तभी अंकल मेरी पैंटी की इलास्टिक पकड़ कर नीचे उतारने लगे. जैसे ही मेरी पैंटी उतरी, मैं अंकल और सतीश जीजा के सामने पूरी नंगी खड़ी हो गई, अब मुझे बहुत शर्म आई तो मैंने अपनी दोनों हथेली अपनी चूत के सामने रख ली और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी.अंकल बोले- अपने माल को मत छुपाओ संध्या!मैं शरमा गई और नीचे आंखें कर ली.
अंकल ने मेरे पीछे घूम कर जैसे ही देखा मेरे पिछवाड़े की तरफ और मेरे दोनों कूल्हों पर हाथ रखा, बोले- बाप रे, तुम क्या कयामत हो संध्या तुम्हारी गांड तो बहुत ही जबरदस्त है, इतनी निकली हुई गांड, मैंने आज तक नहीं देखी, बहुत गजब की गांड है तेरी संध्या!और वो मेरे दोनों कूल्हों को चूमने लगे, और फिर कूल्हों को फैलाकर जहां मेरी गांड का सुराख था, वहां जीभ चलाने लगे. मुझे अब जाने क्या होने लगा, वहां बहुत गुदगुदी होने लगी, मैं उछलने सी लगी. मैंने पीछे हाथ किया तो अंकल के बालों में पड़ा.
अंकल अपने कपड़े मेरे सामने उतारने लगे और मैं उनको देखने लगी. अंकल ने अपना टी-शर्ट उतार दिया और अंडरवियर के अन्दर ही उनका लन्ड लग रहा था कि वो फाड़ देगा अंडरवियर को!और जैसे ही अंडरवियर उतरा, उनका बहुत ही बड़ा लन्ड मेरे सामने था, मैं सोच भी नहीं सकती थी कि 50 साल के मर्द का इतना बड़ा सामान हो सकता है!मैंने अपनी आंखें झुका ली.
तभी अंकल मेरे पीछे गांड पर अपना लन्ड रगड़ने लगे और जैसे ही मेरे पीछे उनका लन्ड छुआ, जाने कैसे मैं मदहोश सी होने लगी.उधर सामने सतीश जीजा भी अब अपनी पैंट को नीचे उतारने लगे और अपना शर्ट भी खोल दिया, वह बनियान नहीं पहने थे पैंट और अंडरवियर एक साथ उतार कर अपना लन्ड हाथों से रगड़ने लगे. मेरे देखते देखते सतीश जीजा का लन्ड बहुत बड़ा हो गया और वह हांफने लगे.
तभी मकान मालिक बोले- सतीश, वहां दूर खड़े होकर अपने हाथ से क्यों अपना सामान रगड़ रहा है, जब इतनी मस्त आइटम संध्या तेरे सामने है.तो सतीश जीजा बोले- आज संध्या आपका माल है, आप कर लो अच्छे से!अंकल बोले- चल आज तुझे परमिशन दी, आ जा तू अपना भाई है. आ दोनों मिलकर संध्या की प्यास बुझाते हैं, तू भी शुरू हो जा जहां तुझे जगह मिले, मुझे कोई दिक्कत नहीं.और इतना कहकर अंकल पीछे मेरी गांड को फैलाकर उसमें थूक लगाने लगे तो मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी.
और फिर अपने लन्ड को मेरी गांड में फिट करके थोड़ा थोड़ा घुसाने की तरह रगड़ने लगे, मैं बिल्कुल पता नहीं कैसे मदहोश होने लगी.तभी सतीश जीजा भी आने लगे जब वह चले तो उनका लन्ड बहुत हिल रहा था, जीजा मेरे सामने आकर बैठ गए सीधे मेरी हाथों को पकड़ कर जिससे अपनी चूत छुपा के रखी थी उसे हटाया और सीधे मेरी चूत में अपने होठों को रख दिया.
मुझे अब बहुत अजीब सा कुछ होने लगा और किस करने के बाद जीजा ने तुरंत मेरी चूत को फैलाकर उसमें अपनी जीभ डाल दी. जैसे ही सतीश जीजा की जीभ अंदर गई मैं एकदम मचल गई, मेरा बदन बिल्कुल अकड़ सा गया.जीजा अब मेरी चूत चाटने भी लगे, जिसकी वजह से अब मुझसे खड़े रह पाना मुश्किल हो गया, मैं बोली- अंकल. मुझसे खड़े नहीं रहा जा रहा, मुझे आप लोगों ने क्या कर दिया? क्या हो रहा है, मैं समझ नहीं पा रही.
तब अंकल बोले- संध्या, तुम बहुत प्यासी हो, तुम्हारे अंदर बहुत आग है, वह सब बाहर आ गई है, चलो सतीश उठो, संध्या को बिस्तर पर ले चलते हैं.मैं बोली- प्लीज, मुझे कुछ करना नहीं! और मुझे यह क्या हो रहा है?अंकल बोले- अभी 10 मिनट भी नहीं हुए 5 मिनट के अंदर तुम्हें हम छोड़ देंगे!मैं बोली- ठीक है.
अंकल ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, मैं पूरी नंगी थी और अंकल भी फुल नंगे. उन्होंने मुझे बांहों में जब उठाया तो मुझे अलग सा महसूस हुआ, मेरे दूध को चूम कर अंकल बोले- बड़ी मस्त है लग रही है तू मेरी गोद में, मेरी बाहों में तू संध्या!और ले जाकर बगल से जो बिस्तर था, उसमें मुझे पटक दिया.
अंकल सतीश जीजा को बोले- यार तू अब संध्या के पीछे का मोर्चा संभालना, मैं इसके आगे चूत को और बूब्स को देखता हूं.
अंकल ने अब मेरी टांगों को इधर-उधर फैलाया और मेरे जांघ पर किस करते हुए बिल्कुल मेरी चूत में पहुंच गए और अपनी उंगली डाल दी. चूत में उंगली डालने के बाद बोले- कितनी गर्म है तेरी चूत संध्या… लग रहा है उंगली जल जाएगी, और बहुत गीली भी है!और फिर सीधे अपने जीभ निकाल कर बोले- इतनी सेक्सी चूत आज तक मैंने देखी नहीं!अब सीधे मेरे चूत में अपनी जीभ डाल दी और बहुत जोर-जोर से अंकल मेरी चूत चाट कर बिल्कुल चूस ले रहे थे.
इधर पीछे पीठ तरफ मेरे सतीश जीजा मेरी पूरी पीठ को अपनी जीभ से चाटने लगे, किस करने लगे, साथ में कूल्हों पर अपना हाथ भी चला रहे थे.
अब सतीश जीजा उल्टे हो गए, अपना मुंह मेरे कूल्हों पर, मेरी गांड की तरफ कर लिया और उनका लन्ड मेरी गर्दन और पीठ से रगड़ खा रहा था, मेरे कूल्हों को फैलाकर सतीश जीजा गांड को चाटने लगे, सेक्स के जोश में थे ऊपर से ड्रिंक किए हुए थे, उनको चढ़ भी गई थी तो वह मुझे गाली भी बकने लगे, बोले- साली चुदक्कड़ संध्या मादरचोदी तू बहुत बड़ी रंडी है, आज फंसी है तेरी गांड फाड़ दूंगा चोद चोद के!और बहुत जोर जोर से मेरी गान्ड को चाटने लगे.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं पागल हो रही थी.
तभी सतीश जीजा अपनी उंगली मेरी गांड में डालने लगे, मुझे गांड में थोड़ा सा दर्द का अहसास हुआ, इधर सामने अंकल मेरी चूत को बिल्कुल चाटे जा रहे थे. उन्होंने अपने हाथ मेरे दोनों बूब्स रख दिए. मेरे मुंह सी उउह की आवाज निकल गई तो और जोर जोर से दबाने भी लगे.
मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, जाने क्या हो गया? मैं बोली- अंकल, ऐसा मुझे क्या हो गया? मुझे बचा लो, लग रहा है मर जाऊंगी, मैं बहुत तड़प रही हूं, मेरा बदन पूरा टूट रहा है, मेरे इस तड़प को यह जो भी नशा है इसका उतारो, जल्दी कुछ भी करो पर मेरे बदन के टूटन को शांत करो तुम दोनों प्लीज! प्लीज मुझे कुछ भी करो, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
तभी अंकल उठे और मेरे बूब्स एक एक करके दोनों अपने मुंह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगे, मैं उनका सर दबाने लगी जिससे और जोर चूसें!तब अंकल मुझसे बोले- संध्या, बहुत चुदासी हो तुम, अब तुम्हें लन्ड चाहिए. वही लन्ड ही तुम्हारी यह प्यास बुझा पाएगा, यही लन्ड तुम्हारे बदन की टूटन को शांत कर पाएगा, और लन्ड ही तुम्हारी खुमारी तुम्हारा ये नशा उतारेगा.
सतीश जीजा बोले- अंकल, इस साली कुतिया संध्या की जल्दी चुदाई करो, नहीं तो ये पागल हो जाएगी.
मुझे सच में कुछ होश में नहीं था, मैं बोली- जो भी करना है जल्दी करो, मेरी हालत ठीक नहीं… और तेजी से मुझमें कुछ नशा सा चढ़ रहा है.अंकल बोले- सतीश, तू बता संध्या को चोदें या जाने दें, क्या ठीक रहेगा?मैं बोली- अंकल, उन जीजा से क्यों पूछ रहे हो? जो करना है कर दो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.अंकल बोले- दोनों तरफ से लन्ड डालेंगे तो तुझे चलेगा?मैं बोली- हां सब चलेगा, मुझे कुछ पता नहीं, कुछ समझ नहीं… बस मुझे करो जो करना है.