटो स्टूडियो के पास जा रूकी…

सुबह की वजह से ज्यादा चहल पहल नहीं थी…दोनों इत्मीनान से स्कूटी पार्क की और स्टूडियो में घुस गई…स्टूडियो में पहुँचते ही दोनों हंस पड़ी… क्योंकि वहाँ कोई नहीं था…

कनक,”क्या यार, इतनी जल्दी आ गई कि यहाँ सब सो ही रहे हैं…” कनक की बात सुन रूपा हंसी और हल्की आवाज लगाई कि कोई है?
उसकी आवाज से अंदर कुछ हलचल हुई और अगले ही पल एक नौजवान लड़का बाहर निकला… वो इन दोनों हसीना को देखते ही पलक झपकना भूल गया और एकटक देखता रह गया…दोनों ताड़ गई कि औरों की तरह ये भी उसकी हुस्न का दिवाना हो गया…

“फोटो खिंचवानी है?अभी हो जाएगा…” उसे ऐसे देख कनक मुस्कुरा कर बोली जिससे वो लड़का हड़बड़ा कर “जी..जी..मैडम..”कहा… फिर वो जल्द ही तैयार हो अंदर चलने कहा…

फोटो लेने के दौरान कनक उसे ना जाने कितनी बातें पढ़ा दी कि फोटी ऐसी होनी चाहिए, वैसी होनी चाहिए, वगैरह वगैरह…वो लड़का बस जी…जी.. कहता रहा… कनक के बाद जब रूपा की बारी आई तो रूपा उसकी नजरों का सामना नहीं कर पा रही थी…

वो रूपा को ऐसे देख रहा था मानों नजरों से ही घायल कर देगा…और रूपा बचने की हर कोशिश कर रही थी… हालांकि वो लड़का कुछ बोल या कोई हरकत कर नहीं रहा था तो रूपा ऐसे कुछ कह नहीं पा रही थी…

खैर किसी तरह रूपा फोटो खिंचवाई और तेजी से बाहर निकल आई…कनक इस दौरान ताड़ गई कि ये तो रूपा पर कुछ ज्यादा ही दिवानगी दिखा रहा है… वो ज्यादा दिमाग लगाना ठीक नहीं समझी क्योंकि उसके साथ ये अक्सर होती है कि लड़के रूपा के चक्कर में ही उससे दोस्ती करते हैं पर मिलता कुछ नहीं…

हाँ रूपा के चक्कर में कनक की चाँदी जरूर हो जाती है… दो चार महीने तो आराम से तरह तरह के गिफ्ट, अच्छे अच्छे होटल में खाना, घूमना फिरना और मन हुई तो मस्ती भी…वो यही सोच मुस्कुरा कर बाहर निकली…

कनक बाहर निकलते ही उस लड़के से पूछी,”फोटो कब तक मिलेगी..?”

“आज शाम तक हो जाएगी…”उस लड़के ने जवाब देते हुए स्लिप देते हुए कहा…

रूपा पेमेंट के पैसे कनक के हाथों में दी… कनक पैसे उस लड़के को देते हुए पैड करने बोली… वो लड़का एक बारगी बोला कि मैम, यहाँ फोटो लेते वक्त ही पेमेंट कर दीजिएगा… जिस पर कनक हंसती हुई बोली,”पैड कर दीजिए वर्ना बाहर निकलते ही ये खर्च हो जाएंगे…बाद में बिना पैसे के आप थोड़े ही दोगे…”

कनक की बात सुन वो लड़का हंसता हुआ ओके बोला और स्लिप कनक के हाथों में पकड़ा दिया… स्लिप ले कनक शाम में आने को बोल निकल गई…बाहर निकलते ही वो दोनों हंस पड़ी पर बोली कुछ नहीं…रूपा स्कूटी निकाली और अचानक से उसकी नजर वापस स्टूडियो की तरफ गई जहाँ वो लड़का खड़ा उसकी तरफ ही देख रहा था…

रूपा गुस्से से नजर घुमा ली और स्कूटी पर बैठ गई…कनक के बैठती ही रूपा बोली,”शाला अभी तक देख ही रहा है…” रूपा की बात सुन कनक तेजी से पीछे मुड़ी तो उसकी नजर सीधी उसी लड़के से टकरा गई…

नजर मिलते ही कनक मुस्कुरा दी जिसे देख वो लड़का भी मुस्कुराए बिना ना रह सका और मुस्कुराते हुए बाय में हाथ हिला दिया… ये देखते ही कनक बोल पड़ी,”मुर्गा फंस गया रूपा…बस हलाल करने की देरी है…” कनक की बात सुन रूपा हल्की सी हंसी हंस चल दी…

कनक तब तक उसे देखती रही जब तक कि दोनों की नजरें ओझिल ना हो गई…दोनों हंसती हुई बातें करती हुई चलती हुई घर आ गई… घर आते ही मॉम दोनों को देख आश्चर्य से पूछ बैठी,”बड़ी जल्दी आ गई…”

“मॉम, बस स्टूडियो ही जानी थी तोक्या करती वहाँ रूक कर… “रूपा जवाब देती हुई कनक को बाहर चलने को बोली… कनक रूपा के पीछे पीछे छत पर चल दी… दोनों अक्सर घर पर होती तो यहीं एकांत में आ बातें करती थी…

छत पर पहुँचते ही कनक बोल पड़ी,”रूपा, स्टूडियो वाला तो तेरा बड़ा दिवाना था…” कनक की बात सुनते ही रूपा हंसती हुई बोली,”..तो उसकी दिवानगी उतार दो… जैसे औरों का उतारती हो..”

कनक,”अच्छा उसे तो शाम में जाउंगी तो देख लूंगी…फिलहाल कुछ ननवेज खाने की इच्छा हो रही है…” कनक की बात से रूपा चौंक गई कि ये सुबह सुबह क्या सोच रही है… वो कनक की तरफ घूम कर देखने लगी…

कनक तब तक अपना फोन निकाल नम्बर डायल कर मुस्कुराती हुई स्पीकर ऑन कर दी… कुछ ही पलों में फोन कट गई… रूपा अब समझ गई कि ये किस नॉनभेज की बात कर रही है…

तभी कनक की फोन बजी जिसे कनक तुरंत रिसीव करती हुई पुनः स्पीकर ऑन करती हुई हैलो बोली… उधर से किसी लड़के की आवाज सुन रूपा आवाज पहचानने की कोशिश करने लगी पर पहचान नहीं पाई तो इशारे में पूछी कौन है…

कनक धीरे से बोली,”तुम्हारा ही दिवाना था वो कॉलेज में सीनीयर लड़का… होटल वाला…याद आया…” रूपा को तुरंत याद आ गई वो मुस्कुरा कर हाँ बोल बात करने बोली…

कनक बात को आगे बढ़ाई,”हाय,क्या कर रहे हो?”

“क्या करूँगा यार, अभी सो के उठा हूँ..कल रात एक पार्टी में गया था…” उधर से आवाज आई..

कनक,”अच्छा, अकेले अकेले पार्टी…”

“अरे नहीं, दरअसल बर्थडे पार्टी थी तो वहाँ सिर्फ गिने चुने मेहमान ही आए थे…ऐसे में बिना बुलाए तुम्हें बुलाना ठीक नहीं लगा..” उसने कहा..

कनक,”ओके, कोई बात नहीं डियर…मैं यूँ ही बोल रही थी… अच्छा तुम कितनी देर में रेडी हो जाओगे..”

“कहाँ हो अभी तुम…”कनक की बात सुनते ही वो सवाल कर बैठा…

कनक,”वो क्या है ना कि रूपा अपने बी.एफ. से मिलने आई है तो मैं भी साथ आई थी… और यहाँ वो मुझे बाहर खड़ी कर खुद रूम में पैक हो गई है…शाली अंदर से ऐसी ऐसी आवाजें कर रही है ना कि मैं तड़प सी गई…”

कनक की बात सुनते ही रूपा तो गुस्से से भर गई और कनक को एक मुक्का लगा भी दी… कनक उसे शांत रहने का इशारा कर दी तो रूपा रूक गई…

“अच्छा हुआ कि तुम मुझे पहले ही बता दी वर्ना तुम तो जानती हो ना मैं कितना पागल था उसके लिए… अच्छा वो अभी क्या कर रही होगी…” उधर से बात सुन कनक मुस्कुरा पड़ी…

कनक,”रूको, कीहोल से देखने की कोशिश करती हूँ…” फिर कुछ देर कनक फोन की माइक बंद कर दी और रूपा को पूछी क्या बोलूँ… जिसे सुन रूपा कनक का गला दबाने लगी…

कनक हंसती हुई गला छुड़ाती हुई बोली,”यार ये यब सच थोड़े ही है…और तुम्हें तो बताई भी हूँ कि सबको बता देती हूँ कि तुम तीन बी.एफ. रखी हो…”

रूपा,”हाँ पर ये वाली बात क्यों बोल रही है… क्या सोचेगा वो कि कितनी बैड कैरेक्टर की है..”

कनक,”खाक सोचेगा, चल मजे ले के सुन कैसे ये बावला होता है…कहने से कोई बैड कैरेक्टर थोड़े ही होता है…”

कनक की बात सुनते ही रूपा शांत हो गई…
कनक,”ओह गॉड, पता है रूपा क्या कर रही है?”

कनक जोश भरी आवाज में जैसे ही पूछी वो लड़का तपाक से क्या क्या कहने लगा… जिसे सुन कनक बोली,”यार मुझे भी करने की तेज मन हो रही है…”

“लवड़ा मन हो रही है, पहले ये बता वो शाली रूपा क्या कर रही है तेरी मां की…..आह…आह….”अपने सांसों पर बमुश्किल वो कंट्रोल करता हुआ बोला…शायद वो कामोत्तजना से डोलमडोल हो रहा था…

उसकी आवाज पर कनक अपनी हंसी किसी तरह बंद कर सकी… फिर बोली,”जानू, कल पड़ोस में पिंकी की मम्मी ना एकदम लेटेस्ट एक पायल सेट और कान की छोटी झुमकी खरीदी है…”

“तेरी मां की ऐसी की तैसी बहनचोद… पहले ये बता ना शाली कि मादरचोद रूपा पूरी नंगी है तो कैसी लग रही है…”वो लड़का दांत पीसते हुए बोला…

उसकी बात सुन रूपा को गुस्सा भी आ रहा था पर वो इसे इग्नोर कर बस सुन रही थी… वो अंदर ही अंदर खुद को काफी गर्वान्वित महसूस कर रही थी कि मेरे नाम से ही सब अपना काम कर लेते हैं तो अगर सामने आ गई तो क्या होगा? हाय…..!

कनक,”अब फोन से कैसे बताऊं कि वो क्या कर रही है…एक काम करो तुम ना आधे घंटे में अपने उसी दोस्त के रूम पर पहुँचों… मैं वहीं आ कर बता दूँगी वो भी कर के…समझे जानू…”

वो लड़का ना चाहते हुए भी मन मसोस कर रह गया और किसी तरह हामी भर दिया…उसके हामी भरते ही कनक उसके फोन रखने से पहले ही बोली,”और हाँ जानू, ज्वेलरी दुकान से ना दोनों चीज लेते आना…प्लीजऽ”

“यार मुझे क्या पता कि कौन सी मॉडल नई आई है…”वो लड़का राजी हो गया आखिर इतने प्यार से जो बोल दी थी और साथ ही उसके खड़े लंड को शांति भी प्रदान करने वाली थी…

कनक,”अच्छा तो एक काम करते हैं… तुम ज्वेलरी शॉप पे मिलो…मैं वहीं मिल रही हूँ..ठीक है…” कनक की बात खत्म होते ही वो लड़का हाँ ठीक है कह फोन रख दिया…

फोन रखते ही कनक जोर से हँस पड़ी… उसे हंसते देख रूपा दांत पीसती हुई उसकी तरफ लपकी और उसकी गला पर हाथ रख दबाती हुई उसे टॉर्चर करने की कोशिश करने लगी…

कनक पीछे हटने लगी छूटने के लिए पर रूपा छोड़ने के बजाए उसके साथ ही पीछे हटती गई…अंततः कनक रूक गई…वो दीवाल के सहारे अटक गई थी… रूपा उसे आँखें दिखाती हुई बोल,”कुत्ती, आज तेरा गला दबा के मार दूँगी… कितना गंदा गंदा मेरे बारे में बोल रही थी…”

रूपा की बात सुन कनक अपने हाथ से रूपा की पकड़ थोड़ी ढ़ीली की…जब रूपा भी थोड़ी ढ़ीली की तो कनक बोली,”यार, वो बस यूँ ही थी…वैसे उतनी गंदी भी नहीं थी…”

कनक की बात से रूपा मुस्कुरा पड़ी… उसके हाथ अब कनक के हले से हट उसके दोनों कंधे पर आ गई थी…रूपा मुस्कुराती हुई बोली,”अच्छा तो अब तुम सिर्फ पायल लेने जाओगी या फिर ….” रूपा जान बूझ कर बात को अधूरी छोड़ दी…

रूपा की बात सुनते ही कनक की आँखों में खुशी की लपटें दौड़ गई…कनक मुस्कान बिखेड़ती हुई बोली,”रूपा बेबी, मैं तो पहले ही बता दी थी कि आज कुछ नॉन-वेज खाने की इच्छा हो रही है…”

“कमीनी, थोड़ी भी शर्म बचा के नहीं रखी है…बचा ले वरना शादी में पति को क्या देगी…”रूपा कनक के कंधों पर हल्की मुक्कों से वार करती हुई बोली जिससे कनक खिलखिलाकर हँस पड़ी…

कनक फिर बोली,”एक बात तो है कि वो जो भी कह रहा था सच ही कह रहा था… तेरे बारे में बात कर उसकी ये हालत हो गई तो जाहिर है मेरी भी कुछ बिगड़ी हुई होगी तो बरदाश्त नहीं कर पाती हूँ ना…यार तुम चीज ही गजब हो…मन तो होती है अभी रगड़ दूँ मैं ही..ही..ही…ही…”

कनक की बात सुन रूपा झेंप सी गई पर पल भर में ही संभलती हुई हंस पड़ी और अपने बाजू कनक के गर्दन के पीछ करती हुई बोली,”मुझे रगड़ेगी…अभी बताती हूँ तुझे…” रूपा कहने के साथ ही उस पर ना जाने कौन सा भूत सवार हुआ….

इतने दिनों से दोस्ती के बावजूद आज पहली बार रूपा ने अपने होंठ कनक के होंठों पर रख दिए…और ताबड़तोड़ लगी चूसने… कनक ये सोच भी नहीं पा रही थी कि क्या ये हकीकत है..? वो तो बेहोश सी हो गई थी रूपा की होंठो के नशीली रस से…

कुछ देर की स्मूच के बाद कनक थोड़ी होश में आई…तो वो अंदर ही अंदर काफी खुश हो गई और वो अब किस में साथ देते हुए वो भी रूपा के होंठ चूसने लगी…कनक के हाथ भी अब रूपा के गर्दन और पीठ पर पकड़ बांहों में भर ली थी…

दोनों अब एक दूसरे पर पूरे जोश से टूट पड़ी थी…ऱूपा के अंदर शायद सेक्स के कीड़े पनप पड़े थे..इसी वजह से रूपा खुद पर काबू नहीं पा सकी और कनक पर ही बिजली कड़का दी… कनक इतने रसीले और रसमयी होंठ को पा धन्य हो गई थी…

कनक पहले भी चाहती थी पर पहल नहीं कर पा रही थी क्योंकि कहीं रूपा बुरा मान गई तो वो अपनी बेस्ट फ्रेंड खो देगी… और वो इन फालतू बातों के लिए इस अनमोल चीज को खोना नहीं चाहती थी… और खास बात तो ये थी कि रूपा जैसी लड़की को वो गलत आदत नहीं दिलाना चाहती थी…

किस करते हुए रूपा कुछ सोची और अपने एक हाथ रूपा की पीठ से हटा ली और धीरे से रूपा की चुची पर जगह बना रख दी जो अब तक उसकी से दबी हुई थी…अपनी चुची पर कनक के स्पर्श पड़ते ही रूपा झट से उसके हाथ पकड़ बाहर कर दी….

“चुपचाप शांत रह वर्ना सच में मार दूंगी…”रूपा किस तोड़ मुस्काती हुई बोली और पुनः कनक के होंठ पर अपने होंठ चिपका दी…एक बार चूसने के बाद कनक इस बार हौले से किस तोड़ी और बोली…

कनक,”यार तुम खूबसूरत के साथ टेस्ट में भी बेस्ट हो…पहले मालूम होती तो कब का खा जाती…” कनक की बात सुन रूपा बोली,”नाटक मत कर…जैसी तुम हो वैसी ही मैं भी हूँ तो इसमें अलग क्या है…”

कनक,”नो, तुम कुछ और हो और मैं कुछ और… बट् रिअली, आई लव यू… यू आर ए बेस्ट फ्रेंड…” कनक की ऐसी बातों से रूपा भावुक सी हो गई और “लव यू टू कनक…” कहती हुई कनक के गले से लग गई…

दोनों किसी जोड़े की तरह चिपकी हुई थी…कुछ देर बाद रूपा नॉर्मल हो सीधी हुई और हंसती हुई बोली,”ओके तो अब तुम निकलेगी..”

कनक,”पागल हूँ क्या? गुलाब जामुन छोड़ के जलेबी खाने थोड़े ही जा सकती हूँ…अब तो यहीं तुम्हारे साथ रहूँगी… ”

रूपा,”ओ हैलो मैडम,दिमाग को सही कर लो… इससे आगे कुछ सोच रही हो तो सोचना बंद करो… क्योंकि अब कुछ मिलने वाली नहीं है… वैसे जहाँ तक मैं जानती हूँ लड़कों के पास जलेबी नहीं, कुछ और होती है जिसकी टेस्ट सबसे बेस्ट होती है… तुम वो जाकर खाओ…”

कनक,”क्या यार, एक बार भी नहीं…” कनक की बात से रूपा साफ मुकर गई…मायूस हो कनक ओके बोल मुस्कुरा पड़ी…रूपा हंसती हुई कनक के साथ नीचे चल दी…नीचे आ रूपा कनक को बाय बोल विदा की और शाम में आने बोल दी…
शाम में दोनों सखी स्डूडियों पर जा धमकी पर वहाँ वो ऐसी मुसीबत का सामना करेगी,सोची नहीं थी… सुबह में अन्जाने की वजह से दोनों में से किसी ने यह नहीं देख पाई कि उस लड़के ने स्लिप पर ड्यूज ही किए हुए था…

और इस वक्त कोई और था… दुबारा पैसे मांगे जाने पर दोनों तो गुस्से से लाल पीले हो गई और उस लड़के को ना जाने क्या क्या बुरा भला कहने लगी… तब तक उस आदमी ने उस लड़के से फोन पर पूछा तो वो लड़का साफ मुकर गया…

ऐसी बात सुन रूपा तो गुस्से में आ गई और बात करवाने बोली… उस आदमी ने रूपा की तरफ फोन बढ़ा दी… रूपा फोन पकड़ते ही इंजन की तरह धकधकाती हुई शुरू हो गई… हालांकि वो ऐसे किसी से बोलने में भी शर्माती थी पर जब कोई उसके साथ गलत करे तो वो सब कुछ भूल जाती है…

काजल की बात खत्म होते ही वो लड़का ऐसे आराम से पूछा “आप कब आई थी” मानो उसे कुछ याद ही ना हो… रूपा उसकी बात सुन दांत पीसती हुई बोल दी…

“सुबह सुबह मैं और मेरी दोस्त कनक आई थी…कनक बोली थी ना कि पैसे पैड कर दीजिए कहीं खर्च हो गए तो घर पर डांट पड़ेगी…तो आप पैसे लिए थे और आपने पैड की जगह ड्यूज की स्लिप दे दिए…कुछ याद आया…”रूपा की बात सुन कनक की हल्की हंसी आ गई पर कनक उसे अंदर ही रहने दी…

रूपा की बात सुनते ही वो लड़का तुरंत पहचान गया कि ये कौन है…ऐसा नहीं था कि वो सच में भूल गया बल्कि उसने जान बूझकर ऐसा किया था… रूपा की बात सुनते ही वो लड़का अचानक ऐसे बोला जैसे उसे सब कुछ याद आ गया…

“ओ हाँ..याद आया…याद आया… आप सुंदर वाली हैं… पता है आप बहुत बहुत सुंदर है…मैं तो आपको जब से देखा हूँ तब से हर वक्त बेचैनी सी…सी…”उस लड़के की बात सुन अचानक बीच में ही टोकती हुई बोली…

“ओ हैल्लो…अपनी कहानी किसी दूसरी नानी को सुनाओगे तो कुछ फायदे भी होंगे…अभी चुपचाप इन्हें ये बता दो कि पैसे जमा हैं..ठीक है?”रूपा अपनी बात कहती हुई फोन उस आदमी की तरफ बढ़ा दी…

रूपा की आखिरी बात से कनक खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाई और खिलखिला कर हंस पड़ी…कनक को हंसती देख रूपा लाल लाल आँख करती उसकी तरफ देखी तो वो अपनी मुंह दबा नजर उस आदमी की तरफ कर ली…

वो आदमी उस लड़के से पता नहीं क्या बात किया पर वो बात करते हुए ऐसे लग रहा था कि अब हंस देगा पर हंस नहीं रहा था…इधर रूपा ये सोच कर शर्म से अंदर ही अंदर पानी पानी हो रही थी कि वो ऐसे कैसे बोल दी… वो ज्यादा देर वहाँ ना रूक सकी और “बाहर स्कूटी निकाल रही हूँ,जल्दी आना…”कह निकल गई…

रूपा के बाहर आते ही अंदर दोनों की अनायास ही हंसी निकल पड़ी… उस आदमी की बात खत्म हो चली थी… वो हंसते हुए बोला,”मेरा भांजा भी कमाल है…इन सब से हमेशा कोसों दूर रहता है और आज पहली बार शुरू किया है तो वो भी गड़बड़ …”

उसकी बात सुनते ही कनक आश्चर्य से उसकी तरफ देख मुस्कुरा पड़ी जैसे वो समझने की कोशिश कर रही हो…कनक तुरंत समझती हुई बोली,”इसलिए वो आपसे ऐसी बात कर रहे थे…मतलब गड़बड़ वाली…”

“जी हाँ., क्या करें लाडला और नेकदिल भांजा है ना…वैसे उनका क्या नाम है..”उस आदमी ने अपने होंठो पर शरारती मुस्कान फेरते हुए पूछा तो कनक मुस्कुराए बिना ना रह सकी…

कनक,”भांजे की हेल्प करने की सोच रहे हैं क्या…”

“पता नहीं, उनके तेवर देख के तो बड़े बड़े की पैंट गीली हो जाएगी तो मैं क्या हूँ…लेकिन सोच रहा था कि अगर आप कुछ मदद कर दें तो…” उस आदमी ने तब तक फोटो को पैक कर दिया पर कनक को दिया नहीं था…

इधर कनक उसकी बात सुनते ही मुस्कुरा पड़ी…उसके दिमाग ने अपनी रफ्तार से चलनी शुरू हो गई थी… वो तो एक ही शिकार की सोची थी पर यहाँ तो एक पर एक फ्री है…मामा से अलग भांजे से अलग…

मामा की उम्र कोई ज्यादा नहीं थी…कोई तीस साल के आसपास होगी…कनक उसे तुरंत अपनी आँखों से नापने लगी… वो फंसा शिकार छोड़ना नहीं चाहती थी… कॉलेज के लड़के जब उसके पीछे रूपा के लिए काफी खर्च देते हैं तो ये तो बिजनेस करते हैं और साथ ही भांजे वाली बात है तो पांचों अंगुली घी में ही है…

उसने ऐसे हथियार ना डाल थोड़ी एक्टिंग करनी शुरू कर दी,”आप उसके तेवर तो देख ही चुके हैं तो नामुमकिन ही है…आप ना ही सोचो तो बेहतर है…”

“मानता हूँ पर प्रयास करने में क्या जाता है…मेरा भांजा उतना बुरा तो दिखता है नहीं और वो भी कॉलेज स्टूडेंट है तो…” कनक की बात सुनते ही वो आदमी विश्वास से बोल पड़ा…

उसकी बात सुनते ही कनक मुस्कुरा कर अलग अंदाज में अपने सर को झटक दी… कनक की इस अदा पर वो माामा भी मुस्कुरा पड़ा…तभी कनक बाहर से ही अंदर बैठे मामाजी की तरफ झुक गई कुछ कहने…इस तरह झुकने से टीशर्ट में कैद कनक की बड़ी बड़ी चुची मामाजी की आँखों के सामने झुक गई…

मामाजी ना चाहते हुए भी देखे बिना ना रह सके…मामाजी की थरकी आँखें पल भर में ही कनक की चुचियों को बेपरदा कर दिया… तभी कनक मामाजी की नजर का पीछा कर कहाँ पर गई देखते ही आहिस्ते से बोली,”हायऽ मैं इधर…”

कनक की बात कान में पड़ते ही मामाजी की तंगभद्रा टूटी… मामाजी अब कनक की आँखों में देखने की कोशिश करते तो वो फिसल कर नीचे गुलाबी होंठों पर आ जाती… मामाजी की तो हालत खराब होने लगी थी…दूर से देखने पर तो बर्दाश्त किसी तरह कर भी लेते पर इतने निकट से असंभव सी लग रही थी…

बार बार उनका लंड सलामी ठोक रहा था पर वो बैठे थे तो मालूम नहीं चल रही थी… वैसे अंदर से उन्हें कितनी बेचैनी भर गई थी तन में वे खुद नहीं जानते थे…

“ओके, ठीक है मैं कोशिश करूँगी पर मेरा नाम कभी नहीं आना चाहिए और….”कनक भी बड़ी ही कातिलाना स्वर में अपनी अधूरी बात बोल चुप हो गई…अधूरी बात सुनते ही मामाजी तुरंत खुद को रोक नहीं पाए और कनक की तरफ और बढ़ गए जिससे दोनों की दूरी बस कुछेक इंच की ही थी…
मामाजी फिर कनक की ही तरह धीमी आवाज में बोले,”और क्या कनक बेबीईऽ…” मामाजी की आवाज में थोड़ी अदा,थोड़ी शरारत और थोड़ी बेचैनी थी… कनक मामाजी की बात सुन मुस्काती हुई बोली…

कनक,”मुझे आईस्क्रीम खाने की इच्छा हो रही है…खिलाओगे…?” कनक की बात सुन मामाजी की आँखें चमक सी उठी और वो सोच ही नहीं पा रहे थे कि कैसे? ये तो कुछ…,ना..ना…, बहुत ही ज्यादा एडवांस और बिगड़ी लड़की लगती है…

मामाजी मन ही मन सोच रहे थे कि शाली इतनी जल्दी ऐसी बातें पर आ गई…कुछ देर और बात किया तो जरूर बूर भी परोस देगी… चलो काफी अरसे बाद टेस्ट चेंज करने का मौका मिला है तो क्यों हाथ से जाने दूँ… वैसे भी लड़की के पीछे में मैं भी काफी पैसे उड़ाया था कॉलेज में…यहाँ तो भांजें के लिए उड़ा रहा हूँ और मुझे इसकी बोनस मिल रही है…

मामाजी आँखें को कनक के होंठों तक ले जा धीरे से बोले,”आप जब कहो मैं खिलाने को तैयार हूँ…”और फिर वापस अपनी आँखें कनक की आँखों में डाल दिए… कनक तो जान बूझकर ऐसी द्विअर्थी बातें शुरू कर रही थी…

कनक,”मुझे कौन सी वाली आइसक्रीमऽ पसंद है आपको पता है..?” कनक अपनी जीभ अपने होंठों पर फेरती हुई बोली जिसे मामाजी तो अपना संतुलन लगभग खो बैठे… कनक के होंठों की मदहोशी खुशबू सीधी उनके अंदर तक जा पहुँची थी…

मामाजी कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे…उनकी उम्र में लड़कियां इतनी बोल्ड नहीं थी तो ये बोल्डनेस बातें और हरकत उन्हें ना जाने किस दुनिया में ले जा पहुँचा दिया…उन्हें होश तो तब आया जब कनक दुबारा पूछी,”प्लीज, बोलिए ना…पता भी है या नहीं…”

कनक की बात सुनते ही मामाजी पूरे होश में आ अपने हाथ बढ़ा सीधे कनक के रसीली और गीली होंठों पर रख हल्के से फेरते हुए बोले,”बेबीऽ इन्हें जो पसंद होगा… मैं वही आइसक्रीम दूँगा…प्रॉमिश..” मामाजी कहते हुए मुस्कुरा पड़े…

कनक के होंठों पर मामाजी की उंगली पड़ते ही सिहर कर ईस्स्स्स कर बैठी… कनक तो इतनी ही में अपनी पानी से पैंटी गीली करनी शुरू कर दी… मामाजी की तो उससे भी बुरी हालत हो चली थी… जेल में बंद उनका पप्पू गुस्से से फड़फड़ा कर रह जाता बेचारा…

कनक मामाजी का हाथ हटाने की बजाए अपना मुँह खोली और मामाजी की अंगुली को अंदर आने का न्योता दे दी… मामाजी न्योता पाते ही अपनी अंगुली हल्का सा अंदर कर दिए जिसे कनक बड़ी ही सेक्सी तरीके से चूस ली…कनक के चेहरे की एक्सप्रेशन ऐसी थी मानो वो अंगुली नहीं लंड हो…

कनक मामाजी की आँखों में झाँकती हुई बोली,”अब तो जान गए ना कि इसे कैसी टेस्ट पसंद है…?” कनक की बात सुनते ही मामाजी हाँ में सर हिला दिए… मामाजी की हां से कनक अपने मुंह से अंगुली बाहर कर दी…

बाहर अंगुली होते ही मामाजी कनक के गालों को स्पर्श करते हुए अपना हाथ कनक के गर्दन तक ले गए और अगले ही पल उन्होंने अपना होंठ आगे कर दिए…अगले ही पल मामाजी के होंठ कनक की नाजुक होंठ को जकड़ लिया और चूसने लगा….

कनक गर्म तो हो ही गई थी वो तुरंत ही किस का सपोर्ट देने लगी और मुठभेड़ करने लगी… मामाजी तो नई नवेली माल पा तर से गए थे… वे आज पहली बार दिल से जिंदगी सफल मान रहे थे…

कुछ ही पल में कनक जबरदस्ती किस तोड़ीऔर मुस्कुराती हुई बोली,”अभी के लिए अब बस… और फिलहाल नकली वाली आइसक्रीम खिलाओ… ज्यादा देर हुई तो रूपा गुस्सा हो जाएगी…”

मामाजी मन मसोस कर अलग हुए और अपनी हालात पर नजर डाले… उनका रूह अचानक से कांप उठा… कितनी बेहुदगी थी… जगह गलत है,समय गलत है…गलत ही गलत कर रहे थे… वो सर को झटकते हुए मूड फ्रेश करते हुए बोले…

मामाजी,”ओकेे, मैं बाद में फोन करूंगा और अभी मैं बाहर नहीं जा सकता, इसके लिए सॉरी क्योंकि इस वक्त यहाँ मैं अकेला हूँ और ये खुशकिस्मती है मेरी कि इतने पल में कोई कस्टमर भी नहीं आया वर्ना…”

मामाजी की बात सुनते ही कनक हँस पड़ी और बोली,”डोंट वरी, मैं खा लूँगी बाहर…अच्छा मैं चलती हूँ… बाद में बाद करूँगी…”कहती हुई कनक चलने को मपड़ी ही थी कि मामाजी रोकते हुए बोले…

मामाजी,”ये लो, आइसक्रीम वाला बिना पैसे लिए नहीं खिलाएगा…” कहते हुए मामाजी 500 का नोट पॉकेट से निकाल कनक की तरफ बढ़ा दिए… जिसे कनक “थैंक्यू”कहती हुई ली और बॉय कहती हुई तेजी से बाहर निकल गई…

बाहर रूपा कब से वेट कर रही थी…कनक को देखते ही रूपा दो चार गाली बरसा दी. कनक सॉरी कहती हुई रूपा के साथ बैठ गई और चल दी… भीड़ से बाहर निकलते ही रूपा पूछी,”क्या कर रही थी इतनी देर तक..?”

कनक रूपा की बात सुन बिना हिचकिचाहट के बोली,”किस कर रही थी…”

रूपा,”व्हॉट…”

कनक,”यस बेबी, बड़ा ही हॉट था किस…ओ गॉड… शादीशुदा वाले इतने सेक्सी और हॉट होते हैं मैं सोच भी नहीं सकती…मजा आ गया आज…”

रूपा,”हे राम! शाली तू कितनी कमीनी हो गई… शर्म नहीं आई तुझे उतने बड़े से करते हुए..” रूपा जानती थी कि कनक सच ही कह रही है… वो इन सबकी तो आदी हो चुकी थी पर आज इस नई ट्विस्ट देख दंग रह गई…

कनक रूपा की बात सुन और जोर से हंस पड़ी और बोली,”रूपा, जब मुर्गा खुद ही हलाल होने आए तो मैं क्या करूँ…एक किस पर 500 गला दिया…जिस दिन चूत तक पहुँचेगा उस दिन तो 50000 ना गलवाई तो मेरा नाम बदल देना…”

कनक की इस बात पर रूपा भी हंसे बिना ना रह सकी…रूपा हंसती हुई बोली,”कुत्ती कहीं की…” कनक रूपा की बात पर हंसती हुई आगे बोली,”यार ये मर्द सब पता नहीं सेक्स के आगे अँधे क्यों हो जाते हैं…जबकि इनमें मजा तो उससे कहीं ज्यादा लड़की लोग को ही आती है…”

कनक,”लड़के एक बार सेक्स करे तो आगे 2-4 तक वो समझेगा कि अभी उसकी जरूरत नहीं है, वहीं लड़की लोग तो हर बार करने के साथ दुगुनी वासना से भर जाती है और जितनी जल्द मिले, वो करना चाहती है… फिर भी लड़की की जगह लड़के ही मरते हैं सेक्स के पीछे.. ”

रूपा कनक की बात पर हामी भरती हुई बोली,”हाँ ये सच है पर कैरेक्टर भी एक चीज होती है कनक…” रूपा की बात सुनते ही कनक बोल पड़ी…
कनक,”खाक कैरेक्टर…ये जो सिस्टम है ना वो ही गलत है…साला कोई लड़का करे तो औरों तो छोड़ो,उसका बाप ही बोलेगा कि मेरा बेटा मर्द है तो करेगा नहीं…और वहीं कोई लड़की करे तो उसे रंडी, वेश्या पता नहीं क्या क्या उपाधि मिल जाती है उसे…लड़के को भी ऐसे करने पर ऐसी ही कोई संज्ञा मिलनी चाहिए थी…”

कनक की बात सुन रूपा मुस्कुराती हुई बोली,”थोड़ यार इन सब बातों को…तुम्हें जो अच्छा लगे करो पर अपने लोगों का ख्याल अपने दिल में रखकर…रोई ऐसी वैसी हरकत मत करना कभी कि वो यहाँ सर उठा कर ना जी पाए…”

रूपा,”हम्म्म…इसलिए तो जो भी करती सिक्योरली करती हूँ… आज तक कॉलेज फ्रेंड छोड़ बाहर मुंह नहीं मारी वरना तुम नहीं जानती कि मुझे हर वक्त कितनी हवस चढ़ी रहती… कॉलेज फ्रेंड की बात उनके ही ग्रुप तक सीमीत रहती है…”

कनक,”..हाँ और ग्रुप वाले बारी बारी से मजे ले लेते हैं..ही ही ही…” कनक आगे की बात कह हंस पड़ी…कनक भी रूपा की बात से हंसती हुई बोली,”क्या करूँ, मन को मना लेती पर नीचे नहीं मना पाती…और साथ ही माल पानी मिल ही जाती…”

रूपा,”हम्म्म…पर माल पानी लेती हो तो तुम भी तो….” रूपा आगे की बात बिना बोले ही हंस दी…जिसे कनक समझ के हंसती हुई “शालीईंऽ..” कहती हुई रूपा की निप्पल को ऐंठ दी…जिससे रूपा चीख पड़ी पर स्कूटी संभालनी थी तो कुछ कर नहीं पाई…

रूपा,”कमीनी, गिर गई ना तो दोनों मरेगी एक साथ…” रूपा चीखती हुई बोली जिसे सुन कनक मासूमिसत से रूपा को अपनी बाँहों में भर कंधे पर सर रखती हुई बोली,”कोई फर्क नहीं, जहाँ तू रहेगी वहाँ तो मैं बिना किसी डर के जाना पसंद करूँगी..”

रूपा,”ओके, आज चल तेरे ही घर चलती हूँ..”

रूपा की बात सुनते ही कनक खुशी से चहक उठी…रूपा कनक के घर कभी कभार ही आती थी…इसकी वजह कोई खास नहीं थी…बस बिना काम के नहीं जाती थी… और कनक रहती भी थी उल्टी दिशा में… कॉलेज जाने के लिए भी कनक को रूपा के घर के पास से ही जानी पड़ती थी…तो वो रोज ही रूपा के घर आ जाती थी..

रूपा अपने घर पर ना रूक सीधी कनक के घर की तरफ बढ़ गई…कनक खुशी से बोली,”चलो, आज खाना खा कर वहीं सो जाना…कल साथ में दोनों कॉलेज आ जाएंगे…”

रूपा,”पागल डांट खिलाने का इरादा है… पापा 9 बजे तक आते हैं और मुझे घर पर ना देख मम्मी को डाँटेंगे ही और मुझे भी अलग से बोनस सहित डाँट पड़ेगी…”

कनक,”क्या यार, तुम भी ना…अच्छा फिर साथ में खाना खा कर चली आना…इतना तो कर सकती है ना…”

रूपा,”हाँ अगर जल्दी हुई तो…” रूपा की बात से कनक ओके कह हँस पड़ी और रूपा से चिपक के बैठ गई…रूपा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ी जा रही थी…

घर पहुँचते पहँचते अँधेरा घिर गई थी…सभी घर की रोशनी जगमगाने लगी…गाड़ी कैम्पस में पार्क कर दोनों घर में दाखिल हुई जहाँ कनक की मम्मी रूपा को देखते ही ढ़ेर सा प्यार उस पर जताने लगी और शिकायत भी…

कनक बीच में ही मम्मी को रोक खाना बनाने बोल रूपा को ले अपने रूम में चली गई…रूम में आते ही रूपा बेड पर पसर गई…जिसे देख कनक हंसी और फ्रेश हो आती हूँ कह बाथरूम में घुस गई…

फ्रेश होने के बाद कनक जब बाहर निकली तो रूपा को कुछ पढ़ते देखी तो पहले आश्चर्य से उस किताब पर नजर गड़ाए चलती आई…पास आते ही उसे अचानक ही सब कुछ याद आ गई…कनक को अपनी तरफ आती देख रूपा वो किताब लिए मुस्कुराती बेड के उस तरफ हो गई…

सेक्स कहानी की कोई किताब थी जिसे कनक पढ़ के बेड के नीचे छुपा दी थी…पर रूपा पता नहीं कैसे निकाल के पढ़ने लगी…रूपा को ऐसे खिसकती देख कनक हंसती हुई बोली,”अरे भागती क्यों हो, मैं छिन नहीं रही…”

“पता है, तू छिनने के काबिल भी नहीं है…और ये सब तो तेरी आदत नहीं थी फिर कैसे…”रूपा किताब को फोल्ड कर कनक की ओर देख बोली… जिसे सुन कनक अपनी एक आँख दबाती हुई बोली…

कनक,”कुछ नहीं यार, बस यूँ ही कभी कभी टाइम पास हो जाती है…” कनक की बात सुन रूपा मुस्कुरा कर बोली, “हम्म्म, पर इसमें काफी गलतियाँ है टाइपिंग में.. पढ़ने में दिक्कत हो रही है…” और वापस वापस पढ़ने लगी…

कनक तब तक रूपा के बगल में लेट गई और रूपा की तरह पेट के बल हो बोली,”तो मत पढ़…मैं कौन सा पूरी पढ़ पाई…बगल की ही एक भाभी है ना वही पढ़ती रहती है…उन्हीं के यहाँ से लाई हूँ…” और कनक फिर रूपा के हाथ से किताब ले वापस बेड के नीचे रख दी…रूपा बिना किसी नानुकुर के किताब दे दी…

रूपा,”अच्छा तो उस फोटो वाले से क्या सब बात कर रही थी जो उतनी देर लगा दी…” रूपा की बात सुन कनक मुस्कुराते हुए बोली,”मैं क्या बात करूँगी… बस तुम्हारे बारे में पूछ रहा था…”

कनक की बात सुनते ही रूपा आश्चर्य और गुस्से से बोली,”कैसी बातें..”

कनक,”कोई खास नहीं, वही पुरानी बातें…वो लड़का तुम्हारे लिए दिवाना हो गया और आज वाली हरकत उसने जान बूझ कर किया था…” असलियत जानते ही रूपा के मुंह से ए ग्रेड की गाली निकलनी शुरू हो गई उस लड़के के लिए….

गाली सुनते ही कनक हँसती हुई बोली,”डोंट वरी बेबी, मैं सब दिन की तरह हूँ ना उनकी दिवानगी छुड़ाने के लिए…अब तो मामा-भांजा दोनों अलग अलग प्रीमियम भरते नजर आएंगे तुम्हें पाने के लिए और मिलेगा बस बाबाजी का…….”

रूपा,”अच्छा तो दोनो मामा भांजा है…वो सब तो ठीक है पर उसने जो मेरे साथ बदतमीजी की है उसकी सजा तो मैं ही दूँगी बोनस में…” और फिर रूपा फोन पर की सारी बदतमीजी कनक को कह डाली जिसे सुन कनक हंसते हंसते लोट पोट हो गई…

कुछ देर बाद कनक की हंसी रूकी तो उसने मामा वाली बात कहनी शुरू कर दी…जिसे सुनते ही रूपा के तन बदन में रोमांच सा भर गया… वो गौर से सुनने के साथ कसमसाने भी लग गई थी…इस बात की नोटिस कनक कर ली थी पर वो रूपा को महसूस होने दिए बिना कहती चली गई…

शायद कनक कुछ और ही सोच रही थी…वर्ना अब तक तो कनक रूपा पर टूट पड़ती…
कनक अब रूपा के काफी निकट अपने चेहरे को ला कहे जा रही थी…इतनी कि दोनों की साँसें आपस में टकरा रही थी… ऐसे में रूपा की आँखों में छाती मदहोशी साफ नजर आ रही थी… कनक की हर बातें उसे मदहोश किए जा रही थी…

रूपा को पहले नहीं होती थी पर जिस वक्त से वो कनक से किस की तब से उसके दिलों दिमाग पर वो किस अपनी छाप छोड़ चुकी थी… ये चीज ही होती है ऐसी कि सुगंध लगे तो चखने का दिल करता है और चखे तो खाने की…

रूपा की उत्तेजना से व्याकुल देख कनक रह नहीं सकी…हालांकि कनक की भी हालत कम खराब नहीं थी खास कर रूपा जैसी बगल में वासना से भरी तड़प रही हो तब… कनक अपने हाथ से रूपा के बाल उसके एक तरफ करती अपने होंठ आगे की और बिल्कुल धीमे से रूपा की रंगीन हो रही गालों को होंठों में भर ली…

रूपा आँख बंद करती हुई सिसक पड़ी,”ईस्स्स…उम्म्म्म्म कनकऽ…” रूपा की आहें सुनते ही कनक उसके गालों को मुंह में हल्के से अंदर कर चूसने लगी… रूपा अपने चेहरे पर कनक के होंठों की छाप लिए जा रही थी…

रूपा की एक तरफ पूरी गाल भिंग गई तो कनक हल्के से अपने होंठ ऊपर री और रूपा को बिना कुछ कहे उसे सीधी कर दी…रूपा लम्बी लम्बी साँसें लेती तुरंत ही पीठ के बल आ गई…

कनक रूपा के पीठ के बल होते ही उस पर चढ़ गई… कनक को रूपा के चेहरे पर असीम खुशी साफ झलक रही थी… वो मुस्कुराती हुई उसके चेहरे को थामी और उसके चेहरे को अपने होंठों से भरने लगी…

कुछ ही पलों में रूपा के चेहरे कनक ने भिंगो दी थी…जब कोई जगह नहीं बची तो कनक नीचे बढ़ उसके गर्दन को चूमी…ये देखते ही रूपा तड़प के उसके बाल पकड़ ली और ऊपर खींची…कनक रूपा को ऐसे करते देख मुस्कुरा दी और ऊपर चली आई…

रूपा किस करना चाहती थी पर कनक उसे अभी तक किस नहीं कर रही थी… रूपा इसी वजहसे तड़प उठी थी…रूपा हल्की सी आँखें खोली और कनक की आँखों में देखती उत्तेजना पूर्ण बोली,”प्लीज कनकऽ….” और फिर रूपा आँखें बंद कर ली…

कनक रूपा की हालत पर तरस खाती हुई अपनी होंठ रूपा की दहकती होंठों की ओर बढ़ा दी जो थर थर कांप रही थी…कनक के होंठ अपने होंठ पर महसूस होते ही रूपा तुरंत ही बिजली की तरह झपट पड़ी और कनक के होंठ को अपने होंठों में भर ली…

कनक तो इन सब की गुरू थी अब तो उसने अगले ही चुसाई में रूपा के होंठों को अपने मुंह में भर ली और लगी चूसने…दोनों ताबड़तोड़ किसेस किए जा रही थी मानों रेस लगी हो जल्दी करने की…

इसी बीच कनक अपने हाथ बढ़ा रूपा की गोल मोल चुचियाँ पर रख दी…हाथ पड़ते ही रूपा चिहुंक सी गई और उसने कनक के उस हाथ को जकड़ ली…जिसे देखते ही कनक तेजी से रूपा की जीभ को अपने मुंह में भर चूसने लगी किसी आइसक्रीम की तरह…

ये रूपा के लिए बिल्कुल नईथी और इसमें मिल रही उत्तेजना में रूपा बेकाबू सी हो गई… नतीजन रूपा कनक के हाथों को अपनी चुची से हटाने की बजाए और दबा दी…कनक तो बस इतना ही चाहती थी…

फिर क्या था; कनक रूपा की गोल और कड़क चुचियों को ढ़ीली करने लग गई…रूपा इस दोहरे वार को सहन नहीं कर पा रही थी… वो लगातार छटपटा रही थी पर कनक ने भी पूरी ताकत से उसे नीचे जकड़ी हुई थी…

अब दोनों थकने लगी थी… दोनों रूकना चाहती थी पर रूक नहीं पा रही थी… रूपा अपनी चरम सीमा की ओर तेजी से बढ़ रही थी तो वो और जोरों से चूसने की कोशिश कर रही थी…

कनक रूपा के तन में और उत्तेजना भर झाड़ने के ख्याल से उसकी निप्पल ढ़ूंढ़ने लगी..पर रूपा की निप्पल मिल नहीं रही थी…कनक कई कोशिश की पर सफलता नहीं मिली और रूपा भी समझ चुकी थी कि कनक क्या खोज रही है…

रूपा हौले से किस तोड़ी और हांफती सी बोली,”अंदर ही डालऽ लो ना ईस्स्स्आहहह…” और मुस्कुराने लगी… रूपा की बात सुनते ही कनक भी मुस्कुराते हुए बोली…

कनक,”शाली, तेरी निप्पल मिल ही नहीं रही..कभी दबाती नहीं क्या…”

रूपा,”तेरी तरह नहीं हूँ जो हर वक्त यही सब करती रहूँ…” रूपा कहते हुए वापस कनक के होंठों को चूसी पर कनक एक बार चूस के वापस अलग हो बोली,”नहीं है तो अब भी बोलो; मैं बना दूँगी…ही..ही..ही..”

कनक की बात सुनते ही रूपा अपने निचले होंठों को दांत तले दबा हंसती हुई एक हल्की सी मुक्का कनक की पीठ पर जमाती हुई बोली,”कमीनी तेरे साथ कर रही हूँ तो क्या मैं लड़कों के साथ भी कर लूँगी?”

कनक,”अच्छा, पहले एक बात बता…” कहती हुई कनक रूपा के ऊपर से हटी और सीधी बैठ गई…फिर रूपा को भी उठाई और उसकी पीठ पर समीज में लगी चैन को खींच के खोल दी… चैन खुलते ही कनक समीज को दोनों बाँहों से नीचे कर नीचे कर दी…

रूपा किसी विरोध के कनक के सामने सिर्फ ब्रॉ में आ गई…अगले क्षण कनक भी अपनी टीशर्ट उतार फेंकी और रूपा को पीछे की तरफ धक्का दे वापस बेड पर लेटते हुई बोली,”झूठ मत बोलना मेरी कसम है…और दिल पर भी मत लेना…आज तुम मेरे यहाँ मेरे साथ किस करने आई है कि नहीं…”

और कनक रूपा का जवाब सुनने से पहले उसके होंठ अपने होंठों से सील कर पुनः किस करने लगी…फिर कुछ ही देर बाद किस तोड़ी और नीचे खिसकते हुए उसके उरेजों को चूमने लगी…अपने उभारों पर किस पड़ते ही रूपा कसमसा कर रह गई और बोली…

रूपा,”हम्म्म्म…हाँ…इसलिए आई हूँ…सुबह की किस के बाद मैं दिन भर तड़प रही थी तुमसे मिलने के लिए पर तुम अपने यार के साथ भाग गई थी तो फोन कर डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी.. ”

रूपा की बात सुनने के साथ ही कनक ने रूपा की ब्रॉ को एक ही झटके से नीचे खींच दी…ब्रॉ नीचे होते ही रूपा की सुडोल आकार की चुचियाँ ऊपर की तरफ तनी सामने आ गई…रूपा की चुची देखते ही कनक पागल सी हो गई…

बिल्कुल एक आकार की दोनों चुचियाँ, जिस की निप्पल नाम मात्र की थी जो कि ब्रॉ पहनने के बाद मालूम ही नहीं पड़ती थी…कनक रूपा की चुचियों पर हाथ फेरते हुए बोली,”तो डिअर रूपा,जब आप एक किस वो भी एक लड़की के साथ पर इतनी व्याकुल हो गई तो…”

कहते हुए कनक रूपा की चुची पर किस करती हुई आगे बोली,”..सोचो जब कोई लड़का तुम्हें किस करेगा तो कैसे रूक पाएगी…” कनक की बात सुन रूपा कुछ कहना चाही पर तब तक कनक रूपा की निप्पल को ऊपर कर मुंह में भर ली जिससे रूपा “आहहहहह…कनकअअअअऽ ” कर तड़प गई…
दांतो के बीच निप्पल को फंसा हल्की बाइट करने लगी साथ ही दूसरी चुची को कनक अपने पंजों से मसलने लगी. . जिससे रूपा उत्तेजना के मारे तड़प के कनक के बालों को नोंचने लगी…चरम सीमा के नजदीक पहुँच रूपा नीचे वापस पीछे आई थी तो दुबारा उस स्थिति में पहुँचने को आतुर हो गई थी…

और उस स्थिति में पहुँचने में रूपा देर नहीं की और वो पहले की ही तरह सिसकारियां लेने लगी…कुछ देर तक कनक रूपा की दोनों चुचियाँ काट चूस मसल रही थी…तभी अचानक कनक अपने एक हाथ नीचे बढ़ा उसकी अनछुई बूर पर रख दी…

बूर पर हाथ पड़ते ही कनक उसे रगड़ना चाही पर तब तक रूपा चित्कार करते हुए पूरी ताकत से रूपा को पकड़ ली और रोने की आवाज में सुबकती हुई झड़ने लगी… कनक मुस्कुरा पड़ी ये देख कर… कनक की बूर पानी छोड़ रही थी पर झड़ी नहीं थी…

रूपा की युबक कम होते ही कनक उसके गालों को चूमती हुई बोली,”रूपा, छूने भर से नदी बहा दी, जब लंड लेगी तो क्या होगा…ही..ही..ही…” कनक की बात सुन रूपा हंस कर रह गई और अपनी साँस को थामने लग गई…

जब रूपा पूरी तरह नॉर्मल हुई तो आँख खोल कर कनक को बोली,”अब तो छोड़ दे…कपड़े खराब हो गई मेरी..” रूपा की बात सुन कनक शरारत से बोली,”ना…अभी मैं तो बची ही हूँ…” रूपा आश्चर्य से भर गई कनक को सुन के…

कनक हंसती हुई बोली,”यार ये है ना, शाली बिना लंड के मानती ही नहीं…अब अगर लंड ना ली तो नींद नहीं आएगी…” कनक की बात सुन रूपा कनक को हटा उठी और ब्रॉ को ठीक करती हुई बोली…

रूपा,”तो चली जाओ…तुम्हारे कई यार तो हैं…” रूपा के बोलते ही कनक बोली,”मैं क्यों जाऊँ, वो दौड़ता आएगा..” रूपा अचानक से झटके खा कर कनक को देखती बोली,”कमीनी यहाँ आंटी हैं फिर कैसे…”

कनक,”नो प्रॉब्लम, मम्मी सो जाएगी तब…और करूँगी भी यहीं क्योंकि पापा आज आने वाले हैं नहीं…”कनक की बात सुनते ही रूपा का सर चकराने लगा… रूपा जानती थी कि कनक सब करती है पर ऐसे अपने घर में ये नहीं जानती थी और कभी जानने की रोशिश भी नहीं की थी पहले…

वो दिमाग को पकड़ ड्रेस ठीक की और बोली,”यार बस करो, मेरा सर फट जाएगा तुम्हारी बात से…तुम्हें जो करना है करो…मैं अब जा रही हूँ…” कनक रूपा की बात सुन हंसी और टीशर्ट पहन मॉम को आवाज लगाई…

कनक की मम्मी कुछ ही देर में खाना लेकर आई और दोनों साथ में खाई…फिर रूपा आंटी से फिर आने का वादा कर बाहर निकल गई…पीछे कनक भी रूपा को छोड़ने आई सड़क तक और जाने से पहले कनक ने एक पर्ची थमा दी रूपा को…

रूपा नम्बर देख ये जानना नहीं चाही कि किसका नम्बर है…बस बोली,”कनक, मैं ये सब नहीं कर सकती…” कनक रूपा के हाथ दबाती हुई बोली,”जानती हूँ पर वो लड़का सच में दिवाना लगा तुम्हारे लिए…औरों की तरह उसकी आँखों में हवस नहीं देखी थी… सोच लेना पहले फिर मन हुई तो बात करके देखना..कुछ गड़बड़ बोला ना तो बता देना… उसके बाद मैं देख लूंगी…बॉय”

और कनक रूपा के कुछ बोलने से पहले ही घर की तरफ चल दी…रूपा मुस्कुरा कर पर्ची ब्रॉ में घुसेड़ी और सेल्फ लगा घर की तरफ चल दी…रूपा रास्ते भर बस यही सोचती रही कि क्या करूँ?

घर पहुँचते ही मम्मी को बोल दी कि कनक के यहाँ गई थी…वहीं से खाना खा कर आई हूँ…और सीधी अपने रूम में घुस गई…और बाथरूम में घुस कपड़े चेंज करने लगी…

फ्रेश होने के बाद वो बिस्तर पर लेटी तो उसके दिमाग में उस लड़के की तस्वीरें उभर आई…वो ख्यालों से ही उसकी आँखें पढ़ने की कोशिश करने लगी… उसकी हर एक हरकत को याद करने लगी…सच रूपा के दिल के किसी कोने में घंटी बज गई जिसे सुन रूपा मुस्कुरा कर रह गई…

रूपा सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद कोसों दूर रहने लगी आज… जब भी सोने की कोशिश करती तो वही लड़का जेहन में आ जाता…वो कई बार गुस्से में तकिये को दांत से काटने लग जाती कि इतनी सीरियस क्यों हो रही है…

रात के एक बजे तक वो सोने की हर कोशिश की पर नाकामयाब रही तो तंग आ उठी और बरामदे से फोन उठा ले आई…पर्सनल फोन वो रखती नहीं थी… अंदर आने से पहले वो मम्मी पापा के रूम की तरफ नजर डाली कि कहीं वे जग तो नहीं रहे…

अंदर आ गेट लॉक की और धड़कते दिल से पर्ची निकाली जिसे कनक ने दी थी…पर्ची खोली तो उस नम्बर ही अंकित था… वो पर्ची को निहारने लग गई… इस दौरान उसके जेहन में कई सवाल घुमड़ने लग गए…

फोन की तो क्या पूछूंगी? इतनी रात गए वो सो रहा होगा तो कहीं गुस्से में गाली वाली बक दिया तो… ! और अगर जगा होगा तो किसलिए फोन किया पूछा तो क्या जवाब दूँगी…? इसी तरह की सैकड़ो सवाल और डर पैदा होने लग गई…

आखिर उसने हिम्मत बाँध नम्बर डायल कर रिसीवर कान में थरथराते हाथों से पकड़ी रही…वो इतनी जोर से पकड़ रखी थी मानों कोई पत्थर का बड़ा टुकड़ा उठा रखी हो…उसके माथे पर पसीने निकल आए थे…

तभी रिसीवर से आवाज आई,”हैलो, कौन?” आवाज सुनते ही रूपा डरती हुई रिसीवर कान से दूर छिटक दी…और चेहरे पर आ रही पसीने की बूंद को साफ करती जोर जोर से साँसे लेने लगी…

उधर रिसीवर से लगातार हैलो…हैलो…कौन बोल रहे हो…आदि आवाजें आ रही थी… रात के शांत माहौल में रिसीवर दूर होने पर भी रूपा वो आवाजें साफ साफ सुन रही थी…

कुछ ही पलों में रिसीवर से आवाज आनी बंद हो गई…रूपा तुरंत ही शांत हो रिसीवर की तरफ देखने लगी कि सच में बंद हो गई या चुप हो गया वो…रूपा कुछ देर इंतजार करने के बाद धीरे से रिसीवर उठा कान में सटा सुनने की कोशिश करने लगी…

उधर से कोई आवाज ना पा रूपा हल्के से आँख बंद करती हुई हैलो बोली… वो उधर से आने वाली आवाज का इंतजार करने के लिए खुद को शून्य कर ली थी… पर रूपा अपनी सोच के विपरित आश्चर्य में पड़ गई…

उधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली… वो पुनः कॉन्फर्म होने के लिए हैलो बोली पर कोई जवाब नहीं…वो सोचने लग गई कि कहीं गहरी नींद में हुआ तो शायद पुनः सो गया… वो भगवान को शुक्रिया अदा कर बैठी बैठी ही प्रणाम कर ली कि कम से कम डाँट तो नहीं पड़ी…

वो फोन रखना ही चाहती थी कि पता नहीं क्या सूझी वो दुबारा रिसीवर कान में सटा ली और बोली,”हैलो, सच में सो गए क्या..?”
“हे…फोन मत रखना…प्लीज…”दूसरी तरफ से तेजी से आवाज आई और देर तक दबी हुई हंसी सुनाई देती रही…

रूपा पहले तो आवाज सुन आश्चर्य से भर गई और अपनी इस नादानी की सोच मुस्कुराए बिना ना रह सकी… वो तेजी से फोन काट दी और शर्म से तकिये में मुंह छिपा हंसने लगी…
कुछ देर बाद फोन ज्योंही बजी कि रिंग की तेज आवाज कमरे में गूंजने लग गई…रूपा तुरंत फोन उठा ली…एक बार वो डर सी गई कि अगर किसी की नींद खुल गई तो…. फिर वो ध्यान से बाहर की किसी भी आहट सुनने की कोशिश करने लगी पर कोई नहीं जगा था…

रूपा फोन कान में लगाई तो उधर से आवाज आई..,”आप बोल क्यों नहीं रही थी…अभी तक नाराज हैं क्या?”रूपा उसकी बात सुन क्या बोलूँ ये सोच में पड़ गई…या फिर कैसे बोलूँ, हिम्मत ही नहीं हो रही थी…बस मंद मंद मुस्काती सुन रही थी…

“मेरी उस हरकत पर प्लीज नाराज मत होना…पता है उस वक्त ही मैं बात करना चाहता था पर जब आप फोन मामाजी को दे दिए तब मुझे याद आया कि आप उस जगह पर कैसे बात कर सकती हैं…वहाँ और भी लोग रहे होंगे… मुझे बाद में काफी अफसोस आई थी…” उधर से आती हर बात को रूपा बस सुने जा रही थी…

रूपा अब भी कोई सवाल-जवाब नहीं कर पा रही थी…वो शाम में उसके द्वारा कही बात याद कर मुस्कुरा पड़ी…उस लड़के को रूपा की दबी हंसी शायद महसूस हुई जिसे सुन उसने राहत की सांस ली कि नाराज नहीं है…

उस लड़के ने फिर आगे बोला,”पता है आपकी दोस्त है ना वो एकदम फट्टू है…मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं उनकी कोई भी हरकत…पता नहीं कैसे वो बेहूदा हरकतें करती रहती है…”

रूपा उसकी बात पर अब चुप ना रह सकी और छोटी सी सवाल कर गई…”क्यों?” रूपा भी जान ली थी कि उसने पहचान लिया…रूपा के सवालों पर वो बोल पड़ा,”जवाब एक हो तो ना गिनाऊँ…उनकी सब हरकत वैसी ही है…सुबह की बात ही देखिए मैं निकला था आपको बाय कहने तो उल्टे वही मुझे बाय कह दी…”

वो कहते हुए हल्की हँसी हँस पड़ा…जिस पर रूपा भी मुस्कुरा दी और सुबह का वाक्या याद करने लगी…पर वो आगे बैठी थी तो देख नहीं पाई थी पर अनुमान जरूर लगा ली कि कैसे हुई होगी…

रूपा अब काफी नॉर्मल सी हो गई थी तो बोली,”आपको कैसे पता चला कि मैं हूँ फोन पर अभी…”

“उम्म्म…बस मुझे विश्वास था कि आप जरूर फोन करेगी…क्योंकि सुबह से आप मेरे दिलों दिमाग से हट ही नहीं रही…और मामाजी को बोल दिया था कि बस नम्बर दे देना…आप तो लेती नहीं और आपकी दोस्त तो बिना लिए रहती नहीं…”उस लड़के ने कहा…

रूपा उसके विश्वास को देख थोड़ी हैरान जरूर हुई…वो अब ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं रही तो वो बोली,”ठीक है मैं रखती हूँ अब…”

“क्या हुआ? ” रखने की बात सुनते ही वो लड़का हैरानी से पूछा…रूपा उसकी बात सुन ज्यादा कुछ ना बोली…

रूपा,”कुछ नहीं…कल बात करेंगे अब…और हाँ इस पर फोन मत करिएगा…ये घर का नम्बर है…बाय…” और रूपा उसके जवाब का इंतजार किए बिना फोन रख दी…

फोन रखने के बाद वो फिर से सारी बातें याद करने लग गई…और कमरे में जल रही नाइट बल्ब की तरफ देख मंद मंद मुस्कुराए जा रही थी…कुछ देर तक रूपा इंतजार भी कि कहीं वो कॉलबैक ना कर दे पर फिर से कॉल नहीं आई…

रूपा फोन रखने के बाद कब सो गई सोचते सोचते मालूम नहीं…सुबह उसकी नींद तब खुली जब मम्मी गेट नॉक कर रही थी…रूपा गहरी नींद में थी तो काफी देर बाद हड़बड़ा कर उठी और गेट खोली…मम्मी डाँटती हुई अंदर आई और रोज की तरह चाय रख बेड ठीक की…

मम्मी की डाँट सुनने की बजाए रूपा आँख मलती हुई मम्मी की पास आई और मम्मी को पीछे से बाँहों में भर गर्दन पर किस करती हुई बोली,”गुड मॉर्निंग मॉम…”

मम्मी रूपा की भोली अदा से की गुड मॉर्निंग पर घायल सी हो गई और मुस्कुरा गई…वो डाँटना बंद कर दी और रूपा को चेयर पर बिठा चाय पकड़ा दी और जल्दी फ्रेश होने कहती हुई रूपा के होंठो पर गुड मॉर्निंग किस देती हुई बाहर निकल गई…

रूपा मुस्कुराती हुई चाय पीने लगी…तभी उसे फोन की रिंग सुनाई दी… वो अनुमान लगाई कि ये कनक ही होगी पर कुछ सोच कुर्सी पर ही बैठी रही…तभी मम्मी फोन लिए रूपा के पास पहुँची और बोली,”कनक है…!”

रूपा फोन ले ली और बोली,”हाँ कनक बोलो..” तब तक मम्मी वापस चली गई…

कनक,”फोन की थी…” कनक क्या बात करना चाहती थी रूपा अच्छी तरह जानती थी…रूपा मुस्कुराती हुई बोली..

रूपा,”नहीं…”
कनक,”क्यों?एक कॉल कर के देख तो लेती…”
रूपा,”मुझे नहीं जरूरत…”
कनक,”अच्छा, ठीक है…पता है मैं फोन की थी…”

रूपा आश्चर्य से भर गई और सोचने लग गई कि अगर कनक फोन की थी तो उसने बताया क्यों नहीं रात में…वो अब कनक को ना बोल दी तो कुछ पूछ भी नहीं सकती थी…

रूपा,”ठीक है बात करो और मुर्गा हलाल करो..कॉलेज के लिए आएगी ना…”रूपा बात को बदलने की कोशिश की…

कनक,”हाँ बाबा दूसरा काम क्या है…”
रूपा,”ठीक है मैं फ्रेश होने जा रही हूँ…बाकी बातें कॉलेज में करेंगे…बॉय..”
कनक,”बाय..”
कनक के बॉय बोलते ही रूपा फोन पटक दी…उसने झूठ क्यों बोला मुझसे…झूठ नहीं उसने तो बताया भी नहीं कि कनक फोन की थी…अभी ही चीटिंग…ओके करो चीटिंग मैं अब बात ही नहीं करूंगी…

और रूपा पैर पटकती हुई फोन वापस रख आई फ्रेश होने बाथरूम में घुस गई…कनक समय पर आ गई तो रूपा भी तब तक तैयार हो गई थी…दोनों कॉलेज के लिए निकल पड़ी…
कॉलेज में दोनों नॉमिनेशन का काम कर फ्री होते ही कैंटीन में घुस गई… कोल्ड ड्रिंक मंगा कर पीती हुई बात करने लगी… अभी तक दोनों में बस काम की बातें ही हो रही थी और इस कॉन्टेस्ट पर ही चर्चा हो रही थी…

कनक,”इन सब की बाद में देखेंगे रूपा, पहले पीछे देख गजब की चीज है..” कनक की बात सुनते ही रूपा समझ गई कि पीछे जरूर कोई होगा…रूपा तिरछी होती पीछे मुड़ी तो उसकी हंसी निकलते निकलते बची…

क्लासमेट एक लड़का था जिसे भी रूपा से लव हो गया था…पर रूपा से पहले उसे कनक की मांग पूरी करते करते जेब ढ़ीली हो गई थी और कॉलेज छुट्टी करने की नौबत आ गई थी…

पहले वो आता था उससे इतर की सुगंध दूर से ही आनी शुरू हो जाती थी पर अब नहाए भी दो दिन हो जाता है… महंगे शैम्पू साबुन से रोज नहाने वाला अब सिर्फ पानी डाल के नहाता है तो सोचता है दो दिन ना ही नहाऊं तो क्या दिक्कत? बात तो बराबर ही होगी ना…

रूपा हंसती हुई दबी जुबान में बोली,”कमीनी,कुछ तो बख्श देती..देख कैसी हालत कर दी है…” रूपा की बात सुन कनक बोली,”शाला शाना बना फिरता था…सब डिंग डांग निकल गई…और अब उस मामा के भांजे का भी यही हाल करूंगी…”

उस लड़के की बात होते ही रूपा जड़वत सी हो गई…उसके होंठो पर की हंसी गायब सी हो गई और उसके दिमाग में उसकी ऐसी हालत की तस्वीरें उभरने लगी…जिसे देख रूपा की रूह कांप सी गई…

तभी रूपा को चीटिंग की याद आई और वो थोड़े गुस्से लहजे में बोली,”…इससे भी बुरी करना जिससे वो कपड़े पहनने के लायक भी ना रहे…और उसके मामा की भी..”

कनक,”मामा…आह…चल शुरू करते हैं..” कहती हुई कनक कुरसी से उठ गई और बाहर चल दी…रूपा भी साथ हो ली और दोनों कॉलेज के मैदान की दूसरी तरफ चल दी…उस तरफ कम ही लड़के लड़की जाते हैं…

कनक फोन से नम्बर लगाई और बोली,”हाय, कैसे हैं जनाब…”
“कौन..?”
“भूल गए…”
“उम्म्म्म…हाँ याद आया…कनक..”
“ही..ही..ही…हाँ..क्या कर रहे हैं..”
“कुछ नहीं बस बैठा हूँ…अभी कोई काम है नहीं…अपना हाल सुनाओ..”
कनक,”हूँ बस ठीक ठाक…”
“क्यों,क्या हुआ जो बस ठीक हो?”
कनक,”कुछ खास नहीं बस यूँ ही हल्की सी प्रॉब्लम है…”
“मैं सुन नहीं सकता क्या”

“दरअसल कॉलेज में एक कॉन्टेस्ट में भाग लेने की सोच रही पर पापा मना कर दिए हैं बजट को लेकर…सो बस थोड़ी सी मूड ऑफ है.. “कनक हूबहू ऐसी सिचुएशन की आवाज में बता दी…
“ओह…ये तो गलत हुआ…”
“हम्म्म्म..”कनक रूपा को आँख मारती हुई बोली…
“देखो ऐसे मूड ऑफ करना ठीक नहीं…मूड फ्रेश रखो और कुछ सोचो…शायद कोई रास्ता निकल आए…अच्छा वो तुम्हारी दोस्त तो है ना…”

कनक,”हाँ पर वो खुद भाग ले रही है तो ऐसे में कहना ठीक नहीं समझती..”
“तो किसी और से कहो जो मदद कर सकें..”
“किससे कहूँ मैं…आप मदद करोगे?”कनक मौका देखते ही पूछ बैठी…
“मैं..मैं…हाँ…तुम चाहो तो कर सकता हूँ पर कितनी मदद चाहिए तब ही कुछ कह सकता हूँ…”
कनक,”ज्यादा नहीं है, बस ड्रेसेज लेने हैं और कुछ इधर उधर खर्च होंगे…कोई दस तक मिल जाते तो बात बन जाती…”
“ओह…ये तो ज्यादा है फिर भी कोशिश करूँगा…एक काम करोगी?”
कनक,”क्या..”

“तुम अपने पापा का नम्बर दो मैं उनसे बात करता हूँ…अगर मैं कुछ कम भी हेल्प कर सका तो शायद उन्हें भी बजट कम दिखेंगे तो मदद कर सकेंगे…बाद में हम दोनों मैनेज कर लेंगे…”
कनक,”क..क्या…” कनक उसकी बात सुनते ही कोमा की स्थिति में पहुँचने सी हो गई…उसकी घिग्घी सी बंधने लगी थी… अब वो फंस गई थी खुद…उधर रूपा जब सुनी तो वो एक तरफ हो हंसने में व्यस्त हो गई…

कनक किसी तरह संभली और गुस्से पर काबू करती हुई बोली,”नहीं जी, आप मेरे पापा को नहीं जानते…वो मेरी हड्डी पसली तोड़ देंगे ये पूछ पूछ के कि तुम उसे कैसे जानती हो…”

कनक आगे बोली,”अगर आप मुझे दे देंगे तो मैं रूपा का नाम बोल दूँगी तो वे पूछेंगे भी नहीं रूपा से और बाद में थोड़े थोड़े कर वापस कर दूँगी…”
“..और अगर नहीं कर पाई तो…” कनक को बिल्कुल ही उम्मीद नहीं थी कि वो इसे जितना सीधा समझती थी वो उतना ही टेढ़ा होगा…
कनक,”..तो मैं आपसे जबरदस्ती तो नहीं कर रही..मत दो..नहीं भाग लूँगी और क्या…मर थोड़े ही जाऊंगी…”

कनक नाटक को हकीकत और उसे अपनी बातों में फंसने को विवश करने की आखिरी कोशिश कर दी…जिसे सुन वो थोड़ा सीरीयस हो गया…
“नहीं मेरे कहने का मतलब वो नहीं था…किसी कारणवश अगर तुम मान लो…नहीं दे पा रही तो मैं क्या कर सकता उस वक्त…”
कनक ये सुनते ही हल्की मुस्कान बिखेड़ी कि घी निकलेगी पर अंगली टेढ़ी करने से नहीं, बोतल पलटने से…
कनक,”फ्री हैं तो वहीं आ कर बात करूँ…फोन पर कितनी बातें बोलूँ..”
“ठीक है आ जाओ…फ्री ही हूँ…”
“ओके बॉय…”कहती हुई कनक फोन रखी और रूपा की ओर देख मुस्कुरा दी…

रूपा,”क्यों बेबी, क्या हुआ…उसे मुंडन करने चली थी और खुद मुंडने की हालत तक पहुँच गई..”

कनक,”नहीं यार, वो बूर की सुगंध ले चुका है ना तो ऐसे थोड़े ही मानेगा…जब तक उसे नई बूर की सुगंध ना सुंघाऊंगी तब तक वो नहीँ फंसेगा…चल अब वहीं जाकर उसे सुंघाते हैं…”

रूपा उसकी बात सुन नाक भौं सिकुड़ती छिः करती हुई साथ बाहर चल दी…रूपा कनक को रास्ते में ड्रॉप कर घर की तरफ निकल गई…कनक स्टूडियो की तरफ निकल गई…

स्टूडियो पहुँचते ही कनक उन्हें देख स्माइल पास कर दी…वो भी जवाबी स्माइल करते हुए बैठने का इशारा कर दिए…उसने कनक को अंदर आने की ही रिक्वेस्ट की तो कनक अंदर चली गई…अंदर उसके बगल में कनक बैठ गई…
कनक,”तब क्या कह रहे थे अब बोलिए..” कहती हुई अपनी बालों को संवारती हुई कनक बोली…

“देखो कनक, मैं तुम्हें अभी मात्र दो दिनों से ही जान रहा हूँ तो ना ज्यादा तुम मेरे बारे में जानती हो और ना मैं तुम्हारे बारे में…ऐसे में थोड़ी दिक्कतें तो स्वभाविक हैं….” उसने कनक को घुमानी फिरानी शुरू कर दी पर कह तो सच ही रहे थे…

कनक,”अम्म्म्म…आपका नाम नहीं जानती मैं…क्या नाम है…”

“कैलाश प्रभाकर…”उन्होंने अपना नाम बताते हुए बोले…

कनक,”कैलाश जी आपकी बात तो सच है पर कुछ तो विश्वास करनी होगी…अगर फिर भी डर है तो बात ही खत्म कर दीजिए…मैं जबरदस्ती नहीं करूँगी…”कनक कहने के साथ सर ऐसे घुमा कर दूसरी तरफ देखने लगी मानो सच में वो भारी मुसीबत में हो…

कैलाश ने कनक को ऐसे देख थोड़े हमदर्दी जताने की कोशिश करने लगे… कैलाश,”अरे कनक, तुम ज्यादा टेंशन मत लो…सब ठीक हो जाएगा…”

कनक,”कैसे ठीक हो जाएगा…सिर्फ कागज और बड़े बड़े बोर्ड पर लिखने भर से लड़की लड़को के बराबर नहीं हो जाती…फर्क तो अब भी पहले से तनिक कम नहीं है…अगर मैं लड़का होती तो सोचिए मैं पापा को कहती कि मुझे अच्छी सी मोबाइल लेनी है तो कहिए पापा देते या नहीं भले ही वो कितनी महंगी क्यों ना हो…”

कैलाश कनक की आँखें हल्की डबडबाई हुई देख उसकी बात सुनी जा रही थी…
कनक,”कैलाश जी,बेटों से लोग ये कभी नहीं पूछ सकते कि बेटा, तुम मोबाइल लेकर क्या करोगे…अभी तुम सिर्फ मन लगाकर पढ़ाई करो फिर जब अच्छी नौकरी लोगे तब खरीद लेना जैसी मर्जी होगी वैसी…क्यों…वहीं बेटी मांगी तो पहले सौ सवाल का जवाब दो…फिर भी शक बनी ही रहती है…अगर कभी फोन पर बिजी रह गई किसी दोस्त के साथ भी तो सीबीआई की तरह कड़ी पूछताछ…”

कनक आगे बोली,”पता है कैलाश जी मेरे साथ भी पहले ये सब प्रॉब्लम होती थी…मैं तो टेंशन से भर जाती…जब पापा आप बोलते हो कि जैसा मेरा बेटा है, वैसी ही बेटी है तो भेदभाव मत करो ना… जो सवाल उससे पूछो उससे ज्यादा की मेरे से पूछने की सोचो भी मत… अंतोगत पापा को ये बात समझ आई और किसी के साथ ऐसी बर्ताव से उसके दिल पर क्या बीतती है वो समझ गए तो अब नहीं पूछते…”

कनक के इन सब बातों से कैलाश हैरान से हो गए थे पर एक सवाल उनके जेहन में पैदा हो गई…कैलाश,”तो अभी क्या दिक्कत है जो पापा मना कर दिए…”

कनक,”दरअसल मेरा भाई मेडिकल की तैयारी कर रहा है तो उसी में पिछले हफ्ते पापा ने ट्यूशन फी दिए जिससे उनकी हालत थोड़ी डोलमडोल हो गई तो दिक्कत आ गई वर्ना नहीं आती…” कनक कहती हुई जबरदस्ती मुस्कान लाने की कोशिश की पर ला नहीं सकी…कैलाश “ओह…”कह रह गए..

कैलाश आगे कुछ बोलते उससे पहले ही कनक अपनी तरफ अप्रत्यक्ष रूप से इशारे देती हुई बोल पड़ी,”इन्हीं सब पाबंदी की वजह से लड़किया जब उल्टी सीधी कदम उठा लेती है तो सब कहते कि लड़की बदचलन है…जबकि वो तो सिर्फ अपने अरमानों को किसी तरह पूरा करना चाहती है…अभी कुछ दिन पहले ही एक होटल में दो लड़की पुलिस की रेड में पकड़ी गई तो लड़की साफ बोल दी थी कि वो एक्टिंग सीखना चाहती थी और उसे एक्टिंग संस्थान में एडमिशन के लिए पैसे घरवाले नहीं दे रहे थे तो ये कदम बढ़ाई थी…”

“भला इसमें उस लड़की की क्या गलती…उसके घरवाले थोड़े ही गरीब थे…”कनक अपनी मंशा बयां करती हुई साफ बता दी कि वो भी यही चाहती है..ऐसी ही चाहती है…पर उसमें ऐसी मजबूरी नहीं थी…

कैलाश उसकी बात सुन मंद गति से मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखते हुए बोले,”इसका मतलब क्या है…मेरा मतलब अगर तुम्हें भी जरूरत हुई तो क्या…”

कनक,”ऑफ कोर्सऽ…” कनक कैलाश द्वारा अपनी बात समझ में ही आते ही हामी भर दी और कैलाश के निकट सटती हुई धीमी स्वरों में बोली,”..पर कोई धोखेबाजी नहीं…पहले पैसे दो फिर जहाँ चाहोगे जैसे चाहोगे मैं तैयार हूँ…” और कनक कहती हुई अपनी एक आँख दबा दी…

कैलाश कनक की गर्म साँसों के साथ निकली आवाजों से ही मदहोश हो गया और अपनी आह निकाले बिना ना रह सका…कनक उनकी आह सुनते ही मुस्कुरा पड़ी… कैलाश की आह कनक की ऐसी बात सुन उसके लंड के ठुमके मारने से निकली थी…

कनक,”ठीक है कैलाश जी, मैं चलती हूँ…अगर ऑफर पसंद आए तो शाम तक बता देना…मैं इंतजार करूंगी…” कनक कैलाश को अपनी बात हुए उनके जांघ पर हाथ फिराते हुए लंड के बिल्कुल समीप पहुँचा दबा दी…

कैलाश इतनें ही कसक उठा…वो कराहते हुए सिसक पड़े और कनक के उठने से पहले ही उसने कनक की कलाई पकड़ बैठी रहने को रोक लिए जिससे कनक रूक सी गई…अचानक कैलाश को झटका सा लगा और वो कनक का हाथ छोड़ कांप से उठे…

ये देख कनक भी सोचने पर विवश सी हो गई कि आखिर हुआ क्या? वो दिमाग लगाना शुरू कर दी कि उसने ऐसी क्या हरकत कर दी पर उत्तर नदारद मिली…आखिर जब कनक को समझ नहीं आई तो पूछ बैठी,”क्या हुआ कैलाश जी…”

कैलाश उसकी बात सुन उसकी तरफ हैरानी भरी निगाहों से देखने लगा…शायद वो सोच रहे थे क्या बोलूँ या फिर वो कैसे बोलूँ ये समझ नहीं पा रहे थे…आखिर इस कसमकस की लड़ाई में उसने लम्बी साँस ली और कनक से पूछे…

कैलाश,”मैं अपने भांजे के बारे में सोच रहा था कि कहीं वो….” कैलाश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि कनक बीच में ही आँख तरेरती हुई बोल पड़ी,”ओए, रूपा के बारे में सोचना भी मत… मेरी दोस्त है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो मेरी तरह ही मस्ती मारने वाली हो… और उसके पापा कालीचरण अंकल हैं जिससे रूपा को कभी पैसे की कमी महसूस भी नहीं होती…”

कैलाश कनक को ऐसे भड़कती देख मुंह सा बना एकटक उसकी बात सुनता रहा…कनक आगे बोली,”जनाब आज तक रूपा को छूने की हिम्मत तो किसी में ठीक से नहीं हुई, और बातें तो मीलों दूर है…हाँ कुछ लड़के जरूर चाहे पर वो…”

बोलते बोलते अचानक कनक रूक सी गई कि वो क्या बोले जा रही है…गुस्से में वो अभी अपनी पोल खुद ही खोलने वाली थी…और साफ बता रही थी कि भांजे को रोक लो वर्ना वो मुझसे ही फंस जाएगा और फिर क्या करूँगी मैं खुद नहीं चाहती…

एक बात तो थी कि कनक आज पहली बार ऐसे व्यक्ति से सम्पर्क में फंसी जहाँ वो खुद ही जगह जगह फंसती नजर आ रही थी… नए कॉलेज के लड़के होते तो वो इतना नहीं सोचते… बस कनक से सम्पर्क हुआ, बातचीत शुरू, और दिन रात सपने देखता कि अब रूपा से बात होगी, किस होगी, वो होगी वगैरह वगैरह…
कनक,”..म…मैं साफ कह रही हूँ कि रूपा ऐसी वैसी कुछ भी पसंद ही नहीं करती तो उसके बारे में सोचना भी गलत होगा…आप समझ रहे हैं ना..” कनक बोलते बोलते भावुक सी हो गई क्योंकि आज पहली बार किसी और ने रूपा के बारेमें सिर्फ अपनी सोच रखी थी…

इससे पहले तो कनक खुद रूपा की बुराई करती फिरती थी बस कुछ आवारा लड़कों के दिल में रूपा के लिए नफरत पैदा करने के लिए… आवारे लड़कों की ये सोच हमेशा बनी रहती है मैं कितना भी कमीना क्यों ना रहूँ पर गर्लफ्रेंड एकदम शरीफ होनी चाहिए…

खैर कैलाश कनक की दिल की आह साफ तरीकों से सुन पा रहे थे… वे तुरंत बात को तख्त पलट करते हुए बोले,”नहीं तुम मेरे कहने का गलत मतलब समझ बैठी…मैं उसके बारे में ऐसा कुछ नहीं सोच रहा था…देखो दोस्त हो तो बस पूछ रहा था…अब जान गया तो कोई दिक्कत नहीं…”

कनक,”हम्म्म, आप तो ऐसे कह रहे हैं कि जैसे आपके भांजे एकदम शरीफ है और उसे रूपा जैसी ही शरीफ गर्लफ्रेंड की तलाश है…” कनक के ताने भरे शब्दों को सुन कैलाश दी बोल पड़े,”और नहीं तो क्या…तुम चाहो तो चेक कर लेना…तुम्हें एक्सपीरीयंस भी तो है ही.. “कहते हुए कैलाश हंस पड़े…

कनक भी मूड फ्रेश करती हंसती हुई चटकारे लेती बोली,”हाँ जरूर क्योंकि रूपा को बोली कॉल करने तो वो साफ मुकर गई तो जाहिर है मुझे ही चेक करनी पड़ेगी…” कनक की बात सुनते ही कैलाश झटका सा खा गए…

कैलाश,”क्या? रूपा को नम्बर सच में दी थी या बस हमें कुछ पढ़ा रही हो…” कैलाश अब तक तो समझ रहे थे कि रूपा बात भी कर रही होगी पर कनक की बात सुन वो थोड़े हैरान हो गए..उनका भांजा पहली बार अपने मामा से रिक्वेस्ट किया था और ये हैं कि कुछ नहीं कर पा रहे…

कनक,”हाँ, सच कह रही हूँ…रूपा सोच भी नहीं रही इस बारे में तो मैं क्या करूँ…मैं कोशिश भी करती पर इस वक्त मैं खुद टेंशन में हूँ कि कॉम्पीटीशन में हिस्सा नहीं ले पा रही हूँ…” कनक मायूसी भरे चेहरे से बोली…

कैलाश,”अरे कॉम्पीटीशन की ऐसी की तैसी…” कहते हुए कैलाश फौरन उठे और अपने पॉकेट से रूपए री गड्डी निकाल कनक को देते हुए बोले,”लो और मेरे भांजे का काम जरूर कर देना क्योंकि तुम नहीं जानती कि मैं अपने भांजे से कितना प्यार करता हूँ…उसे मैं मजनूं की तरह नहीं देख सकता…”

कैलाश,”आज उसने पहली बार किसी से प्यार किया है तो मैं पूरी कोशिश करना चाहूँगा कि वो उसे मिल जाए ताकि उसकी इमानदारी, मेहनत, इंतजार बेकार ना लगे…”

कनक पैसे की बंडल की तरफ देख कुछ सोचने की मुद्रा में हो गई…कैलाश ये देख तपाक से बोले,”क्या सोच रही हो…जब हो तभी वापस करना और ना हो तो…”

कैलाश अपनी बात बीच में ही छोड़ते हुए कनक के हाथ पकड़ लिए और खींच कर सीधे अपने ऐंठते अंगड़ाते लंड पर रखते हुए बोले,”..फुर्सत में दो चार दिन इसकी सेवा कर देना…बेचारा काफी दिनों तक प्यासा ही रह जाता है और प्यास बुझती भी है तो उसी पुरानी गड्ढ़े में …स्विमिंग पूल तो सालों से इसे नसीब नहीं हुआ.. ”

कनक बिना घबराए कैलाश की इस हरकत पर मुस्कुरा दी और बोली,”आप कहो तो अभी स्विमिंग में नहला दूँ…” और कनक हल्की गति पर तेज दबाव से लंड दबा दी जिससे कैलाश की आह निकल गई…

कैलाश,”उफ्फ्फ! कनक… मन तो हो रही है पर अभी सही वक्त नहीं है…कस्टमर कभी भी आ सकते हैं तो दिक्कत है वरना…” कहते हुए कैलाश हाथ कनक की बूर के पास रख अंगूठे को दबाते हुए बोले,”अभी तक तुम चिल्ला रही होती…”

कनक,”ईस्स्स्स्स्स….”कनक की बूर पर दबाव पड़ते ही वो कसमसा गई…कनक भी काफी वासना से भूत हो गई थी और उस पर किसी मर्द के हाथ अपनी बूर पर, सोच कर ही सिसक निकल पड़ती…

कैलाश तभी हल्के से उठे और बाहर की तरफ मुआयना करने लगे और फिर बैठते हुए फटाक से जिप खोली और अंडरवियर से लंड बाहर करते हुए कनक के हाथों में थमाते बोले,”..तब तक चूस के एडवांस दे दो…”

कैलाश की जल्दबाजी देख कनक मुस्कुरा पड़ी और कनक कुर्सी से उठी और नीचे बैठ गई…नीचे बैठने पर कनक अब बाहर से बिल्कुल नहीं दिख रही थी…कनक के बैठते ही कैलाश अपना लंड कनक के होंठो के पास लहराने लगे…

कनक ऊपर कैलाश की आँखों में देख अपनी होंठ चबाती हुई लंड को अपने हाथों में पकड़ हौले से मसलने लगी… कनक की इस मसल से कैलाश खुद को कैसे कंट्रोल कर रहा था वो खुद ही समझ सकता है… वो ऐसे बाहर सबको कैसे अपनी उत्तेजना दिखा सकता था…

कनक उतनी ही कसाई बन अपने नाखून से सुपाड़े को कुरेद दी जिससे कैलाश तड़प के कनक के बाल पकड़ जोर से झटक दिया…कनक की हल्की आह निकली पर वो फिर भी मुस्कुरा रही थी…ऐसे मुस्कुराते देख कैलाश अपना आपा खो दिया…

और कनक को अपने लंड की तरफ धकेला…कनक तो बिना विरोध के खींची चली आई और अगले ही क्षण कनक का मुँह कैलाश के विशाल लंड से भर गया…लंड पर मुँह की गरमी मिलते ही कैलाश हुंकार सा गया….

कनक तुरंत ही कैलाश के जांघों पर हाथ रख मुंह आगे पीछे करनी चालू की… कैलाश को तो अब महसूस हो रहा था कि मानो उसकी नसें फट के बाहर आ जाएगी…लाख कोशिश के बाद भी वो अपने चेहरे की एक्सपीरिशन को नॉर्मल नहीं कर रहा था जो कि उसके लिए खतरनाक था…

कैलाश को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी इस बेकाबू वासना को कैसे काबू में करे… वो अगर कहीं और होता तो शायद कनक की बूर अब तक चीर चुका होता…

मजबूरन उसने इधर उधर देखा और मौका देख कुर्सी से हल्का उठ पैरों के सहारे हुआ और इतना ही ऊपर कि लंड कनक के मुंह से बाहर ना आए…

फिर कनक के गर्दन पर अपने हाथों से पकड़ बना कर थामा जिससे कनक पीछे की तरफ सर करके हो गई थी…अगले ही पल कैलाश बिना कुछ बोले ताबड़तोड़ शॉट मारने लगा…अब तड़पने की बारी कनक की थी…

कनक के गले में लंड की तेज प्रहार कनक को बर्दाश्त नहीं हो रही थी… कनक कैलाश के जांघों पर लगभग धक्का देती सी उसे हटाने की कोशिश कर रही थी पर चुदाई के वक्त मर्द को अलग कर पाना नामुमकिन ही होती है औरत के लिए…

कनक की आँखों से आँसूं टपकने लगी थी दर्द से… तभी अचानक सा कैलाश रूक सा गया और तेजी से धम्म से कुर्सी पर बैठ गया…कनक मुंह से लंड बाहर करना चाहती थी पर कैलाश हटने नहीं दिया…

काउन्टर ही ऐसी थी कि बाहर से अंदर वाले व्यक्ति का सिर्फ सीना तक ही दिख पाता था…और कैलाश काउन्टर से सट के था तो कोई झाँकने की सोच भी नहीं सकता था…

कैलाश के विरोध पर कनक रूक गई और वापस खुद मुंह अंदर बाहर करने लगी…अभी दो तीन दफा ही की थी कि कनक का मुंह गर्म गर्म लावे से भरने लगा… कनक लावे को तेजी से अंदर करने लगी…कैलाश की तेज सुकून वाली आह साफ सुनाई दी…
रूपा घर पहुँचते ही धड़धड़ाती अपने रूम में घुस गई… शरीर पर से उसने चुन्नी उतार उसने ऐसे बेड के दूर कोने में फेंकी मानों वो कब से उसे सांस लेने में तकलीफ दे रही हो… फिर वो बाल को ठीक करती नीचे झुकी और पैरों को नंगी करती गाना गुनगुनाए जा रही थी…

इस वक्त अगर कोई संयासी भी रूपा के पिछवाड़े को देखता ना वो बिना गाड़ी दौड़ाए ना छोड़ता… एक दम गुदगुदी सी करने वाली शेप में थी और तो और , उस पर चिपटी सलवार वो तो और कयामत ढ़ा रही थी…

रूपा जूती को साइड में रख बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई…तभी उसकी मॉम कमरे में घुसती हुई बोली,”रूपा, भाभी तुम्हें खोज रही थी…” रूपा मॉम की आवाज सुन अंदर से ही चीखती हुई बोली..

रूपा,”कौन? डिंपल भाभी…”
मॉम,”हाँ… पर पता नहीं कुछ खुश खबरी सुनाऊँगी कह रही थी…” मम्मी की आवाज सुन रूपा अंदर में मुंह हाथ धो फ्रेश हो कर टॉवेल से चेहरे को साफ करती बाहर निकली…

रूपा,”तुम्हें नहीं बताई…” जिसके जवाब में मॉम ने ना में सर हिला दी… और अगली सवाल पूछ बैठी,”..और तुम्हारे पार्टिशिपेंट का क्या हुआ..?”

रूपा,”हो गई…अब उसकी तैयारी करनी है…फिगर तो ठीक है ना मॉम…” कहती हुई रूपा मुस्कुरा पड़ी… जिससे मॉम हंसे बिना ना रह पाई और नडर उतारती हुई बोली..

मॉम,”हाय मर जावाँ, हमरी रूपा की फिगर भला कभी बिगड़ने की सोच भी सकती है क्या? देखना तू ही जितेगी…” कहती हुई मॉम ने दुलारती सी रूपा के गालों पर हल्की पुचपुच्ची कर दी…

रूपा हँसी और बोली,”थैंक्यू मॉम एंड लव लव लव यू माई लवली मॉम…” कहती हुई रूपा मॉम के दोनों गालों को हल्की चुटकी से पकड़ दाएं बाएँ करती एक पप्पी जड़ दी और अपने ड्रेस बदलने लग गई…

मॉम,”ठीक है मैं थोड़ी पड़ोस वाली आंटी के यहाँ जा रही हूँ… कुछ देर में आ जाऊंगी… उनकी बेटी की कल द्विरागमन है ना तो आज मार्केटिंग हुई है तो सुबह से कई बार बुलावा भेज चुकी है कि आके सामान वगैरह देख लें…”

रूपा मॉम की बात सुनती हुई टॉपलेस हो चुकी थी और मॉम की तरफ पीठ कर अपनी ब्रॉ की हुक खोल ब्रॉ बेड पर उछाल दी… घर पर वो कभी ब्रॉ नहीं पहनती थी और ये बात उसे मम्मी ने ही हिदायत दे रखी थी पर बिना ब्रॉ की ड्रेस भी वैसी ही पहनने देती जो पूरी उभारों को ढ़ंकी रखें…

रूपा एक कैजुअल टीशर्ट पूरी बांह वाली निकाली और जो गोल गले वाली थी वो सर में डालती हुई बोली,”हम्म्म, मतलब चिंकी दीदी की गाड़ी अब बिना ब्रेक की चलेगी….”और बोलने के साथ ही रूपा खिलखिलाकर हंस पड़ी…

मॉम रूपा की बात सुन थोड़ी हँसी, थोड़ी गुस्से से दांत पीसती थप्पड़ उठाती रूपा की तरफ बढ़ती हुई बोली,”बदमाश रूक.. तुझे अभी बताती हूँ कि गाड़ी कैसे चलेगी…”

रूपा तुरंत ही हवा की रूख की तरह पलटी मारती बेड के दूसरी तरफ पहुँच गई और हँसी रोकती हुई जबरदस्ती बोली,”जाओ ना जल्दी, देखो आंटी आवाज दे रही है…” और टीशर्ट को नीचे हिप तक खींचती हुई एक बार फिर हंस पड़ी…

मॉम उसकी तरह तेजी नहीं दिखा सकती थी…वो विवश हो वहीं रूक गई और बाहर कान लगा दी कि सच में बुला रही है…

पर रूपा सरासर झूठ बोल रही थी वो जानती भी थी…फिर वो बात यहीं पर खत्म करने की सोच वापस मुड़ती हुई बोली,”किचन में नाश्ता है, खा कर जाना…” और निकल गई…

रूपा मुस्कुराती हुई वापस पहली वाली जगह पर आई और अपनी सलवार खोल कर काली रंग की बूट-कट पैंट जिस पर लाल रंग की साइड से पतली लाइन खींची थी पहन ली… फिर वो आइने के समीप खड़ी हो बाल ठीक की और चेहरे को साफ की…

फिर होंठो पर हल्की सी लिपलॉज लसेड़ी और होंठों को अंदर बाहर करती मिलती हुई आँखें शीशे में गड़ाती हुई देखी कि मिल तो गई ना.. फिर तसल्ली होते ही बाहर की तरफ रूख कर ली…

रूपा के तीन भाई हैं और रूपा सबसे छोटी है…तीनों की शादी हो चुकी है और सब इसी बिल्डिंग में रहते हैं पर अलग अलग फ्लोर पर… अलग रहने की वजह बस यही थी कालीचरण या पुष्पा को नवजोड़ों की जिंदगी में दखल पसंद नहीं थी…

दोनों जवान हैं तो वे अलग रहेंगे तो वे अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिएंगे, अपनी मर्जी से मौज मस्ती करेंगे, प्यार करेंगे…और उन्हें कभी ये नहीं लगेगा कि आज दिन में मूड है पर मम्मी या पापा की वजह से सब कबाड़ा हो रहा है…

पर साथ ही कालीचरण तीनों पर काम के प्रति हर वक्त मुस्तैद रहते थे… काम में नो कम्परमाइज… काम बिगड़ा तो क्लास लगनी पक्की… और वे तीनों भी अपने मम्मी पापा की काफी इज्जत करते थे और आज तक कभी कोई उल्टी सीधी हरकत नहीं की थी…

रूपा डिंपल भाभी के फ्लोर तक डबल सीढ़ी चढ़ती हुई यूँ करती पहुँच गई और बेल दबाने के साथ साथ मुंह से भी जोर से बेल रिंग गाने लगी…
“कोई परदेशी आया परदेस में…” जो कि डिंपल अपनी पसंद से बेलरिंग सेट करवाई थी…

कुछ ही पलों में रूपा को अंदर से पदचाप सुनाई दी… पदचाप निकट आई और गेट खट से खुली… सामने डिंपल भाभी को देखते ही रूपा बेहोशी की तरह आँख करती हुई सर चकराने लगी… ये देख डिंपल की जोर से हंसी निकल गई…

डिंपल हंसती हुई बोली,”तू नहीं सुधरेगी कभी… जब से आई हूँ कितनी बार देखी है पर आज तक देखते ही घायल होने लगती है…चल अंदर आ…”

डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा अपनी अदा बाहर करती हुई बोली,”हाय, क्या करूँ… मेरी भाभी है ही इत्ती क्यूट क्यूट…” और वो हंसती हुई अंदर घुस गई…

डिंपल भाभी गेट वापस बंद कर ही रही थी कि अचानक से रूपा बोल पड़ी,”एक मिनट भाभी…” डिंपल भाभी के हाथ रूक गए और आश्चर्य से रूपा की तरफ पलट के देख आँखों से ही पूछने लगी कि क्या हुआ?

रूपा डिंपल भाभी को क्रॉस करती हाथ गेट के बाहर की और बेल की स्विच दबा दी… अंदर एक बार बेलरिंग बजने लगी…
“कोई परदेसी आया परदेस में…” ये देखते ही डिंपल भाभी परेशान सी नाटक करती हुई सर पीट के गेट बंद कर दी जबकि रूपा हंसती हुई साथ साथ वो गाना गाने लगी…
डिंपल भाभी, जो कि काफी हंसमुख और मिलनसार थी… वह अलग रहने के बावजूद कभी भी सास-ससुर, दो देवर व एक ननद के बीच हमेशा खुद को मुस्तैद रखती थी… आज तक कभी किसी को ये महसूस नहीं होने दी कि वो अलग रहती है…

हाँ घर की दो और बहू थी मंझली और छोटी, दोनों की दोनों थी नकचढ़ी… डिंपल की ये स्वभाव हमेशा उसे खटकती रहती थी… इसी वजह से रूपा की भी उनसे ढ़ंग से नहीं पटती थी… हाँ बातचीत होती थी पर सिर्फ नाम मात्र की…

वो भी तब जब रूपा खुद उनसे कोई मजाक कर जाती तो… वर्ना नहीं… और उन दोनों की हमेशा ये सोच रहती थी कि सास ससुर बड़ी बहू को ज्यादा भाव इसलिए देते हैं क्योंकि वो एक अरेंज शादी थी…

बड़े बेटे लड़की के मामले में कुछ शर्मीले थे इसलिए वो कभी इन सब में नहीं पड़ा… जबकि वो दोनों भाई उन सबमें दो कदम आगे रहता था हर वक्त… जब उन दोनों की बात चलती तो वे दोनों ने साफ मना कर दिया शादी से…

और कालीचरण लव के मामले को बखूबी से वाकिफ थे तो वे खुशी खुशी मान भी गए… पर कहावत है ना ईश्वर भी भले लोगों का ही हमेशा भला करते हैं…हाँ भले लोग थोड़े परेशान जरूर होते हैं…

वही बात बड़े भाई के साथ भी हुआ… उसके दोस्त लोग उसे चिढ़ाते भी थे पर वो सब बातों को दरकिनार कर चुप रह जाता… जिसका नतीजा आज सामने था… वो अपनी बीवी जैसी बीवी पाकर खुश था जिस पर आज तक बचाए सारे प्यार को रोज न्योछावर करता था…

जबकि वो दोनों भाई तो अपना सारा प्यार पता नहीं किस किस को बांट आए, अब पत्नी को देने के लिए कुछ बचा ही नहीं था… घर आता खाता पीता आराम करता और कभी मन हुआ तो सेक्स किया बात खत्म… प्यार करने की तो सोची भी नहीं…

प्यार किया था जब पहली बार दोनों संपर्क में आए थे तब पर उन्हें क्या पता कि ये सिर्फ एक आकर्षण है… हाँ सुंदर तो तीनों थी एक से बढ़कर एक… पर असली सुंदरता तो व्यक्तिव स्वभाव से जाहिर होती है जो कि सिर्फ डिंपल के पास थी…

रूपा डिंपल भाभी के साथ बढ़ती हुई सोफे पर बैठती हुई बोली,”चिन्नी कहाँ गई भाभी, ट्यूशन पढ़ने?” रूपा सोफे पर पड़ी अखबार उठा पलटने लगी…

डिंपल भाभी,”हाँ, अब वो आने ही वाली है… बार बार जिद कर रही थी मम्मी मेरे सारे दोस्त ट्यूशन जाते हैं… मैं भी जाऊंगी तो जाने दी… वैसे पढ़ने में वो हमेशा आगे ही रहती है…”

रूपा हंस पड़ी,”कोई बात नहीं भाभी, जाने दीजिए… क्या पता वो खुद के लिए नहीं, शायद किसी औरऽ के लिए जाती होगी…” रूपा इस “औरऽ” पर कुछ ज्यादा ही दबाव बनाती हुई बोली… डिंपल तब तक किचन में चाय बनाने घुस गई थी…

डिंपल भाभी वहीं से आँखें दिखाती हुई बोली,”बदमाश कहीं की बच्ची है वो… उसे तो अभी इन सबकी अक्ल भी नहीं होगी कि लव-शव करे.. समझी ना…तुम अपना दिमाग कुछ कम दौड़ाओ..”

रूपा,”भाभी, सोच आपकी गंदी है और डांट हमें रही हो… अब क्या बच्चे को कोई बेस्ट फ्रेंड नहीं होगा, ऐसी तो कोई बात नहीं होगी…” रूपा बोलते हुए हंस भी रही थी क्योंकि वो जानती थी कि वो बात को घुमा रही थी…

डिंपल भाभी,”हाँ हाँ समझ गई मेरी दादी…मुँह बंद करो और ये लो चाय पियो…” डिंपल भाभी मुस्कुराती हुई हार स्वीकार करती हुई रूपा को चाय पकड़ाती हुई बोली… रूपा आँख नचाती हुई चाय ली और चुस्की लेने लगी…

पहली चुस्की लेती हुई रूपा पुनः बोली,”अच्छा वो सब छोड़ो भाभी… हमें किसलिए बुलाई ये तो बताओ…”रूपा अब मुद्दे पर आती हुई बोली और डिंपल भाभी से जवाब पाने उनकी तरफ देखने लगी…

डिंपल भाभी रूपा की बगल में बैठती हुई चाय की चुस्की लेती हुई बोली,”कोई खास बात नहीं है, बस तुम्हें एक खुशखबरी देनी है…” खुशखबरी शब्द सुनते ही रूपा की आँखे चमक गई और खुशी के मारे लगभग चीखती सी बोली…

रूपा,”खुशखबरी..!!! वॉव भाभी…थैंक्यू सो मच…मैं फिर से बुआ बनने वाली हूँ…अमेंजिंग…मुआहहह…” रूपा की अबकी बार की बात से डिंपल रूपा सी पीठ पर हल्की चपत लगाए बिना ना रह सकी…

फिर हंसती हुई बोली,”ओफ्फो…तुम ना हमें भी…. अरे चिन्नी है ना तुम्हें बुआ कहने… हर वक्त बस फिजूल बातें ही सोचती रहती… कभी तो कोई ढ़ंग की सोचो ना…”

रूपा डिंपल भाभी की बात सुनते ही एकदम सी उदास होती हुई मुंह बना ली… वो ऐसे लग रही थी मानों उसे इन बातों के सिवाए किसी और बात से खुश हो ही नहीं सकती… फिर वो चाय की प्याली होंठों से लगा ली…

डिंपल भाभी उसकी इस से उदास होती थोड़ी मुस्कुराती हुई बोली,”दरअसल तुम रोज मुझे जिस बात के लिए तंग करती थी ना, वो अब तुम बंद कर दोगी…”रूपा डिंपल भाभी की बात सुन थोड़ी ठिठकी और अगले ही पल बची खुती चाय मुंह में उड़ेली और चटकारे लेती पूछी,”..मतलब..?”

डिंपल भाभी भी अपनी चाय खत्म कर कप रखती हुई बोली,”मतलब…. तुम्हारी फोन वाली दोस्त कल आ रही है तुमसे मिलने यहाँ…” अपनी बात खत्म कर डिंपल भाभी रूपा के ऊपर होने वाली प्रतिक्रिया का वेट करने लगी…

रूपा एक पल सोची और अगले ही पल जम्प लगाती दोनों पैर सोफे पर… वो खुशी से पागल हुई जा रही थी और क्या बोलती कुछ समझ में नहीं आ रही थी… फोन वाली दोस्त मतलब सुनैना…

सुनैना डिंपल भाभी की मौसी की लड़की थी… रूपा और सुनैना के बीच बातें तो खूब होती थी पर आज तक कभी मिल नहीं पाई थी…जबकि शादी हुए 8 साल हो गए… डिंपल भाभी की तो अब 7 साल की एक बेटी चिन्नी भी है…

ना मिलने की वजह पहले भाभी के यहाँ गई थी पर तब सुनैना डिंपल भाभी के यहाँ नहीं आ पाई थी और जब सुनैना आती तो रूपा नहीं जा पाती थी… इन दोनों की भी अजीब दोस्ती थी…दोनों की पटती थी खूब थी…

पर तभी रूपा को एक बात खटक गई कि मैं भी तो अक्सर बात करती ही रहती तो मुझे क्यों नहीं बोली कि आ रही हूँ… रूपा उठी और डिंपल भाभी के बेडरूम की ओर चल दी… वो जानती थी कि भाभी का फोन उनके बेडरूम में ही है…

रूपा फोन लाई और सुनैना का नम्बर डायल करती हुई वापस भाभी के पास बैठ गई… डिंपल भाभी रूपा क्यों फोन कर रही है वो तुरंत समझ गई और बिना रोके बस मुस्कुराती रही… वो भला इन दोनों के बीच क्यों पड़ती…

रिंग हुई पर फोन रिसीव नहीं हुई… रूपा हैरानी भरी आँखों से देखती डिंपल भाभी की ओर देख पूछी,”फोन क्यों नहीं उठा रही है..?”
डिंपल भाभी इठलाती सी बोली,”दोस्त तुम्हारी है तो मुझे क्या पता..?” डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा मुंह बनाती बोली,”कमीनी एक बार उठा ले ना तो बताती हूँ…”
अचानक फोन उठी और उधर से आवाज आई,”हाँ दी, वो थोड़ी बैग पैक रही थी तो उठा नहीं पाई…”

रूपा थोड़ी गुस्से का नाटक करती हुई भारी आवाज करती हुई बोली,”तो हो गई पैकिंग…”
रूपा की आवाज सुनते ही सुनैना रूकी और ब्रेक लगाती आवाज में बोली,”ओह रूपा तुम,हे कैसी हो तुम… सुबह से ट्राई कर रही थी पर तुम मिल ही नहीं रही थी…”

रूपा,”ऐ अपनी बकवास बंद कर…दिन में ना नहीं थी… कल शाम से आज सुबह तक तो घर पर ही हूँ तो… आ तुम फिर बताती हूँ…”

सुनैना,”अरे नहीं यार, दोपहर में प्रोग्राम ही बनी तो सुबह कैसे बता सकती थी…”

रूपा,”हम्म्म, फिर ठीक है पर फिर भी तुझे छोड़ूंगी नहीं… इत्ते दिन बाद आज पहली बार टाइम मिली है घूमने की…मैं तो दो दो बार गई थी पर तू एक बार भी बहानेबाजी कर आने से रही…”

सुनैना की हंसी सुनाई पड़ी और बाद उसकी आवाज,” ओके यार, तेरी मरजी मत छोड़ना… शायद तुम मेहमानों को पकड़ के रखती होगी तो मैं क्या कर सकती…”

रूपा की भी हल्की मुस्कान बिखर आई… रूपा फोन को कान में सटाए सोफे पर पसर गई… लेटी ऐसी की उसने अपने पैर सोफे की बांह पर और सर डिंपल भाभी की गोद में… रूपा के लेटते ही डिंपल भाभी के हाथ पहले की भांति ही रूपा के बालों में घुस ऊंगलिया फेरने लगी…

रूपा,”वैसे अचानक ये प्रोग्राम कैसे बन गई…”
सुनैना,”कुछ नहीं बस कॉलेज में छुट्टी है… तो छुट्टी में घूमने की इच्छा हुई तो सोची तुम्हारे यहाँ ही आ जाउँ…” सुनैना की बात खत्म होते ही डिंपल भाभी नहीं में सिर हिला मुस्कुराने लगी जिससे रूपा आश्चर्य से भाभी से पूछी क्या बात है फिर…

डिंपल भाभी झट से नीचे झुकी और फुसफुसाती हुई रूपा से बोली ताकि सुनैना ना सुन सके,”शादी की बात चल रही है…लड़का इसी शहर में नौकरी करता है… बात थी लड़का ही जाता पर छुट्टी ना मिल सकी तो वो नहीं जा सकता…और सुनैना भी मिलना चाहती थी एक बार…”

रूपा डिंपल भाभी कीबात सुनती मुस्कुराती हुई फोन को मुट्ठी में बंद कर दूर कर दी… डिंपल भाभी,”शादी से पहले दोनों को वैसे भीमिल लेना चाहिए ताकि बाद में ये नहीं कहे कि आपकी पसंद से किए तो आपने ऐसे कर दिए वैसे कर दिए… इसलिए मामाजी के साथ आ रही है…”

डिंपल भाभी की बात सुन रूपा अपने होंठको काटती मुस्कुराती फोन वापस कान में सटाती हुई बोली,”ओह, तो कॉलेज में छुट्टी कितने दिन तक रहेगी… ताकि तुम कब तक रूक सकती हो ये तो जान जाऊंगी…”

सुनैना कुछ देर तक ही सही पर रूपा के चुप होते ही जान गई कि डिंपल दी बता दी होगी पर फिर भी हल्की हंसीके साथ बोली,”छुट्टी तो लम्बी है पर मामाजी भी साथ हैं तो दो दिन तक आराम से रूक सकती… फिर तुमसे मुलाकात कर ही लूँगी तो वापस आ जाऊँगी…”

रूपा,”अच्छा ठीक है, जैसी तेरी मर्जी… पहली बार वैसे तो एक दिन से ज्यादा दिन नहीं रूकना चाहिए पर तुम तो सिर्फ मेरे लिए आ रही हो तो दो दिनऽ दो दिन तक रूकेगी… बहुत है…बहुत है दो दिन…वेरी गुड…”

रूपा की नाराजगी साफ झलक रही थी जिसे सुनैना ना समझे हो ही नहीं सकती… डिंपल भाभी रूपा को ऐसे बोलते देख इशारों में ही बोली कि तू क्यों टेंशन ले रही है…आने तो दे पहले… कोई शादी थोड़े ही हो रही है जो रह नहीं सकती…

तब तक सुनैना बोली,”हे क्या हुआ… ऐसे क्यों बोल रही है…” सुनैना थोड़ी रूकी पर रूपा कोई जवाब ना दी… सुनैना पुनः बोली,”अच्छा बाबा, नो फिक्सड टाइम… तू जब कहेगी तो ही आऊंगी… मामाजी को ज्यादा जल्दी हुई तो वो अपना आ जाएंगे… ओके अब खुश…”

रूपा बोलना तो काफी चाहती थी पर बोल नहीं पा रही थी… इतने दिनों में इनके बीच ऐसी दोस्ती, इतना प्यार सिर्फ फोन से ही… हालत ये थी कि रूपा मिलने से पहले बिछड़ने के पल को याद कर रूआंसी सी हो गई थी…

सुनैना की भी ऐसी ही हालत थी पर उसे पहले तो मिलने की पड़ी थी… वापस की तो बाद में देखी जाएगी… रूपा की ऐसे आँखों में पानी देख डिंपल भाभी तुरंत ही रूपा के चेहरे को हाथों में लेती बोली…

डिंपल भाभी,”हे रूपा, क्या हुआ?” पर रूपा कुछ ना बोल बस ना में सर हिला दी… और बस रूपा कुछ सोची और अपनी आँखों को कस के भींची और सर को झटक दी… मानों वो इस पलों से बाहर निकल रही हो…

आँखों को दबाने से रूपा की एक बूँद बाहर छलक गई जिसे डिंपल भाभी प्यार से अपनी ऊंगली ले जाती पोंछ डाली… रूपा भाभी की आँखों में देख मुस्कुरा पड़ी जिससे भाभी भी मुस्कुरा कर जवाब दी…

रूपा,”ओके जाने दे इन सब बात को… पहले आ तो सही… बाद में ना पूछती हूँ कि तू मुझसे मिलने आई है या फिर किसी और से…” रूपा की बात सुन इधर डिंपल भाभी की हंसी छूटी और उधर सुनैना की…

सुनैना हंसी रोकती बोली,”अरे तुमसे क्या छिपाऊंगी…डिंपल दी तो बता ही दी होगी…”
रूपा,”भाभी को छोड़ ना…तू सोच रही होगी कि दी है तो बचा लेगी तुम्हें तो तुम इस गलतफहमी में मत रहना…भाभी हैं मेरी तो मेरे साइड रहेगी…समझी ना…”

तभी सुनैना जोर से चिल्लाती हुई बोली,”आ रही हूँ…” और फिर रूपा को बोली,”रूपा मैं बाद में बात करती हूँ, मॉम बुला रही है…ओके…” रूपा भी समझ गई और ओके बाय कह फोन काट दी…

फोन कटते ही रूपा हंसती हुई डिंपल भाभी की आँखों में देखने लगी कि बीच में उफ्फ्फ… उसकी आँखें चमकी और दिमीग में शरारत… हिमालय की चोटी की तरह दो दो शिखर… रूपा की नजर पढ़ भाभी जब तक कुछ सोचती करती तब तक….

डिंपल भाभी “आउउउउउउच्च्च्च” कह चीख पड़ी… रूपा तेजी से सर को उठा मुंह खोली और एक शिखर को कच्च से दांतो से काट ली… डिंपल भाभी जोर सेरूपा के तचेहरे को हटाने की कोशिश करती किकियाती हनई हंस रही थी…

डिंपल भाभी,”कमीनीईईई उफ्फ्फ…छोड़ नाआआईईईईईऽ ” पर रूपा जोर से जोंक की तलह चिपक गई थी… और अब तो उसनॉ हाथों से दूसरी शिखर पर भी चढ़ाई शुरू कर दी… डिंपल भाभी जब रूपा को अलग करने में नाकाम रही तो वो अपनी अगली दांव लगा दी…

डिंपल भाभी उसके चेहरे को छोड़ अपने हाथ रूपा की टीशर्ट पर से उसकी चोटी पकड़ ली और जोर से दबा दी… रूपा की सख्त आम पर दबाव पड़ते ही दर्द से बिलबिला पड़ी और वो डिंपल भाभी की पर्वत छोड़ भाभी के हाथ को पकड़ हटाने लगी…
पर भाभी तो भाभी थी… और वो इस वक्त रूपा से कहीं ज्यादा उन्हें ताकत मिल रही थी तो उनके हाथ को हटाना रूपा के वश की बात नहीं थी… रूपा अपने मुँह से भी भाभी की गुंबज छोड़ अब खुद को ही सोफे से बाहर करने लगी और इसमें वो सफल भी हो गई…

अगले पल वो नीचे जमीन पर थी पर भाभी के हाथ अभी भी रूपा की छाती पर जमी थी और दोनों की हँसी निकली जा रही थी… रूपा भाभी के हाथ को हटाने की सोच अगली पलटी मारने की कोशिश करती उससे पहले भाभी बदले लेने के ख्याल से नीचे आई और अपने मुंह को रूपा की दूसरी अनार की तरफ बढ़ा दी…

रूपा भी कम नहीं थी और अपने पर होने वाले हमले को सोच रोकने की बजाए जवाब देने की सोची… और अगले ही पल रूपा अपने दोनों हाथ आजाद की और भाभी के चेहर को पकड़ नीचे की बजाए ऊपर की तरफ दिशा दो दी….

जब तक डिंपल भाभी वापस अपनी दिशा में आने सोचती तब तक रूपा अपना कामकर चुकी थी और उसके होंठ ने भाभी की होंठ को गिरफ्त में ले ली…डिंपल भाभी थोड़ी अवाक सी रह गई और होंठ को अलग करने की कोशिश कर रही थी…

पर रूपा अगले ही पल भाभी को झटके दे पोजीशन में ला दी और कस के जकड़ती उनके होंठ चूसने लग गई… डिंपल भाभी हंसी मजाक और छेड़छाड़ तो अक्सर करती थी रूपा के साथ पर किस आज पहली बार… ये कमाल उस कनक की थी जिसने रूपा को इसे मजे से अवगत करा चुकी थी….

कुछ ही पलों में भाभी रूपा के रसीले होंठों से पिघल गई और वो किस का जवाब किस से देने लगी… भाभी की ओर से इशारा मिलते ही रूपा पकड़ ढ़ीली कर दी और अपनी जीभ भाभी के मुँह में घुसा अठखेलियाँ करने लगी…

डिंपल भाभी पर इसका असर तेजी से हुआ और रूपा की रसीली जीभ को चूसती ईस्स्स्स्स करती मदहोश हो गई…डिंपल भाभी के हाथ अब रूपा की चुची पर नाचने लग गई और उसे हौले हौले मसलने लगी… पर रूपा विरोध करने की बजाए नीचे से अपनी चुची उठा रही थी कि भाभी पूरी पकड़ के मसलो…

डिंपल भाभी भी कमसिन कली को पा तुरंत गरम हो गई और कुनमुनाने लगी… इस कुनमुनाहट में भाभी ने रूपा के एक हाथ को पकड़ खींचती हुई अपनी एक गदराई चुची पर ला दबा दी… रूपा के हाथ चुची पर पड़ते ही रूपा और आवेश में आ गई और अपना काम करने लगी…

किस करती हुई दोनों बारी बारी से सुर ताल मिला चुची को मसल देती… रूपा मसलती तो डिंपल भाभी हाथ रोक शरीर को रूपा की ओर दबा कर अपनी प्रतिक्रिया देती और जब डिंपल भाभी रूपा की कच्ची चुची को रगड़ती तो रूपा उचक के ऊपर की तरफ धक्के से जवाब देती…

डिंपल भाभी किस की गरमी को अब नीचे महसूस करने लगी थी और नीचे इतनी जोर की कुलबुलाहट उन्हें महसूस हुई कि पूछो मत… डिंपल भाभी इसे कम करने अपनी दुलारी को रूपा की जांघ पर ठीक बीचोंबीच रख जोर से दबाई इससे रूपा को भी फायदा हुआ… रूपा की दुलारी भी डिंपल भाभी की जांघों के नीचे दब के राहत महसूस की…

डिंपल भाभी अपनी दुलारी को और रिलैक्स करने के ख्याल से ऊपर नीचे हो रगड़ने लगी और किस किए जा रही थी….रूपा तो रगड़न से अब सांतवे आसमान पर उड़ी जा रही थी… कुछ ही पल में वो अकड़ने सी लग गई और वो बीच बीच में किस तोड़ कराहती हुई “ओहहहह नो भाभीईईईई प्लीजअअअऽ” कह पड़ती….

पर डिंपल भाभी अब कुछ सुनती तब तो…. वो रूपा के होंठों तुरंत जकड़ लेती और काटती हुई मसल रही थी…और अब भाभी रूपा की चुची भी जोर से रगड़ रही थी… रूपा की नई नवेली चुची तो लाल तो निश्चित हो गई होगी…और उसके होंठ पर भी कई बार डिंपल भाभी के दांत लग चुकी थी जिससे खून आने लगी थी पर रूपा को कुछ पता नहीं चल रही थी…

रूपा क्या चीज थी उसे आज मालूम पड़ रही थी जब भाभी उसे इस तरह मसल कुचल रही थी…जब किसी मर्द के हाथ लगेगी तो क्या होगी ये तो कोई नहीं जानता… खैर वो बाद की बात है…पहले तो इस दो भड़कती आग को जल्द से जल्द पानी की जरूरत थी….

कुछ ही पलों में रूपा आपा खोई और अपने दांत से भाभी के होंठ को पूरी ताकत से दबा दी… डिंपल भाभी को फट गई… वो तो समझी कि मेरी होंठ तो गई अब… बचने के लिए पूरी ताकत से पीछे हुई पर तब तक हल्की कट आ ही गई और खून बह निकली…

रूपा झड़ने लगी थी और थड़थड़ाती हुई कांप रही थी जिसे देख डिंपल भाभी रूपा को कस के दबाए थी और रूपा के कानों के पास सर घुसा उसे चूम रही थी… जब रूपा हल्की शांत हुई तो अब बारी थी डिंपल भाभी की…

वो भी अंतिम पड़ाव पर खुद को देख नीचे सरकी जिससे रूपा के जांघ पर उनकी दुलारी जोर से घिस गई और जब डिंपल भाभी के होंठ रूपा के चुची के पास पहुँची उसी वक्त डिंपल भाभी की टैंक ब्रस्ट कर गई…

डिंपल भाभी लप्प से रूपा की चुची को दांतों से काटती हुई रूपा को जकड़ किकियाने लगी…रूपा भाभी के दांत से चुची कटते ही चिहुंक के सर को ऊपर कर भाभी को हटाने की कोशिश की पर वो सिर्फ सर के ऊपर कर भाभी को हिला भी नहीं सकी….

ऐसे पल में जितनी ताकत होती है उससे तो पत्थर भी टुकड़े हो जाएंगे तो रूपा कैसे हटा सकती है…रूपा विवश हो बस दर्द को पीने की कोशिश करती हुई सर इधर उधर कर रही थी और डिंपल भाभी झटके ले लेकर झड़ रही थी…

कुछ देर बाद जब भाभी शांत हुई तो अपनी पूरी पकड़ ढ़ीली कर रूपा के शरीर पर लुढ़क गई… रूपा भी राहत की सांस लेती धम्म से पीछे सर कर लम्बी सांसें ले हाँफने लगी… कमरे में उठी लहर अब थम चुकी थी…

अचानक दोनों के कानों में रिंग बेल सुनाई पड़ी,”कोई परदेसी आया परदेस में….” दोनों बिजली की भांति उठ के बैठ गई और एक दूसरे की आँखों में देख मुस्कुरा पड़ी… फिर रूपा उठी और सीधे बाथरूम…डिंपल भाभी भी तब तक गेट खोलने बढ़ी जब तक रूपा फ्रेश हो बाहर नहीं आ जाती…
डिंपल भाभी गेट खोली तो चिन्नी धड़धड़ाती हुई अंदर आई और रेलगाड़ी की तरह पीं करती हुई बैग रखने अंदर चली गई… डिंपल भाभी चिन्नी को देख ना चाहते हुए भी हंस पड़ी… चिन्नी रूम के अंदर से ही चिल्लाती हुई बोली,”मम्मी, आड ना मेला वो डोस्त पढ़ने लहीं आया…”

डिंपल भाभी गेट बंद कर वापस आती हुई पूछी,”क्यों बेटा…” तब तक रूपा बाथरूम से फ्रेश हो निकल गई और तौलिये से हाथ मुंह पोंछती वापस सोफे की तरफ बढ़ गई… तब तक चिन्नी बड़ी ही मासूमियत और उदासी से बोली…

चिन्नी,”मम्मी, उसकी डीडी है ना वो कह लही थी उठकोे बुखाल हो गया…वो बुखाल से लो भी लहा ठा… फिल उछके मम्मी पापा उठे डॉक्टल अंकल के पाछ ले गए… डॉक्टल अंकल उसे कान वाला लगा कल चेक किए थे मम्मी…फिल दवा दिए तो वो उछकी मम्मी ने दवा खिला कल उछे फिल छे छुला डी…”

चिन्नी तुतलाती हुई पूरी राम कहानी सुनाने लग गई जिसे सुन रूपा शरारत से आँख नचा कर भाभी से इशारों में ही बात की,”क्यों भाभी, मैं बोल रही थी ना…” डिंपल भाभी रूपा के मंसूबे समझ उसे इशारों में डाँटती मुस्कुरा दी…

डिंपल भाभी,”हाँ बेटा, वो ठीक होगा ना तब आएगा…तुम नाश्ता कर लो…भूख लग गई होगी ना…” तब तक चिन्नी की नजर रूपा पर पड़ी जिसे वो देखते ही रूपा की तरफ दौड़ती चली आई… रूपा हंसती हुई उसे प्यार से चूमती हुई गोद में बिठा ली…

फिर रूपा चिन्नी की प्यारी प्यारी सवालों का जवाब देने लग गई… तब तक डिंपल भाभी उसके लिए नाश्ता ले आई और उसे अपनी गोद में बिठा नाश्ता करवाने लगी… नाश्ता देख अचानक रूपा को याद आया कि ओह गॉड, मम्मी मुझे भी नाश्ता दी थी पर मैं भूल कर इधर चली आई…

वो उठी और भाभी से विदा ले बाहर निकल गई और सरपट भागी…नीचे पहुँच जैसे ही वो अपने घर की तरफ बढ़ी कि उसकी नजर बाहर मेन गेट की तरफ गई… जहाँ मंझली भाभी सीमा नजर आई…

सीमा भाभी को अपनी तरफ देखती पा रूपा थोड़ी ठिठकी… और अपने होंठो पर मुस्कान बिखेड़ दी… ये मुस्कान जबरदस्ती थी… तब तक सीमा भाभी तेजी से रूपा की तरफ बढ़ती चली आई…

रूपा से कुछ ही दूर पर थी सीमा भाभी कि तब तक रूपा बोल पड़ी,”क्या हाल है भाभी, आज बड़ी बन ठन के घूमने गई थी… कोई था क्या…ही…ही…ही…”

सीमा भाभी तब तक रूपा के निकट आ गई थी और रूपा के समीप खड़ी हो रूपा को हल्की चपत लगाती हुई बोली,”अरे मुझ जैसी बूढ़ी के लिए कोई भला क्यों इंतजार करेगा… वो सब तो तुम जैसी नई नई माल के फिराक में रहते हैं…”

सीमा भाभी बातों में माहिर थी एकदम…कोई एक बोले तो वो दो सुना देती थी… रूप रंग में डिंपल भाभी से बराबर थी पर फैशन में वो डिंपल भाभी से दो कदम जरूर आगे थी… डिंपल भाभी पूरी तरह भारतीय नारी की तरह बालों को रखना पसंद करती थी वहीं ये रखती थी उन्हीं की तरह पर आगे से कुछ बाल हमेशा बाईं आँखों पर लहराती रहती थी…

डिंपल भाभी सिंपल सी ब्लाउज पहनती थी और वो पूरी तरह साड़ी से ढ़की रहती वहीं इनकी डीप कट रहती थी और एक चुची तो हमेशा बाहर ही रहती थी… और गले में पहनी हार उनकी चुची की दरार में फंसी रहती थी जिसे देख किसी की भी आह निकल पड़ती…

सीमा भाभी की नाभी तो भला कौन नहीं जानता था… बिल्कुल किसी कुएं की तरह गहरी जिसमें हर डूबना चाहता हो…और नाभी के नीचे बंधी कमरबंध, वो तो जानलेवा ही थी…

उनकी दाहिनी कलाई में सिर्फ एक लहठी होती थी वो भी पतली सी जबकि बाईं कलाई में केहुनी तक चूड़ी भरी रहती हमेशा…पांवों में खनकती पायल जिसे दूर से ही सब की नजर आवाजों की तरफ मुड़ जाती… हर तरह के आभूषण व श्रृंगार से लबालब…

रूपा इठलाई, बलखाई और कटाक्ष नयनों को नचाती अदा से बोली,”हाँ पर जब तक कुंवारें लोट पोट, तब तक ब्याहे तीन चोट…और जो सुगंध खिली फूल में मिले वो कली में थोड़े ना मिल पाती…”

सीमा भाभी,”अरे वाह, बड़ी बात बनाने लग गई हो… कहीं कोई गुरू से सीख रही हो क्या…” कहती हुई सीमा भाभी रूपा से सवाल कर गई… रूपा इनकी बात से थोड़ी रूढ़ सी बोली…

रूपा,”क्या भाभी,इसमें गुरू का क्या काम… ये सब तो सब ऊपर से ही सीख के आते हैं… और रही बात बोलने की तो वो बस इधर उधर से थोड़ी बहुत सीख ली…” रूपा के बोलते ही सीमा भाभी अपनी रंग में आनी शुरू कर दी…

सीमा भाभी,”वो जो ऊपर है ना तेरी गुरू…वो नहीं सिखाती क्या? हमें मत घुमाओ, मैं सब जानती हूँ…” सीमा भाभी बोलने के साथ ऐसे नाक भौं सिकुड़ी मानों इशारों में ही उन्हें घिन्न आ गई…

रूपा,”भाभी, आप भी ना हमेशा…उफ्फ्फ… जैसे आप से बात कर लेती वैसी उनसे भी करती हूँ… और पता नहीं किस बात से आपको उनसे एलर्जी रहती है…” रूपा तंग सी आ गई थी ऐसी बात सुनते सुनते…

सीमा भाभी,”मुझे भला क्यों एलर्जी होगी… ऐं… अरे मैं किसी से नाराज या गुस्सा नहीं रहती पर हाँ किसी की चाल चलन अगर घिनौनी हो ना तो मैं उसे देखना तक पसंद नहीं करती… और मम्मी पापा तो उसी महारानी की हमेशा गुण गाते रहते हैं…हुंहह..”

उफ्फ्फ…ऐसी घटिया बात सुनते ही रूपा की तो सर से पांव गुस्से से भर आई… उसके अंदर पावर हाउस की करंट दौड़ गई… मन ही मन बोलने लगी कमीनी, वेश्या की तरह तुम बन ठन के मटकती हुई घूमती रहती हो और बदचलन उसे कह रही हो जो आज तक कभी तुम्हारी तरह पहरावे की सोची भी नहीं…

और घमंड से तुम मुंह फिरा के रहती हो सबसे और दोष उन्हें देती हो जो हर वक्त मौजूद रहती हैं… वो गुस्से में पागल सी हो गई और क्या बोलती, उसे खुद समझ नहीं आ रही थी… आखिरकार वो दिमाग को किसी तरह रोकी और काफी मशक्कत के बाद बोली…

रूपा,”भाभी, ये क्या कह रही हो आप फिजूल की बातें… ये गलत है किसी को बदनाम करना…” रूपा की बात सुनते ही वो भड़कती सी उठी और नाक मुंह हाथ पांव सब एक साथ चमकाती हुई बोली…

सीमा भाभी,”रूपा, मेरे सर सर सींग नहीं उग आए हैं जो बेवजह किसी को कुछ बोल दूँ…चल आ मेरे साथ मैं तुम्हें दिखाती हूँ…” कहती हुई सीमा भाभी चमकती हुई पलटी और चल दी अपने फ्लैट की ओर… पीछे पीछे रूपा भी एकबुत बनी… वो क्या सुन रही थी उसे कतई विश्वास नहीं हो रही थी…
सीमा भाभी अपने फ्लैट में दाखिल होते ही सीधी बेडरूम में घुस गई… रूपा भी उनके पीछे खींचती हुई चली गई… उसके अंदर सवालों को मकड़जाल सा बुन गया… आखिर सीमा भाभी क्या दिखाना चाहती है…

डिंपल भाभी को नीचा दिखाने की उसने कई बार कोशिश तो जरूर की थी पर हर बार वो मात खा गई… आखिर वो झूठ का चोला जो पहन कर कोशिश करती थी… पर आज तो इनके तेवर देख किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है कि हो ना हो जरूर कोई चीज है, तभी तो इतना उड़ रही है…

तभी सीमा भाभी अपना लैपटॉप निकाली और ऑन करती बेड पर बैठ गई… रूपा भी उनकी बगल में गुमशुम बैठ स्क्रीन पर नजर गड़ा दी और जल्द से जल्द देखने को आतुर हो गई…

तभी सीमा भाभी खटखटाती हुई एक प्राइवेट फोल्डर खोली जो कि पासवर्ड से सिक्योर थी… पहले उसने उस फोल्डर की जन्मतिथि दिखाई जो की आज सुबह की ही है.. मतलब ये अस्त्र आज ही मिली थी उन्हें…

सीमा भाभी ने फोल्डर ओपेन की तो छोटी छोटी कई पिक्चर थी…रूपा पिक्स देखते ही स्क्रीन की ओर आँख सटाती हुई देखने की कोशिश करने लगी… जिसे देख सीमा भाभी कुटील हंसी के साथ बोली,”अरे रूपा, इतनी परेशान होने की जरूरत नहीं है… ये ओपेन भी होती है…ये देखो फूल स्क्रीन में…”

पिक्चर खुलते ही रूपा तो गश खा गिरते गिरते बची…उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था… वो कभी फोटो देखती तो कभी सीमा भाभी को हताश भरी नजरों से…

फोटों डिंपल भाभी की शादी से पहले की थी और वो एक लड़के की गोद में सर रख लेटी थी और अपने हाथ उस लड़के के गाल पर रखी थी… साथ ही वो लड़का भी मुस्काता हुआ डिंपल भाभी के होंठो को टच किए हुए था…

फोटो देख तो हर कोई समझ सकता था कि ये प्रेमी जोड़े हैं… रूपा बड़ी गौर से डिंपल भाभी को देखी तो भी सुकून नहीं… क्योंकि वो डिंपल भाभी ही थी जिनके निचली होंठ पर तिल साफ साफ दिख रही थी…

सीमा भाभी,”रूपा ये तो कुछ भी नहीं है, अपनी प्यारी भाभी के और कारनामे देखेगी… ये लो. देखो…” कहती हुई सीमा भाभी ने नेक्सट बटन दबा दी… फोटो देखते ही सीमा भाभी आय-हाय छम्मक छल्लो.. करती हुई मुस्कुरा दी…

डिंपल भाभी की आँखें बंद थी और उनकी साँसें ऊपर खींच कर रोकी सी लग रही रही थी…जबकि वो लड़का डिंपल भाभी के उभारों के ठीक उपर चूम रहा था मस्ती से और उसका हाथ नीचे से चुची से सटा हुआ था जिसे डिंपल भाभी कस के पकड़ी हुई थी…

सीमा भाभी कुटीलता से हंसती मौका देख नेक्स्ट बटन… ये तो और सर चकराने वाली थी… अबकी बार उसका हाथ डिंपल भाभी की सीधी चुची पर थी और डिंपल भाभी के हाथ उस लड़के के हाथ पर… फोटो से प्रतीत हो रही थी कि मामला गरम हो रही होगी उस वक्त… फिर नेक्सट…

दोनों के होंठ आपस में चिपक गए थे अब और लड़के के हाथों की नस उभरी नजर आ रही थी… मतलब चुची मर्दन शुरू हो चुकी थी… नेक्सट…

अचानक डिंपल भाभी टापलेस…सिर्फ ब्रॉ में…नीचे कुरती पहनी थी…और वो लड़का भी सिर्फ जींस में… डिंपल भाभी के दोनों पैर को बीच में हटा ठीक बूर के ऊपर लंड टिका दबाए था और चुची मसल किस कर रहा था…नेक्सट…

काफी क्लोजअप सीन… डिंपल भाभी की सफेद ब्रॉ की… वो लड़की निप्पल को चुटकी से पकड़ ऊपर की तरफ उठा कर क्लोजअप पिक्स था… डिंपल भाभी की उत्तेजना कड़ी हो चुकी निप्पल से साफ मालूम चल रही थी…नेक्सट…

इतनी हॉट पोज धीरे धीरे बढ़ रही हो और देखने वाले का कुछ ना हो… असंभव… भले ही रूपा हैरान परेशान थी, वो विश्वास ना कर पा रही थी… ना सीमा भाभी पर, ना डिंपल भाभी पर, ना खुद पर किंतु सामने सच्चाई तो कुछ और ही रंग बिखेर रही थी…

जिसका असर रूपा पर साफ देखी जा सकती थी…ये बात सीमा भाभी नोट भी कर चुकी थी… जिसे देख वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी… रूपा अपनी जांघों को भींच वासना को दबाने की भरकस प्रयास कर रही थी…

अगली पिक्स में डिंपल भाभी सिर्फ पेंटी ब्रॉ में…लड़का अब बगल में बैठ डिंपल भाभी की चुची को ब्रॉ के ऊपर से ही चूम रहा था और हाथ नाभी को कुरेद रहा था…नेक्सट…

रूपा के अंदर तो कोई लावा उसे जला कर राख किए जा रही थी… सीमा भाभी तो वैसे भी डिंपल भाभी को हमेशा नीचा दिखाने की ताक में रहती थी… कितनी पसंद थी…. रूपा, पुष्पा, कालिया और जितने जाननेवाले परिचित लोग थे सबके… पर वो सब एक ही झटके में चूर चूर…

अभी तो रूपा पर बिजली गिर रही थी… जब ये सब मम्मी, पापा लोग देखेंगे तब क्या बीतेगी डिंपल भाभी पर…सीमा भाभी से अगर इस बात पर चर्चा भी की तो वो तो ऐसे बरसेगी जैसे आग में पेट्रोल छिड़कने पर होती है…

रूपा की तो देख कर हालत खराब हो ही गई थी और उससे भी घिनौनी उसे तब महसूस होती जब डिंपल भाभी की हंसमुख चेहरे को याद कर… डिंपल भाभी के चेहरे पर की खुशी उसे एक पल में मिटती नजर आई और उसके बाद की जो तस्वीरें सामने आई उसे देख तो रूपा कांप सी गई….

रूपा अब बर्दाश्त करने की हालत में नहीं थी और वो बेड से उठने के लिए जैसे ही हुई कि सीमा भाभी उसे कंधे पर हाथ रख बोली,”रूपा, बुरा लगा क्या…ओके इसके लिए माफ कर देना क्योंकि सबकी चहेती का असली रूप सामने ला दी… और सबको दुख दी.. पर मैं क्या कर सकती हूँ… सच तो सच है ना…”

रूपा कुछ बोलने की हालत में नहीं थी… वो बस टुकुर टुकुर देखे जा रही थी… सीमा भाभी को वो सुन भी रही थी या नहीं ,पता नहीं…सीमा भाभी तभी रूपा के चेहरे को वापस स्क्रीन की ओर मोड़ दी…

अब तो सब ओपेन थी…लड़का भी पूरा नंगा, डिंपल भाभी की पैंटी उनके एक पैर में आ फंसी थी…और लड़का भाभी के दोनों पैर को अपने कमर में लिपटाए पड़ा था… एकदम साफ दिख रही थी कि भाभी की बूर में उसका लंड समाया था…नेक्सट…

उसी पोज की पिक्स थी पर अब वो भाभी के चेहरे की एक्सपीरीशन थी…भाभी मुँह खोले उचकी थी, आँखें बंद थी…लड़का सर नीचे किए भाभी की एक चुची मुंह में ठूंसे था और दूसरे की निप्पल को दूसरे हाथ से ढ़ंके था…

तभी सीमा भाभी बोली,”रूपा, तेरी प्यारी भाभी तो बड़ी पतिव्रता निकली…”रूपा सीमा भाभी की ये कटाक्ष सुन फड़फड़ा कर जख्मी सी हो गई… सीमा भाभी अब सीधी रूपा पर वार करने लग गई थी… रूप खून के घूंट पी कर रह गई…
सीमा भाभी आगे बोली,”अब तुम सोच रही होगी कि ये पिक्स कहाँ से आई…” सीमा भाभी की सुनते ही रूपा हामी की नजरों से उनकी तरफ देखने लगी… सीमा भाभी अपनी नैन चमकाती हुई रूपा को जवाब दी…

सीमा भाभी,”ये सब फेसबुक की देन है…ये लड़का उसी नानी की मायके में पड़ोसी है… पैसे वाला है… पहले तो मैं इसके रिक्वेस्ट को इग्नॉर कर रही थी पर जब उसकी प्लेस देखी तो रिप्लाई दे दी…”

सीमा भाभी आगे बोली,”और फिर जैसा कि सब लौंडो की आदत है ना लड़की इम्प्रेस्ड करने की तो उसी चक्कर में इसने ये सब हमें दिखाया… मैं भी पहले देख के चकरा गई…”

रूपा हैरान परेशान धीमी आवाज में पूछी,”कुछ समझी नहीं भाभी…”

सीमा भाभी,”अरे पहले तो नॉर्मल चैट हुई… मैं जब देखी कि ये तुम्हारी भाभी के शहर से है तो सोची थोड़ी चैटिंग कर लेती हूँ…फिर वो धीरे धीरे बोल्ड होता गया…तो मैं भी कुछ झूठी बात बना कर बताने लगी कि मेरे भी कई ब्वायफ्रेंड थे…सेक्स भी की थी… वगैरह वगैरह.. और मस्ती करती गई…”

सीमा भाभी की बात अब रूपा की समझ में आने लगी थी…सीमा भाभी आगे बोली,”फिर जब उसके गर्लफ्रेंड के बारे में पूछी तो वो पहले तो ना किया…जब दो चार लेक्चर दी कि झूठे पसंद नहीं और मैं यहां मस्ती करने आती हूँ और बात बनी तो रिलेशन भी…वगैरह वगैरह… तो उसने कबूला और अपनी गर्लफ्रेंड का नाम बताया… नाम सुनते ही मुझे तो करंट लग गई और विश्वास नहीं कर पा रही थी…”

“मैं ये नहीं बोली कि ये अब हमारी घर की रानी है और बात बदल के पूछी कि इनके साथ सेक्स कैसी रही तो उसने हमें दिखा के पूछा देख के बताओ तुम ही…फिर ये सब तस्वीरें भेज दी… पर मैंने उससे ये भी पूछी कि यार ऐसी तस्वीरें तुम्हारे पास है तो कुछ फायदा उठाते कि नहीं…”

सीमा भाभी की बात सुन रूपा जिज्ञासापूर्ण उनकी तरफ देखी कि वो क्या बोला…सीमा भाभी,”..तो ये नहीं बता पाया और वो डिस्कनेक्ट हो गया…शायद नेटवर्क में प्रॉब्लम आ गई थी उसे… आज फिर चैट करूंगी रात में तो मालूम पड़ जाएगी..”

रूपा की समझ में सारी बात तो आ गई पर एक बात फिर खटक गई…रूपा,”अगर वो अभी भी ब्लैकमेल करता होगा तब तो बहुत ही गड़बड़ है…”

“हाँ हो सकता है कि कर रहा हो पर उससे पहले अपनी इस महारानी की तो देखोऽ.. ये गई तभी तो वो कुछ किया, नहीं जाती तो थोड़े ही… रंडी कहीं की…” सीमा भाभी बोलते बोलते रूक सी गई क्योंकि रूपा उन्हें कच्ची चबा जाने वाली नजरों से घूरने जो लग गई थी…

सीमा भाभी सोची की अभी के लिए इतनी ही काफी है… तो उन्होंने स्क्रीन से फोटो गायब कर दी और कोई जख्मी भरे नगमें प्ले कर लैपी साइड में कर दी…फिर कुटीलता से रूपा की तरफ देखने लगी…

रूपा क्या बोलती, पर बिना कुछ कहे तो रह नहीं सकती…रूपा,”भाभी, ये तो गलत है…साले ऐसे कमीने लड़के को तो…” रूपा दिल की भड़ास निकालनी चाही पर बीच में ही सीमा भाभी टपक पड़ी…

सीमा भाभी,”ना…ना..बेबी… उस लड़के को गाली मत दो… अगर गाली देनी ही है तो उस महारानीऽ… को सुनाओ…जो मयके में पता नहीं कितनों से मुंह काला की है और अब शरीफ की चादर ओढ़ सबको दिखला रही कि मैं पतिव्रता हूँ.. ये हूँ..वो हूँ…ऐसी पहन नहीं सकती..वैसे मुझे शर्म आती है….”

रूपा की तो लग गई… पर विवश हो बोली,”भाभी…ऽ प्लीजऽ… आपसे एक रिक्वेस्ट है मेरी अभी… प्लीज मना मत करना…” रूपा की आवाजें रूआंसी सी हो गई थी जिसे सीमा भाभी ताड़ गई और हामी भर दी…

रूपा,”भाभी, आप ये सब प्लीज मम्मी- पापा या किसी और को मत दिखाना और ना जिक्र करना… मैं डिंपल भाभी से पहले बात करूँगी…फिर सोचेंगे…अगर अभी किसी को मालूम पड़ गई तो पता नहीं गुस्से में मम्मी पापा या भैया क्या एक्शन लें ले…”

सीमा भाभी रूपा की बात सुनते ही कुटीलता से आँख चमकाई और प्यार से रूपा के गालों को सहलाती बोली,”अरे कैसी बात करती हो रूपा…मैं अगर ऐसी बात सोचती तो भला तुम्हें पहले क्यों बताती…मैं तो डिंपल से ही सीधे पूछने जाती पर वो मुझे देखते ही भड़क उठती है तो ये सब देखेगी तो पता नहीं क्या करती…”

“तब सोची कि अगर तुम्हें बताई जाई तो कुछ सोची भी जा सकती है और तुम तो उनसे पूछ ही सकती हो…अरे शक तो मुझे पहले से ही था पर वो इतना शरीफ बनी फिरती है कि मुंह खोलते भी नहीं बन रही थी और वो मेरी किसी बात का ढ़ंग से जवाब नहीं देती थी…तभी तो मेरी उससे नहीं पटती थी…और बातचीत बंद हो गई …”सीमा भाभी कहती हुई रूपा को तसल्ली दी…

रूपा तो सब समझ रही थी पर स्थिति ही कुछ ऐसी थी कि उसे सीमा भाभी की बात टालते बन नहीं रही थी… खास कर ऐसे मौके पर जहाँ थोड़ी सी कड़वी बात कुछ भी करवा सकती थी… रूपा मन को किसी तरह दिलासा दी और बोली…

रूपा,”ठीक है भाभी, मैं चलती हूँ …मम्मी आंटी के यहाँ गई है तो मुझे किचन का काम करने बोल गई थी…बाद में आपसे मिलती हूँ…” कहती हुई रूपा जाने के उठी तो साथ में सीमा भाभी भी उठती हुई बोली…

सीमा भाभी,”ठीक है…कल बता दूँगी और सारी बातें… पता नहीं कहाँ से ये रंडी इस खानदान में आ गई और सबकी इज्जत दांव पर लगा दी…कलमुंही इतनी खुजली थी तो अपने मां बाप के यहाँ रहती और मुंह मारती फिरती…” और ढ़ेर सारी दुआए सुनाती चली गई…

रूपा गेट के पास आती सिर्फ “प्लीज भाभी..ऽ “कह सकी और निकल गई… रूपा कुछ समझ पाने की हालत में नहीं थी कि क्या करे…वो अंदर अपने रूम में इतनी तेजी से घुसी जितनी तेज बिजली दौड़ी हो और वो बेड पर धम्म से गिरती सुबकने से लगी…

वो रो रही थी क्योंकि सीमा भाभी इस मौके को किसी कीमत पर खोती नहीं…परिणामतः डिंपल भाभी के साथ क्या होता वो तो सोच भी नहीं सकती.. साथ साथ उसके मम्मी पापा की इज्जत की भी धज्जियाँ उड़ जाती…

डिंपल भाभी अगर अभी आ जाए रूपा के सामने तो उसका मुंह नोंच लेती… कमीनी कितनी साफ सुथरी छवि दिखाती फिरती है सबको… शाली पता नहीं कितनों संग गुल खिला चुकी है… अभी तो एक ही है…

काफी देर तक रूपा बस यूँ ही पड़ी रही और सोचती रही…पर कुछ सूझ नहीं रही थी… वो सीमा भाभी से उस लड़के की आई डी मांगती तो वो देती नहीं…वो लड़का जब इतने दिनों से तस्वीरे संभाल के रखा है तो ब्लैकमेल भी जरूर करता होगा…

फिर तो डिंपल भाभी…नहीं नहीं… वो सिर्फ अपने लिए करता होगा… अगर वैसी बात होती तो डिंपल भाभी किसी को जरूर बताती इतने दिनों में… और सबसे बड़ी बात कि उसे ये बात छुपाने की क्या जरूरत थी अगर वो ब्लैकमेल कर रहा होगा तो… हाँ अगर रिलेशन खत्म हो गए होंगे तो बस सबको ढ़ंग से समझाने की जरूरत होगी… और अगर नहीं हुई होगी तो आफत आ जाएगी…

ये बात तो अब कल ही मालूम पड़ेगी सीमा भाभी से…
रूपा लेटे लेटे ही नींद में चली गई और मम्मी ने जब खाने के लिए आवाज दी तब रूपा की नींद खुली… रूपा उठी और खाना खा अपने रूम में चली आई… पर सीमा भाभी व डिंपल भाभी की बात उसके अंदर और तेजी से हड़कंप मचा रही थी…

उसने बाहर से फोन उठाई और कनक को फोन लगा दी… फोन लगते ही कनक शुरू हो गई अपनी आदतानुसार….

कनक,”हाय रूपा…पता है आज उस भांजे के मामा की जेब ढ़ीली करने में कितनी मशक्कत करनी पड़ा… शाला का इत्ता मोटा था ना कि मुंह अभी तक दर्द कर रही है…”

कनक की बात सुनते ही रूपा की हंसी निकल पड़ी… रूपा की जो हंसी शाम से गायब थी वो अब थोड़ी देर के लिए वापस आई थी वो भी कनक की वजह से… आखिर दोस्त इसी लिए तो होते हैं…

रूपा,”अच्छा पर तुम तो एक्सपीरीयंस्ड थी तो फिर भी…” रूपा हंसती हुई कनक के जवाब में सवाल दागी… कनक रूपा की हर तरह की आवाज को अच्छी तरह पहचानती थी… वो रूपा की सूनी आवाजें सुनते ही डर सी गई…

कनक,”हे…क्या हुआ…कोई प्रॉब्लम है क्या..”कनक सीधे मुद्दे पर आ गई … तो रूपा कुछ बुझी सी अफसोस करती हुई बोली,”हाँ यार पर समझ में नहीं आ रही कि क्या करूँ..”

कनक,”अब बोलेगी भी…” कनक के पूछने पर रूपा सारी बात कह डाली… जिसे सुन कनक भी थोड़ी सहम सी गई… पर वो जानती थी ये वक्त सोचने और करने का है वर्ना सीमा भाभी को वो भी जानती थी… ऐसे सुनहरे मौके भला वो क्यों छोड़ती…

कनक कुछ सोचती हुई,”अच्छा रूक एक मिनट… मैं सीमा भाभी की फ्रेंडलिस्ट चेक करती हूँ…” कनक कहती हुई अपने फेसबुक खोल सीमा भाभी की फ्रेंड चेक करने लगी… खासकर डिंपल भाभी के शहर की…

कनक,”रूपा, एक काम कर… मैं सुबह आ रही हूँ और थोड़ा समय लगेगा चेक करने में… तो जब मैं कॉन्फॉर्म हो गई तो बात करती हूँ…ठीक है…फोन अपने पास रखना… कितनी बार कहती हूँ कि एक लैपी ले ले या कोई अच्छी सी मोबाइल ही तो नहीं..कम से कम इस वक्त हेल्प भी तो करती…खैर रखो फोन…बाय…”

कनक के बाइ कहते ही रूपा फोन रख दी…कनक अपने काम में लग गई…कनक सीमा भाभी की फ्रेंडलिस्ट देखे जा रही थी… सीमा भाभी ऑनलाइन नहीं थी… लिस्ट में सैकड़ों फ्रेंड थे…कनक समझ नहीं पाई तो वो पैलेस सर्च कर ली…

अब डिंपल भाभी के पैलेस से सब आ रहे थे… फिर सीमा भाभी में जुड़ी सब लिस्ट देखी तो कुल पाँच लोग मिले… जिनमें तीन मेल और दो फिमेल… कनक फिमेल को इग्नोर कर दे तो भी तीन में से कौन है…

कनक पहले तो तीनों को रिक्वेस्ट भेजी और आईडी लिख कर रख ली जब तक कि रिक्वेस्ट कॉन्फॉर्म नहीं हो जाती…फिर इन तीनों में से कौन है वो मालूम करनी होगी…

रूपा का सर तनाव से दर्द करने लगी थी… वो इससे मुक्त होने के लिए क्या करे, सोचने लगी… फिर उसने फोन से पुनः नम्बर डायल कर दी..इस बार नम्बर उस लड़के को लगाई थी जिससे बात नहीं करने की सोची थी…

फोन रिसीव होते कुछ सुनने से पहले ही रूपा बोली,”नाम क्या है?”
“रोहन…क्या हुआ..”उस लड़के ने रूपा की तेज आवाज से सकपका सा गया…
रूपा,”तुमसे मतलब…”

रोहन,”नहीं…हाँ…पर “रूपा कल तक आप तक थी और आज तुम पर उतर आई…ये रोहन के गले नहीं उतर रही थी…
रूपा,”ये नहीं हाँ क्या लगा रखे हो…”

रोहन,”हाँ, मतलब आपसे नहीं रहेगा फिर किससे होगा…तभी तो पूछा हूँ…”
रूपा,”जी नहीं, मतलब नहीं है…तुम सब एक जैसे हो…मैं सिर्फ ये कहने फोन की थी कि आज के बाद सोचना बंद कर दो कि मैं कभी फोन भी करूँगी..”

रोहन की तो फट के हाथ में आ गई थी…
रोहन,”पर क्यों…मेरा मतलब मैंने ऐसा क्या कर दिया जो इतनी गुस्सा हो रही हो…”
रूपा,”क्या कर दिया…हम्म्म…रात में बात की थी तो बोले कि कनक से भी बात किए हो…”

रोहन,”ओफंफ्फ…तो इस वजह आप गुस्सा हैं… हाँ मैं नहीं बोला था ये मेरी गलती है… मैं आपके फोन से इतना एक्साइमेंट था ना कि और सब भूल गया तो नहीं याद रहा…और वैसे भी आप दोनों दोस्त हैं तो सोचा आपको मालूम पड़…”

रूपा,”शट अप…मुझे बात नहीं करनी अब बस…समझे…गुड बॉय..” रूपा गुस्से से भरी आवाज में बोली…ये गुस्सा सच में था या फिर सीमा भाभी की बात से हुई टेंशन इस पर उतार रही थी, कहना मुश्किल…

रोहन को भी इसी वक्त फंसना था…अभी 24 घंटे में ही सब खत्म… अगर सीमा भाभी की बात से रूपा ऐसी बर्ताव कर रही थी तो उस बेचारे रोहन को क्या मालूम… वो तो बस अपनी छोटी सी गलती को याद कर खुद को कोसे जा रहा था…

रोहन,”हे..एक मिनट प्लीज…फोन मत रखना…” रोहन रूपा की गुड बॉय सुनते ही हड़बड़ा कर रोका जिसे सुन रूपा थोड़ी रूकी और बोली,”जल्दी बोलो…”

रोहन,”देखो मुझे लगा तुम्हारी ही दोस्त है तो बात कर ही लिया तो….” रोहन की बात पूरी ही नहीं हुई कि रूपा बीच में किसी आत्मा की तरह आ टपकी…

रूपा,”हैलो, मैं मना नहीं कर रही हूँ…तुम्हारी मर्जी तुम जिससे बात करो…मैं कौन होती रोकने वाली…मुझे बात नहीं करनी बस…”

रोहन का दिल तो मानो टूट के चूर चूर हो गया था…वो ऐसी उम्मीद कभी नहीं किया था… वो कहना तो बहुत चाहता था, सब कुछ साफ साफ समझाना चाहता था पर रूपा तो बस एक ही रट लगा रही थी… वो अब और ना सुनने की हालत में नहीं था…रोहन की आँखें नम हो चली थी…

उसने आँखें बंद की, लम्बी साँसे खींचा और दांत पीस कर सारी यातना , दर्द का कचूमर निकालते हुए बाहर कर दिया वो भी सिर्फ एक बूंद आँसू के रूप में… वो सम्भला और बोला…

रोहन,”पहली बार दिल से हारा हूँ मैडम… अब कुछ कर भी नहीं सकता…दिल तो मैंने आपके नाम कर दिया… जिस पर अब मेरा भी वश नहीं चलने वाला… और गलती भी इसमें मेरी ही है जो बिना जाने आपसे दिल लगा बैठा… कम से कम आपसे एक बार पूछ तो लेता… पागल था मैं ही…”

रूपा अचानक रोहन की रूखड़ी आवाज सुन थम सी गई… वो फिर से सारी बातें रिपीट कर याद करने लगी… कैसे रात में बात की थी.. फिर सुबह कनक बताई कि वो इससे बात किया था… जिसे सुन मैं सोच ली कि अब बात नहीं करनी… बात क्या थी कुछ नहीं…
दोस्त थी कनक तो बात किया… अगर मैं भी होती तो जरूर करती… इसमें इतना गलत क्या… रूपा खुद की इस नासमझी से हिल गई और वो इसे सुधारने की सोच रोहन की आवाजें सुनने की कोशिश की… जो अब तक सुन तो रही थी पर समझ नहीं पा रही थी वो क्या कह रहा है…

रूपा हैलो बोली पर तब तक फोन कट गया… क्या सब बोला होगा… रूपा सोचने लग गई… पर कुछ याद नहीं आई… वो तंग आ फोन वापस पटक दी… फोन रखते ही फोन बज उठी जिसे रूपा बिजली की तरह लपक के उठाई…

“शाली, कमीनी कित्ती देर से ट्राई कर रही थी…फोन लग ही नहीं रही थी… क्या कर रही थी तू फोन के साथ…” कनक धड़धड़ाती हुई रूपा को पिलाने लग गई…

रूपा,”सॉरी यार, वो जरा बात कर….”
कनक,”किससे…”रूपा के मुख से अनायास निकले शब्द को लपकती हुई कनक सवाल दाग दी…रूपा तो सर पीट ली… वो कनक की जल्दबाजी में बोल ही दी जो कि अब तक छुपाई थी…

रूपा बात को मोड़ती हुई बोली,”वो…वो…कस्टमर केयर वालों से…” रूपा की झूठ और कनक ना समझे, हंसने वाली ही बात थी… कनक ज्यादा प्रेशर डालने की जोहमत उठाने की सोची भी नहीं और बोली…

कनक,”अच्छा चल ठीक है…मैं गुड नाइट बोलने फोन की थी…रखती हूँ..गुड नाइट…” और रूपा की कान में डिस्कनेक्ट की बीप सुनाई पड़ने लगी…रूपा तो झटके खा गई… आखिर उसी के साथ क्यों हो रहा है…

कनक कुछ बताने फोन की थी जो रूपा की झूठ की वजह से ना बताई… और रूपा जानना चाहती थी… रूपा नाराज कनक को मनाने फोन घुमाई तो अंत समय में जा के कनक फोन रिसीव करती हुई बोली,”क्या यार, सोने भी नहीं देगी क्या..”

रूपा,”रोहन से बात कर रही थी…सॉरी…” रूपा एक ही झटके में सच उगल दी…रोहन सुनते ही कनक की मूड वापस पहले की भांति हो गई…

कनक,”शाली, लंड खाने की शौक चढ़ रही है तो मुझसे भी शर्मा रही है… चल बता अब फोन से कितनी बार पेला तुझे…”कनक खनकती हुई पर धीमी आवाज में बोली…

रूपा कनक की बेशर्मी लब्ज सुन शर्मा सी गई… फिर बोली,”मुंह बंद कर…मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो हर वक्त शुरू रहूँ…सिर्फ हाय हैल्लो हुई और कुछ नहीं… काम की बात बोल…”

कनक,”क्या? रोहन सच में लड़का है या नहीं, कन्फ्यूज हो रही मैं…शाला इत्ती मस्त माल से बात किया और वो भी बिना कुछ किए… चेक करना पड़ेगा….”

रूपा,”कर लेना, वैसे भी झगड़ ली है मैंने….” रूपा का सर तो चकरा गया…पहले दिन ही… जब कारण पूछी तो रूपा अपनी गलती बता दी और कनक से इसके लिए सॉरी भी बोल दी…कनक ओके बोलने के साथ साथ ये शर्त भी रख दी कि तुम उसे अभी फोन करके मनाओगी… रूपा भी ओके बोल दी…

कनक,”तो अब सुन,अभी मैं फेसबुक पर ऑन ही हूँ और मुझे उस कमीने की पहचान में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही है… पहले तो तीन थे और जब एक ऑफलाइन है इस वक्त तो ब़े दो और सीमा भाभी भी ऑन हैं… मतलब सीमा भाभी उनसे चैट कर रही है पर कौन है ये नहीं समझ पा रही…”

कनक आगे बोली,”दोनों से चैट कर रही हूँ और साले दोनों जवाब दे रहे हैं… सीमा भाभी काफी लेट रिप्लाई देती है पर ये नहीं… मतलब तो साफ है कि बात तो हो रही है पर किनसे ये नहीं साफ हो रही…”

कनक की बात खत्म होते ही रूपा हम्म्म की और बोली,”अच्छा उसकी फोटो तो होगी ना..” कनक बोली,”हाँ पर मैं कैसे पहचानूंगी…मैं तो देखी भी नहीं… रूपा के मुख से”ओह हाँ”निकल गई….

कनक,”अच्छा, तब तक तू यार को मना… मैं कुछ वेट कर देखती हूँ…”

रूपा,”कनक, डिंपल भाभी की पिक्स तो होगी ना तुम्हारे पास…” रूपा के कहते ही कनक फटकारती हुई बोली,”शाली तू पागल है क्या? डिंपल भाभी की पिक्स उसे दिखाई ना तो वो तुरंत सीमा भाभी से पूछ देगा…और सीमा तुरंत हम दोनों को पकड़ लेगी… अभी सिर्फ चैट कर रही तो वो कतई नहीं कहेगा कि और लड़की भी ऑनलाइन है मेरे साथ…”

रूपा “ओह…”कहती अपनी बेहूदगी पर अफसोस जाहिर की जिसे सुन कनक बोली,”अच्छा तू फिलहाल रोहन से बात कर, मैं बाद में कॉल करती हूँ, बॉय…”

फोन कटते ही रूपा सोच में पड़ गई… रोहन के साथ की गई बर्ताव को याद कर… कितनी गंदी सोच थी उसकी..खैर जो बीत गई वो गई ताखे पर, सोचती हुई फोन लगाने लगी…

पूरी रिंग हुई पर फोन नहीं उठी…दूसरी बार परेशान रूपा की पर कोई जवाब नहीं… रूपा रूक सी गई… वो अब सच में परेशान होती जा रही थी और मन ही मन बुदबुदा भी रही थी प्लीज एक बार बात कर लो फिर ऐसी गलती नहीं करूँगी…

तीसरी बार, चौथी बार, पाँचवी…छठी…
सातवी…आठवीं…नौवीं… रूपा लगातार फोन करती जा रही थी पर अब तक कोई जवाब नहीं… रूपा की आँखों से आँसु बहने लग गई थी और तड़पती हुई जल्द से जल्द फोन करने की सोच रही थी पर फोन रिसीव ही नहीं हो रही थी….

रूपा अचानक ये सोचने को मजबूर हो गई कि वो तो अभी तक रोहन से सीरीयस नहीं थी तो रो क्यों रही हूँ… पर रूपा को ये कहाँ मालूम कि ये गुस्ताखी तो दिल करता है… तो उसे कैसे मालूम होती… और वो दिल अब सिर्फ रोहन के लिए धड़क रहा है बिना रूपा को बताए…

रूपा दिमाग में, सोच में, भले ही रोहन को नहीं फटकने दे रही थी पर दिल में तो वो पैर पसार कर लेटा था… और ये बात रूपा को अभी मालूम पड़ी… रूपा जल्द ही हार गई दिल के आगे और बिना किसी आहट के रोने लग गई…

पता नहीं तब तक कितनी बार कॉल कर चुकी थी रूपा… तन से हार चुकी थी, पर मन से और जोश से भर गई थी, दिल तो और ऊर्जावान हो गई थी… अचानक ही रूपा सकते में आ गई… क्योंकि अबकी बार फोन रिसीव हो गई थी… रूपा तुरंत खामोश…

रोहन की आवाज नहीं आई तो रूपा ही पहल की… रूपा के जवाब में एक करूणामयी हल्की सी हैल्लो सुनाई पड़ी… रूपा समझते देर नहीं कि ये वो नहीं, उसके जख्म बोल रहे हैं जो कुछ देर पहले रूपा ने उसे गिफ्ट में दी थी…
रूपा सुबक पड़ी और कंकपाती हुई बोली,”हे इतनी सी बात पे रोता है भला कोई…” और कहते हुए रूपा फफक पड़ी… रोहन के तो तार तार हिल गए कि कुछ देर तक दहाड़ रही रूपा को अचानक क्या हो गया….

वो जिसे अपनी जिंदगी मान चुका था, उसे ऐसे रोते देख वो पागल सा हो गया .. वो डरते हुए बोला,”नहीं…नहीं… मैं नहीं रो रहा… रो तो तुम रही… मैं तो बस…. डऽर गया….” रोहन और कुछ कहना चाहता था पर कह नहीं पाया…

रूपा,”शाले रो भी रहे और मुकर भी रहे…”रूपा अपनी रूदण पर काबू करती हुई सुबक के बोली… रूपा आँखों से आँसूं पोंछती हुई बोली पर आवाज अभी तक रो ही रही थी…

रूपा,”सॉरी बोलने फोन की थी… ” रूपा की सॉरी सुनते ही रोहन भी खुद पर काबू पाते हुए बोला,”क्यों..” रूपा अब इस क्यों का क्या जवाब दे… रूपा सोची फिर बोली,”तेरी उंगली जो की थी और तुझे जोर की लग गई थी…”

रूपा कनक की बोलचाल का सहारा ले स्थिति नॉर्मल करने की सोची… जो हद तक कामयाब भी रही… रोहन की हल्की हंसी निकली… रोहन अब रूपा की भी थोड़ी उंगली करने पे उतरते हुए बोला…

रोहन,”हे नाम तो बता…अभी तक नाम नहीं पूछा…” रूपा हल्की हंसी के साथ नाम बताई तो रोहन बोला,”तो माई डिअर रूपा, आज का बदला तो मैं लूंगा ही और ऐसे लूंगा ना कि तू ना रो पाएगी और ना हंस पाएगी…”

रूपा थोड़ी चौंकती हुई बोली,”मतलब…” रोहन जानता था रूपा समझ जाएगी पर अभी नहीं समझी तो ऐन मौके पर बोलने से चूकना नहीं चाहिए और वो तपाक से बोला,”तू सिर्फ उंगली की है ना… मैं कुछ और करूंगा; वो भी आगे पीछे और ऊपर से…”

रोहन की बात खत्म होते ही रूपा शर्म से लाल हो गई और मुस्कुरा कर ऱह गई… कुछ देर चुप रही फिर खिसियाई बिल्ली की तरह गरजती हुई बोली,”शाले, सोचना भी मत वर्ना…”

रोहन,”वर्ना क्या, तू भी करेगी क्या आगे पीछे से…”और रोहन हंस पड़ा… रोहन की हंसी सुन रूपा जो अब तक बैठी थी, पेट के बल लेट गई और तकिए को अपनी बूब्स के नीचे रख जोर से शरीर को भींचती हुई बोली…

रूपा,”बहुत तेज जबान चलने गई है जनाब की… कुछ देर पहले कितनी बार फोन की पर एक बार भी रिंग सुनाई नहीं दे रहा था और अब फट फट आवाज निकल रही है…”

रोहन,”चल..चल… खुद भी तो आँख लाल कर ली है, आइने में देख…” रूपा रोहन की बात सुन गर्दन घुमा शीशे में देखी तो सच में नाइट बल्ब की रोशनी में भी उसकी आँखें लाल नजर आ रही थी… वो कुछ बोलती इससे पहले ही रोहन बोल पड़ा…

रोहन,”हे, कनक का फोन है…”
रूपा तपाक से बोली,”जल्दी काटो, कनक से कुछ बात करनी है… बाद में करूँगी… ओके…बाय…” और रूपा खट से फोन रख दी और कनक का वेट करने लगी…

रूपा को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा… जल्द ही कनक से बात होने लगी… कनक तो फोन रिसीव होते ही पहले त दो चाल गाली चिपका दी रूपा को जिसे रूपा हंसती हुई स्वीकार कर ली… फिर रूपा बोली,”अच्छा बोलो अब…”

कनक,”यार बात नहीं बनी…उन दो लौंडों से पहले सीमा भाभी ही चली गई… और फिर दोनों लौंडे भी पीछे से बाय बोल निकल गए… भेजे के ऊपर से बाउंस कर गई…”

रूपा मायूस सी हो बोली,”अब क्या करें…” कनक रूपा को आगे बोली,”अब सुबह ही कुछ सोच सकती… बस तुम्हें किसी तरह सीमा भाभी को लपेटे रखना होगा ताकि वो अपनी चाल ना चल दें कोईवर्ना डिंपल भाभी के ऊपर जो बीतेगी वो तो बीतेगी ही साथ पूरे फैमिली की भी इज्जत जाती रहेगी जो कि सीमा भाभी सोचती नहीं…”

रूपा,”हाँ यार उन्हें तो बस अपने से मतलब है…ठीक है सुबह मिलने आना… मैं सुबह ही सीमा भाभी से मिलूंगी..और फिर देखते हैं…”

रूपा की बात खत्म होते ही कनक बोली,”ओके, ठीक है… अच्छा अब एक बात और बता…तू जो इतनी देर से लगी थी रोहन से तो कुछ हुआ या यूं ही टाइम पास…” कनक की बात सुनते ही लूपा खिलखिला पड़ी…

रूपा,”अरे नरीं यार, तू कुछ होने से पहले ही टपकी तो सब गुड़ गोबर…” रूपा की बात सुन कनक माथा पीट कर ओह कहती हुई बोली,”साली इतनी देर टाइमपास ही कर रही थी… इतने देर में तो दो बार किला ढ़ह जाती…”

रूपा,”तेरी तरह फास्ट थोड़े ही हूँ यार…”
कनक,”तो फास्ट हो ना…जितनी तेजी दिखाएगी, उतनी फायदे में रहेगी..”
रूपा,”नो…”
कनक,”यस…और हाँ अब सोने जा रही हूँ… गुड नाइट… और हाँ जरा फास्ट कर, सुबह तेरी पेंटी में दाग ना मिली तो सोच लेना…”

कनक की बात सुन रूपा हंसती हुई गुड नाइट बोली और फोन रख दी… रूपा उठी और फोन रख आई…सोची अब बात नहीं ही करूंगी आज…वरना कहीं सीमा भाभी गड़बड़ कर दी तो… वापस बेड पर आ सो गई…

रूपा सोने की कोशिश करती रही पर नींद तो कोसों दूर… वो बेचैन सी होने लगी और तड़पने सी लगी…इतनी देर में ही इतनी बेचैनी… वो कुछ समझ नहीं पाई और वापस फोन उठा ले आई… फिर रोहन…

फिर शुरू हुआ दो दिलों की बातचीत, कुछ शरारत, कुछ नजाकत…कुछ तारीफ, कुछ शिकायत… रात दो बजे तक बात करते रहे…
सुबह होते ही रूपा की बेचैनी और बढ़ गई.. वो हर पल यही सोच रही थी कि पता नहीं सीमा भाभी अब कौन सा बम गिराएगी जो रात में उसे उस लड़के ने उसे दिया था… वो किसी तरह फ्रेश हुई और चाय पी और बाहर निकल गई…

रूपा के कदम सीमा भाभी के फ्लैट की तरफ बढ़ गई…कुछ डर कुछ चिंता पर जाना जरूरी… किसी तरह रूपा सीमा भाभी के गेट पास पहुँची कि उसे अंदर से सीमा भाभी की आवाज टी.वी. न्यूज के साथ घुल मिल के आ रही थी…

रूपा कान लगा कर सुनने की कोशिश की… अंदर से सीमा भाभी बोल रही थी,”जी वो हमारी दोस्त सरदेई में रहती है ना मिनी…”

साथ में भैया की आवाज आई,”हाँ वो उल्टी पेटीकोट वाली..” भैया की बात पर दोनों जोर से हँस पड़े… मतलब दोनों अभी बैठ के चाय के साथ सुबह की ताजी न्यूज का आनंद ले रहे हैं…

सीमा भाभी,”धत् हाँ वही… आपको बेकार ही लेडिज पार्टी की बात बता दी.. उसका नाम ही रख दिए…”

भैया,”हा…हा…हा…हाँ तो क्या हुआ उसे..”

सीमा भाभी,”हुआ कुछ नहीं… दरअसल उसे आज कुछ शॉपिंग करनी है और आज शाम वो अपने मायके जा रही है… तो कुछ कपड़े खरीदने थे उसे तो मुझे कई बार कह चुकी आने के लिए…”

भैया,”तुम्हें कुछ नहीं लेनी…”

सीमा भाभी,”नहीं पिछले संडे को ही तो ली थी… पर कुछ अगर कहीं मिनी जिद कर दी तो लेनी तो पड़ ही सकती है ना…ही..ही..” सीमा भाभी जबरदस्ती हंसी हंस पड़ी… जिसे सुन भैया बोले,”ये लो, जितने लगेंगे निकाल लेना…”

रूपा के दिमाग में कुछ बार बार खटक रही थी…ये सीमा भाभी शॉपिंग के लिए क्यों? जब आज मिनी को मायके जाना था तो शॉपिंग कल ही कर लेती… रूपा कुछ सोचने लग गई…

सीमा भाभी,”लीजिए, बस तीन हजार में हो जाएंगे… कुछ लेनी ही नहीं तो…”

रूपा अगर ये सब नहीं सोच रही होती तो मजाक में ही दो चार गाली जरूर देती कि शाली तीन हजार में तो मैं महीने भर स्कूटी दौड़ा सकती हूँ और तुम्हें बस तीन हजार जब कुछ नहीं लेनी तब लगती…

खैर रूपा वापस आने की सोच ली और बिना आहट के वापस आ गई… अपने बरामदे के पास पहुँचते ही उसे कुछ याद आया… वो दौड़ती हुई अपने रूम में गई और अपनी डायरी निकाली…

चट.. चट… पन्ने पलटने लगी और तभी उसकी नजर एक नाम के पास जा रूकी… वो फुर्ती से फोन उठा लाई और नम्बर डायल कर दी… फोन रिसीव होते ही रूपा बोली…

रूपा,”हैलो रिया, मैं रूपा बोल रही हूँ…”

रिया रूपा की स्कूल वाली दोस्त थी… ज्यादा कुछ कहने लायक नहीं थी रिया के बारे में… बस अच्छी दोस्त थी… रिया कुछ देर के चौंक सी गई…

रिया,”वॉव रूपा,आज कैसे नम्बर गलत डायल कर दी यार…कॉलेज जब से चेंज हुई तुम तो भुला ही दी हमें…”

रूपा,”अरे नहीं रिया… मेरे पास फोन ही नहीं हैं तो कैसे याद करूँगी…और तुम रहती भी हो एकदम शहर के बाहर गाँव वाले इलाके में…”

रिया,”हे तुम ना कोई फोन ले लो…कम से कम बात तो होगी… भेंट मुलाकात ना भी हुई तो चलेगी पर बात होती रहेगी तो समझती है ना…मेरी समधन…”

रूपा,”हाँ समधन जी…” रूपा रिया की इस स्कूल वाली आदत से अच्छी तरह वाकिफ थी…वो अपनी सारी दोस्त को समधन जी ही कहती थी…रूपा हंसती हुई बात को आगे बढ़ाई…

रूपा,”रिया, एक बार स्कूल में तुम अपने किसी मिनी भाभी के साथ आई थी ना…”

रिया कुछ याद की पर याद नहीं आई तो पूछी,”किस फंक्शन में…”

रूपा,”गोली मार फंक्शन को…मिनी भाभी को जानती हो ना…”
रिया,”हाँ वो सामने ही तो रहती है मेरे…क्यों क्या बात है…”
रूपा,”हाँ जिनसे दोस्ती मेरी भाभी भी कर रखी है..” अचानक रिया को सब याद वापस आ गई और पटपट बोलने लगी…

रिया,”हाँ यार, वो टीचर्स डे पर…वहीं तो तुम्हारी भाभी और मिनी भाभी की मुलाकात हुई थी पहली बार… मेरी मम्मी नहीं थी उस दिन शहर में तो भाभी को ही पकड़ के ले गई थी…”

रूपा,”हाँ गूड न्यूज है अब… कुछ तो मेमोरी बची है तेरे अंदर में…ही..ही…ही…”

रिया भी हंस पड़ी…रूपा आगे बोली,”वो मिनी भाभी कहीं जाने वाली है क्या आज…”

रिया,”नहीं…वो तो परसों ही चली गई अपने मायके… पर तू ये सब क्यों पूछ कर रही है…”

रूपा,”क्या? मतलब वो इस वक्त यहाँ नहीं है…”रूपा के अंदर जो तब से कुनबुन कुनबुन हो रही थी वो अब रूपा को लहराते हुए बाहर निकल पड़ी… रूपा का सर चक्करघिन्नी बनता जा रहा था…

रिया,”कोई काम था क्या?” रिया के दुबारे पूछने पर रूपा हड़बड़ा सी गई और संभलती हुई बोली,”नहीं काम क्या रहेगा…काफी दिनों से जैसे हम दोनों नहीं मिलते हैं ना तो उन्हें भी नहीं देखती साथ…और रात सपने में कुछ गड़बड़ देख ली तो सुबह फोन कर दी तुम्हें…”

रिया हंसती हुई बोली “चल ठीक है, सपने के बहाने कम से कम याद तो की… पर हाँ तू फोन जरूर ले लो…”

रूपा,”ओके बाबा, इतना कह रही हो तो आज ही ले लूँगी…पापा अभी घर पर ही हैं… जाकर मनी-मैटेरिअल ले लेती हूँ और फोन ले कर पहले तुम्हें ही फोन करूँगी…”

रिया,”शुभ काम में देर नहीं…जल्दी जा मेरी समधन.. रखती हूँ बॉय…तू अब अपने नम्बर से फोन करना तभी बात करूँगी वर्ना नहीं..”

रूपा हंसती हुई “बॉय” बोली और फोन रख दी पर मिनी की बात याद आते ही वो सर पकड़ के बैठ गई… शाली इतनी टेंशन होती है जिंदगी में…आज पहली दफा किसी टेंशन को मम्मी पापा से छुपा रही हूँ…इसलिए इतनी प्रॉब्लम हो रही है… पहले तो मुझे मालूम भी नहीं पड़ती थी कि टेंशन भी कोई चीज होती है…
रूपा खाना पीना की और मम्मी से बोल फोन की मांग कर दी… थोड़ी सी ना नुकूर,पूछताछ के बाद पापा मान गए… पापा के जाते ही कनक आ धमकी… कनक को पैसे दिखाती रूपा बोली,”चल लेनी है…”

कनक तो ठहरी शैतान की नानी, वो भला मौके थोड़े ही चूकती… कनक,”रोहन की साइज क्या है जो इतनी जल्दी है लेने की..” और कनक की पीठ पर धौल जमते देर ना लगी… दोनों बाहर निकली स्कूटी से…

पहले तो दोनों ब्यूटी पॉर्लर गई जहाँ दो घंटों तक दोनों ने वैक्सीन करवाई… फिर स्कीन की चमक बरकरारी ठहरी रहे इसके उपाय… जब पॉर्लर से निकली तो हर किसी की आहें रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी…

खिली धूप में भी किली मरकरी से कम नहीं चमक रही थी… उन पर कितनी नजरें पड़ रही थी वो अनुमान भी नहीं लगा सकती थी… शत प्रतिशत नजरें और जिसकी नजरें ना पड़ी वो तो समझो क्या चीज मिस कर दी…

फिर अपनी एक टीचर से मिलने गई जो कि कला की थी… और वो इस तरह के कॉन्टेस्ट में सहयोग भी खूब करती थी… खासकर रूपा को… वो टीचर अपने घर ही थी तो दोनों वहीं जा पहुँची…

डिंग-डांग…डिंग-डांग… कनक बेल बजाई…गेट खुलते ही टीचर की तो आश्चर्य से मुँह खुली की खुली रह गई… फिर वो बोली,”वॉव सुपर… रूपा अंदर आ जाओ… तुम तो अब और भी सुंदर होती जा रही हो…”

रूपा तो बस मुस्कुरा कर रह गई पर कनक,”मैम,कॉन्टेस्ट नजदीक हैं तो प्लीज मेरी दोस्त को नजर मत लगाइए…” और कनक हंस पड़ी… जवाब में मैम रूकी, पलटी और आँखों से हल्की काजल निकाल रूपा के कान के पास लगा दी…

मैम,”अब खुश…शैतान कहीं की…मुझ पर ही शक करने लग जाती है…” जिस पर तीनों हंस पड़ी…और कुछ ही पल में दोनों बैठक रूम में बैठी मैम से कुछ टिप्स ले रही थी…

कैसे कपड़े पहन के हर राउंड में इंट्री लेनी है… हर वक्त चेहरे पर खुशी झलकनी चाहिए… स्कीन पर किसी तरह की दाग, बाल नहीं दिखनी चाहिए… नजरें हमेशा सब जजों से मिलती रहनी चाहिए ताकि अंदर की सुंदरता,व्यक्तिव उन्हें दिखे… ये नहीं कहे कि ये कमजोर दिल वाली है….

और अपनी एक कला जैसे संगीत, लेखन, वगैरह को सरल और सहज तरीकों से दिखाना… साथ ही साक्षात्कार के पल उसी अनुरूप ड्रेस होनी चाहिए और जवाब देने में संकोच नहीं करना चाहिए…

इसी तरह काफी देर तक दोनों ध्यान से सुनती रही… फिर वो वहाँ से निकली तो कनक बोली,”हाँ तो रूपा, ये सब तो हुई…अब बता सीमा भाभी कुछ बोली सुबह…”

रूपा,”नहीं यार, सुबह गई थी कुछ और ही फिरकी हाथ लग गई…”

कनक,”साफ साफ बोल ना…”

रूपा,”अरे वो सीमा भाभी आज दो बजे किसी से मिलने जाने वाली है…” रूपा के बोलते ही कनक समय देखी तो अभी बारह बज रहे थे… फिर कनक बोली,”किससे..”

रूपा,”पता नहीं… सुबह जब उनसे मिलने गई तो मैं गेट पर ही रूक गई और अंदर सुनने लगी…भाभी भैया से कह रही थी कि मिनी भाभी के साथ मार्केटिंग जाना है…”

रूपा स्कूटी चलाती हुई बोली,”पर जब रिया से बात कर मिनी भाभी के बारे में पूछी तो वो तो परसों ही मायके चली गई हैं तो अब वो किससे मिलने जाएगी…”

रूपा की बात खत्म होते ही कनक बोली,”ऐ चल कॉफी पीते हैं पहले…फिर घर चलेंगे…”कनक तार से तार जोड़ने लग गई कि वो किससे मिलने जाएगी… बात तो साफ थी कि सीमा भाभी झूठ बोली मतलब इसी से जुड़ी है…दूसरी बात होती तो झूठ नहीं बोलती…

कॉफी शॉप पर कॉफी का ऑर्डर कर दोनों गुपचुप बैठ गई, मगर कब तक… कनक बोली,”मेरे ख्याल से ये देखना चाहिए कि आखिर वो किससे मिलती है…ये तो साफ है कि वो इसी बात के सिलसिले में किसी से मिलेगी…”

रूपा,”हाँ क्योंकि भैया कभी किसी बात को लेकर मना नहीं करते… सीमा भाभी के कई लड़के दोस्त तो घर भी मिलने आते हैं… पर यहाँ सीमा भाभी झूठ बोल रही हैं…”

शॉप में घुसते ही कनक ऑर्डर मार दी थी तो कॉफी आ पहुँची… कॉफी की सुगंध नाक में घुसाती कनक पहली चुस्की ली और बोली,”..और हम दोनों तो जा नहीं सकते उनके पीछे…कहीं पर भी उनकी नजर पड़ गई तो वो गुस्से में शुरू ना हो जाएं कहीं..”

रूपा भी कॉफी पीती हामी भर दी…कनक कुछ देर तक सोचती रही..फिर वो तेजी से फोन निकालती हुई बोली,”आइडिया…ये कान एक बंदा कर सकता है…अपने ही कॉलेज का है और वो लड़कियों की जासूसी का मास्टर है…”

रूपा कुछ समझी नहीं… वो नासमझ का मुखौटा अपने चेहरे पर चढ़ा कर कनक को देखने लगी… कनक रूपा की हालत देख मुस्कुराती हुई फोन लगाती हुई बोली,”तमाचा…” नाम सुनते ही रूपा चौंकती हुई मुस्कुरा दी…

“तमाचा” नाम अजीब जरूर है पर उस पर एकदम सटीक है… कॉलेज का वो अव्वल दर्जे का लौंडियाबाज था… और साथ ही तमाचा खाने में भी अव्वल… और इसी वजह से उसका नाम तमाचा पड़ गया…

दिखने नें वो हैंडसम भी था पर वो प्यार करने से कोसों दूर रहता था… उसे तो बस सेक्स की आदत थी… उसका कहना था जो लड़की थप्पड़ दी तो समझो वो चूत भी देगी… अब वो कैसे ये संभव करता था किसी को पता नहीं…

लड़की चोदने के चक्कर में वो तीन साल से एक ही क्लास में अटका था… बाप रईस नेता था तो पैसे की कोई थी नहीं… कॉलेज में सलाना कुछ रकम वो दान भी देते थे… अपनी क्लास के हर लड़की से पहले वो थप्पड़ खाने की फिराक में रहता था…

कनक भी उसे थप्पड़ दे चुकी थी और चूत भी… बात कॉलेज की पहली दिन ही हुई थी… कनक एक पीरीयड कर बाथरूम की ओर चल दी थी… बाथरूम से निकली ही कि तमाचा दांत निपोरता सामने आ गया…

तमाचा,”जानेमन, हाथ तो धोई पर वो धोई या नहीं…” फिर क्या, कनक की पांचों उंगली उसके गाल पर… वो तमाचे खाने के बाद बड़ी शालीनता से थैंक्यू कहा जिसे कनक समझ नहीं पाई और बास्टर्ड कहती निकल गई…

बात तुरंत फैल गई कि नई लड़की तमाचा को तमाचे दे दी… गुल गुल शुरू… सब लड़के तो कनक को देख आने वाली दिन को याद कर सपने देखने लग गए थे… तब क्लास की ही एक लड़की बोली,”इग्नोर कर उसे यार, उसे तो कई लड़की ने थप्पड़ दे चुकी है… उसकी तो आदत है थप्पड़ खाने की…मेरी सिस्टर जो सीनीसर है उसके साथ था वो, वो भी थप्पड़ लगाई थी इसे…”

“साला इस साल भी इसी क्लास में है और थप्पड़ खाता फिरता है…लगता है अब मेरे से भी पीटेगा… पर दीदी ही मना कर दी है… कहती है नेता का बेटा है…उसकी बात को इग्नोर कर देगी सुन के तो वो अच्छा रहेगा… इसका नाम भी इसी पर है “तमाचा”..”लड़की छोटी सी कहानी बता दी कनक को जिसे सुन कनक मुस्कुराए बिना ना रह सकी कि बड़ा अजीब है… मार खाते शर्म भी नहीं लगता…
पर उसे ये नहीं मालूम थी कि दीदी मना क्यों की…वो भी नई थी पर दीदी बता चुकी थी इसलिए वो थप्पड़ नहीं मारी… और तमाचा अपने नियम से एक लड़की को ज्यादा तंग नहीं करता था…

अगले ही दिन से तमाचा अपने काम पर लग गया… हर वक्त मौका देख कनक से टकराता और प्यारी सी शरारत करते हुए अपने गाल ढ़क लेता था…जिससे कनक को हंसी भी लग जाती… पर असलियत तो ये थी कि वो कनक को इम्प्रेश कर रहा था…

कनक एक हफ्ते, दो हफ्ते बस देखती रह, मुस्कुराती रही और आखिर उसकी उससे दोस्ती करने की सोची… बस यहीं पर उसे मौका मिला…

अगले ही दिन उसने कनक को गेस्ट हाउस ले आया… पहले तो स्वागत भाव… फिर फलर्ट… फिर चिपक गया कनक से…. किस की बौछार कर दी…कनक भी जल्द ही रंगत में आ गई…

पलक झपकते ही दोनों नंग धड़ंग…हमले से पहले तमाचा साफ बता दिया कि मुझे प्यार व्यार करना नहीं…बस तुम चाहिए…कनक भी प्यार के लफड़े में क्यों पड़ती… नीचे से कमर उचका सटाक से सुपाड़े अंदर कर बोली,”मैं कौन सा तेरे से प्यार करने वाली…”

तमाचा,”वॉव, फिर तो अपने ग्रुप की हो यार…” और तमाचा कहते हुए कनक की चुची पकड़ एक धक्का दिया जिससे आधा लंड अंदर…

कनक,”पर हाँ साले, रूपा के सामने फटकना भी मत… तेरे थप्पड़ खाने का राज जान गई हूँ तो प्लीज जो अच्छी है उसे खराब मत करो…” कनक बात खत्म कर कमर उचकाई पर अब और अंदर नहीं ले पाई…

तमाचा,”प्रॉमिश बेबी, मेरा अपना उसूल है…जो थप्पड़ दी उसे चूत देनी होगी और थप्पड़ चूत देने वाली ही देती है… वैसे रूपा पर भी ट्राई कर चुका हूँ पर वो नहीं दी तो उसकी बात खत्म…” बोलने के साथ ही तमाचा एक करारा शॉट मारा जिससे जड़ तक समा गया कनक की चूत में उसका लंड…

कनक की चीख निकल पड़ी… फिर तमाचा स्पीड पकड़ दनादन पेलने लगा… कनक उचकती गई… गाड़ी की ईंधन तो समाप्त होनी ही थी और जब हुई तो दोनों थड़थड़ाकर कस लिए एक दूसरे को…

उस दिन के बाद कई बार दोनों इस गेस्ट हाउस पर मिले… फिर कनक अगले साल में गई पर तमाचा चूत के चक्कर में पिछले क्लास में ही रह गया…

तमाचा दूसरी लड़की के चक्कर में रह गया…कनक भी औरों लड़कों से टांका भिड़ाती रही…पर दोनों जब भी मिलते तो हाय हैल्लो जरूर होती…आज तो जरूरत आ गई है उसकी…

फोन रिसीव होते ही तमाचा बोला,”हाय बेबी, कैसी हो और तुम्हारी वो कैसी है…”

कनक,”मस्त हूँ और वो भी…कहाँ है तू…”

तमाचा,”बस एक कल एक छमिया साली दस उंगली जड़ दी है गाल पर और बोनस में पैर के अंगूठे सैंडल से कुचल दी कमीनी…उसी की जन्मकुंडली में लगा हूँ…”

उसकी बात सुनते ही कनक हंस पड़ी… उसकी हंसी सुन शॉप में बैठे लोग कनक की ओर घूरने लगे… कनक स्थिति को समझ रूपा को बाहर निकलने का इशारा कर उठ गई…

रूपा बिल पे की और कनक के पीछे हो ली…कनक आगे तमाचा को सुनाई,”साले, तू नहीं सुधरेगा… अबभी कह रही सुधर जा बेटा वर्ना कोई गुंडी टाइप टकरा गई ना तो एके47 डाल देगी तेरे पिछवाड़े में…”

तमाचा,”उसकी मां की चूत मारूं… किसी लौंडिया में इतनी मर्दानगी नहीं आई अभी… जब होगी तब देखी जाएगी…अच्छा ये बता कैसे याद किया…”

कनक,”अभी जरूरी है तुम्हारी…आ सकता है…”

तमाचा,”साली चूत में चींटे काटती है तो शादी क्यों नहीं कर लेती…”

कनक,”अबे भोसड़ी, वो बात नहीं है… लड़की की जासूसी में तू माहिर है तो सोची तू ही कर सकता है…इसलिए फोन की…”

तमाचा,”ओह, साली लौंडिया का चस्का लगा ली है क्या…चल कोई बात नहीं…नाम पता बता…” कनक की तो हंसी आ रही थी उसकी हर शरारती बातों पर…

कनक,”नहीं यार, पहले बात तो सुन…एक लड़की है जो तीन बजे किसी से मिलने जाएगी आज… बस तुम ये पता कर दो कि वो किससे मिलती है और हो सके तो क्या सब बात करती है…”

अबकी बार तमाचा थोड़ा सीरीयस हुआ… वो गंभीर मुद्रा में बोला,”ओह…काम हो जाएगा… पर बात कुछ समझ में नहीं आया कि ये चक्कर किस टाइप का है… लड़की की चूत है तो मरवाने जाएगी ही…पर तुम तो सिर्फ मिलने और बातचीत की बात कर रही हो…”

कनक,”सब समझा दूंगी और जरूरत पड़ी तो हेल्प भी करनी होगी तुम्हें…ठीक है..”

तमाचा,”ओके…कौन है और कहाँ की है…”

कनक,”रूपा…”
तमाचा,”क्या…” कनक बात बोली भी नहीं कि तमाचा टांग अड़ा दिया.. कनक झल्लाती हुई बोली,”पहले ठीक से सुन तो… रूपा की भाभी; सीमा नाम है…कभी देखे हो.. ”

तमाचा,”देखा तो रूपा के सारे फैमिली को पर नाम क्या है पता नहीं…”

कनक,”देखे हो तो पहचान भी जाओगे…वो कुछ ज्यादा ही लहक चहक में रहती है… बाल की मोटी लट आगे से लटकी रहती है…”

तमाचा,”समझ गया…समझ गया…वो थ्री स्टेप वाली…शाली एक चुची हमेशा बाहर ही रखती है साड़ी से…”

कनक की जोर से हंसी निकल पड़ी उपनाम सुन के…थ्री स्टेप… बालों के स्टाइल से भी नाम रख देते हैं… वो भी चुन के…कनक हंसती हुई बोली,”हाँ वही…बस उन्हीं के पीछे थोड़ा टाइम देना है और प्लीज जरूरी है…”

तमाचा,”नो टेंशन बेबी…बस एक घंटे में मैं इधर से निकल रहा हूँ…शाम में फोन करता हूँ
ओके…”

कनक की खुशी से बाँछें खिल गई…वो चहकती हुई स्कूटी पर जम गई जहाँ रूपा कब से वेट कर रही थी… साथ ही वो कनक की हर बात पर मुस्कुरा भी रही थी कि अजीब तरीके से बात करती है…

कनक,”थैंक्यू तमाचा…”

तमाता,”ओए, थैंक्यू मैं नहीं लेता… देना ही है तो चूत देना..बड़ी दिन हो गए तेरी मारे…”

कनक,”ओके..ओके…दे दूँगी पर प्लीज पहले ये काम कर दो…”

तमाचा हंस पड़ा,”ठीक है, और हो सके तो अपने दोस्त की एक पप्पी भी कम से कम दिलवा देना यार…”

कनक रूपा की जिक्र सुनते ही आँखें गोल गोल करती शरारत से बोली,”जी नहीं…पर हाँ अगर तेरे नसीब अच्छी हुई तो अगली मुलाकात में रूपा भी रहेगी तो खुद मांग लेना…आगे तेरी किस्मत और रूपा का मन…”

रूपा कनक की बात सुन पीछे पलटी तो कनक पीछे होती हंस पड़ी जिससे रूपा भी हंस पड़ी…उधर तमाचा चार चार हाथ कूदने लग गया…चलो डूबते को तिनके का सहारा और क्या चाहिए…

फिर रूपा हैंडल पर पकड बनाई और बिना ब्रेक की स्कूटी दौड़ा दी… आखिर लड़की कभी ब्रेक लगाती है क्या जो कहूँ ब्रेक भी होती स्कूटी में….
रूपा घर आते ही सीधी अपने रूम में गई… कनक और रूपा दोनों मिल के नई फोन की मां बहन एक करने में लग गई…कुछ देर बाद कनक वहां से निकल ली… और ये भी सुना दी रूपा को कि शाम में तमाचा जैसे ही कोई बात बतलाया मैं कॉल कर दूंगी…

उधर तमाचा लाल पीली कलर की रंग बिरंगी शर्ट और फटे चीटे फैशन वाले जींस पहन, आँखों पर बड़ी सी चश्मे, बाल किसी लहलहाती फसल की तरह बाएं दाएं होती हुई… गले में एक मफलर टाइप फंदे की तरह लपेटा हुआ, और कलाई पर चूड़ी की तरह ढ़ेर सारी चमकता हुआ… बाइक लिए खड़ा इंतजार कर रहा था…

सीमा भाभी के घर की गली 7 की तरह थी…पहले कुछ दूर सीधी चलो, फिर मुड़ो तो मेन रोड पर… तमाचा उस गली के मोड़ पर था… बिना मतलब खड़ा तो रह नहीं रह सकता था तो उसने झूठ मूठ किसी की चाटने फोन लगाया और चाटने लग गया….

इधर सीमा भाभी भी बन ठन गई थी… अब तो ऐसे लग रही थी मानो किसी की शादी में जा रही हो और दुल्हन की बेस्ट फ्रेंड हो… ये अक्सर दिखने को मिल ही जाती है कि दुल्हन से ज्यादा सुंदर उसकी सखी ही हो जाती है और बेचारा दुल्हा मन ही मन गाली देता रहता है,”शाली आज से पहले किस बिल में घुसी थी.. ”

डीप लो कट ब्लाउज, जिनमें से एक कबूतर हमेशा की तरह बाहर झांकती हुई… बाल की एक मोटी लट बार बार गाल पर तिपकती जिसे सीमा भाभी अदा से कान पर चढ़ाती रहती… आँखों में पतली सी काजल, पल्लू पीछे तो गई थी पर दूसरे हाथ से पकड़ आगे कर ली ताकि पीछे वाले बड़ी नितम्ब की नागिन डांस देख सके…

होंठो पर चटक लाल रंग की लिपस्टिक, लाल रंग की ही साड़ी नेट वाली वो हल्की कढ़ाई वाली… जिससे अंदर की दूसरी कबूतर के साथ हर चीज साफ साफ झलक रही थी… हाईहील की सैंडल जिसमें नाखून पर लाल रंग नेल पॉलिश साफ साफ दिख रही थी…

एक हाथ चूड़ी से भरी थी जबकि दूसरी में बस एक कंगन… गले में मंगलसूत्र घाटियों के बीच झूल रही थी… सीमा भाभी आखिरी बार आइने रे सामने खड़ी हो खुद को निहारी और चल पड़ी बाहर…छन छन.. छन छन… आज तो लड़के घायल तो होंगे ही पर बुढ़ों का क्या होगा, राम जाने…

घर के कैम्पस से बाहर जैसे ही निकल गली में आगे बढ़ी कि उनकी नजर सीधे तमाचे से भिड़ गई… और तमाचा तो ऐसे चौंका मानों उसने दिन में किसी अद्भूत चीज देख ली हो… वो दूर से देखता ही रह गया… सीमा भाभी उसके नजर को ताड. गई और मन ही मन मुस्का दी कि थैंक गॉड, मेरी मेहनत बेकार नहीं गई…

तमाचा फोन पर बात करना भूल गया था… उधर से बार बार हैलो की आवाज आ रही थी…वो झल्ला कर गाली बकता हुआ फोन काट दिया और वापस नयन सुख करने मुड़ गया…सीमा भाभी अपनी हर अदा बारी बारी से निकाल आगे बढ़ी जा रही थी…

सीमा भाभी जब तमाचा के करीब से गुजरी तो तमाचा बेहोश सा हो बाइक पर लुढ़क गया… शाली इत्र भी क्या गजब की लगाती है… बिल्कुल दसफीटा सेंट है जो दस फीट दूर से अपनी रंगत दिखानी शुरू कर देती है…

तमाचा का मन तो हुआ कि तमाचा खा ले पर कनक की बात याद आ गई… पहले काम… फिर बाद में देखा जाएगा… जब तमाचा बेहोशी से बाहर हो पीथे पलटा तो नागिन की चाल में बलखाती सीमा भाभी मेन रोड तक गई और एक ऑटो में बैठ गई… तमाचा अब तक उन्हें घूरे ही जा रहा था…

जब ऑटो आगे बढ़ने को हुई तो सीमा भाभी वापस तमाचे की तरफ मुड़ी तो अंदर से वो कितनी खुश हुई कि पूछो मत… ये तो अब पक्का गया हुस्न के जाल में… ऑटो तब तक निकल गई…

ऑटो जाते ही तमाचा हड़बड़ा सा गया और “इ पैर भेल बाबू उ पैर लाबू…” की तरह चटपट बाइक नचाया और वापस मेन रोड पर उस ऑटो के पीछे… तमाचा अब ये सोचने पर मजबूर हो गया था कि सिर्फ लौण्डिया ही खूबसूरत नहीं होती… असली माल तो ऐसी भाभी ही है और वो शादी शुदा समझ कभी देखता भी नहीं था…

अब वो ये मिस हो रही चीज को मिस ना करने की ठान ली थी… करीब दस मिनट बाद ऑटो एक दुकान रे पास रूक गई… तमाचा दुकान का नाम पढ़ते थोड़ा आगे बढ़ एक पान की दुकान पर रूक गया… सीमा भाभी स्टूडियो के पास रूकी थी…

वो सीमा भाभी की हरकत पर नजर रख पान वाले से बोला,”राम राम भइया, एक टा सिगरेट दियो…” पान वाले भइया तमाचा की नजर का पीछा करते हुए सिगरेट देते हुए बोला…

पान वाला,”तमाचा भइया, ई गोरकी भौजी तऽ बड़ झक्कास छतिनऽ… कतऽ क छतिन आई पहिल बेर देखलौं हनऽ” तमाचा सिगरेट ले मुंह में डाल हल्के से मुस्कुरा कर बोला साथ में अंदर जाती सीमा भाभी से एक पल के लिए भी नजर नहीं हटाता था…

तमाचा,”कि जानियो भाई, हमरा तऽ इ खुड़खुड़िया में लौकलो… आगा पीछा ऊपर नीचा सगरो देह से रस टप टप गिरै छै… बहिनतोद गजब के माल छियऽ” तमाता पान वाले के साथ सुर ताल में जवाब देने लगा…

पान वाला,”हे रे भाई, तू तऽ कतेक छौड़ी सब कें चोदलै हं त हमर एगो बात मानऽ केहुना तू इ गरम भौजी के पटाउ… किया कि एकर चुची देखहीं बाप रौ कि गजब के एभरेस्ट लागै छै… अउर डांड़, माई गे… मन तऽ होइया एहऽजें बीच रोड पर कुतिया बना कऽ सटासट पेल दौं….बपचोदी के”

पान वाला अपनी बात खत्म कर मुस्कुराता हुआ आंहे भरने लग गया… तमाता सीमा भाभी की सुंदरता सुन हंसे बिना ना रह सका और साथ ही सिगरेट की कश लगाता बार बार उस जगह पर देख रहा था जहाँ से सीमा भाभी बाहर निकलती…

तमाचा,”एकदम सांच कहे छि भाई… हम तऽ बहुते छौड़िअन के सील तोड़ले छी मुदा एहन चीज आई तक नई देखलौं… सील टूटलो के बादोऽ शाली क निहारहि में लंड टनटना गेलौं… रूक, कुछ जोगाड़ लगबे छिऔ…”

पान वाला तमाचा की बात सुनते ही दांत निपोर कर हंसते हुए बोला,”हे भइया, कहीं पइट जेतों ना तऽ तेनके हमरो चिखा दिहा… तोरा जिनगी भर नाम लेबो… मुदा पहिल पहल तू मन भर कऽ खा लिहा…”
तमाचा उसकी बात सुनते ही गाली देते हुए बोला,”तोरी बहिनी के, मेहनत हम करू आ फल तू खेबाऽ इ सब नई होतौ…तोरा लेल उने ताकऽ आम वाली ताके छौ बुर खोइल कऽ..जो आ घचाक से लौड़ा घुसा दीही…”

पान वाला तमाचा की बात सुनते ही मुंह लटका सा लिया और मायूस सा चेहरा बनाता हुआ बोला,”देख भाई, हम तोरा कतेब बेर कहियो कि उ हमरऽ गांम के बहिन लाछे छै… हम इ सब सोइचऽ नइ सके छियौ…”

तमाचा की नजर तब तक चमक गई…सीमा भाभी दुकान से बाहर आ रही थी…वो वहां से खिसकने की सोच जल्दी से सिगरेट बुझाया और सही जगह उसे फेंक दिया… फिर वो अपनी आखिरी बात कहते हुए बोला…

तमाचा,”देखऽ गांव के न छौ, सगा तऽ नई न छौ… शाला सगरो गांव सँऽ एना रिश्ता भजेबहिं तऽ लौंड़ा काइट कऽ पेटारी में रइख आ… तू बइठ कऽ सोच हम आबे छियौ उ ललकी भौजाई के देखने… उने से एबो तऽ तोरा से मिलबो… कि सोचे छि से कइह दिया…जाई छिऔ…”

तमाचा उसकी कोई बात सुनने से पहले बाइक पर बैठा और हुड़ीबाबा…. पान वाला वासना भरी निगाहों से अब सामने वाली को देखने लग गया… तमाचा सीमा भाभी के ऑटो के ठीक पीछे कुछ हट के चला जा रहा था…

तमाचा सोच रहा कि अब जाएगी… उस समय घर से काम के बहाने निकली होगी तो कुछ काम भी कर ली ताकि कोई घर पर पूछे नहीं… वो साथ ही इस इलाके के हर लौंडियाबाज लड़के,मर्द की सूरत अपने दिमाग में भी छापे जा रहा था कि कौन हो सकता है…

अचानक वो एक झटका सा खा गया… ऑटो वापस उनके गली के सामने रूकी और सीमा भाभी उतर के गली में घुस गई… वो गली के ठीक सामने आ सीमा भाभी को जाते बस देख रहा था… उसके दिमाग ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी.. शाली कनक, उल्लू बनाने के लिए मैं ही मिला था…

इसे मेरे से चुदवाने का के चक्कर में थी तो बोल देती सीधा कि पटा लो इन्हें.. फिर तो हमरी थप्पड़ बाबा की जय थी ही… वो टिमटिमाता हुआ बाइक मोड़ा और वापस चल दिया…

शाम हो चुकी थी… सूरज अब ऐसी प्रतीत हो रही थी कि अब डूबी कि तब डूबी… और ये वक्त कनक को काफी लुभाती है… वो जब घर पर होती तो ऐसे समय छत पर जा डूबते सूरज को निहारती रहती.. इस वक्त भी वो छत पर ही थी…

कान में इयरफोन ठूंसी… यो यो की फैन थी तो दूसरा गाना सुन सकती थी क्या…साथ में दूसर छत पर कुछ लड़के मधुमक्खी की तरह मंडराते नैन मटक्का करने की जुगत में था… पर कनक किसी को घास तक नहीं डालती यहाँ… हां थोड़ी सी आँख मिचौली जरूर कर लेती और एकाध बार गलती से मुस्कुरा दी तो फिर तो सबकी पार्टी तय… पार्टी कौन देगा ये कनक पर निर्भर थी कि मुस्कान वो किसे पास करती थी…

तभी कनक की रिंगटोन संगीत छेड़ने लगी… नजर स्क्रीन पर…तमाचा… वो चट से फोन रिसीव की और हैलो बोली…

तमाचा,”शाली रंडी, मैं तेरा जीजा हूँ क्या जो मजाक कर रही थी…बहिनतोद मुफ्त में टाइम वेस्ट करवा दी कुतिया… अब तो बिना तेल डाले गांड़ मारूंगा तेरी…” तमाचा फोन रिसीव होते ही शुरू हो गया…

कनक,”ओए बहन के यार, गांड़ में मिर्ची क्यों लग रही है… पहले बात तो बता आखिर हुआ क्या…”

तमाचा,”अबे यार हूंगा तेरी मां का… शाली जब पता नहीं रहता तो अपने दिमाग से कुछ भी सोच़ लेती है …वो काम से गई थी और काम कर सीधी घर… समझी ना…”

कनक,”क्या? रूपा तो बताई थी कोई काम नहीं है… मतलब सीमा भाभी कह रही थी कि वो अपने दोस्त से मिलने जा रही है… और वो दोस्त अभी इस शहर में है ही नहीं…”

तमाचा ये सुन थोड़ा चौंका… अगर इसकी बात सही है तो फिर तो गड़बड़ है… वो अबकी कुछ गंभीर स्वर में बोला,”तो मतलब कहीं वो उसी स्टूडियो पर ही किसी से मिली होगी…शाला ये तो मैं सोचा ही नहीं…”

कनक,”शाले तुझे यही बात तो कह रही थी…और तू है कि सिर्फ अपनी ही सुनता है… कभी कभी दिमाग का भी इस्तेमाल कर लिया कर…सब गड़बड़ कर दिया…”

तमाचा अपना माथा पीटते हुए बोला,”अच्छा रूक, मैं कुछ जुगाड़ लगता हूँ…”

कनक एक बार फिर बेहूदगी बात पर बरस पड़ी,”अब खाक जुगाड़ लगाएगा… देखना तभी चाहिए था ना…अब किससे पूछेगा…” आगे तमाचा कुछ बोले कनक के दिमाग ने एक सवाल कर दिया…

कनक,”वो स्टूडियो कौन सा था…”तमाचे ने जैसे ही नाम बताया कनक मुंह खुली की खुली रह गई… ये तो रोहन के मामा की स्टूडियो थी…

कनक की दिमाग चक्करघन्नी बन गई… कैलाश भी है इसमें… वो एक बार तो गुस्से से भर गई पर तमाचा को कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी… वो बोली,”अ़च्छा ठीक है, ज्यादा मत बोलना…”

तमाचा हामी भर फोन रख दिया… कनक अब क्या करे, कैसे करे कुछ मालूम नहीं… बस वो यही सोचती रही कि आखिर कैलाश कैसे… कैलाश से तो डिम्पल भाभी की जान पहचान भी नहीं है… अगर होती तो वो रूपा को जरूर पहचानती या फिर बात को दबाने की वजह से बोले नहीं….

कनक रूपा को फोन की और सारी बात कह डाली… रूपा तो और टेंशन में… ये सब कैसे… अब क्या करे… सीमा भाभी अपना काम तेजी से किए जा रही थी और वो उतनी ही तेजी से बैक हुई जा रही थी…

रूपा उठी और मुंह हाथ धो फ्रेश हुई… फिर बाहर निकल सीमा भाभी के रूम की बढ़ गई…बात कहां तक गई ये भी जानना जरूरी था… कुछ ही देर में वो सीमा भाभी के रूम में थी…

सीमा भाभी अभी भी उसी तरह बनी ठनी थी… वो रूपा को देखती ही खिलक उठी और बोली,”आओ रूपा… मैं तुम्हारी ही इंतजार कर रही थी…”

रूपा टेंशन में होने के बावजूद मुस्कुराती हुई बोली,”बुला भी तो सकती थी… मैं तो रूम में ही थी…” रूपा की बात सुन सीमा भाभी अपने रूम में बढ़ती हुई मुंह बनाती हुई बोली,”हाँ पर मम्मी जी बेकार ही सोचने लग जाती कि आज ये कैसे आ धमकी है…”

रूपा,”तो क्या हुआ, आगे से रोज आना, फिर नहीं सोचेगी…” रूपा सीमा भाभी से बात करती उनके पीछे चल दी… रूम में जाते ही सीमा भाभी रूपा को बैठने बोली और लैपटॉप ले रूपा के बगल में बैठ गई…